Tuesday, September 16, 2014

मतदाताओं ने सांप्रदायिकता को पूरी तरह नकारा - भाकपा

मतदाताओं ने सांप्रदायिकता को पूरी तरह नकारा : भाकपा लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने देश और उत्तर प्रदेश में हुये लोकसभा उपचुनावों के परिणामों पर संतोष व्यक्त किया है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहा कि हाल में हुए लोकसभा चुनावों में सांप्रदायिकता के ऊपर विकास का चोगा पहना कर भाजपा ने भारी बहुमत हासिल कर लिया था. लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा अपने असली रूप में सामने आगयी और सांप्रदायिकता के नंगे नाच में लिप्त होगयी. जनता ने भाजपा की सांप्रदायिक नीतियों को पूरी तरह नकार दिया है. भाकपा जनता के इस फैसले को बेहद सकारात्मक मानती है और उसे बधाई देती है. डा. गिरीश ने कहा कि भाकपा ने भी चार विधानसभा सीटों पर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा था लेकिन ध्रुवीकरण, धनाभाव एवं सांगठनिक कमजोरियों के चलते उसे अपेक्षित मत नहीं मिल सके. भाकपा महसूस करती है कि चुनावी सफलता के लिये उसे नये सिरे से प्रयास करने होंगे और चुनाव प्रणाली में सुधार खासकर चुनाव की समानुपातिक प्रणाली के पक्ष में अभियान चलाना होगा. आगामी दिनों में भाकपा इन मुद्दों पर गहन चर्चा करेगी. जिन मतदाताओं ने भाकपा के पक्ष में मतदान किया अथवा चुनाव अभियान के दौर में उसके प्रति सहानुभूति जताई, भाकपा उन्हें हार्दिक धन्यवाद देती है. डा.गिरीश

Thursday, September 11, 2014

पी.पी.एच.ने लखनऊ में पुस्तक बिक्री केन्द्र खोला.

लखनऊ- वैज्ञानिक समाजवाद, इतिहास, संस्कृति, विज्ञान एवं बालोपयोगी अनूठी पुस्तकों के बिक्री केन्द्र का शुभारम्भ आज यहां २२,कैसरबाग स्थित परिसर में होगया. प्युपिल्स पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली के सौजन्य से प्रारंभ पुस्तक केन्द्र का उद्घाटन प्रख्यात लेखक-समालोचक एवं प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र यादव ने किया. अपने उद्बोधन में श्री यादव ने कहा कि चेतना बुक डिपो के बंद होने के बाद से इस तरह की पुस्तकों के केन्द्र की कमी बेहद अखर रही थी. अब ज्ञान के पिपासु और सामाजिक चेतना के वाहकों को प्रगतिशील साहित्य की खरीद के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. उन्होंने पुस्तक केन्द्र खोलने के लिये पी.पी.एच. एवं स्थानीय संचालकों को बधाई दी. वरिष्ठ रंग कर्मी और भारतीय जन नाट्य संघ के प्रदेश महासचिव राकेश ने कहाकि २२, केसरबाग परिसर विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है. अब सामाजिक आर्थिक बदलाव की चेतना जाग्रत करने वाला साहित्य भी यहाँ मिल सकेगा, यह पाठकों के लिए ख़ुशी की बात है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव डा.गिरीश ने कहा कि ज्ञान की ताकत हर ताकत से बढ़ी होती है, लेकिन सवाल यह है कि ज्ञान का आधार वैज्ञानिक है या पुरातनपंथी. वह सामाजिक परिवर्तन- व्यवस्था परिवर्तन के लिए स्तेमाल होरहा है अथवा लूट और दमन के चक्र को बनाये रखने के लिये. यहां उपलब्ध पुस्तकों से शोषण से मुक्त व्यवस्था निर्माण का मार्ग प्रशस्त होता है. इस अवसर पर भाकपा के राज्य सहसचिव अरविन्दराज स्वरूप, उत्तर प्रदेश ट्रेड यूनियन कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सदरुद्दीन राना, उत्तर प्रदेश महिला फेडरेशन की महासचिव आशा मिश्रा, उत्तर प्रदेश किसान सभा के महासचिव रामप्रताप त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के महासचिव फूलचंद यादव, भाकपा के जिला सचिव मो. खालिक आदि अनेक गणमान्य अतिथि मौजूद थे जिन्होंने अपनी शुभकामनायें व्यक्त कीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ भाकपा नेता अशोक मिश्रा ने की. पुस्तक केन्द्र के संचालक रामगोपाल शर्मा ने बताया कि केन्द्र प्रतिदिन प्रातः १० बजे से सायं ७ब्जे तक खुला रहेगा. डा. गिरीश

Tuesday, September 9, 2014

का. सुरेन्द्र राम के निधन से भाकपा को हुयी भारी क्षति.

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष एवं भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय सचिव का.सुरेन्द्र राम का आज निधन होगया. वे ५७ वर्ष के थे गाजीपुर जनपद के ग्राम- लहुरापुर के एक गरीब दलित परिवार में जन्मे का.सुरेन्द्र राम छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे. उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए.तथा एल.एल.बी. की डिग्रियां हासिल कीं. अपनी शिक्षा के दौरान वहीं वे आल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल होगये और उसके अगुआ नेताओं में रहे. उसी दरम्यान वे भाकपा में सक्रिय हुये और उसकी गाजीपुर जनपद काउन्सिल के लगभग दस वर्षों तक सचिव रहे. वे गाजीपुर जिला पंचायत के सदस्य भी निर्वाचित हुये. पिछले २० वर्ष से वे खेतिहर मजदूरों को संगठित करने में जुटे थे. वे निरंतर मार्क्सवाद, लेनिनवाद एवं डा. अम्बेडकर के सिध्दान्तों का अध्ययन करते रहे और उनसे प्रेरणा ग्रहण कर दलितों शोषितों एवं वंचितों के हित में संघर्ष करते रहे. अभी हाल में उन्हें गम्भीर मस्तिष्क एवं ह्रदय आघात लगा और पहले मऊ, वाराणसी और अब लखनऊ के पी.जी.आई में उन्हें भरती कराया गया. लेकिन उनकी हालात में सुधार नहीं हुआ और चिकित्सको की सलाह पर उन्हें गत रात ही उनके पैतृक निवास ले जाया गया जहां आज सुबह ही उन्होंने अंतिम श्वांस ली. उनका अंतिम संस्कार आज गाजीपुर में गंगा के तट पर किया गया जहां बड़ी संख्या में राजनैतिक एवं सामाजिक हस्तियां मौजूद थीं. संकट की इस घड़ी में भाकपा एवं खेत मजदूर यूनियन का नेतृत्व हर स्तर पर उनके साथ खड़ा रहा. आज जैसे ही उनके निधन का समाचार भाकपा के राज्य कार्यालय पर मिला, वहां शोक का माहौल पैदा होगया. उनके सम्मान में पार्टी का झंडा झुका दिया गया. राज्य कार्यालय पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया. भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने का. सुरेन्द्र के निधन को शोषित-पीड़ितों के आन्दोलन एवं भाकपा तथा खेत मजदूर यूनियन की अपूरणीय क्षति बताते हुये उन्हें इंकलाबी श्रध्दांजली अर्पित की. उन्होंने शोक-संतप्त परिवार को पार्टी की गहन संवेदनायें प्रेषित कीं. अंत में मौन रख कर उनके कार्यकलापों को याद किया गया. शोकसभा की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश किसान सभा के सचिव का.रामप्रताप त्रिपाठी ने की. भाकपा राज्य सह सचिव अरविन्दराज स्वरूप, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के सचिव फूलचंद यादव, भाकपा जालौन के जिला सचिव सुधीर अवस्थी, रामगोपाल शर्मा शमशेर बहादुर सिंह एवं राममूर्ति मिश्रा आदि ने भी श्रध्दा सुमन अर्पित किये. डा.गिरीश, राज्य सचिव

Monday, September 8, 2014

गन्ना मूल्य बढ़ाने और बकायों के भुगतान को भाकपा ने आवाज उठाई.

