Saturday
YES...........YES IT'S TRUE,,,,,,,.......!!!!!!!! !!!!!!!!!!1
हां, यह सच है। '"सच विचलित हो सकता है पर पराजित नहीं।'" यही वो वीसी हैं जो झूठा मुकदमा में मुझे फंसा कर छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश की.... इन्होंने अटेम्प्ट टू मर्डर के साथ कई और धारा लगाकर एफआईआर करवाई... इतना ही नहीं... एक महीने के लिए कॉलेज कैंपस के साथ-साथ गर्ल्स हॉस्टल से भी निकालवा दिया... वो भी बिना किसी नोटिस के... रात में ही जरूरी सामानों को सीज कर दिया... इतना भी प्रारंभिक जांच नहीं की गई कि जिस घटना का मुझे आरोपी बनाया गया उस वक्त मैं छात्रसंघ की मीटिंग में थी... इसकी जानकारी डीन और एडमिन्स्ट्रेशन को अच्छी तरह से और लिखित रूप से थी... मीटिंग कक्ष से वीसी ऑफिस की दूरी को भी ध्यान में नहीं रखा गया.... एक महीने तक लगातार मर्डर की धमकी दी गई.... ऐसे वक्त में मुझपर कुछ लोगों का विश्वास था... वह थे यूनिवर्सिटी के छात्र... लेकिन पुरुषवादी मानसिकता के कुछ लोग अपने आदत से बाज नहीं आए... उन्हें जो कहना था कहा... नसीहत आने लगी कि लड़की को घर से बाहर क्रांति करने नहीं निकलना चाहिए... ऐसे ही कुछ अपने रिलेटिव भी शुरू हो गए... अब बताओ तुमसे कौन शादी करेगा???... पर मैं डरी नहीं। मुझे पता था मैं छात्रों के लिए लड़ रही हूं... उनकी परेशानियों को खत्म करवाने के लिए किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटूंगी... ऐसे वक्त में मुझे एक गाने के बोल अक्सर याद आ रहे थे... सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है... देखना hai जोर कितना बाजुए कातिल में है............
हां, यह सच है। '"सच विचलित हो सकता है पर पराजित नहीं।'" यही वो वीसी हैं जो झूठा मुकदमा में मुझे फंसा कर छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश की.... इन्होंने अटेम्प्ट टू मर्डर के साथ कई और धारा लगाकर एफआईआर करवाई... इतना ही नहीं... एक महीने के लिए कॉलेज कैंपस के साथ-साथ गर्ल्स हॉस्टल से भी निकालवा दिया... वो भी बिना किसी नोटिस के... रात में ही जरूरी सामानों को सीज कर दिया... इतना भी प्रारंभिक जांच नहीं की गई कि जिस घटना का मुझे आरोपी बनाया गया उस वक्त मैं छात्रसंघ की मीटिंग में थी... इसकी जानकारी डीन और एडमिन्स्ट्रेशन को अच्छी तरह से और लिखित रूप से थी... मीटिंग कक्ष से वीसी ऑफिस की दूरी को भी ध्यान में नहीं रखा गया.... एक महीने तक लगातार मर्डर की धमकी दी गई.... ऐसे वक्त में मुझपर कुछ लोगों का विश्वास था... वह थे यूनिवर्सिटी के छात्र... लेकिन पुरुषवादी मानसिकता के कुछ लोग अपने आदत से बाज नहीं आए... उन्हें जो कहना था कहा... नसीहत आने लगी कि लड़की को घर से बाहर क्रांति करने नहीं निकलना चाहिए... ऐसे ही कुछ अपने रिलेटिव भी शुरू हो गए... अब बताओ तुमसे कौन शादी करेगा???... पर मैं डरी नहीं। मुझे पता था मैं छात्रों के लिए लड़ रही हूं... उनकी परेशानियों को खत्म करवाने के लिए किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटूंगी... ऐसे वक्त में मुझे एक गाने के बोल अक्सर याद आ रहे थे... सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है... देखना hai जोर कितना बाजुए कातिल में है............
No comments:
Post a Comment