Friday, August 30, 2013

सरकार आपदा प्रबंधन तंत्र को सक्रिय करे ---डॉ गिरीश






लखनऊ 30 अगस्त। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने पूर्वांचल, बुंदेलखंड ,  मध्य उत्तर प्रदेश एवं तराई के हिस्सों में आई व्यापक बाढ़ और उससे खेती एवं जनजीवन की तबाही पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है। पार्टी ने इस बात पर भी गहरी नाराजगी जताई है कि राज्य सरकार और प्रशासन की बार-बार घोषणाओं के बावजूद बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत एवं बचाव की कोई कारगुजारी धरातल पर दिखाई नहीं दे रही है।
तीन दिवसीय पूर्वांचल के दौरे से लौट कर भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने यहां जारी एक प्रेस बयान में कहा है कि जिलों-जिलों में बाढ़ से खेती और फसल डूब चुकी है। गांव ही नहीं तमाम शहरी क्षेत्रों में भी पानी घुस गया है। इन क्षेत्रों में फंसे लोगों को यहां से निकालने, उनको भोजन एवं पेयजल उपलब्ध कराने एवं इलाज आदि की कोई भी व्यवस्था दिखाई नहीं दे रही है और लोग बाढ़ की विभीषिका में भारी कठिनाईयां झेल रहे हैं।
भाकपा राज्य सरकार से मांग करती है कि वह कागजी घोषणायें बन्द करके स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन तंत्र को सक्रिय करे और प्रदेश के बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत और बचाव कार्यों को अमली जामा पहनाये। भाकपा राज्य सचिव ने पार्टी की जिला इकाईयों से भी अनुरोध किया है कि वे बाढ़ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों की हर सम्भव मदद करें।

Monday, August 26, 2013

Left, regional parties' front to form next govt: CPI

Claiming that anti- and anti- mood is prevailing in the country, today said an alternative front of Left and regional parties would form the next government at the Centre.

"Left and regional parties will form a programme-based alternative front before or after the elections to serve the people of the country," CPI General Secretary S Sudhakar Reddy told reporters here.

Reddy, who was here along with former General Secretary A B Bardhan to take part in the state executive committee meeting of the party, said the party would contest 60-70 seats in the coming elections.

"The party has started identifying seats and candidates for fighting the parliamentary elections in states like Kerala, West Bengal, and where it has a larger base," he said.

"In and we are keeping a watch over political developments and will take a decision on alliance at right time," the CPI general secretary said.

Bardhan claimed that Congress would not get more than 110 seats, while BJP despite "hue and cry" in the name of Narendra Modi would in no case cross 140-145 mark.

"In this scenario, the Left and regional parties, opposed to Congress and BJP, hold tremendous scope to form the next government," Bardhan said.

He, however, refused to identify these regional parties.

"Based on alternative policy and programme, the Left along with like-minded regional parties would form a new government after the general elections," he said.

Sunday, August 25, 2013

साम्प्रदायिकता, महंगाई, अत्याचार और भ्रष्टाचार के खिलाफ तथा सामाजिक सद्भाव, विकास और कानून के राज के लिए भाकपा करेगी 30 सितम्बर को राज्यस्तरीय रैली

लखनऊ 25 अगस्त। यहां सम्पन्न भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कौंसिल की बैठक में भाकपा ने वर्तमान राजनीतिक हालातों पर विचार-मंथन करते हुए आसन्न लोकसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए कुछ शक्तियों द्वारा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों की घोर निन्दा की एवं साम्प्रदायिकता, महंगाई, अत्याचार और भ्रष्टाचार के खिलाफ तथा सामाजिक सद्भाव, विकास और कानून के राज के लिए 30 सितम्बर को लखनऊ में विशाल रैली आयोजित करने का फैसला लिया। इस रैली के माध्यम से भाकपा ने चुनावों को मुद्दाविहीन बनाने तथा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने के कतिपय राजनीतिक दलों के प्रयासों को ध्वस्त करने के साथ-साथ कार्यक्रम आधारित वामपंथी लोकतांत्रिक विकल्प प्रस्तुत करने हेतु अपने अभियान का श्रीगणेश करने का निश्चय किया है।
यहां जारी एक प्रेस बयान के अनुसार भाकपा राज्य कौंसिल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें लगातार जनविरोधी कामों को अंजाम दे रही हैं। इससे आम लोगों के कष्ट और कठिनाईयां बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। परिणामस्वरूप आम जनता में इन सरकारों के प्रति बेहद गुस्सा है। इस गुस्से को आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पक्ष में भुनाने के लिए कई राजनैतिक दल साम्प्रदायिक और जातिगत विभाजन पैदा करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। खतरा पैदा हो गया है कि जनता के इस गुस्से को सही दिशा नहीं मिली तो यह गुस्सा फिर से बिखर सकता है तथा इसका लाभ वही पूंजीवादी पार्टियां उठा लेंगी जिनके काले कारनामों, निकम्मेपन और अवसरवादी नीतियों के कारण यह जनाक्रोश पैदा हुआ है।
भाकपा राज्य कौंसिल की यह स्पष्ट समझ है कि ऐसे मौके पर हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठा जा सकता। भाकपा ने अपने समस्त कार्यकर्ताओं, समर्थकों एवं आम जनता का आह्वान किया है कि वे उत्तर प्रदेश में सपा और भाजपा के साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों से आम जनता को जागरूक करें और 30 सितम्बर की रैली के लिए प्रदेश भर की जनता को लामबंद करें। इसके लिए आज से लेकर 1 माह तक जन लामबंदी अभियान चलाया जायेगा और गांव, कस्बों एवं शहरों में हजारों छोटी-बड़ी सभाओं का आयोजन भाकपा और उसके जन संगठनों द्वारा किया जायेगा।
भाकपा राज्य कौंसिल ने इस बात पर गहरा संतोष व्यक्त किया है कि विहिप द्वारा बहुप्रचारित कथित परिक्रमा को आम जनता ने नजरंदाज कर दिया और पूरे प्रदेश में सद्भाव एवं अमन-चैन कायम रहा। भाकपा को उम्मीद है कि भविष्य में भी उत्तर प्रदेश की जनता साम्प्रदायिक शक्तियों के ऐसे सभी हथकंडों को विफल कर देगी जो प्रदेश के अमन-चैन को खतरा पैदा करें और विकास के रास्ते में रोड़ा बनें।
भाकपा राज्य कौंसिल ने एक प्रस्ताव पारित कर गाजीपुर जनपद की एकमात्र चीनी मिल - नन्दगंज को दुबारा चालू करवाने के लिए किसान सभा के नेतृत्व में चल रहे आन्दोलन को अपना समर्थन प्रदान किया और प्रदेश सरकार से मांग की कि उपरोक्त चीनी मिल को तत्काल चालू करवाया जाये। इसके साथ ही प्रदेश की बन्द पड़ी तमाम चीनी मिलों को भी चालू करवाने की मांग की गयी है। प्रस्ताव में छाता में चीनी मिल को चालू करवाने तथा मथुरा जनपद में एक और चीनी मिल की स्थापना की दिशा में भी कदम उठाने की मांग की गयी है।
एक दूसरे प्रस्ताव के माध्यम से मवाना चीनी मिल द्वारा पिछले पेराई सत्र का किसानों का बकाया रू. 125 करोड़ का भुगतान न करने के खिलाफ किसान सभा के चल रहे आन्दोलन को भी अपना समर्थन देते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर पिछले पेराई सत्र का किसानों का बकाया रू. 2600 करोड़ का भुगतान तुरन्त करवाये।
भाकपा राज्य कौंसिल ने मैजापुर (गोण्डा) चीनी मिल के मजदूरों के चल रहे आन्दोलन को भी अपना समर्थन देते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह मजदूरों की समस्याओं के निदान के लिए मिल प्रबंधन को समझौता वार्ता के लिए बाध्य करे।
भाकपा राज्य कौंसिल बैठक की अध्यक्षता गफ्फार अब्बास ने की। बैठक में राज्य सचिव डा. गिरीश ने राष्ट्रीय तथा प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर अपनी रिपोर्ट पेश की जिसे बहस के उपरान्त पारित किया गया।

