लखनऊ 25 अगस्त। यहां सम्पन्न भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कौंसिल की बैठक में भाकपा ने वर्तमान राजनीतिक हालातों पर विचार-मंथन करते हुए आसन्न लोकसभा चुनावों को मद्देनजर रखते हुए कुछ शक्तियों द्वारा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों की घोर निन्दा की एवं साम्प्रदायिकता, महंगाई, अत्याचार और भ्रष्टाचार के खिलाफ तथा सामाजिक सद्भाव, विकास और कानून के राज के लिए 30 सितम्बर को लखनऊ में विशाल रैली आयोजित करने का फैसला लिया। इस रैली के माध्यम से भाकपा ने चुनावों को मुद्दाविहीन बनाने तथा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने के कतिपय राजनीतिक दलों के प्रयासों को ध्वस्त करने के साथ-साथ कार्यक्रम आधारित वामपंथी लोकतांत्रिक विकल्प प्रस्तुत करने हेतु अपने अभियान का श्रीगणेश करने का निश्चय किया है।
यहां जारी एक प्रेस बयान के अनुसार भाकपा राज्य कौंसिल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें लगातार जनविरोधी कामों को अंजाम दे रही हैं। इससे आम लोगों के कष्ट और कठिनाईयां बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। परिणामस्वरूप आम जनता में इन सरकारों के प्रति बेहद गुस्सा है। इस गुस्से को आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पक्ष में भुनाने के लिए कई राजनैतिक दल साम्प्रदायिक और जातिगत विभाजन पैदा करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। खतरा पैदा हो गया है कि जनता के इस गुस्से को सही दिशा नहीं मिली तो यह गुस्सा फिर से बिखर सकता है तथा इसका लाभ वही पूंजीवादी पार्टियां उठा लेंगी जिनके काले कारनामों, निकम्मेपन और अवसरवादी नीतियों के कारण यह जनाक्रोश पैदा हुआ है।
भाकपा राज्य कौंसिल की यह स्पष्ट समझ है कि ऐसे मौके पर हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठा जा सकता। भाकपा ने अपने समस्त कार्यकर्ताओं, समर्थकों एवं आम जनता का आह्वान किया है कि वे उत्तर प्रदेश में सपा और भाजपा के साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों से आम जनता को जागरूक करें और 30 सितम्बर की रैली के लिए प्रदेश भर की जनता को लामबंद करें। इसके लिए आज से लेकर 1 माह तक जन लामबंदी अभियान चलाया जायेगा और गांव, कस्बों एवं शहरों में हजारों छोटी-बड़ी सभाओं का आयोजन भाकपा और उसके जन संगठनों द्वारा किया जायेगा।
भाकपा राज्य कौंसिल ने इस बात पर गहरा संतोष व्यक्त किया है कि विहिप द्वारा बहुप्रचारित कथित परिक्रमा को आम जनता ने नजरंदाज कर दिया और पूरे प्रदेश में सद्भाव एवं अमन-चैन कायम रहा। भाकपा को उम्मीद है कि भविष्य में भी उत्तर प्रदेश की जनता साम्प्रदायिक शक्तियों के ऐसे सभी हथकंडों को विफल कर देगी जो प्रदेश के अमन-चैन को खतरा पैदा करें और विकास के रास्ते में रोड़ा बनें।
भाकपा राज्य कौंसिल ने एक प्रस्ताव पारित कर गाजीपुर जनपद की एकमात्र चीनी मिल - नन्दगंज को दुबारा चालू करवाने के लिए किसान सभा के नेतृत्व में चल रहे आन्दोलन को अपना समर्थन प्रदान किया और प्रदेश सरकार से मांग की कि उपरोक्त चीनी मिल को तत्काल चालू करवाया जाये। इसके साथ ही प्रदेश की बन्द पड़ी तमाम चीनी मिलों को भी चालू करवाने की मांग की गयी है। प्रस्ताव में छाता में चीनी मिल को चालू करवाने तथा मथुरा जनपद में एक और चीनी मिल की स्थापना की दिशा में भी कदम उठाने की मांग की गयी है।
एक दूसरे प्रस्ताव के माध्यम से मवाना चीनी मिल द्वारा पिछले पेराई सत्र का किसानों का बकाया रू. 125 करोड़ का भुगतान न करने के खिलाफ किसान सभा के चल रहे आन्दोलन को भी अपना समर्थन देते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर पिछले पेराई सत्र का किसानों का बकाया रू. 2600 करोड़ का भुगतान तुरन्त करवाये।
