Saturday, March 21, 2015

भाकपा ने हाशिमपुरा कांड की सीबीआई जाँच की मांग की

लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डा. गिरीश ने सबूतों के अभाव में हाशिमपुरा कांड के दोषियों को बरी किये जाने पर प्रतिक्रिया जताते हुये कहा कि इससे हाशिमपुरा कांड और ऐसे ही तमाम कांडों से पीड़ित परिवारों के जख्म और गहरे होगये हैं. भाकपा ने इस घटना की माननीय सर्वोच्च न्यायालय अथवा सेवा निवृत्त वरिष्ठतम अधिकारियों की देख रेख में सीबीआई से जाँच कराने की मांग की है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि क्योंकि इस कांड में सुरक्षा बलों और उच्च प्रशासनिक अमलों की संलिप्तता थी, अतएव शुरू से ही राज्य सरकारों ने इस घटना पर पर्दा डालने का प्रयास किया. जाँच एजेंसी ने भी पर्याप्त सबूत जुटाने में भारी कोताही बरती. उन पीड़ित लोगों से सबूत जुटाने की कैसे उम्मीद जताई जा सकती है जिन्हें बलि के बकरों की तरह ट्रक में ठूंस कर लाया गया हो और फिर रात के अँधेरे में गोलियों से भून दिया गया हो. उन्होंने इस अवधि में उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ रही सरकारों को कठघरे में खड़ा करते हुये कहा कि इन सरकारों ने यदि संजीदगी दिखाई होती तो हाशिमपुरा के पीड़ितों को न्याय अवश्य मिला होता. मौजूदा प्रदेश सरकार से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह लोकहित और न्यायहित में सीबीआई जांच की सिफारिश अविलम्ब करेगी. डा. गिरीश ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह इस संगीन प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेते हुये इसकी सीबीआई से जांच के आदेश दें. इस जांच की निगरानी या तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय स्वयं करें अथवा इसकी निगरानी के लिये केन्द्र सरकार के वरिष्ठ सेवा निवृत्त अधिकारियों का पैनल गठित करे. डा.गिरीश

Thursday, March 12, 2015

भाकपा ने दो प्रेस नोट जारी किये.

ओलों वर्षा और तूफ़ान से फसलों को हुआ भारी नुकसान: भाकपा ने की तत्काल पर्याप्त मुआबजे की मांग लखनऊ-१३ मार्च: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि गत सप्ताहों में समूचे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर ओला, बारिश और तूफ़ान से आलू, गेहूं, दलहन और तिलहन की फसलों की भारी तबाही हुयी है. कहीं कहीं तो पूरी की पूरी फसल ही नष्ट होगयी है. इस बरबादी से ग्रामीण क्षेत्रों में हाहाकार मचा हुआ है. पीड़ित किसान या तो सदमे से डीएम तोड़ रहे हैं या फिर आत्म हत्याएं कर रहे हैं. पिछले छह दिनों में अलीगढ़/ हाथरस जनपद में ही तीन किसान सदमे से जान गंवा बैठे और चार किसानों ने आत्महत्यायें कर लीं. यही हालत प्रदेश के अन्य भागों की है. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि किसान के ऊपर आई इस विपत्ति के समय केन्द्र और राज्य सरकारें उदासीन बनी हुयी हैं. केन्द्र ने किसी राहत पैकेज की घोषणा नहीं की तो राज्य सरकार सर्वे कराने में समय जाया कर रही है. इससे किसानों का धैर्य जबाव देरहा है, और वे सदमे से मौत के शिकार होरहे हैं या फिर आत्महत्या कर रहे हैं. पहले मौसम की मार और अब सरकारी दुराचार किसानों के लिए आफत बने हैं. भाकपा राज्य सचिव ने केन्द्र सरकार से मांग की कि वह उत्तर प्रदेश में हुयी फसल हानि के लिए एक राहत पैकेज की शीघ्र घोषणा करे. राज्य सरकार से मांग की कि वह फसलों की हानि की शत प्रतिशत भरपाई की तत्काल घोषणा करे. साथ ही जिन किसानों ने सदमे के चलते दम तोडा है, या फिर जिन्होंने एटीएम हत्या की है उनके परिवारीजनों को रूपये पांच लाख का मुआबजा दिया जाये. डा. गिरीश ने बताया कि भाकपा की सभी जिला इकाइयों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने जनपदों में किसानों के बीच जाकर उनकी हिम्मत बंधाएं तथा किसानों को राहत दिलाये जाने के लिए आन्दोलन आदि संगठित करें. इलाहाबाद में वकील की हत्या को अफसोसजनक बताया भाकपा राज्य सचिव डा.गिरीश ने गत दिन इलाहाबाद के न्यायालय परिसर में पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच हुये खूनी विवाद और उसमें एक वकील की हुयी हत्या को बेहद अफसोसजनक बताया है. भाकपा ने समूचे प्रकरण को राज्य की ख़राब कानून व्यवस्था की देन बताते हुये ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचाए जाने हेतु समुचित कदम उठाने की मांग की है. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि आज न्यायालय परिसर तक असहिष्णुता और अराजकता के अड्डे बन गये हैं. प्रदेश में आये दिन न्यायालय परिसरों में वकीलों की पुलिस और अन्य तबकों से मुठभेड़ें आम बात होगयी हैं. इससे जन और धन की हानि तो हो ही रही है न्याय पाने के लिए न्यायालय परिसर आने वालों को भारी हानि उठानी पड़ रही है. वक्त आगया है कि सरकार, न्याय प्रणाली और बार एसोसिएशंस को इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. इसे इलाहाबाद की एकमात्र घटना के रूप में न देख कर समग्रता से देखा जाना चाहिए. क्यों न्याय प्रक्रिया से जुड़े अलग अलग समूह आपसी टकराव में उलझ जाते हैं, इस पर विचार किया जाना चाहिए. भाकपा इस तरह की वारदातों से बेहद चिंतित है और अपनी चिंता से समाज के विभिन्न तबकों को अवगत करना चाहती है, डा.गिरीश ने कहा है. डा.गिरीश

