Saturday, August 30, 2014

उत्तर प्रदेश विधान सभा के उपचुनावों में प्रदेश के मतदाताओं से अपील

आपसी मेल-मिलाप बढ़ाने! महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी पर लगाम लगाने! महिलाओं, कमजोर वर्गों पर अत्याचार रोके जाने तथा अपने विधान सभा क्षेत्र एवं जनपद के समग्र विकास के लिये! हंसिया-बाली के चुनाव निशान के सामने वाला बटन दबायें! भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों को सफल बनायें! उत्तर प्रदेश के मतदाता भाइयो और बहिनो! अभी हाल ही में हुये लोकसभा के चुनावों में आप सभी ने बड़ी ही उम्मीद और आशा के साथ एक पार्टी को भारी बहुमत देकर केन्द्र की गद्दी पर पहुंचाया था. लेकिन इस सरकार को काम करते हुये अभी सौ दिन भी नहीं हुये हैं और इस सरकार से सभी को गहरी निराशा हाथ लगी है. हमारी सीमाओं के पार से तड़-तड़ गोलियां चल रही हैं और सीमाओं के रक्षक हमारे जवान लगातार शहीद होरहे हैं. सत्ता में आने के बाद इस सरकार ने पिछली केन्द्र सरकार की नीतियों को और भी जोर-शोर से लागू किया है और डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस, रेल किराया और मालभाड़े की दरों में भारी बढ़ोत्तरी की है. इससे हर चीज की कीमतें आसमान छूरही हैं और महंगाई की मार से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. भ्रष्टाचार के खिलाफ बड-चड़ कर बातें करने वालों की यह सरकार अपने थोड़े समय के कार्य काल में ही तमाम आरोपों में घिरती जारही है. केन्द्र सरकार के पहले बजट ने ही विकास के इसके दाबों की कलई खोल कर रख दी. बेरोजगार नौजवानों, छात्रों, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, दस्तकारों, दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों सभी को इसने निराश किया है. जनता ने भाजपा को इस आशा से वोट दिये थे कि उनके अच्छे दिन आयेंगे, लेकिन आगये बेहद बुरे दिन. यह पार्टी और इसकी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों और कार्पोरेट घरानों के हित में काम कर रही है और आम जनता को तवाह कर रही है. इससे केन्द्र सरकार के प्रति जनता में गुस्सा पैदा होरहा है. जिसका प्रमाण है हाल ही में उत्तराखण्ड, बिहार, कर्नाटक, पंजाब, मध्य प्रदेश के उपचुनाव जहां भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. अब तो भाजपा की अंतर्कलह भी खुलकर सामने आगयी है. इस सबसे जनता का ध्यान बंटाने और उसे आपस में लड़ाने को भाजपा द्वारा तरह तरह के हथकंडे अपनाये जारहे हैं. सांप्रदायिकता को खास औजार बनाया जारहा है. उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी आम जनता को हर मोर्चे पर निराश किया है. हर तरह के अपराध बड रहे हैं. महिलाओं और यहां तक कि अबोध बालिकाओं के साथ दुराचार और उसके बाद उनकी हत्या आम बात होगयी है. हत्या, लूट, राहजनी आदि हर तरह के अपराध बड रहे हैं. सांप्रदायिक दंगों को काबू करने में सरकार की हीला हवाली साफ दिखाई देरही है. एक तिहाई उत्तर प्रदेश को बाढ़ ने तो शेष को भयंकर सूखे ने तवाह कर दिया है. सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. पीड़ित किसानों ने आत्म हत्याएं करना शुरू कर दीं हैं. अभूतपूर्व बिजली संकट से हर कोई परेशान है. किसानों का चीनी मिलों पर करोड़ों रुपया बकाया है जिसे अदा नहीं कराया जारहा. डीजल आदि खेती के लिये जरूरी चीजों पर राज्य सरकार ने टैक्स बढ़ा दिया है. राशन प्रणाली में लूट मची है. बेरोजगारी से निपटने को कारगर कदम नहीं उठाये जारहे, शिक्षा को व्यापार बना डाला है. शिक्षा बेहद महंगी है अतएव आम बच्चे शिक्षा नहीं लेपारहे. बेकारी भत्ता और लैपटाप आदि भी देना बंद कर दिया गया है. इलाज भी आज बहुत ही महंगा होगया है. सडकों का बुरा हाल है. भ्रष्टाचार ने सभी को तवाह किया हुआ है और गुंडे अपराधी माफिया दलाल सभी खुशहाल हैं. केंद्र और राज्य सरकार को अपने इन कदमों को पीछे खींचने को मजबूर करना होगा. इसके लिये संसद और विधान सभा के भीतर और बाहर संघर्ष करना होगा. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक किसानों, कामगारों और आम जनता के हित में लगातार आवाज उठाई. है. हमें गर्व है कि हम पर आजतक भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप नहीं लगा. सांप्रदायिकता और जातिवाद जैसी बुराइयों से हम कोसों दूर हैं. महंगाई भ्रष्टाचार बेकारी और अशिक्षा को दूर करने को हम जुझारू आन्दोलन करते रहे हैं. जातिगत लैंगिक समानता और आपसी भाईचारे के लिये हम हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं. हमारी समझ है कि देश और समाज की आज की समस्यायों का निदान मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था में संभव नहीं है. आजादी को आये ६७ वर्ष बीत गये और हमारी समस्यायें जस की तस बनी हुयी हैं. इन समस्यायों का समाधान केवल समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी समाजवादी समाज का निर्माण करने को प्रतिबध्द है. लेकिन ये चुनाव मध्यावधि चुनाव है. केन्द्र अथवा राज्य सरकार बनाने के लिये नहीं. अतएव इन चुनावों में आप भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों को अवश्य ही मौका दे सकते हैं. यदि आपके क्षेत्र से भाकपा प्रत्याशी विजयी होगा तो आपकी समस्याओं के समाधान तथा क्षेत्र के विकास के लिये निश्चय ही वह औरों से अधिक जोरदारी से आवाज बुलंद करेगा. वह हर वक्त आपकी सेवा और सहयोग के लिये आपके बीच रहेगा. अपनी सीमित ताकत और सीमित साधनों के चलते प्रदेश में भाकपा ने केवल चार स्थानों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. वे हैं – नोएडा से प्रोफेसर सदासिव चामर्थी, सिराथू से शिवसिंह यादव, हमीरपुर से श्यामबाबू तिवारी तथा लखनऊ पूर्व से राजपाल यादव. अतएव आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि आप १३ सितंबर को होने जा रहे विधानसभा के उपचुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह हंसिया और बाल के सामने वाला बटन दबा कर भारी बहुमत से सफल बनायें तथा भाकपा प्रत्याशियों एवं भाकपा उत्तर प्रदेश इकाई की तन मन धन से मदद करें. निवेदक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउन्सिल २२, कैसरबाग, लखनऊ