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य रु.३५०.०० प्रति कुंतल निर्धारित किये जाने तथा चीनी मिलों पर गन्ने के बकाये का भुगतान तत्काल कराने की मांग की है. भाकपा ने निजी चीनी मिलों द्वारा चीनी मिलें न चलाने की धमकी को आपत्तिजनक करार देते हुए उन पर कड़ी कार्यवाही किये जाने की मांग की है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि कृषि की लागत बढ जाने और सूखे के चलते किसानों को गन्ने की कीमत कम से कम रु.३५० प्रति कुंतल मिलना ही चाहिये. राज्य सरकार को जल्द से जल्द इसकी घोषणा करनी चाहिये. साथ ही चीनी मिलों पर गन्ने के बकायों का तत्काल भुगतान कराने को ठोस कदम उठाये जाने चाहिये. यदि निजी चीनी मिलें मिल न चलाने की धमकियाँ देती हैं तो राज्य सरकार को इनका अधिग्रहण कर स्वयं चलाना चाहिये और केंद्र सरकार को इस मद में राज्य को आर्थिक सहायता मुहय्या करानी चाहिये. भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि उपर्युक्त मामले में शीघ्र समुचित कार्यवाही न की गयी तो भाकपा आंदोलनात्मक कदम भी उठा सकती है. डा. गिरीश

Sunday, September 7, 2014

भाजपा विभाजन की राजनीति पर ही जिन्दा है- भाकपा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि शाह के बयान से स्पष्टतः साबित होगया है कि विकास का भाजपा का नारा ढकोसला मात्र है, और सत्ता हथियाने को वह सांप्रदायिकता को ही कारगर और सबसे अब्बल औजार समझती है. श्री शाह के बयान कि “यदि उत्तर प्रदेश में तनाव बना रहा तभी भाजपा की सरकार बनेगी” की कड़े से कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हुये भाकपा, उ. प्र. के सचिव डा.गिरीश ने कहा कि भाजपा एक साम्राज्यवादपरस्त और पूंजीवादपरस्त पार्टी है और इन्हीं तबकों के हितसाधन में जुटी रहती है. इन्ही वर्गों के हितों को पूरा करने को वह सत्ता हासिल करना चाहती है. सत्ता हासिल करने को भले ही वह विकास का राग अलापे उसका मुख्य औजार सांप्रदायिक विभाजन है. इसी उद्देश्य से उसने उत्तर प्रदेश में होरहे उपचुनावों में एक घनघोर सांप्रदायिक चेहरे- योगी आदित्यनाथ को आगे बढ़ाया. अब अमितशाह के बयान से उसके कुत्सित इरादे पूरी तरह सामने आगये हैं. डा. गिरीश ने इस बात पर गहरा आश्चर्य जताया कि इस तरह की बयानबाजियों अथवा कारगुजारियों का न तो निर्वाचन आयोग संज्ञान लेरहा है न राज्य सरकार. भाकपा की स्पष्ट राय है कि उत्तर प्रदेश सरकार को योगी और शाह के खिलाफ माकूल धाराओं में केस दर्ज कर उन्हें जेल के सींखचों के पीछे भेजना चाहिये. सर्वोच्च न्यायालय ने भी सांप्रदायिकता भडकाने के प्रयासों पर तीखी टिप्पणी करते हुये सांप्रदायिकता को संविधान की मूल आत्मा के विरुध्द बताते हुए इसे फ़ैलाने बढ़ाने वालों को कड़ी फटकार लगाई है. निर्वाचन आयोग को भी इसका संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्यवाही करनी चाहिये. डा.गिरीश

Tuesday, September 2, 2014

सूखा.

सूखा पीड़ित जिलों में राहत के त्वरित कदम उठाने और ललितपुर को भी सूखाग्रस्त घोषित किये जाने को भाकपा ने आवाज उठाई. लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य सरकार से मांग कि है कि वह सूखाग्रस्त इलाकों में राहत के कदम फ़ौरन उठायें. भाकपा ने ललितपुर जनपद को भी सूखाग्रस्त जनपद घोषित किये जाने कि मांग कि है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि राज्य सरकार ने सूखे से प्रभावित जिलों को चिन्हित करने में पहले ही देरी कर दी है. ललितपुर जिला भी सूखे से पूरी तरह प्रभावित है मगर उसे सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया है. भाकपा मांग करती है कि राज्य सरकार इस मामले में फौरन ठोस कदम उठाये ताकि राज्य कि खेती किसानी को और अधिक बर्बाद होने से बचाया जासके. डा.गिरीश.