Saturday, March 7, 2015

डा. गिरीश भाकपा उत्तर प्रदेश के सर्वसम्मती से तीसरी बार राज्य सचिव चुने गये.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश का २२ वां राज्य सम्मेलन २८ फरवरी से २ मार्च के बीच इलाहाबाद में भारी उत्साह के वातावरण में संपन्न हो गया. सम्मेलन से पूर्व इलाहाबाद नगर में एक विशाल रैली निकाली गयी और आम सभा भी की गयी. रैली का नेतृत्व भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने किया. सभा को प्रमुख रूप से भाकपा के केन्द्रीय सचिव का.अतुल कुमार सिंह अनजान ने संबोधित किया. सभा को संबोधित करते हुये का. अनजान ने मोदी सरकार की विफलताओं का खुलासा किया और उसके विरुध्द जन संघर्षों को तेज करने का आह्वान किया. राज्य सचिव डा. गिरीश ने उत्तर प्रदेश सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया और उसके काले कारनामों का पर्दाफाश करने तथा उसके खिलाफ जन लामबंदी तेज करने का आह्वान किया. सभा के बाद ध्वजारोहण का. गिरधर गोपाल त्रिपाठी ने किया. तदुपरांत सम्मेलन का उद्घाटन सत्र शुरू हुआ. सम्मेलन की अध्यक्षता का. अशोक मिश्र, का. रामधन, का. निशा राठोर, का. हामिद अली एवं का. राजेन्द्र यादव, पूर्व विधायक के अध्यक्ष मंडल ने की. स्वागत भाषण स्वागत समिति के अध्यक्ष और उच्च न्यायालय के सीनियर एडवोकेट का. आर. के. जैन ने दिया. सम्मेलन का उद्घाटन भाकपा के केन्द्रीय सचिव मंडल के सदस्य का. शमीम फैजी ने किया. अपने उद्घाटन भाषण में का. फैजी ने कहा कि गत लोक सभा चुनावों में देश के ही नहीं बाहर के कार्पोरेट घरानों ने भी मोदी की जीत के लिए हर हथकंडा अपनाया. कार्पोरेट पूंजी और आर.एस.एस. के घ्रणा फ़ैलाने वाले अभियान के चलते एक घोर दक्षिणपंथी सरकार मोदी के नेतृत्व में बजूद में आई है. यह सरकार अपने चुनावी वायदों को पूरा करने से साफ मुकर गयी है. वह कार्पोरेट घरानों को लाभ पहुँचाने और जनता पर उसका बोझ डालने के काम में जुट गयी है. किसानों को तवाह करने वाला भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाया गया है तो मजदूरों को तवाह करने को श्रम कानूनों में बदलाव किया जारहा है. चुनावी वायदे पूरे न होने से जनता में आक्रोश पैदा होरहा है और उससे ध्यान हठाने को सांप्रदायिक हथकंडे चलाये जारहे हैं. उन्होंने मौजूदा चुनौतियों का मुकाबला करने को वामपंथी एकता पर बल दिया जो कार्यक्रम आधारित आंदोलनों के जरिये वाम-जनवादी एकता का आधार बनेगी. भाकपा के आमंत्रण पर माकपा के राज्य सचिव का. हीरालाल यादव, फार्बर्ड ब्लाक के राज्य सचिव का. शिव नारायण चौहान एवं एसयूसीआई सी के सुधांशु मालवीय अपनी एकता का इजहार करने सम्मेलन में पहुंचे. भाकपा माले के सचिव का. रामजी राय ने संदेश प्रेषित किया . सभी ने वाम एकता को समय की मांग बताया. दूसरे दिन प्रारंभ हुये सत्र में गत तीन सालों में देश भर में दिवंगत महान हस्तियों और पार्टी नेताओं को श्रध्दांजली अर्पित करते हुये शोक प्रस्ताव राज्य सहसचिव का. इम्तियाज़ अहमद ने प्रस्तुत किया. सम्मेलन ने दो मिनट का मौन रखा. प्रतिनिधि सत्र में राज्य सचिव डा.गिरीश ने राजनैतिक रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार भी केन्द्र सरकार की तरह आर्थिक नव उदारवाद के एजेन्डे पर चल रही है. यही वजह है कि वह आमजनों के हितों को पूरा कर पाना तो दूर हर मोर्चे पर पूरी तरह विफल है.