Wednesday, August 27, 2014

उत्तर प्रदेश विधान सभा उपचुनाव - भाकपा ने चार स्थानों पर प्रत्याशी उतारे.

लखनऊ- १३ सितंबर को होने जारहे उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने चार प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. नोएडा से प्रोफेसर सदासिव चामर्थी, सिराथू से शिवसिंह यादव, हमीरपुर से श्यामबाबू तिवारी उर्फ़ श्यामजी तथा लखनऊ पूर्व से राजपाल यादव भाकपा के प्रत्याशी होंगे. उपर्युक्त जानकारी यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने दी. डा.गिरीश ने सभी वामपंथी दलों, शक्तियों, कर्मचारियों, मजदूरों, किसानों, बुध्दिजीवियों, व्यापारियों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों तथा शांति और विकास चाहने वाले सभी नागरिकों से अपील की है कि वे भाकपा प्रत्याशियों को अपना समर्थन और मत प्रदान करें. डा.गिरीश

संगीत सोम की 'जेड' सुरक्षा वापस ली जाये - भाकपा

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने केंद्र सरकार द्वारा मुज़फ्फरनगर की सांप्रदायिक हिंसा के लिये कुख्यात भाजपा के विधायक संगीत सोम को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा दिये जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. भाकपा ने इस फैसले को तत्काल रद्द करने की मांग की है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहाकि सांप्रदायिक हिंसा के दोषी को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा देना सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति पर मुहर लगाना है. केन्द्र सरकार के इस कदम से यह साबित होगया है कि भाजपा सत्ता में पहुंच कर भी सांप्रदायिकता की नाव पर ही सवार रहना चाहती है, विकास की उसकी गाथा दिखावा मात्र है. केन्द्र सरकार के इस कदम से हिंसक और उपद्रवी तत्वों का मनोबल बढ़ेगा और हिंसा की मार झेल रहे लोगों का मनोबल गिरेगा. डा.गिरीश ने कहाकि प्रधानमन्त्री एक तरफ लाल किले की प्राचीर से दिये अपने भाषण में सांप्रदायिकता को रोके जाने की बात करते हैं वहीं उनकी सरकार और पार्टी सांप्रदायिकता फैलाने और हिंसा भड़काने का कोई मौका नहीं छोड़ती. समय की मांग है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ दल सांप्रदायिक नीतियों और कारगुजारियों का परित्याग करे और जनता की खुशहाली और उसके विकास के एजेंडे पर काम करे. डा.गिरीश