भाकपा राज्य कौंसिल ने मैजापुर (गोण्डा) चीनी मिल के मजदूरों के चल रहे आन्दोलन को भी अपना समर्थन देते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह मजदूरों की समस्याओं के निदान के लिए मिल प्रबंधन को समझौता वार्ता के लिए बाध्य करे।
भाकपा राज्य कौंसिल बैठक की अध्यक्षता गफ्फार अब्बास ने की। बैठक में राज्य सचिव डा. गिरीश ने राष्ट्रीय तथा प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर अपनी रिपोर्ट पेश की जिसे बहस के उपरान्त पारित किया गया।
यहां जारी एक प्रेस बयान के अनुसार भाकपा राज्य कौंसिल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केन्द्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें लगातार जनविरोधी कामों को अंजाम दे रही हैं। इससे आम लोगों के कष्ट और कठिनाईयां बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। परिणामस्वरूप आम जनता में इन सरकारों के प्रति बेहद गुस्सा है। इस गुस्से को आगामी लोकसभा चुनावों में अपने पक्ष में भुनाने के लिए कई राजनैतिक दल साम्प्रदायिक और जातिगत विभाजन पैदा करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। खतरा पैदा हो गया है कि जनता के इस गुस्से को सही दिशा नहीं मिली तो यह गुस्सा फिर से बिखर सकता है तथा इसका लाभ वही पूंजीवादी पार्टियां उठा लेंगी जिनके काले कारनामों, निकम्मेपन और अवसरवादी नीतियों के कारण यह जनाक्रोश पैदा हुआ है।
भाकपा राज्य कौंसिल की यह स्पष्ट समझ है कि ऐसे मौके पर हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठा जा सकता। भाकपा ने अपने समस्त कार्यकर्ताओं, समर्थकों एवं आम जनता का आह्वान किया है कि वे उत्तर प्रदेश में सपा और भाजपा के साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों से आम जनता को जागरूक करें और 30 सितम्बर की रैली के लिए प्रदेश भर की जनता को लामबंद करें। इसके लिए आज से लेकर 1 माह तक जन लामबंदी अभियान चलाया जायेगा और गांव, कस्बों एवं शहरों में हजारों छोटी-बड़ी सभाओं का आयोजन भाकपा और उसके जन संगठनों द्वारा किया जायेगा।
भाकपा राज्य कौंसिल ने इस बात पर गहरा संतोष व्यक्त किया है कि विहिप द्वारा बहुप्रचारित कथित परिक्रमा को आम जनता ने नजरंदाज कर दिया और पूरे प्रदेश में सद्भाव एवं अमन-चैन कायम रहा। भाकपा को उम्मीद है कि भविष्य में भी उत्तर प्रदेश की जनता साम्प्रदायिक शक्तियों के ऐसे सभी हथकंडों को विफल कर देगी जो प्रदेश के अमन-चैन को खतरा पैदा करें और विकास के रास्ते में रोड़ा बनें।
भाकपा राज्य कौंसिल ने एक प्रस्ताव पारित कर गाजीपुर जनपद की एकमात्र चीनी मिल - नन्दगंज को दुबारा चालू करवाने के लिए किसान सभा के नेतृत्व में चल रहे आन्दोलन को अपना समर्थन प्रदान किया और प्रदेश सरकार से मांग की कि उपरोक्त चीनी मिल को तत्काल चालू करवाया जाये। इसके साथ ही प्रदेश की बन्द पड़ी तमाम चीनी मिलों को भी चालू करवाने की मांग की गयी है। प्रस्ताव में छाता में चीनी मिल को चालू करवाने तथा मथुरा जनपद में एक और चीनी मिल की स्थापना की दिशा में भी कदम उठाने की मांग की गयी है।
एक दूसरे प्रस्ताव के माध्यम से मवाना चीनी मिल द्वारा पिछले पेराई सत्र का किसानों का बकाया रू. 125 करोड़ का भुगतान न करने के खिलाफ किसान सभा के चल रहे आन्दोलन को भी अपना समर्थन देते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर पिछले पेराई सत्र का किसानों का बकाया रू. 2600 करोड़ का भुगतान तुरन्त करवाये।
भाकपा राज्य कौंसिल ने मैजापुर (गोण्डा) चीनी मिल के मजदूरों के चल रहे आन्दोलन को भी अपना समर्थन देते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह मजदूरों की समस्याओं के निदान के लिए मिल प्रबंधन को समझौता वार्ता के लिए बाध्य करे।
भाकपा राज्य कौंसिल बैठक की अध्यक्षता गफ्फार अब्बास ने की। बैठक में राज्य सचिव डा. गिरीश ने राष्ट्रीय तथा प्रदेश के राजनीतिक हालातों पर अपनी रिपोर्ट पेश की जिसे बहस के उपरान्त पारित किया गया।
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