वह सांप्रदायिकता से भी नहीं निपट पा रही है. लोगों में सरकार के प्रति मोहभंग होरहा है जो एक राजनैतिक शून्य पैदा कर रहा है. भाकपा और वाम दलों को मुद्दों के आधार पर संयुक्त और परिणाम दिलाने वाले आन्दोलन छेड़ कर इस शून्य को भरने की दिशा में काम करना चाहिए. मौजूदा परिस्थितियों का यह सबसे बड़ा तकाजा है. कार्य और संगठन संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुये राज्य सहसचिव का. अरविन्द राज स्वरूप ने कहा कि गत तीन वर्षों में प्रदेश में भाकपा ने लगातार आन्दोलन चलाये हैं. जन संगठनों ने भी कई काम किये हैं. इसकी झलक लोकसभा चुनावों में हमें पहले से अधिक मिले मतों के रूप में दिखाई देती है. सांगठनिक रिपोर्ट में मौजूदा चुनौतियों के अनुकूल सांगठनिक ढांचा खड़ा करने पर बल दिया गया है. दोनों रिपोर्टों पर हुयी चर्चा में ४६ साथियों ने भाग लिया. रिपोर्ट पर चर्चा का स्तर गत राज्य सम्मेलनों की तुलना में बहुत संजीदा था जो पार्टी के सही दिशा में बढ़ने का सूचक है. चर्चा का प्रत्युत्तर दिए जाने के बाद दोनों रिपोर्टें ध्वनिमत से पारित की गयीं. सम्मेलन में विभिन्न मुद्दों पर लगभग एक दर्जन प्रस्ताव पारित किये गये जिनमें हाल ही में वर्षा और ओलों से हुयी हानि की भरपाई के लिए राज्य सरकार से मांग करने वाला प्रस्ताव प्रमुख है. सम्मेलन के मध्य का. रनधीर सिंह सुमन द्वारा संपादित लोक संघर्ष पत्रिका के जन गीत विशेषांक ‘वह सुबह हमीं से आयेगी’ का लोकार्पण का. शमीम फैजी एवं का. अतुल अनजान ने किया. सम्मेलन में वरिष्ठ कामरेडों का अभिनन्दन भी किया गया. सम्मेलन में भविष्य के तमाम कार्यक्रमों का निर्धारण भी किया गया. का.गोविन्द पानसरे की याद में १६ मार्च को “ अंध विश्वास, संप्रदायवाद और भ्रष्टाचार विरोधी दिवस” आयोजित किया जायेगा. इस दिन पूरे प्रदेश में विचार गोष्ठियां, सभाएं और प्रदर्शन आदि आयोजित किये जायेंगे. का. पांसरे के हत्यारों को गिरफ्तार करने और हत्या की जांच सी.बी.आई. से कराने की मांग की जाएगी. एक अन्य निर्णय के अनुसार यदि १ मई तक राज्य सरकार ने महान कम्युनिस्ट नेता का. जयबहादुर सिंह और का. झारखंडे राय की प्रतिमाओं का अनावरण नहीं किया तो भाकपा द्वारा खुद अनावरण कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. राष्ट्रीय महाधिवेशन के बाद भूमि अधिग्रहण के सवाल पर व्यापक आन्दोलन खड़ा करने का संकल्प भी लिया गया. सम्मेलन में एक ८१ सदस्यीय राज्य काउन्सिल और ५ सदस्यीय कंट्रोल कमीशन का चुनाव किया गया. राष्ट्रीय महाधिवेशन के लिए २१ प्रतिनिधि और २ वैकल्पिक प्रतिनिधियों का चुनाव किया गया. ये सारे चुनाव सर्वसम्मती से हुये. बाद में राज्य काउन्सिल ने सर्वसम्मति से तीसरी बार डा.गिरीश को राज्य सचिव चुना. कंट्रोल कमीशन ने का. आर.के. जैन को अपना अध्यक्ष चुना. समापन सत्र में राज्य सचिव ने अध्यक्ष मंडल, स्वागत समिति, क्रेडेंशियल कमेटी, मिनट्स कमेटी, प्रस्ताव कमेटी तथा सभी वालंटियर्स को धन्यवाद दिया. अध्यक्ष मंडल की ओर से का. अशोक मिश्र ने सम्मेलन के समापन की घोषणा की. डा. गिरीश. ३ मई से १० मई तक सारे प्रदेश में धन और अन्न संग्रह अभियान भी पूरी तैयारी से चलाया जायेगा.