Tuesday, August 12, 2014

शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करो - एआईएसएफ

लखनऊ 12 अगस्त। ”शिक्षा के बाजारीकरण के फलस्वरूप शिक्षा नितान्त महंगी हो गई और उसके स्तर में भारी गिरावट आई है। शिक्षा व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है और वे परचून की दुकान बन गये हैं। शिक्षा आम विद्यार्थी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। गरीब छात्र अपने टैलेन्ट के अनुसार शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं और उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं। अतएव आज शिक्षा को गरीब और आम छात्रों के लिए सुलभ बनाने के लिए और उसको रोजगार परक बनाने के लिए शिक्षा का राष्ट्रीयकरण किया जाना जरूरी है।“ यह निष्कर्ष था आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) द्वारा अपने 78वें स्थापना दिवस पर ”शिक्षा का बाजारीकरण और आज का छात्र“ विषय पर आयोजित विचारगोष्ठी का। विचारगोष्ठी का आयोजन एआईएसएफ की लखनऊ इकाई ने किया था।
विचार गोष्ठी में विद्यार्थियों ने शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने, निजी शिक्षण संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण करने, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने बच्चों को सरकारी एवं अनुदानित स्कूलों में ही पढ़ाने का कानून बनाने जिससे इन विद्यालयों में शिक्षण का स्तर ऊंचा उठ सके, अनुसूचित जातियों-जनजातियों की तरह ही पिछड़ी जातियों एवं अल्पसंख्यक तबकों के विद्यार्थियों से भी दाखिलों के वक्त फीस न वसूल किये जाने, और अब तक ली जा चुकी फीस का रिफंड तत्काल करने तथा सिविल सर्विसेज परीक्षा में सीसैट समाप्त करने की मांगे भी उठाई गयीं।
विचार गोष्ठी में अपने विचार प्रकट करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज शिक्षा के निजीकरण के परिणामस्वरूप वह बेहद महंगी हो गई है और उसमें व्याप्त भारी भ्रष्टाचार के चलते उसकी गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है, जिसका सीधा खामियाजा गरीब और आम समाज से आये हुए विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। भूमंडलीकरण की नीतियों ने शिक्षा को सामाजिक लूट के औजार के रूप में विकसित किया है जिसमें संपन्न तबकों के लोग उच्च एवं महंगे शिक्षण संस्थानों में शिक्षा हासिल कर अपनी धन की हविश को पूरा करने का औजार बनाये हुए हैं। आज शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है ताकि वह गरीब और सामान्य तबकों को समाज में उनका हक दिलाने का औजार बन सके। एआईएसएफ को अपनी कार्यवाहियां इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए संगठित करनी चाहिए।
इस अवसर पर बैंक कर्मियों के नेता प्रदीप तिवारी ने कहा कि एआईएसएफ का जन्म स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से हुआ था लेकिन बाद में तमाम राजनीतिक दलों ने अपने-अपने दलों के छात्र संगठन गठित कर लिये और इस तरह निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पूरे छात्र आन्दोलन को विघटित कर दिया। भूमंडलीकरण के दौर में शिक्षा संस्थानों में छात्र राजनीति में अराजकता और राज नेताओं की दलाली इन्हीं राजनैतिक ताकतों के द्वारा पैदा की गई। इस कारण उत्तर प्रदेश में छात्र आन्दोलन से छात्रों का मोह भंग सा हो गया। छात्र आन्दोलन की अनुपस्थिति में शिक्षा का बाजारीकरण सभी सरकारों के लिए आसान हो गया और हालात बद से बदतर हो गये।
विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए प्रो. अहमद अब्बास ने छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने साथ हो रही तमाम नाइंसाफियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करें और इसे व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष से जोड़े। विचार गोष्ठी में विचार व्यक्त करने वाले अन्य वक्ता थे - डा. ए.के.सेठ, डा. बी.जी. वर्मा और मधुराम मधुकर।
गोष्ठी का संचालन एआईएसएफ की लखनऊ इकाई के संयोजक अमरेश चौधरी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक ओंकार नाथ पाण्डेय ने किया। गोष्ठी में विषय पर हुई चर्चा में कु. उजरा अजीम, निकेतन सिंह, सुरेन्द्र यादव, संजय मोहन श्रीवास्तव, कुशेन्द्र सिंह, कु. सुधा पाल, दीपक शर्मा, कु. शालू मौर्या, दुर्गेश, कु. शिवानी मौर्या, मेराज अख्तर, शोभम प्रजापति, निर्मल गौतम, विकास चन्द्राकर और आदित्य मौर्या ने भाग लिया।
गोष्ठी के बाद एआईएसएफ कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा लैपटॉप, टैबलेट और कन्या विद्या धन दिये जाने के वायदों को याद दिलाते हुए पोस्ट कार्ड पर मांगें दर्ज कर मुख्यमंत्री को भेजने के अभियान का शुभारम्भ किया।