Saturday, August 30, 2014

उत्तर प्रदेश विधान सभा के उपचुनावों में प्रदेश के मतदाताओं से अपील

आपसी मेल-मिलाप बढ़ाने! महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी पर लगाम लगाने! महिलाओं, कमजोर वर्गों पर अत्याचार रोके जाने तथा अपने विधान सभा क्षेत्र एवं जनपद के समग्र विकास के लिये! हंसिया-बाली के चुनाव निशान के सामने वाला बटन दबायें! भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों को सफल बनायें! उत्तर प्रदेश के मतदाता भाइयो और बहिनो! अभी हाल ही में हुये लोकसभा के चुनावों में आप सभी ने बड़ी ही उम्मीद और आशा के साथ एक पार्टी को भारी बहुमत देकर केन्द्र की गद्दी पर पहुंचाया था. लेकिन इस सरकार को काम करते हुये अभी सौ दिन भी नहीं हुये हैं और इस सरकार से सभी को गहरी निराशा हाथ लगी है. हमारी सीमाओं के पार से तड़-तड़ गोलियां चल रही हैं और सीमाओं के रक्षक हमारे जवान लगातार शहीद होरहे हैं. सत्ता में आने के बाद इस सरकार ने पिछली केन्द्र सरकार की नीतियों को और भी जोर-शोर से लागू किया है और डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस, रेल किराया और मालभाड़े की दरों में भारी बढ़ोत्तरी की है. इससे हर चीज की कीमतें आसमान छूरही हैं और महंगाई की मार से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. भ्रष्टाचार के खिलाफ बड-चड़ कर बातें करने वालों की यह सरकार अपने थोड़े समय के कार्य काल में ही तमाम आरोपों में घिरती जारही है. केन्द्र सरकार के पहले बजट ने ही विकास के इसके दाबों की कलई खोल कर रख दी. बेरोजगार नौजवानों, छात्रों, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, दस्तकारों, दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों सभी को इसने निराश किया है. जनता ने भाजपा को इस आशा से वोट दिये थे कि उनके अच्छे दिन आयेंगे, लेकिन आगये बेहद बुरे दिन. यह पार्टी और इसकी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों और कार्पोरेट घरानों के हित में काम कर रही है और आम जनता को तवाह कर रही है. इससे केन्द्र सरकार के प्रति जनता में गुस्सा पैदा होरहा है. जिसका प्रमाण है हाल ही में उत्तराखण्ड, बिहार, कर्नाटक, पंजाब, मध्य प्रदेश के उपचुनाव जहां भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. अब तो भाजपा की अंतर्कलह भी खुलकर सामने आगयी है. इस सबसे जनता का ध्यान बंटाने और उसे आपस में लड़ाने को भाजपा द्वारा तरह तरह के हथकंडे अपनाये जारहे हैं. सांप्रदायिकता को खास औजार बनाया जारहा है. उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी आम जनता को हर मोर्चे पर निराश किया है. हर तरह के अपराध बड रहे हैं. महिलाओं और यहां तक कि अबोध बालिकाओं के साथ दुराचार और उसके बाद उनकी हत्या आम बात होगयी है. हत्या, लूट, राहजनी आदि हर तरह के अपराध बड रहे हैं. सांप्रदायिक दंगों को काबू करने में सरकार की हीला हवाली साफ दिखाई देरही है. एक तिहाई उत्तर प्रदेश को बाढ़ ने तो शेष को भयंकर सूखे ने तवाह कर दिया है. सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. पीड़ित किसानों ने आत्म हत्याएं करना शुरू कर दीं हैं. अभूतपूर्व बिजली संकट से हर कोई परेशान है. किसानों का चीनी मिलों पर करोड़ों रुपया बकाया है जिसे अदा नहीं कराया जारहा. डीजल आदि खेती के लिये जरूरी चीजों पर राज्य सरकार ने टैक्स बढ़ा दिया है. राशन प्रणाली में लूट मची है. बेरोजगारी से निपटने को कारगर कदम नहीं उठाये जारहे, शिक्षा को व्यापार बना डाला है. शिक्षा बेहद महंगी है अतएव आम बच्चे शिक्षा नहीं लेपारहे. बेकारी भत्ता और लैपटाप आदि भी देना बंद कर दिया गया है. इलाज भी आज बहुत ही महंगा होगया है. सडकों का बुरा हाल है. भ्रष्टाचार ने सभी को तवाह किया हुआ है और गुंडे अपराधी माफिया दलाल सभी खुशहाल हैं. केंद्र और राज्य सरकार को अपने इन कदमों को पीछे खींचने को मजबूर करना होगा. इसके लिये संसद और विधान सभा के भीतर और बाहर संघर्ष करना होगा. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक किसानों, कामगारों और आम जनता के हित में लगातार आवाज उठाई. है. हमें गर्व है कि हम पर आजतक भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप नहीं लगा. सांप्रदायिकता और जातिवाद जैसी बुराइयों से हम कोसों दूर हैं. महंगाई भ्रष्टाचार बेकारी और अशिक्षा को दूर करने को हम जुझारू आन्दोलन करते रहे हैं. जातिगत लैंगिक समानता और आपसी भाईचारे के लिये हम हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं. हमारी समझ है कि देश और समाज की आज की समस्यायों का निदान मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था में संभव नहीं है. आजादी को आये ६७ वर्ष बीत गये और हमारी समस्यायें जस की तस बनी हुयी हैं. इन समस्यायों का समाधान केवल समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी समाजवादी समाज का निर्माण करने को प्रतिबध्द है. लेकिन ये चुनाव मध्यावधि चुनाव है. केन्द्र अथवा राज्य सरकार बनाने के लिये नहीं. अतएव इन चुनावों में आप भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों को अवश्य ही मौका दे सकते हैं. यदि आपके क्षेत्र से भाकपा प्रत्याशी विजयी होगा तो आपकी समस्याओं के समाधान तथा क्षेत्र के विकास के लिये निश्चय ही वह औरों से अधिक जोरदारी से आवाज बुलंद करेगा. वह हर वक्त आपकी सेवा और सहयोग के लिये आपके बीच रहेगा. अपनी सीमित ताकत और सीमित साधनों के चलते प्रदेश में भाकपा ने केवल चार स्थानों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. वे हैं – नोएडा से प्रोफेसर सदासिव चामर्थी, सिराथू से शिवसिंह यादव, हमीरपुर से श्यामबाबू तिवारी तथा लखनऊ पूर्व से राजपाल यादव. अतएव आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि आप १३ सितंबर को होने जा रहे विधानसभा के उपचुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह हंसिया और बाल के सामने वाला बटन दबा कर भारी बहुमत से सफल बनायें तथा भाकपा प्रत्याशियों एवं भाकपा उत्तर प्रदेश इकाई की तन मन धन से मदद करें. निवेदक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउन्सिल २२, कैसरबाग, लखनऊ

Wednesday, August 27, 2014

उत्तर प्रदेश विधान सभा उपचुनाव - भाकपा ने चार स्थानों पर प्रत्याशी उतारे.

लखनऊ- १३ सितंबर को होने जारहे उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने चार प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. नोएडा से प्रोफेसर सदासिव चामर्थी, सिराथू से शिवसिंह यादव, हमीरपुर से श्यामबाबू तिवारी उर्फ़ श्यामजी तथा लखनऊ पूर्व से राजपाल यादव भाकपा के प्रत्याशी होंगे. उपर्युक्त जानकारी यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने दी. डा.गिरीश ने सभी वामपंथी दलों, शक्तियों, कर्मचारियों, मजदूरों, किसानों, बुध्दिजीवियों, व्यापारियों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों तथा शांति और विकास चाहने वाले सभी नागरिकों से अपील की है कि वे भाकपा प्रत्याशियों को अपना समर्थन और मत प्रदान करें. डा.गिरीश

संगीत सोम की 'जेड' सुरक्षा वापस ली जाये - भाकपा

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने केंद्र सरकार द्वारा मुज़फ्फरनगर की सांप्रदायिक हिंसा के लिये कुख्यात भाजपा के विधायक संगीत सोम को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा दिये जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. भाकपा ने इस फैसले को तत्काल रद्द करने की मांग की है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहाकि सांप्रदायिक हिंसा के दोषी को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा देना सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति पर मुहर लगाना है. केन्द्र सरकार के इस कदम से यह साबित होगया है कि भाजपा सत्ता में पहुंच कर भी सांप्रदायिकता की नाव पर ही सवार रहना चाहती है, विकास की उसकी गाथा दिखावा मात्र है. केन्द्र सरकार के इस कदम से हिंसक और उपद्रवी तत्वों का मनोबल बढ़ेगा और हिंसा की मार झेल रहे लोगों का मनोबल गिरेगा. डा.गिरीश ने कहाकि प्रधानमन्त्री एक तरफ लाल किले की प्राचीर से दिये अपने भाषण में सांप्रदायिकता को रोके जाने की बात करते हैं वहीं उनकी सरकार और पार्टी सांप्रदायिकता फैलाने और हिंसा भड़काने का कोई मौका नहीं छोड़ती. समय की मांग है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ दल सांप्रदायिक नीतियों और कारगुजारियों का परित्याग करे और जनता की खुशहाली और उसके विकास के एजेंडे पर काम करे. डा.गिरीश