Saturday, August 24, 2013

सपा सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री द्वारा विश्व हिन्दू परिषद के नेतृत्व से वार्ता पर भाकपा ने लगाया प्रश्नचिन्ह

लखनऊ 24 अगस्त। यहां चल रही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक ने एक प्रस्ताव पारित कर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा 25 अगस्त से तथाकथित 84 कोसीय परिक्रमा के कार्यक्रम पर घोर आपत्ति एवं चिन्ता व्यक्त की है। भाकपा ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इन साम्प्रदायिक व्यक्तियों से वार्ता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा है कि विश्व हिन्दू परिषद से वार्ता सपा द्वारा वोटों के ध्रुवीकरण की खातिर प्रायोजित की गयी थी।
भाकपा राज्य कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्ताव में इंगित किया गया है कि विश्व हिन्दू परिषद के अस्तित्व में आने से पूर्व से ही परम्परागत रूप से चैत्र पूर्णिमा से लेकर वैशाख जानकी नवमी तक साधू-सन्त शान्तिपूर्ण धार्मिक परिक्रमा करते रहे हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि लोकसभा चुनावों के पूर्व विश्व हिन्दू परिषद द्वारा भाद्र माह में अपने साम्प्रदायिक एजेंडे के तहत इस यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया है जिसका एकमात्र उद्देश्य सामाजिक सद्भाव को नष्ट करना है। ज्ञातव्य हो कि विश्व हिन्दू परिषद, भाजपा एवं आरएसएस के गठजोड़ ने पूर्व में साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया है और पनपाया है और वर्तमान में भी आगामी लोक सभा चुनावों की पृष्ठभूमि में यह नापाक गठबंधन उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की नियत से काम कर रहा है। धार्मिक आस्था से इनका कोई वास्ता नहीं है। परिक्रमा संचालक महन्त गया दास के परिक्रमा के शास्त्र सम्मत न होने के बयान तथा इस परिक्रमा यात्रा से अपने को अलग करने की घोषणा से यह स्पष्ट हो गया है कि यह यात्रा लोकसभा चुनावों को दृष्टि में रख कर भाजपा एवं उसके अनुषागिक संगठनों द्वारा आयोजित की जा रही है जिसका धार्मिक भावनाओं एवं परम्पराओं से कोई लेना देना नहीं है।
भाकपा की राज्य कार्यकारिणी ने सरकार से मांग की है कि परम्पराओं को तोड़ कर परिक्रमा आयोजित करने वाली शक्तियों और उनके संगठनकर्ताओं को तत्काल निरूद्ध कर कड़ी कानून सम्मत कार्यवाही की जाये ताकि देश एवं प्रदेश में साम्प्रदायिक सद्भाव और शान्ति कायम रहे।
प्रस्ताव में इस बात पर संतोष व्यक्त किया गया है कि वर्तमान परिस्थितियों को प्रदेश की आम जनता भी भलीभांति समझ रही है। प्रस्ताव मे साधू संतों से इस राजनैतिक आयोजन से दूर रहने की अपील की गयी है और आम जनता से अनुरोध किया गया है कि वह साम्प्रदायिक सद्भाव एवं शान्ति बनाये रखे।
भाकपा राज्य कार्यकारिणी की बैठक जारी है और कल भाकपा की राज्य कौंसिल की बैठक सम्पन्न होगी।



कार्यालय सचिव

Friday, August 23, 2013

CPI's Dasgupta questions $8.4 an mBtu gas price













Communist Party of India () leader on Thursday again trained guns on the Centre for the gas price rise.
In a letter to Prime Minister , Dasgupta alleged the cost of production for Ltd (RIL)’s block was just $ 2.74 a million British thermal unit (mBtu). He added the Rangarajan pricing formula would give them a windfall gain through a pricing of $8.4 an mBtu.

Dasgupta asked Singh to revisit the pricing of by the , applicable from April 2014. Citing petroleum ministry figures, Dasgupta said the ministry had admitted that after computing from the financial statement of RIL in 2011-12 on projected level of production, the cost of production, including levies, worked out to $2.74 an mBtu.“If the cost of production is only $2.74, how has Rangarajan come to the conclusion that it should be $8.4 per unit to be given to the contractor? Evidently, it is a case of lack of due diligence,” the letter said.

Earlier, Dasgupta had filed a public interest litigation regarding the decision on gas pricing at the apex court, on which the response from the petroleum ministry, RIL and minister M Veerappa Moily would be heard on September 6.


 http://www.business-standard.com/article/companies/cpi-s-dasgupta-questions-8-4-an-mbtu-gas-price-113082200883_1.html

GURUDAS DAS GUPTA's letter to the Prime Minister on Gas Pricing

My letter to the Prime Minister on Gas Pricing...
Please share it ....
22.08.2013
My dear Prime Minister,

We have been persistently raising the question of verifying the cost of production per unit in RIL KG-6 Basin, production of natural gas before deciding upon the process of pricing. No governmental agency has clarified this question to us. Even the Finance Secretary while deposing before the Standing Committee on Finance bluntly stated that evaluating the cost of production was not their job. Surprisingly nowhere the Rangarajan Committee speaks of the cost of production. Ultimately, the Ministry of Petroleum and Natural Gas replying to a question of the Standing Committee through O.M. No.-L-150-16/9/2013GP dated 2.8.2013 (copy attached) has officially admitted that after computing from the financial statement of the Company of 2011-12 on projected level of production, the cost of production, including the levies, works out to USD 2.74 MMBTU.