Tuesday, March 3, 2015

कामरेड गोविन्द पनसारे की स्मृति में - भाकपा 16 मार्च को अंधविश्वास, साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार विरोधी दिवस का आयोजन करेगी

लखनऊ 4 मार्च। हाल ही में अंधविश्वास, संप्रदायवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जंग के चलते महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शहीद हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता कामरेड गोविन्द पनसारे की स्मृति में भाकपा 16 मार्च को पूरे प्रदेश में ”अंधविश्वास, साम्प्रदायिकता एवं भ्रष्टाचार विरोधी दिवस“ का आयोजन करेगी।
उक्त निर्णय भाकपा के 28 फरवरी से 2 मार्च तक इलाहाबाद में सम्पन्न भाकपा के 22वें राज्य सम्मेलन में लिया गया। उपर्युक्त के सम्बंध में यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि केन्द्र में भाजपा के सत्ता में आने के बाद दकियानूसी, साम्प्रदायिक और आम जनता को लूटने वाली शक्तियां पूरी तरह से आजाद हो गयी हैं और वह अपना खुला खेल खेल रही हैं। इतना ही नहीं इन सबका विरोध करने वाले लोगों पर उन्होंने शारीरिक हमले तेज कर दिये हैं।
भाकपा के जुझारू नेता और उसके केन्द्रीय कंट्रोल कमीशन के सचिव कामरेड गोविन्द पनसारे महाराष्ट्र में ऐसी ही लड़ाई लड़ते रहे थे। उन्होंने वहां टोल टैक्स के खिलाफ जबरदस्त आन्दोलन छेड़ रखा था और पोंगापंथी एवं साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ वैचारिक लड़ाई भी लड़ रहे थे। इसी वजह से वे इन ताकतों के निशाने पर थे। अतएव गत दिनों कोल्हापुर में उनके और उनकी पत्नी के ऊपर प्राणघातक हमला किया गया। 6 दिनों तक जीवन और मौत से जूझने के बाद अंततः उन्होंने दम तोड़ दिया।
अफसोस की बात है कि महाराष्ट्र की भाजपा-शिव सेना गठबंधन की सरकार ने न तो कातिलों की गिरफ्तारी में सक्रियता दिखाई और न ही हत्या की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। भाकपा इसकी निन्दा करती है। पुणे में नरेन्द्र दाभोलकर की हत्या के बाद दक्षिणपंथी ताकतों का यह दूसरा बड़ा कारनामा है।
भाकपा राज्य सचिव ने अपनी समस्त जिला इकाइयों का आह्वान किया है कि वे 16 मार्च को हर जिले में कामरेड पनसारे की स्मृति में उपर्युक्त कार्यक्रम का आयोजन करें। हर जगह विचार गोष्ठियां, सभायें करें अथवा धरना-प्रदर्शन कर ज्ञापन दें। अन्य जनवादी एवं प्रगतिशील ताकतों को भी इन आयोजनों में शामिल किया जाये।



कार्यालय सचिव