Tuesday, August 12, 2014

शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करो - एआईएसएफ

लखनऊ 12 अगस्त। ”शिक्षा के बाजारीकरण के फलस्वरूप शिक्षा नितान्त महंगी हो गई और उसके स्तर में भारी गिरावट आई है। शिक्षा व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है और वे परचून की दुकान बन गये हैं। शिक्षा आम विद्यार्थी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। गरीब छात्र अपने टैलेन्ट के अनुसार शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं और उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं। अतएव आज शिक्षा को गरीब और आम छात्रों के लिए सुलभ बनाने के लिए और उसको रोजगार परक बनाने के लिए शिक्षा का राष्ट्रीयकरण किया जाना जरूरी है।“ यह निष्कर्ष था आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) द्वारा अपने 78वें स्थापना दिवस पर ”शिक्षा का बाजारीकरण और आज का छात्र“ विषय पर आयोजित विचारगोष्ठी का। विचारगोष्ठी का आयोजन एआईएसएफ की लखनऊ इकाई ने किया था।
विचार गोष्ठी में विद्यार्थियों ने शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने, निजी शिक्षण संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण करने, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने बच्चों को सरकारी एवं अनुदानित स्कूलों में ही पढ़ाने का कानून बनाने जिससे इन विद्यालयों में शिक्षण का स्तर ऊंचा उठ सके, अनुसूचित जातियों-जनजातियों की तरह ही पिछड़ी जातियों एवं अल्पसंख्यक तबकों के विद्यार्थियों से भी दाखिलों के वक्त फीस न वसूल किये जाने, और अब तक ली जा चुकी फीस का रिफंड तत्काल करने तथा सिविल सर्विसेज परीक्षा में सीसैट समाप्त करने की मांगे भी उठाई गयीं।
विचार गोष्ठी में अपने विचार प्रकट करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज शिक्षा के निजीकरण के परिणामस्वरूप वह बेहद महंगी हो गई है और उसमें व्याप्त भारी भ्रष्टाचार के चलते उसकी गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है, जिसका सीधा खामियाजा गरीब और आम समाज से आये हुए विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। भूमंडलीकरण की नीतियों ने शिक्षा को सामाजिक लूट के औजार के रूप में विकसित किया है जिसमें संपन्न तबकों के लोग उच्च एवं महंगे शिक्षण संस्थानों में शिक्षा हासिल कर अपनी धन की हविश को पूरा करने का औजार बनाये हुए हैं। आज शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है ताकि वह गरीब और सामान्य तबकों को समाज में उनका हक दिलाने का औजार बन सके। एआईएसएफ को अपनी कार्यवाहियां इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए संगठित करनी चाहिए।
इस अवसर पर बैंक कर्मियों के नेता प्रदीप तिवारी ने कहा कि एआईएसएफ का जन्म स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से हुआ था लेकिन बाद में तमाम राजनीतिक दलों ने अपने-अपने दलों के छात्र संगठन गठित कर लिये और इस तरह निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पूरे छात्र आन्दोलन को विघटित कर दिया। भूमंडलीकरण के दौर में शिक्षा संस्थानों में छात्र राजनीति में अराजकता और राज नेताओं की दलाली इन्हीं राजनैतिक ताकतों के द्वारा पैदा की गई। इस कारण उत्तर प्रदेश में छात्र आन्दोलन से छात्रों का मोह भंग सा हो गया। छात्र आन्दोलन की अनुपस्थिति में शिक्षा का बाजारीकरण सभी सरकारों के लिए आसान हो गया और हालात बद से बदतर हो गये।
विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए प्रो. अहमद अब्बास ने छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने साथ हो रही तमाम नाइंसाफियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करें और इसे व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष से जोड़े। विचार गोष्ठी में विचार व्यक्त करने वाले अन्य वक्ता थे - डा. ए.के.सेठ, डा. बी.जी. वर्मा और मधुराम मधुकर।
गोष्ठी का संचालन एआईएसएफ की लखनऊ इकाई के संयोजक अमरेश चौधरी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक ओंकार नाथ पाण्डेय ने किया। गोष्ठी में विषय पर हुई चर्चा में कु. उजरा अजीम, निकेतन सिंह, सुरेन्द्र यादव, संजय मोहन श्रीवास्तव, कुशेन्द्र सिंह, कु. सुधा पाल, दीपक शर्मा, कु. शालू मौर्या, दुर्गेश, कु. शिवानी मौर्या, मेराज अख्तर, शोभम प्रजापति, निर्मल गौतम, विकास चन्द्राकर और आदित्य मौर्या ने भाग लिया।
गोष्ठी के बाद एआईएसएफ कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा लैपटॉप, टैबलेट और कन्या विद्या धन दिये जाने के वायदों को याद दिलाते हुए पोस्ट कार्ड पर मांगें दर्ज कर मुख्यमंत्री को भेजने के अभियान का शुभारम्भ किया।

Monday, July 28, 2014

अलीगढ़ के दलितों की सामूहिक हत्या पर भाकपा ने रोष जताया: पीड़ितों से मिल ढाढस बंधाया . जांच रिपोर्ट जारी की.

लखनऊ 28, जुलाई – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रतिनिधि मंडल ने राज्य सचिव डा. गिरीश के नेत्रत्व में अलीगढ़ जनपद के लोधा थानान्तर्गत वीरमपुर गांव का दौरा किया जहां गत दिनों दलितों की जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश में जुटे दबंगों ने तीन दलितों की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी और एक अन्य को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के जिला सचिव सुहेव शेरवानी, सहसचिव रामबाबू गुप्ता, पूर्व सचिव एहतेशाम बेग, आर.के. महेश्वरी, रनवीर सिंह अरुण कुमार सोलंकी राजकिशोर एवं हरिश्चंद्र लोधी शामिल थे. दौरे के बाद यहाँ जारी एक रिपोर्ट में डा. गिरीश ने कहा कि गांव के जाटव जाति के परिवार को आबंटन में मिली जमीन पर कब्ज़ा करने की नीयत से दबंग सवर्ण परिवार उन्हें वर्षों से प्रताड़ित कर रहा था. इस बीच सरकारें बदलती रहीं मगर पुलिस-प्रशासन पीड़ित पक्ष को ही प्रताड़ित करता रहा. घटना वाले दिन जब ये दलित घर पर आकर दोपहर का खाना खारहे थे लगभग आठ-दस दबंग लोग गंडासे, फरसे तथा दूसरे हथियारों से लैस होकर उनके घर पर चढ़ आये और उनको घसीटते- पीटते खेतों पर लेगए. एक दलित महिला और दो पुरुषों की मौके पर ही मौत होगयी जबकि चौथे घायल का अलीगढ विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज में इलाज चल रहा है. मृतकों में से एक कैलाश की पत्नी ने बताया कि वह दौड़ कर पूरे गांव से मदद की गुहार लगाती रही मगर कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. गांव की एक बुजुर्ग महिला ने उसे मोबाइल फोन उपलब्ध कराया जिससे उसने 100 नम्बर डायल कर पुलिस को इत्तला दी लेकिन तब तक कातिल खूनी खेल खेल चुके थे. यहां तक कि शवों को जमीन में दबा देने के उद्देश्य से गड्ढे तक खोद चुके थे. घर की बुजुर्ग महिला ने बताया कि जमीन विवाद को सुलझाने को लेकर उसने तहसील से थाने तक बार बार गुहार लगाई मगर हर स्तर पर उसीके परिवार को यातना दी गयी और दबंगों को हर तरह से मदद पहुंचाई गयी. आज भी दबंगों की ओर से लगातार धमकियां मिल रही हैं. अभी तक दो आरोपियों के अलाबा कोई कातिल पकड़ा नहीं गया है. वे गांव के एक सिरे पर स्थिति झोंपड़ों में अपने को बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उनकी पीड़ा यह है कि कुछ दिनों बाद जब गांव से पुलिस पिकेट हठ जायेगी तो परिवार की सुरक्षा का क्या होगा? भाकपा ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में शासन प्रशासन दबंगों, अपराधियों और सांप्रदायिक तत्वों के हाथ की कठपुतली बन कर रह गया है और यह तत्व दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों एवं अन्य कमजोरों पर बेखौफ होकर हमलाबर होरहे हैं. असहाय और निरीह जनता इस जंगलराज की यातना झेलने को अभिशप्त है. भाकपा ने निर्णय लिया कि जिला पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही अलीगढ़ के जिलाधिकारी से मिल कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग करेगा. भाकपा की मांग है कि घटना के सभी दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये, उनके ऊपर रासुका लगाई जाये, पीड़ित परिवार को नियमानुसार मुआबजा दिया जाये, उन्हें अलीगढ़ अथवा खुर्जा की कांशीराम कालोनी में आवास दिया जाये, घायल का पूरा इलाज कराया जाये, मृतक कैलाश के डेढ़ वर्षीय पुत्र की शिक्षा का जिम्मा राज्य सरकार ले तथा गांव के दलितों के आवासों का निर्माण कराया जाये और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाये. भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि उपर्युक्त के संबंध में जिला प्रशासन ने समुचित कदम नहीं उठाये तो जनपद स्तर पर आन्दोलन तो किया ही जायेगा राज्य स्तर पर भी मामले को उठाया जायेगा. डा. गिरीश