If the cost per unit is only USD 2.74, then how the Rangarajan Committee has come to the conclusion that it should be USD 8.4 per unit to be given to the contractor. Evidently it is a case of lack of due diligence. The next question that arises is how the Cabinet had approved the price almost four times the cost so hurriedly.

I fervently request you to revisit the question of pricing of natural gas to be given to RIL and clear the air of suspicion that the government had only acted to benefit the corporate giant undermining the national interest.

With kind regards,

Yours sincerely,

(GURUDAS DAS GUPTA)
Dr. Manmohan Singh,
Prime Minister of India,
New Delhi.

Encl: (iii) what has been the cost of production for RIL in KG-D6 block? Whether the Company had submitted any documentation in this regard to the Ministry?

Reply:
RIL has not submitted the document to the Ministry about cost of production in the block KG-DWN-98/3.

The cost of production for RIL in KG-D6 block in 2011-12 was USD 2.48MMBTU excluding levies and USD and USD 2.74MMBTU including levies. Figures are computed from financial statements 2011-12, based on projected levels of production.

Share please....

Wednesday, August 21, 2013

CPI blames Manmohan, Chidambram for economic crisis

New Delhi : Communist Party of India(CPI) on August 20,2013  squarely blamed the Prime Minister and the Finance Minister for the present “ pathetic” economic situation in the country, calling for the nationwide people’s struggles to force the Congress-led UPA( 11)  government to abandon its neo-liberal policies.
“We are worried India has to pay dearer for the fault of keeping the UPA (11) in power. Bigger struggles of the people are expected in the coming months,” CPI general secretary S Sudhakar Reddy said here.
Sudhakar’s remarks came a day after the Indian rupee continued to plumb new depths recording its biggest single day fall in a decade on Monday. With rupees 63.30 to a dollar it touched its lowest ever, recording biggest single day fall in a decade.
 He said while the prices of food grains and other essential commodities are going up, the burgeoning unemployment and all prevailing corruption are other major worries. The credibility of the UPA (11) is at its lowest ebb.
“This will lead to more serious complications in the political arena.  A weak government can not solve the problems of the nation,” CPI general secretary said.
He said Manmohan Singh’s neo-liberal economic policies coupled with Chidambaram’s arrogance had created the present position.
Pro-corporate policies added fire to the fuel.
“A weaker government, which is unwilling to take strong measures to control prices, implement labour laws is causing much harm to the man-in- street and the nation. There is no other solution except fighting back these anti- people policies of the Congress-led UPA government.”
 Giving a historical overview of the present economic situation, the CPI general secretary said the fall of the rupee versus dollar is a” symptom” of crisis of Indian economy.
 In spite of tall claims of the Prime Minister and the Finance Minister they failed to stop the fall of the rupee. In 1947 Indian rupee was equal to the dollar. In late 1960’s it was 8 rupees a dollar. Under the leadership of Chidambram as the head of the Indian financial system, it had gone down to over 63 rupees to a dollar.

 Furthermore, he said, foreign exchange had now only 6-7 months reservoir. This is a pathetic situation. Chidambram is to be squarely blamed because instead of finding scientific alternatives he made India to believe that FDI’s would solve all the problems and they are coming in plenty.

Tuesday, August 13, 2013

Dasgupta had filed public interest litigation with the Supreme Court---Nanasaheb Kadam

After moving court over the issue of gas pricing, Communist Party of India leader Gurudas Dasgupta has written to Prime Minister Manmohan Singh, telling him Petroleum Minister M Veerappa Moily had stripped a senior ministry official of his charge for standing up to the minister.

Giridhar Armane, joint secretary in charge of exploration and pricing issues, was stripped of the additional charge of pricing; the assignment was transferred to another joint secretary, P K Singh. The order for reallocation of charges was issued on August 8.

Dasgupta alleged the minister had repeatedly over-ruled the suggestions of Armane and Petroleum Secretary Vivek Rae on the issue of increasing prices, according to the Rangarajan formula. "It is learnt the secretary and joint secretary had presented an analysis to the minister recently, with a recommendation that the decision of the Cabinet Committee on Economic Affairs to increase prices be put on hold until a decision was taken on the matter regarding providing shortfall quantity at the old rates," Dasgupta said in his letter.

The finance ministry had asked its petroleum counterpart to look into charging the earlier price from Reliance Industries for the shortfall in supply from KG-D6. Traditionally, gas pricing has been handled by joint secretary (exploration), though there is another post of joint secretary (natural gas policy).

Dasgupta had filed public interest litigation with the Supreme Court against the government's decision to almost double gas prices according to the Rangarajan formula. A hearing on the matter is likely in September.

Monday, August 12, 2013

They are all dancing to the tunes of the local MLA and minister--- KanwalBharti

 
Fearing life threat, Dalit scholar Bharti to move Allahabad high court
Bharti was arrested for his Facebook comment against UP government on the suspension of IAS officer Durga Nagpal.


LUCKNOW: Dalit scholar KanwalBharti has alleged that he and his family are facing a life threat in Rampur. "We are regularly hounded by dubious-looking individuals knocking at our doors. My family is passing sleepless nights," said Bharti. With no faith in the local police, he is now preparing to move the Allahabad high court for justice.

Bharti was arrested on August 6 for his Facebook comment against the Samajwadi Party government on the suspension of young IAS officer Durga Nagpal.

He was, however, released after the local court stated that on the basis of evidence provided by the police, no criminal case could be made out against him. Now his family is the target.

The dalit scholar, who returned to his Rampur house on Sunday after a two-day tour to Delhi, told TOI over phone that Azam Khan's men wanted him to leave the city for good. "But I will not, let them do whatever they want," he said on Sunday evening.

Talking about his Delhi visit, Kanwal said that various organizations of writers and authors will stage a protest at Jantar Mantar over the manner in which the UP government was desperate to curb freedom of speech.

SP, Rampur, Umesh Kumar Singh, said that Kanwal hadn't lodged any complaint in connection with any threats. "If we get a complaint, we would surely initiate necessary action," he said.

Giving graphic details of the ways and means being adopted to scare the family, Kanwal said: "There are times when someone knocks at the door and asks for me. Despite being told that I am out of station, he would come back half an hour later and asking for me again. He would inquire if I have gone alone and whether am carrying my cellphone. When questioned in turn for the reasons for his query, he would say that these days anything can happen to anybody," Kanwal said. "Now this is nothing but creating fear in the minds of the family members. The irony is that I cannot even approach the police because they are all dancing to the tunes of the local MLA and minister Azam Khan," he said.