Saturday, July 26, 2014

सहारनपुर की बारदातें शांति को पलीता लगाने की कोशिशें : भाकपा ने कड़ी कार्यवाही की मांग की

लखनऊ २६ जुलाई, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आज सहारनपुर में चल रही हिंसक वारदातों पर गहरी चिंता व्यक्त की है. भाकपा ने इसे शांति को पलीता लगाने की सांप्रदायिक शक्तियों का दुश्चक्र करार दिया है. भाकपा ने इस बात पर गहरा अफ़सोस जताया है कि अभी भी प्रशासन हालातों पर काबू नहीं पा सका है और हिंसक और उपद्रवी तत्व वहां खुला खेल खेल रहे हैं. हालातों पर अविलम्ब काबू पाया जाना बेहद जरूरी है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि सहारनपुर में एक उपसमुदाय का दूसरे समुदाय से वहां एक धर्मस्थल के विस्तार को लेकर पिछले ६-७ साल से विवाद चल रहा था. शासन- प्रशासन मामले को सुलझाने में विफल रहा था. ताजा घटनाक्रम के अनुसार इस बीच उपसमुदाय ने निर्माण कार्य करा लिया था और लिंटर डालने की तैय्यारी चल रही थी. इसी बात को लेकर गत रात दोनों पक्ष आमने सामने आगये वहां हिंसक वारदातें शुरू होगयीं. हिंसा में अब तक दो लोगों की जानें जचुकी हैं. अब सांप्रदायिक तत्व मौके का लाभ उठाने में जुट गये हैं. भगवा ब्रिगेड गली कूचों में अल्पसंख्यकों की सम्पत्तियों को जला रही है, लूट रही है. गरीबों के ठेले खोमचे जला कर राख कर दिए गये. सभी जानते हैं कि आज कांठ को लेकर भाजपा ने पूरे प्रदेश को उपद्रवों की जड़ में लेने की योजना बनाई हुई थी. सहारनपुर की घटना आपरेशन-कांठ का विस्तार है. कल ही उत्तरांचल में हुये उपचुनावों में तीनों सीटें हार चुकी भाजपा खिसियाई बिल्ली की तरह खम्भा नोंच रही है और मोदी सरकार की असफलताओं पर पर्दा डालने को सांप्रदायिक दंगे भड़काने पर उतारू है. भाकपा राज्य सचिव ने समाजवादी पार्टी की राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह ध्रुवीकरण की राजनीति से लाभ उठाने के चक्र से बाहर आये और हिंसक और उपद्रवी तत्व जिस भी समुदाय के हों, उन्हें सख्ती से कुचल दे. भाकपा ने प्रदेश भर की अमन पसंद ताकतों से अपील की है कि वह शांति और भाईचारा बनाये रखने को आगे आयें और प्रदेश को हिंसा की आग में झोंकने के प्रयासों को परवान न चड़ने दें. कल अलीगढ़ पहुंचेगा भाकपा का जांच दल-- भाकपा राज्य कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार भाकपा का एक जाँच दल कल- २७ जुलाई को अलीगढ़ जनपद के वीरमपुर गांव जायेगा जहां गत दिनों दबंगों ने एक भूमि विवाद को लेकर तीन दलितों की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी. डा. गिरीश

Thursday, July 24, 2014

अलीगढ़ में हुयी दलितों की हत्या पर भाकपा ने जताया रोष. हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की.

लखनऊ २४ जुलाई. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने अलीगढ़ जनपद के लोधा थाना अंतर्गत वीरमपुर गांव में गांव के ही दबंगों द्वारा तीन दलितों की हत्या और एक अन्य को गंभीर रूप से घायल करने की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा की है. भाकपा ने सभी दोषियों को शीघ्र से शीघ्र गिरफ्तार किये जाने और दलित परिवारों को सुरक्षा और न्याय दिलाने की मांग की है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार महिलाओं, दलितों एवं अन्य कमजोरों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल है. अलीगढ़ के इन दलितों की जमीन हडपने का षड्यंत्र वर्षों से चल रहा था, मगर पुलिस प्रशासन घटना की गंभीरता से आँख मूंदे रहा और यह जघन्य कांड हो गया. दिन दहाड़े चार पांच दलितों को घर से घसीट कर ले जाना और खेत पर ले जाकर उनकी पीट-पीट कर हत्या करना क्या इस बात का सबूत नहीं है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज कायम हो चुका है. आये दिन महिलाओं के साथ दरिंदगी की वारदातें भी थमने का नाम नहीं लेरही हैं. भाकपा ने मांग की है कि दलितों की हत्या के सभी आरोपियों को शीघ्र से शीघ्र जेल के सींखचों के पीछे पहुंचाया जाये, पीड़ित दलित परिवार को नियमानुसार मुआवजा दिया जाये तथा पीड़ित परिवार को समुचित सुरक्षा दी जाये. भाकपा ने अपनी अलीगढ़ जिला इकाई को निर्देश दिया है कि वह घटनास्थल पर पहुँच न्याय दिलाने को आवश्यक कदम उठाये. डा. गिरीश

Monday, July 21, 2014

मोहनलालगंज दरिंदगी प्रकरण पर भाकपा ने उठाये सवाल ; सी. बी. आई. जाँच की मांग की.

लखनऊ- २१ जुलाई, २०१४- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि मोहनलालगंज में महिला के साथ हुई दरिंदगी प्रकरण पर पुलिस का रवैय्या एकदम अविश्वसनीय है और यह इस संगीन मामले को हल्का कर रफा-दफा करने की साजिश है. इस स्थिति में भाकपा ने घटना की जाँच सी. बी. आई. से कराने की मांग की है. यहाँ जारी एक बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि तमाम हालात और मीडिया की छानवीन से यह स्पष्ट होजाता है कि घटना में कई लोग शामिल थे और भोथरे तथा भारी औजार से घटना को अंजाम दिया गया. लेकिन पुलिस ने खुलासे को जिस नाटकीयता से पेश किया है उससे साफ झलकता है पुलिस किसी ताकतवर शख्स को बचाने की कबायद में जुटी है और पूरी कहानी को एक व्यक्ति के ऊपर टिका दिया है. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सत्ता के शीर्ष कर्णधार आये दिन बलात्कारियों की प्रतिरक्षा में और उनके मनोबल को बढाने वाले बयान देते रहते हैं. उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ लगातार होरही दुराचार की घटनाओं के पीछे एक कारण यह भी है. ऐसी सत्ता के मातहत काम कर रहे पुलिसजनों से न्याय की उम्मीद भी कम ही रह जाती है. मोहनलालगंज प्रकरण में भी पुलिस की कार्यवाही पूरी तरह संदेहास्पद है. ऐसी स्थिति में पीड़िता और उसके परिवार को न्याय दिलाने को जरूरी है कि इस घटना की जाँच सी. बी. आई. से कराई जाये. अतएव भाकपा राज्य सरकार से मांग करती है कि वह बिना विलम्ब किये मोहनलालगंज प्रकरण की सी. बी. आई. से जांच कराने की संस्तुति करे. लोकमत भी इसी के पक्ष में है. यदि सरकार लोकभावनाओं को ठुकराने की हिमाकत करेगी तो लोकमत भी उसे करारा जबाब देगा, भाकपा राज्य सचिव ने कहा है. डा. गिरीश

Wednesday, July 16, 2014

दुष्कर्मियों को जल्द जेल भेज दिया गया होता तो न होता सिकंदरा राऊ कांड- भाकपा

लखनऊ- १६ जुलाई- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल राज्य सचिव डा. गिरीश के नेत्रत्व में आज हाथरस जनपद के कस्बा सिकन्दराराऊ पहुंचा जहां गत दिनों एक विवाहिता को धोखे से ससुराल से लाकर सामूहिक दुराचार किया गया और इसके बाद पीड़िता ने आग लगा कर आत्महत्या कर ली अथवा उसकी हत्या कर दी गयी. पूरे मामले में पुलिस और प्रशासन द्वारा बरती लापरवाही एवं उपेक्षा की प्रतिक्रिया में आक्रोशित लोग सडकों पर उतर आये थे और वहां अनेक वाहन एवं ठेले- खोमचे फूंके गये. सांप्रदायिक और जातीय विभाजन का खेल खेलने वालों ने वहां जमकर अपना खेल खेला और कस्बा भयंकर दंगों की गिरफ्त में आने से बाल-बाल बच गया. पीडिता के परिवार, पड़ोसियों एवं स्थानीय नागरिकों से व्यापक चर्चा के बाद प्रेस को जारी रिपोर्ट में भाकपा नेताओं ने कहा कि पीड़ित मृतका के साथ हुई दरिंदगी के बाद स्थानीय प्रशासन सक्रिय होगया होता और दरिंदों के खिलाफ तत्काल कठोर कदम उठाये होते तो इसकी इतनी विकराल प्रतिक्रिया नहीं होती. अपराधियों को पकड़ने में हीला हवाली की गयी और म्रत्यु से पूर्व पीडिता के मजिस्ट्रेटी बयान तक नहीं लिए गये. यह जानते हुये भी कि पीडिता और दरिन्दे अलग अलग संप्रदाय के हैं और घटना दूसरा मोड़ भी ले सकती है, प्रशासन ने मृतका के अंतिम संस्कार से पहले ऐतियादी जरूरी कदम नहीं उठाये. सड़कों पर उतरी आक्रोशित भीड़ को समझा बुझा कर शांत करने के बजाय पुलिस प्रशासन ने लाठी गोली का सहारा लिया. मौके का लाभ उठाने को सांप्रदायिक और जातीय विभाजन की राजनीति करने वाले तत्व सक्रिय होगये और बड़े पैमाने पर आगजनी कर डाली. बड़े वाहनों के अतिरिक्त समुदाय विशेष के ठेले खोमचों को खास निशाना बनाया गया. यहां उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी के शासन में संप्रदाय विशेष के गुंडों और असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ जाता है और वे खुलकर गुंडई करते हैं. पुलिस प्रशासन भी उनके विरुध्द कार्यवाही से बचता है. इसकी बहुसंख्यक समुदाय में प्रतिक्रिया होती है सांप्रदायिक तत्व इसका लाभ उठाते हैं. आज उत्तर प्रदेश में यह प्रतिदिन होरहा है. राज्य सरकार को इस परिस्थिति को समाज के व्यापक हित में समझना चाहिये और प्रशासन को आवश्यक निर्देश देने चाहिये. सम्बंधित समाज के उन ठेकेदारों को भी इन तत्वों को पटरी पर लाने को काम करना चाहिये जो वोटों के समय समाज के ठेकेदार बन जाते हैं. भाकपा का आरोप है कि आगजनी की घटनाओं के बाद पुलिस ने पीड़िता के दलित बहुल मोहल्ले पर हमला बोल दिया. एक युवक गोली से तो दूसरा पुलिस के ट्रक की चपेट में आकर घायल होगया. घरों के दरवाजे तोड़ डाले गये और महिलाओं और बच्चों तक को पीट पीट कर घायल कर दिया गया. बदले की भावना से और बिना जांच किये ही दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. तमाम लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी पुलिस देरही है. लोग खौफ के साये में हैं और पलायन कर रहे हैं. भाकपा इस सबकी कठोर शब्दों में निंदा करती है. भाकपा मांग करती है कि पीड़िता से दुराचार करने वाले सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया जाये, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाये, आगजनी के बाद गिरफ्तार किये गये निर्दोष लोगों को जाँच कर छोड़ा जाये, पीडिता के परिवार को मुआबजा दिया जाये तथा घायलों को भी मुआबजा दिया जाये. भाकपा के इस प्रतिनिधिमंडल में डा. गिरीश के साथ राज्य काउन्सिल सदस्य बाबूसिंह थंबार, चरण सिंह बघेल, पपेन्द्र कुमार, सत्यपाल रावल, द्रुगपाल सिंह, विमल कुमार एवं मनोज कुमार राजौरिया आदि शामिल थे. डा. गिरीश

Monday, July 14, 2014

महंगाई एवं अपराधों के विरुध्द उत्तर प्रदेश भाकपा ने संघर्ष का बिगुल फूंका.