Kanwal said he has prepared a petition against the police and was now preparing to move the Allahabad high court for the sake of his family's security. "I am scared but I will not bow to such pressures. "In my petition I will also question the authority with which the police have seized my desktop and storage devices without any mention of the seizures in the case diary. What will I do if tomorrow they plant some objectionable material in my computer's hard disk and claim that it was loaded by me," he said.

About Kanwal's desktop, the Rampur SP said it had been sent to Lucknow for forensic examination.

Friday, August 9, 2013

अधिनायकवाद के रास्ते पर उत्तर प्रदेश सरकार.

शोषित,पीड़ित,दमित और दलितों के लिये अपनी कलम को सदैव सक्रिय रखने वाले श्री कँवल भारती की गिरफ्तारी से सारे देश में आलोचना झेल रही समाजवादी पार्टी और उसकी सरकार के कर्ता-धर्ताओं ने लगता है भूल सुधार न करने की कसम खाली है. तभी तो कल सरकार के एक दबंग मंत्री के सिपहसालारों ने पुलिस अधीक्षक, रामपुर से मिल कर लेखक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्यवाही करने की मांग कर डाली. ऐसी ही हठधर्मिता दुर्गाशक्ति के निलम्बन के मामले में अपनायी गयी. पूरी की पूरी सरकार एक अदने से अधिकारी के खिलाफ ऐसे ही मोर्चा खोले हुये है मानो चीन और पाकिस्तान से जूझ रही हो. मुझे आश्चर्य इस बात पर होता है कि सरकार और परिवार के सुप्रीमो जब-तब आपात्काल के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं लेकिन आपातकाल जैसी ही कारगुजारियों में संलिप्त अपनी पार्टी की सरकार की कारगुजारियों पर रोक नहीं लगा रहे हैं. अपने सबा साल के शासनकाल में इस सरकार ने पहले ईमानदार और कर्मठ अधिकारियों को किनारे किया और भ्रष्ट, नाकारा और चाटुकार अधिकारियों को ताकत के केन्द्रों पर आरूढ़ किया. फिर खनन मफियायों को प्रश्रय देने के लिये दुर्गाशक्ति का निलम्बन कर उसे चार्जशीट देदी.इतना ही नहीं उसे आत्मसमर्पण कराने के लिये सर्वोच्च सत्ता शिखर से धमकियाँ तक दी गयीं. यहाँ तक कि साम्प्रदायिक हथकंडे अपनाने से भी यह सरकार चूकी नहीं.ये बात अलग है कि कई मुस्लिम इदारों और समाज ने सरकार के आकाओं की इस साजिश का पर्दाफाश कर दिया. सता-परिवार के एक राजनीतिशास्त्र के विद्वान् ने तो संघवाद की धज्जियाँ विखेरते हुये केंद्र से मांग कर डाली कि वह उत्तर प्रदेश से समस्त आई.ए.एस. अधिकारियों को वापस बुला ले. एक कदम और आगे बढ़ाते हुए सरकार ने लेखक कँवल भारती को गिरफ्तार करा दिया और अब उनके खिलाफ एन.एस.ए. लगाने की साजिश रची जा रही है. ये सारे कदम इस बात के परिचायक हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार उसी अधिनायकवाद का सहारा ले रही है जिसकी आलोचना समय-समय पर सरकार के आका करते रहे हैं. लेकिन सरकार के कर्णधारों को समझ लेना चाहिये कि सत्ता के बलबूते वे अपनी मनमानी को बेशक जारी रख सकते हैं लेकिन ये मनमानी सत्ता की जड़ें हिला सकती है. डॉ.गिरीश .

Wednesday, August 7, 2013

ईमानदार एवं कर्मठ आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल का अनैतिक एवं अवैध निलंबन निरस्त किया जाये


लखनऊ ७ अगस्त १३-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,लखनऊ के ज़िला मंत्री मो.खालिक के नेत्रित्व में एक प्रतिनिधिमंडल आज नगर मजिस्ट्रेट श्री सीता राम गुप्त जी से मिला और राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गा नागपाल का निलंबन समाप्त करने के सम्बन्ध में उनको सौंपा. नगर मजिस्ट्रेट महोदय द्वारा इसे जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को उचित कार्रवाई हेतु भेजने का आश्वासन दिया गया.
     
प्रतिनिधिमंडल में मो खालिक के अतिरिक्त का. परमानंद दिवेदी,मो.अकरम,महेंद्र रावत,राजपाल यादव,विजय माथुर, शमशेर  बहादुर सिंह आदि सम्मिलित थे 

(मो खालिक)

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महामहिम राज्यपाल महोदय 
उत्तर प्रदेश,लखनऊ 
द्वारा 
जिलाधिकारी,लखनऊ 
विषय-ईमानदार एवं कर्मठ आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल का अनैतिक एवं अवैध निलंबन निरस्त करने के संबंध में। 

आज दिनांक ७-८-२०१३ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला काउन्सिल लखनऊ द्वारा राज्य पार्टी के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम जो उ.प्र. के सभी जिलों में होना है उक्त कड़ी में लखनऊ भा.क.पा. आपको निम्नलिखित ज्ञापन प्रस्तुत करती है.
       उ.प्र.सरकार खनन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने वाली कर्तव्य परायण महिला आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गाशक्ति नागपाल (उप जिला अधिकारी,गौतम बुद्ध नगर)का निलंबन करके यह साबित कर दिया है कि,यह सरकार खनन माफियाओं को प्रश्रय दे रही है और कर्मठ एवं ईमानदार अधिकारियों को प्रताड़ित कर उनका मनोबल गिरा रही है. अपने इस अनैतिक कृत पर अफ़सोस जताने के बजाये प्रदेश सरकार एक बड़े झूठ का सहारा ले रही है और निलंबन को मस्जिद और मुस्लिम समाज से जोड़ा जा रहा है;पूरी सरकार एक अधिकारी के खिलाफ अनैतिक युद्ध चला रही है और वोट की राजनीति कर रही है.
       यह  सरकार नाक  नीचे लखनऊ में हो रहे एक ही समुदाय के दंगों को रोकने के लिए तमाम दंगों से प्रभावित लोगों के ऊपर मुकदमा लगा रही है जिसकी जांच होनी चाहिए. पहला पत्थर मारने वाले की खोज करनी चाहिए जिससे दंगाइयों की पोल खुल जायेगी.
       भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सरकार द्वारा निलंबन के इस कदम की निंदा करती है और मांग करती :
       १-यह कि कर्मठ और ईमानदार आई ए एस अधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल का निलंबन तत्काल ख़त्म किया जाए.
       २-यह कि समूचे उत्तर-प्रदेश में पर्यावरण को क्षति वाले अवैध खनन को रोका जाए.
       ३-यह कि खनन माफियाओं के विरिद्ध कड़ी करवाई की जाए और उनसे जुड़े सफ़ेद पोश नेताओं को भी जेल भेजा जाए.
       ४-यह कि कर्मठ और ईमानदार अधिकारियों का उत्पीडन बंद किया जाए. भ्रष्ट और नाकारा अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए.
       ५-यह कि निलंबन की कार्यवाही को जायज ठहराने के लिए घटना का साम्प्रदायिक कदापि न किया जाये.
       ६-यह कि लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न भागों में हो रहे दंगों की जांच कराके दोषियों को कड़ी सजा दी जाए.
आशा ही नहीं पूरा विशवास है कि आप उपयुक्त मांगों पर शीघ्र समुचित कार्यवाही करेंगे.

दुर्गा की बहाली तथा कमल भारती की रिहाई हेतु भाकपा ने किया जिलों-जिलों में धरना-प्रदर्शन

लखनऊ 7 अगस्त। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रान्तीय आह्वान पर भाकपा कार्यकर्ताओं ने आज पूरे प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर खनन माफियाओं की गिरफ्तारी, युवा महिला आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल की बहाली और उन्हें दी गई फर्जी चार्जशीट को तत्काल रद्द करने, फेस बुक पर अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करने पर गिरफ्तार किये गये दलित लेखक कमल भारती की बिना शर्त रिहाई तथा दंगों पर रोक लगाने की मांगों को लेकर जुलूस निकाले, जिला कचेहरियों पर धरना दिया तथा राज्यपाल को सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारियों को दिया।
राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापनों में कहा गया है कि खनन माफियाओं को राज्य सरकार द्वारा अनैतिक रूप से प्रोत्साहन दिया जा रहा है और इस हेतु मस्जिद की दीवाल गिराने का फर्जी बहाना बना कर एक ईमानदार, युवा महिला अधिकारी को गैर जिम्मेदाराना ढंग से निलम्बित कर दिया गया और उसे गलत आरोपों के आधार पर आरोपित कर दिया गया है। ज्ञापनों में कहा गया है कि फेस बुक पर अपनी अभिव्यक्ति पर तानाशाही पूर्ण रवैया अख्तियार करते हुए दलित लेखक कमल भारती को गिरफ्तार कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बोल दिया गया है। इसके अलावा राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के कई हिस्सों में साम्प्रदायिक माहौल को खराब करने के प्रयास करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी और ऐसी कोई कार्यवाही न करने वाले किसी प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही भी नहीं की गयी है। लोकतंत्र के अन्दर इस तरह का बरताव करने की स्वतंत्रता किसी को भी नहीं दी जा सकती है। ज्ञापनों में यह भी कहा गया है सपा के मत्रियों द्वारा निलम्बित आईएएस अधिकारी दुर्गा नागपाल के परिवार के बारे में खुलासे की धमकी देना चरित्र हनन का अपराधिक प्रयास है, जिसकी निन्दा की जानी चाहिए।
भाकपा के राज्य मुख्यालय से आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि प्रदेश के 63 जिलों में ये जुलूस तथा धरने आयोजित किये गये। जिन जिलों से सम्पर्क न हो सकने के कारण वहां आज विरोध प्रदर्शन आयोजित नहीं हो सके, वहां वे भविष्य में आयोजित किये जायेंगे।
भाकपा राज्य मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री से मांग की गयी है कि वे मामले में बचपना दिखाना बन्द करें और गुण-अवगुण के आधार पर अपने गलत कदम को वापस ले लें।

Tuesday, August 6, 2013

UP cops arrest dalit writer for Facebook post criticizing UP govt on Durga Nagpal issue--- Ashish Tripathi

LUCKNOW: Dalit thinker and writer Kanwal Bharti was on Tuesday arrested by the police in Rampur district for an alleged provocative post on Facebook criticizing Uttar Pradesh government and senior minister Azam Khan on the issue of suspension of IAS officer Durga Sakthi Nagpal.

Bharti was arrested on a complaint filed by an aide of Azam Khan but was later released on bail. The chief judicial magistrate did not find any merit in the charges levelled against him.

Bharti in his post pointed out, "An old madrassa was demolished in Rampur. The coordinator of the madrassa was arrested and put in jail for opposing the move. The Akhilesh government did not suspend any officer because Azam Khan rules the district, not Akhilesh."

Bharti was charged with instigating and hurting communal feelings. He was produced before the court of chief judicial magistrate who granted him bail saying that there is no merit in the case.

Bharti, when contacted, described his arrest as an assault on freedom of expression. He said that he was arrested at around 8 in the morning. "The police have confiscated my computer and books have been confiscated. A lot of my work is stored in the computer. The police have not mentioned the items in the FIR. I don't know whether I will get them back. Several writers and intellectuals are coming to meet me on Wednesday, then we will decide the future course of action," he said.

Regarding demolition of the madrassa, Bharti said that it is situated near Azam Khan's house and was demolished on July 23 during the month of Ramzan. He said that the coordinator of the madrassa was arrested for opposing the demolition. However, he added, no action was taken against any officer. He also said that there was no communal tension over the incident in the area. "I simply posted the entire episode on the Facebook to make people aware of the facts," he said.

Bharti had compared the demolition of the madrassa with that of the boundary wall of a mosque in Kadilpur village of Gautam Budh Nagar. Durga as sub-divisional magistrate (Sadar) of Gautam Budh Nagar district had allegedly got the wall demolished on July 27. Though the wall was being built on public land in violation of the Supreme Court order, the state government said that Durga was put under suspension because her action led to communal tension in the area.

However, Durga was on the hitlist of the mining mafia of the area as she had cracked whip on illegal sand mining.

SP leader and chairperson of UP agro Narendra Bhati, who enjoys status of a minister and is Lok Sabha candidate of Samajwadi Party from Gautam Budh Nagar, was caught on camera bragging about how he got Durga suspended in just 41 minutes.