लखनऊ- १४ जुलाई- केंद्र सरकार के लगभग डेढ़ माह के शासनकाल में महंगाई ने सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं. राज्य सरकार के कई कदम महंगाई को बढ़ावा देने में मददगार साबित होरहे हैं. प्रदेश में अपराध और अपराधी बेलगाम होचुके हैं. आम जनता त्राहि-त्राहि करने लगी है. महंगाई की मार और अपराधों की बाढ़ से त्रस्त जनता की आवाज को केंद्र और राज्य सरकार तक पहुँचाने और उन्हें इस सबसे राहत दिलाने को आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने समूचे उत्तर प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन आयोजित किये. प्रदर्शनों के उपरांत राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे गये. भाकपा राज्य सचिव ने दाबा किया कि इन प्रदर्शनों में पार्टी की अपेक्षा से अधिक लोग सडकों पर उतरे. इसका कारण है चुनाव अभियान के दौरान मोदी द्वारा दिया गया “अच्छे दिन लाने” का भरोसा समय से पूर्व ही टूट गया है और जनता अपने को ठगी हुई महसूस कर रही है. यही कारण है कि वह सडकों पर उतरने को बाध्य हुई है. दोपहर होते-होते भाकपा के राज्य मुख्यालय पर जिलों जिलों से जुझारू तरीके से किये गये धरने/प्रदर्शनों की रिपोर्ट आने लगी थी जो प्रेस नोट लिखे जाने तक जारी थी. राजधानी लखनऊ में भाकपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पार्टी के कैसरबाग मुख्यालय से कलक्ट्रेट तक जुलूस निकाला और वहां एक आमसभा की. प्रदर्शन का नेत्रत्व जिला सचिव मोहम्मद खालिक, सहसचिव ओ.पी.अवस्थी, परमानंद एवं महिला फेडरेशन की नेता आशा मिश्रा एवं कांती मिश्रा ने किया. सभा को संबोधित करते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी की सरकार पूरी तरह से पिछली केंद्र सरकार के नक़्शे कदम पर चल रही है. अभी इस सरकार को सत्ता संभाले लगभग डेढ़ माह ही हुआ है लेकिन इसने आम जनता के ऊपर इतना बोझ लाद दिया जितना कि डेढ़ साल में भी नहीं लादा जाना चाहिये. सरकार ने दो-दो बार डीजल व पैट्रोल के दाम बढ़ा दिये, रेल किराया और मालभाड़े में असहनीय बढ़ोत्तरी कर दी. सरकार की नीतियों के परिणामस्वरूप चीनी, प्याज, टमाटर तथा खाने-पीने की तमाम चीजों में उल्लेखनीय वृध्दि हुयी है. लगभग तमाम जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी जारी है. रेल बजट और आम बजट से गरीब और आम लोगों को तमाम तरह की राहत की उम्मीद थी लेकिन मोदी सरकार ने पूरी तरह निराश किया है. “अच्छे दिन आने वाले हैं” के नारे पर रीझ कर जनता ने मोदी को अपार बहुमत से सत्तासीन किया था लेकिन आज वही जनता महंगाई की मार से बेजार है. वह कहने लगी है-‘आखिर कब आयेंगे अच्छे दिन’ ? डा.गिरीश ने कहा कि प्रदेश की अखिलेश सरकार ने डीजल पैट्रोल सहित कई वस्तुओं पर टेक्स बढ़ा कर महंगाई बढ़ाने में योगदान किया है. आलू प्याज टमाटर आदि तमाम चीजों की जमाखोरी धड़ल्ले से जारी है और राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. राज्य अभूतपूर्व बिजली संकट से रूबरू है. अपराधों खासकर महिलाओं पर दुराचरण की जघन्य वारदातें थमने का नाम नहीं ले रहीं. प्रदेश में सांप्रदायिक शक्तियां अपना फन उठा रहीं हैं मगर राज्य सरकार उससे निपट पाने में असमर्थ है. उत्तर प्रदेश की जनता को तो दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि भाकपा जनता को इस तरह लुटते-पिटते नहीं देख सकती. उस समय जब सारी पार्टियाँ हार का मातम मना रहीं हैं और भाजपा जीत का जश्न मनाने में मशगूल है, उत्तर प्रदेश की भाकपा जनता के दर्द निवारण के लिये सडकों पर उतर कर आवाज उठा रही है. यह संघर्ष निरंतर जारी रहेगा. कानपुर के राम आसरे पार्क में भाकपा के प्रांतव्यापी आह्वान पर जिला सचिव का. ओमप्रकाश के नेत्रत्व में धरना दिया गया. वहां सम्पन्न सभा की अध्यक्षता राम प्रसाद कनोजिया ने की. सभा को संबोधित करते हुये भाकपा के राज्य सहसचिव अरविन्द राज स्वरूप ने कहा कि मोदी सरकार ने रेल बजट और आम बजट के द्वारा पूरी की पूरी अर्थ व्यवस्था देशी व विदेशी कार्पोरेट्स के हवाले कर दी है. रक्षा और बीमा जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश से राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा होगया है. रेलभाड़ा वृध्दि एवं सब्सिडी कटौती से महंगाई और बढ़ेगी और जनता को और अधिक कठिनाइयों से दो चार होना होगा. हमें आने वाले दिनों में कठिन संघर्षों के लिए भी तैयार रहना होगा. बलिया में पार्टी के जिला सचिव एवं राज्य कार्यकारिणी के सदस्य का. दीनानाथ सिंह के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर एक विशाल धरना दिया गया और आमसभा की गयी. सभा की अध्यक्षता विद्याधर पांडे ने की. महिलाओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही. राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में महंगाई के ऊपर कारगर अंकुश लगाने की मांग की गयी. मेरठ में राज्य कार्यकारिणी के सदस्य शरीफ अहमद एवं जिला सचिव राजबाला के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया गया. पूर्व सचिव कुंदनलाल के नेत्रत्व में एक दस सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से मिला और उन्हें महंगाई और अपराधों पर रोक लगाने हेतु ज्ञापन सौंपा. झाँसी में राज्य कार्यकारिणी सदस्य शिरोमणि राजपूत एवं जिला सचिव भगवानदास पहलवान के नेत्रत्व में जिलाधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया. प्रस्तुत ज्ञापन में महंगाई पर रोक लगाने और बुन्देलखण्ड को सूखा पीड़ित घोषित किये जाने की मांग भी की गयी. बदायूं में जिला सचिव रघुराज सिंह के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष धरना दिया गया. वहां सम्पन्न सभा को उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के राज्य सचिव फूलचंद यादव ने संबोधित किया. जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में महंगाई पर कारगर अंकुश लगाने और अपराधों को रोके जाने की मांग की गयी. गाज़ियाबाद में जिला सचिव जितेन्द्र शर्मा, बब्बन, शकील अहमद, शरदेन्दु शर्मा के नेत्रत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर व्यापक नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया गया. इसके बाद एक आमसभा की गयी जिसे अन्य के अतिरिक्त दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. सदाशिव ने भी संबोधित किया. ज्ञापन भी सौंपा गया. सोनभद्र में राबर्ट्सगंज जिला मुख्यालय पर बढ़ी संख्या में लोगों ने धरना/प्रदर्शन किया जिसका नेत्रत्व जिला सचिव रामरक्षा ने किया. सांसद प्रत्याशी अशोक कुमार कनोजिया की अध्यक्षता में सम्पन्न सभा को वसावन गुप्ता, आर. के. शर्मा, ऊदल, अमरनाथ सूर्य आदि ने संबोधित किया. महंगाई और अपराधों पर रोक लगाने संबंधी ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया. बुलंदशहर के स्याना में राज्य कार्यकारिणी सदस्य एवं जिला सचिव अजयसिंह के नेत्रत्व में गांधी मेमोरियल स्कूल से उपजिलाधिकारी कार्यालय तक लम्बा जुलूस निकाला गया जिसमें महिलायें भी बढ़ी तादाद में उपस्थित थीं. बाबा सागरसिंह के नेत्रत्व में एक सभा की गयी तथा एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. औरैय्या में जिला सचिव अतरसिंह कुशवाहा के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. वरिष्ठ नेता श्रीकृष्ण दोहरे की अध्यक्षता में सभा सम्पन्न हुयी तथा जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. ललितपुर में जिला सचिव बाबूलाल अहिरवार एवं किशनलाल के नेत्रत्व में कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन किया गया. प्रारंभ में उपजिलाधिकारी ने कार्यकर्ताओं को आन्दोलन न करने की धमकी दी लेकिन भाकपा नेताओं ने जबर्दस्त नारेबाजी के साथ प्रदर्शन शुरू कर दिया. बाद में उपजिलाधिकारी ने आकर ज्ञापन प्राप्त किया. हाथरस में राज्य काउन्सिल सदस्य बाबूसिंह थंबार, जिला सचिव होशियारसिंह एवं कार्यवाहक सचिव चरणसिंह बघेल की अगुआई में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर उन्हें ज्ञापन सौंपा गया. इलाहाबाद में वरिष्ठ नेता आर. के. जैन एवं राज्य काउन्सिल सदस्य नसीम अंसारी के नेत्रत्व में पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जिला कचेहरी में धरना दिया और आमसभा की. बाद में एक ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा गया. पीलीभीत में जिला सचिव चिरौंजीलाल के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर धरना दिया गया और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. जनपद कुशीनगर की कसया तहसील पर जिला सहसचिव का. मोहन गौर के नेत्रत्व में सैकड़ों किसान कामगारों ने प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी कसया को सौंपा गया. आजमगढ़ जिला कलेक्ट्रेट के बाहर सैकड़ों भाकपा कार्यकर्ताओं ने धरना दिया. रामसूरत यादव की अध्यक्षता एवं जिला सचिव हामिद अली के नेत्रत्व में सम्पन्न सभा को किसानसभा के प्रदेश अध्यक्ष इम्तियाज बेग, रामाज्ञा यादव, श्रीकांत सिंह, सांसद प्रत्याशी हरिप्रसाद सोनकर एवं जितेन्द्र हरि पांडे ने संबोधित किया. गोंडा जिला कलेक्ट्रेट परिसर में भी एक सफल धरने का आयोजन किया गया. वहां सम्पन्न सभा को सुरेश त्रिपाठी, सत्यनारायन तिवारी, दीनानाथ त्रिपाठी, सांसद प्रत्याशी ओमप्रकाश एवं जिला सचिव रघुनाथ गौतम ने संबोधित किया. जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. आगरा में सुभाष पार्क से विशाल जुलूस निकाला गया जो कलेक्ट्रेट पर पहुँच कर आमसभा में तब्दील होगया. सभा को रमेश मिश्रा, तेजसिंह वर्मा, हरविलास दीक्षित, ओमप्रकाश प्रधान एवं जिला सचिव ताराचंद ने संबोधित किया. मथुरा में रजिस्ट्री कार्यालय से प्रारंभ हुआ जुलूस जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच सभा में बदल गया जिसे गफ्फार अब्बास, बाबूलाल, पुरुषोत्तम शर्मा, अब्दुल रहमान आदि ने संबोधित किया. जनपद जालौन के उरई में मजदूर भवन से जिलाधिकारी कार्यालय तक एक प्रभावशाली जुलूस निकाला गया और आमसभा की गयी. सभा को वरिष्ठ नेता कैलाश पाठक, जिला सचिव सुधीर अवस्थी, डा. पाल, विजयपाल यादव एवं विनय पाठक ने संबोधित किया. ज्ञापन में अन्य मांगों के अतरिक्त बुन्देलखण्ड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग भी की गयी. मैनपुरी में जिला कलेक्ट्रेट परिसर में विशाल धरना दिया गया और आमसभा की गयी जिसे जिला सचिव रामधन के अतिरिक्त हाकिमसिंह यादव,राधेश्याम मिश्र, राधेश्याम यादव एवं विरेन्द्रसिंह चौहान आदि ने संवोधित किया. अन्य सभी जिलों में भी पहले से ही प्रदर्शनों की तैय्यारी की सूचना है, और वहां से धरनों प्रदर्शनों के समाचार लगातार मिल रहे हैं. डा.गिरीश