घटता रोजगार बढ़ती बेरोजगारी

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के 72,000 पदों के लिए 58,00,0000 आवेदन प्राप्त हुए तो पश्चिम बंगाल में 35,000 पदों के लिए 54,50,000 आवेदन प्राप्त हुए। एक पद के लिए उत्तर प्रदेश में 80 तो पश्चिम बंगाल में 156 उम्मीदवार का औसत है। ऐसी ही हालत पूरे देश में है। केवल इन दो राज्यों में जितने लोगों ने आवेदन किया है, उनकी संख्या सिंगापुर की कुल आबादी की दो गुना है। पता नहीं कितने पिताओं के दर्शन का दुर्भाग्य मुझे प्राप्त हुआ जो यह कहने के लिए आये थे कि वे खेत बेच कर अपने पुत्र या पुत्री की नौकरी के लिए कितने लाख देने को लालयित हैं। बाजार लगा हुआ है जहां खरीददार ज्यादा और माल (नौकरियां) कम हैं। काबिलियत कोई मायने नहीं रखती।
देश में शिक्षित बेरोजगार युवकों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। सरकारी आंकड़ों का सन्देश यह है कि आप जितने शिक्षित होंगे, बेरोजगारी की संभावनायें उतनी ही ज्यादा प्रबल हो जायेंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के शहरी इलाकों में अशिक्षित बेरोजगार केवल 1.3 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में केवल 1.1 प्रतिशत हैं। माध्यमिक स्तर की पढ़ाई करने वाले 4.4 प्रतिशत शहरों में बेरोजगार हैं तो गांवों में 5.4 प्रतिशत। शहरी इलाकों में स्नातक बेरोजगारों की संख्या 8.4 प्रतिशत है तो गांवों में 11 प्रतिशत जबकि परास्नातक बेरोजगारों की संख्या शहरों में 7.7 प्रतिशत है तो गांवों में 13.9 प्रतिशत।
हाल में रोजगार संबंधी समाधान सुझाने वाली एक कंपनी एस्पारिंग माइंड्स ने करीब 6000 स्नातकों पर कराये गये अध्ययन में यह पाया कि 53 प्रतिशत युवक ही किसी नौकरी के काबिल हैं क्योंकि बाकी की अंग्रेजी काफी कमजोर है। आजादी के इतने सालों बाद भी देश में नौकरी पाने के लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान की आवश्यकता भी बहस का एक मुद्दा है।
बेरोजगारी बढ़ने के बावजूद युवाओं में कोई गुस्सा नहीं दिखाई देता। वे सड़कों पर रोजगार मांगते दिखाई नहीं देते तो सरकार उनकी तरफ सोचे भी तो क्यों?
कुछ साल पहले की बात है कि एक चिकित्सक महोदय एक सम्मेलन में इंग्लैंड गये थे। लौट कर उन्होंने अपने सभी मरीजों को यह बताना शुरू किया कि वहां पर चिकित्सा व्यवस्था किस तरह निःशुल्क है और कैसी बेहतर सुविधायें वहां पर मौजूद हैं। वे बताया करते थे कि अगर किसी वृद्ध की तबियत खराब होती है तो वह अपने पुत्र या पुत्री के बजाय अस्पताल को फोन करता है, अस्पताल से एम्बुलेंस आकर उसे ले जाती है, उसका डाक्टरी मुआइना होता है और वह अस्पताल से बिना कुछ भी खर्च किये हुये दवाओं के साथ वापस आ जाता है। इस व्यवस्था का कारण वह यह बताते थे कि इंग्लैंड में वयस्कों की संख्या ज्यादा है और जिस किसी भी पार्टी की सरकार होती है, वह इनसे इनके इस अधिकारों को छीनने की जुर्रत इसलिए नहीं कर सकता है कि सरकार बनाना और गिराना उनके हाथ में होता है। जरा सी बात होने पर यह लोग सड़कों पर आ जाते हैं। हो सकता है कि उनकी इन बातों में कुछ अतिश्योक्ति हो लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि वहां की जनता अपने चिकित्सा के अधिकारों के प्रति जागरूक थी और उसके लिए संघर्ष करना जानती थी।
हिन्दुस्तान की आबादी का आज एक बहुत बड़ा हिस्सा युवा है और उसका अधिसंख्यक हिस्सा बेरोजगार है। यह वह हिस्सा है जो अपनी पारिवारिक आर्थिक स्थिति में कारण टॉप-10 या टॉप-20 कालेजों में दाखिला नहीं पा सकता और न ही ऐसे कालेजों की फीस भर सकता है। इसलिए उसका अंग्रेजी का ज्ञान कमजोर होता है। लेकिन यह तबका अपनी ताकत को नहीं समझता। सरकारें बनाने और सरकारें गिराने की क्षमता रखते वाला यह नौजवान अपनी ताकत को नहीं जानता। अपनी काबिलियत पर नौकरी छीनने की बात न कर अपने पिता के खेत को बेचने के ख्वाब देखता है। ‘नौकरी दो या बेरोजगारी भत्ता दो’ या ‘एक पैर रेल में एक पैर जेल में’ जैसे नारे लगाते युवाओं के हुजूम सड़कों पर नहीं दिखाई देते। शिक्षित नौजवान देश में क्रान्ति कर सकते हैं। परन्तु उन्हें क्रान्ति की चेतना से लैस करने वाले संगठन भी आज कल खामोश है। यह खामोशी समझ में नहीं आती।
बकौल भगत सिंह ऐसे नौजवानों में अगर क्रान्ति की चेतना नहीं भरी जाती तो यह प्रतिक्रियावादियों के हाथ के औजार बन जाते हैं। आइये इस खामोशी पर कुछ बहस करते हैं और कोशिश करते हैं कि इस बहस से इन नौजवानों में व्याप्त श्मशान सी खामोशी को तोड़ा जाये।
- प्रदीप तिवारी

Monday, August 5, 2013

Sand mining banned across India; UP, Centre spat over Durga Shakti Nagpal


 The national green tribunal (NGT) on Sunday banned mining or removal of sand from river beds across the country without an environmental clearance amid the uproar over suspension of an IAS officer who had cracked down on sand mafia in Uttar Pradesh. In its order, the Tribunal noted that the loss caused to the state exchequer due to illegal sand mining may run into lakhs of crores of rupees.

The order was given on a plea alleging that such activities were going on in UP with the "wilful connivance" of its state machinery.

Widening the ambit of the plea, a bench headed by NGT chairman Justice Swatanter Kumar said its order would be applicable across the nation as the petition raised substantial environmental issues.

Initially, the bench banned illegal sand mining on the beds and banks of rivers Yamuna, Ganga, Hindon, Chambal, Gomti, among others, but later modified its order saying the issue of illegally removing sand has nationwide implications. The bench said the clearance has to be obtained from the ministry of environment and forests (MoEF) or state environment impact assessment authority (SEIAA).

"We restrain any person, company, authority to carry out any mining activity or removal of sand, from river beds anywhere in the country without obtaining environmental clearance from MoEF/SEIAA and license from the competent authorities," the bench said while issuing notices to all respondents seeking their response by August 14. The tribunal also directed all the mining officers and police officers concerned of all the states to ensure compliance of its orders, on the plea filed by the National Green Tribunal Bar Association.

The petition alleged that those who have opposed such sand mining, including field level officers, like suspended SDM Durga Shakti Nagpal, have been victimized which is also apparent from various news reports.

Nagpal, the 28-year-old SDM of Gautam Budh Nagar who led the crackdown on sand mining mafia in her district, was suspended on July 27 ostensibly for ordering demolition of a wall of a under-construction mosque allegedly without following the due process. Nagpal, who belongs to the UP cadre, was chargesheeted yesterday.

Senior advocate Raj Panjwani assisted by advocate Ritwick Dutta, appearing for the association, contended that "rampant" illegal mining and transport of lakhs of tonnes of sand is being carried on every year and is causing a loss of lakhs of crores of rupees to the state exchequer.

UP, Centre spat over Durga Sakthi Nagpal

Meanwhile, a defiant Samajwadi Party (SP) appeared heading for a confrontation with the Centre over the IAS officer's suspension issue, asserting that UP government's decision is "correct and final" and went a step further taunting it to remove all IAS officers from the state.

Firing the first salvo, SP supremo Mulayam Singh Yadav said the decision to suspend IAS officer Durga Sakthi Nagpal, who hit the spotlight for cracking down on the sand mafia, is justified.

"It is correct. It is final," he told reporters outside Parliament with a firm "no" on being asked whether the suspension order would be revoked.

Amid the brewing hostility between the SP and the Centre over the suspension issue, Prime Minister Manmohan Singh said government is in touch with the state authorities on the issue and that laid down rules will be followed.

The unrelenting stand of the ruling SP government was also voiced in Lucknow by Chief Minister Akhjilesh Yadav who made it clear that officials who make "mistakes" will be punished.

"There might be many children (sitting here) who I can say would have received a beating from their teachers and parents when they had done something wrong ... the government is also run like this, whenever any official does something wrong he is punished", Akhilesh, who has justified the suspension of Nagpal, a 2010-batch officer, said at a function.

In Delhi, SP leader Ram Gopal Yadav struck a defiant note. "If the Centre wants to intervene, it can remove all the IAS officers from Uttar Pradesh. We will run the state with our own officers," he said.

Minister of state for personnel V Narayanasamy said that under the rules, the suspended officer has the right to appeal.

"She has not approached us so far. But if she sends her appeal to us, we will send its copy to the state government and seek its response. Then we will decide the future course of action. Normally, an officer approaches the state government ... We cannot act suo moto," he said.

Nagpal, the 28-year-old SDM of Gautam Budh Nagar, who led the crackdown on sand mining mafia in her district, was suspended on July 27 ostensibly for ordering demolition of a wall of a mosque under construction allegedly without following the due process. Nagpal, who belongs to the UP cadre, was charged on Sunday.

Sunday, August 4, 2013

खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्यवाही और दुर्गा शक्ति के निलम्बन वापसी की मांग को लेकर भाकपा करेगी 7 अगस्त को जिला केन्द्रों पर प्रदर्शन

लखनऊ 5 अगस्त। समूचे उत्तर प्रदेश में पर्यावरण को बरबाद कर रहे अवैध खनन को रोके जाने, खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही किये जाने, आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का निलम्बन वापस लेने और उन्हें दी गई फर्जी चार्जशीट को तत्काल रद्द करने, निलम्बन की अवैध कार्यवाही को मस्जिद विवाद से जोड़कर राजनीतिक कार्ड न खेले जाने तथा प्रदेश में हो रहे दंगों की जांच कराके दंगाइयों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही किये जाने की मांगों को लेकर अब भाकपा समूचे प्रदेश में सड़कों पर उतरने जा रही है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि उपर्युक्त मांगों को लेकर भाकपा 7 अगस्त को प्रदेश भर में जिला केन्द्रों पर धरने/प्रदर्शन आयोजित करेगी और महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे जायेंगे। लखनऊ में भाकपा 3 अगस्त को ही प्रदर्शन आयोजित कर चुकी है।
भाकपा राज्य सचिव ने राज्य सरकार पर आरोप जड़ा है कि इस छोटे से मामले पर अड़ियल रूख अपना रही है और वोट की राजनीति कर रही है। यदि अखिलेकश सरकार सख्त होने का सन्देश ही देना चाहती है तो दंगों और दंगाइयों से कड़ाई से निपटे और चरमरा चुकी प्रदेश की कानून व्यवस्था को पटरी पर लाये। आईएएस अधिकारी के खिलाफ सरकार के अतार्किक कदम ने भ्रष्टाचारी एवं माफियाओं के हौसले बढ़ाये हैं और वह जनता की दृष्टि में अपनी छवि धूमिल कर रही है।
भाकपा राज्य सचिव ने अपनी समस्त जिला इकाइयों का आह्वान किया कि वे 7 अगस्त को जिलों-जिलों में धरने/प्रदर्शन की कार्यवाही को अंजाम दें। उन्होंने जनता से भी अपील की कि वह न्याय के पक्ष में और अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलन्द करे।

साहसी AISF नेत्री -अंशु कुमारी




Saturday

YES...........YES IT'S TRUE,,,,,,,.......!!!!!!!!!!!!!!!!!!1



हां, यह सच है। '"सच विचलित हो सकता है पर पराजित नहीं।'" यही वो वीसी हैं जो झूठा मुकदमा में मुझे फंसा कर छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश की.... इन्होंने अटेम्प्ट टू मर्डर के साथ कई और धारा लगाकर एफआईआर करवाई... इतना ही नहीं... एक महीने के लिए कॉलेज कैंपस के साथ-साथ गर्ल्स हॉस्टल से भी निकालवा दिया... वो भी बिना किसी नोटिस के... रात में ही जरूरी सामानों को सीज कर दिया... इतना भी प्रारंभिक जांच नहीं की गई कि जिस घटना का मुझे आरोपी बनाया गया उस वक्त मैं छात्रसंघ की मीटिंग में थी... इसकी जानकारी डीन और एडमिन्स्ट्रेशन को अच्छी तरह से और लिखित रूप से थी... मीटिंग कक्ष से वीसी ऑफिस की दूरी को भी ध्यान में नहीं रखा गया.... एक महीने तक लगातार मर्डर की धमकी दी गई.... ऐसे वक्त में मुझपर कुछ लोगों का विश्वास था... वह थे यूनिवर्सिटी के छात्र... लेकिन पुरुषवादी मानसिकता के कुछ लोग अपने आदत से बाज नहीं आए... उन्हें जो कहना था कहा... नसीहत आने लगी कि लड़की को घर से बाहर क्रांति करने नहीं निकलना चाहिए... ऐसे ही कुछ अपने रिलेटिव भी शुरू हो गए... अब बताओ तुमसे कौन शादी करेगा???... पर मैं डरी नहीं। मुझे पता था मैं छात्रों के लिए लड़ रही हूं... उनकी परेशानियों को खत्म करवाने के लिए किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटूंगी... ऐसे वक्त में मुझे एक गाने के बोल अक्सर याद आ रहे थे... सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है... देखना hai जोर कितना बाजुए कातिल में है............
 

Saturday, August 3, 2013

दुर्गा शक्ति के निलंबन के विरोध में भाकपा ने किया विधानसभा मार्च


लखनऊ-३ अगस्त १३ : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आज शाम महिला IAS अधिकारी श्रीमती दुर्गा शक्ति नागपाल के अवैध और अनैतिक निलंबन के खिलाफ पार्टी के कैसर बाग़ कार्यालय से विधानसभा तक मार्च किया.

मार्च से पहले उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भाकपा के राज्य सचिव डॉ गिरीश ने कहा कि श्री अखिलेश यादव की राज्य सरकार खुले आम खनन माफियाओं को प्रश्रय दे रही है और उन्हीं को लाभ पहुंचाने को एक कर्तव्य परायण तथा ईमानदार युवा आई ए एस अधिकारी श्रीमती दुर्गा शक्ति नागपाल का अवैध निलंबन कर दिया. अब पूरी की पूरी सरकार इस अधिकारी के खिलाफ अधर्म-युद्ध छेड़े हुए है. प्रदेश में सच्चे और कर्तव्यनिष्ठ अफसरों को प्रताड़ित किया जा रहा है जबकि भ्रष्ट और निकम्मे  अफसरों को प्रश्रय दिया जा रहा है. सरकार की यह नीति जन विरोधी है और लोकतंत्र के लिए घातक है. भाकपा इसका कड़ा विरोध करती है और इसके खिलाफ लगातार आवाज़ उठाई जाती रहेगी.
      भाकपा के राज्य सह - सचिव कामरेड अरविन्द राज स्वरूप ने कहा कि निलंबन के अनैतिक कृत्य पर राजनीती की जा रही है और इसे मस्जिद और मुसलमानों से जोड़ा जा रहा है. तमाम रिपोर्टों से साफ़ है कि निलंबन का किसी मस्जिद से कोइ लेना-देना नहीं. यह सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण को तहस-नहस कर अरबों-खरबों रूपये डकारने वाले खनन माफियाओं को अभयदान देने के लिए किया गया है.
      भाकपा जिला सचिव कामरेड मोहम्मद खालिक ने कहा कि लखनऊ सहित प्रदेश के लगभग हर इलाके में दंगे हो रहे हैं जिनमें तमाम निर्दोषों की जानमाल का नुक्सान हो रहा है. प्रदेश सरकार दंगों को रोकने के लिए कोइ कार्यवाही नहीं कर रही है . खनन माफिया ने वहां किसान पाले राम की हत्या कर दी यह भी सरकार  के माथे पर कलंक है.
      प्रदर्शन के बाद महामहिम राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन उपस्थित अधिकारी को सौंपा गया. ज्ञापन में मांग की गयी है कि आई ए एस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन तत्काल रद्द किया जाए,समूचे प्रदेश में पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले अवैध खनन को रोका जाए,खनन माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर उन्हें जेल भेजा जाए,कर्मठ और ईमानदार अधिकारियों का उत्पीडन बंद किया जाए-भ्रष्ट और नाकारा अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए,निलंबन की कार्यवाही पर राजनीती न की जाए और इसे मस्जिद अथवा अल्पसंखकों से न जोड़ा जाए तथा लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न भागों में हो रहे दंगों को रोका जाए और उनकी जांच करके दोषियों को दण्डित किया जाए.
      इस मार्च में सर्व कामरेड प्रदीप तिवारी,फूल चंद यादव, मोहम्मद मुख्तार, ओ पी अवस्थी,परमानंद दिवेदी ,मोहम्मद अकरम,विजय माथुर,ए आई एस ऍफ़ के नेता-विनोद पाल,गौरव सिंह,सौरभ पण्डे,के अलावा महेंद्र रावत,राज पाल यादव,शमशेर बहादुर,चन्द्र शेखर,राम गोपाल शर्मा,परमानद,वी के सिंह  आदि शामिल रहे.

प्रदर्शंनकारी मार्ग में जो नारे लगा रहे थे उनमें प्रमुख थे-'अखिलेश यादव होश में आओ;दुर्गा शक्ति को बहाल करो -बहाल करो', 'मुख्यमंत्री होश में आओ,माफियाओं पर लगाम लगाओ',अखिलेश होश में आओ,दंगो पर रोक लगाओ','खनन माफियाओं के दम पर सरकार नहीं चलेगी,नहीं चलेगी','तख्त बदल दो -ताज बदल दो;बेईमानों का राज बदल दो'आदि-आदि।


Friday, August 2, 2013

कर्मठ आइएस के निलम्बन पर भी वोट की राजनीति कर रहे हैं श्री अखिलेश यादव.

दल-दल में छलांग लगाने का एक ही मतलब है उसमें और भी फंसते जाना. ऐसा ही उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री के साथ हो रहा है. बेचारे अंडर ट्रेनी मुख्यमन्त्री एक कर्मठ अंडर ट्रेनी महिला आइएस को अब्बा,चाचा,मौसी के कहने पर निलम्बित तो कर बैठे पर अब मामला संभाले नहीं संभल रहा. जांचे-परखे मुस्लिम कार्ड को खेला तो चच्चा मियां ने यह कह कर हवा निकाल दी कि उन्हें इस अफसर को निलम्बित कराने में ४१ मिनट भी नहीं लगे. वैसे कादरपुर गाँव के निवासियों और नोइडा के जिलाधिकारी दोनों के कथन ने कि मस्जिद के नाम पर वहां कोई तनाव नहीं था मुख्यमन्त्री के दाबों को पहले ही झुठला दिया था. अखिलेश यादव समझ लें कि वे दिन कब के हवा हो चुके हैं जब उनको उज्ज्वल छवि वाला नौजवान राजनेता माना जाता था और उनके कतिपय कामों को परिवारवाद में फंसे एक नौसिखिये की बेबसी मान कर लोग नजरंदाज कर देते थे. लेकिन बाबूसिंह कुशवाहा जैसे दागी नेता को पार्टी में शामिल करने, एक से बड कर एक महाभ्रष्ट अफसरों को महिमामंडित करने और कई दागियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने वाले अखिलेश निलम्बित अफसर पर जिस तरह अपने क्षुद्र राजनैतिक स्वार्थों के चलते सांप्रदायिकता भड़काने का आरोप जड़ रहे हैं उससे उनका असली चेहरा सामने आगया है. बात यहीं खत्म नहीं होजाती. वे आइएस एसोसिएशन तक को धमका रहे हैं. वे उसको याद दिला रहे हैं कि उन्होंने ही इस एसोसिएशन को जिन्दा किया था. सवाल उठता है कि क्या अब श्री अखिलेश इस अहसान की कीमत बसूलना चाहते हैं? यदि ऐसा है तो इससे घटिया और क्या होसकता है एक मुख्यमन्त्री के पार्ट पर. डॉ.गिरीश.