Sunday, July 13, 2014

महंगाई, जमाखोरी एवं अपराधों के खिलाफ भाकपा का जिला केन्द्रों पर प्रदर्शन - १४ जुलाई को.

लखनऊ- १३, जुलाई २०१४. आसमान लांघ रही महंगाई, जमाखोरी और रिकार्डतोड़ अपराधों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दिनांक- १४ जुलाई को प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर धरने- प्रदर्शन संगठित करेगी. आन्दोलन के उपरांत जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन दिये जायेंगे. उपर्युक्त के संबंध में यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि अपने लगभग डेढ़ माह के कार्यकाल में केंद्र सरकार ने अपने कारनामों से महंगाई को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है. राज्य सरकार भी बढ़े पैमाने पर चल रही जमाखोरी को रोक नहीं रही और उसने कई तरह के टैक्स बढ़ा कर महंगाई को बढ़ाने में मदद की है. प्रदेश में अपराध और महिलाओं से दुराचरण की वारदातें थमने का नाम नहीं लेरही हैं. भाकपा चाहती है कि महंगाई और अपराधों से जनता को राहत मिले. इसी उद्देश्य से भाकपा ने आन्दोलन करने का निश्चय किया है. डा. गिरीश

Thursday, July 10, 2014

यह आम आदमी का नहीं, खास आदमी का बजट है.

लखनऊ-१० जुलाई. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि अच्छे दिन आने वाले हैं के सपनों और चुनाव अभियान के दौरान मोदी द्वारा किये गये असंख्य लुभावने वायदों के चलते देशवासियों को इस बजट से भारी उम्मीदें थीं. सरकार के डेढ़ माह के कार्यकाल में बढ़ी महंगाई से निजात पाने की आशा भी इस बजट से की जा रही थी. ये सभी एक ही झटके में तार तार होगयीं. यह बजट कोई नयी दिशा नहीं देता. यह आकड़ों का मायाजाल और शब्दों का जंजाल है जिसमें आम और गरीब आदमी के हाथ निराशा ही हाथ लगी है. देश और विदेश के बड़े उद्योग घरानों को लाभ के अवसर जरूर खोलता है यह बजट. मोदी सरकार के पहले बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहा कि इस बजट ने कई चीजें भी साफ कर दीं हैं. पहली – मौजूदा सरकार पिछली सरकार की आर्थिक नीतियों को ही और मजबूती से आगे बढ़ाने वाली है. दूसरी - जिन नीतियों का विपक्ष में रह कर भाजपा विरोध करती थी आज सत्ता में आकर उन्हीं नीतियों को मुस्तैदी से लागू कर रही है. तीसरी – महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सवाल इसकी प्राथमिकता में नहीं हैं, और नहीं आम और गरीब आदमी. सरकार ने रक्षा जैसे राष्ट्ररक्षा के क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश को २६% से बढ़ा कर ४९% कर दिया. बीमा क्षेत्र में भी यह निवेश ४९% तक लेजाने का फैसला लेलिया. भाजपा और उसका स्वदेशी जागरण मंच इसके खिलाफ लगातार अभियान चलाया करते थे, यह सब फरेब साबित हुआ. निजीकरण को बढ़ावा देने को पीपीपी माडल को तरजीह देने का खुला ऐलान किया गया है और जनता के धन से मुनाफा कमाने वालों को मालामाल करने का रास्ता खोल दिया गया है. कुल मिला कर यह एफडीआई और पीपीपी का बजट है. इस बजट को लाकर सरकार ने साबित कर दिया कि वह पूंजीपतियों की, पूंजीपतियों के वास्ते उन्हीं के द्वारा लायी गयी सरकार है. आय कर में थोड़ी छूट देकर मध्यवर्ग को लुभाने की कोशिश की गयी है, लेकिन बढ़ती महंगाई और बढ़ती मुद्रास्फीति के चलते ये राहत बेअसर होजायेगी ये सभी जानते हैं. मन्दिर के पुजारी की तरह हर क्षेत्र को थोडा थोडा प्रसाद बांटा गया है जिससे बुनियादी विकास संभव नहीं है. भूमिहीनों को कर्ज और कृषि को कुछ आबंटन किये गये हैं लेकिन कठोर प्रशासकीय नियमों के चलते यह राहत शायद ही प्रभावी हो पाये. आइआइटी, आइआइएम, मेडिकल कालेज अथवा एम्स जैसे नये शैक्षिक प्रतिष्ठान खोलने की घोषणा स्वागत योग्य है लेकिन प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक की बुनियादी शिक्षा के हालात सुधारने के लिए बजट में कुछ भी नहीं है. सिगरेट तम्बाकू महंगे करने की बात तो समझ में आती है पर कपड़े महंगे करने की बात तो समझ से परे है. डा.गिरीश ने कहा कि सरदार पटेल का सभी सम्मान करते हैं और उनकी प्रतिमा निर्माण के लिये आबंटन पर कोई ऐतराज नहीं है. लेकिन सवाल यह उठता है कि मोदीजी के आह्वान पर सरदार पटेल की प्रतिमा के निर्माण के नाम पर देश भर से जो लोहा और धन इकट्ठा किया गया उसका हिसाब कौन देगा? क्या यह धन भी श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिये एकत्रित धन की तरह काल के गाल में समा गया. मालवीय जी की स्मृति में योजना चले इससे ऐतराज नहीं है, लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की उपेक्षा का औचित्य समझ से परे है. डा.गिरीश ने कहा कि इस सरकार के डेढ़ माह के कार्यकाल में महंगाई ने ऊंची छलांग लगाई है, और अब रही सही कमी रेल और आम बजट ने पूरी कर दी है. भाकपा केंद्र सरकार के जन विरोधी और देश विरोधी क्रियाकलापों के खिलाफ आगामी १४ जुलाई को पूरे प्रदेश में जिला केन्द्रों पर धरने प्रदर्शन आयोजित करेगी. डा.गिरीश.

Monday, July 7, 2014

कांठ का कांटा- सत्ता के लिये सांप्रदायिकता और अवसरवाद का घिनौना खेल

कांठ अब भी धधक रहा है. मंदिर पर माइक लगाना इतना भारी पड़ जायेगा, कांठवासियों ने शायद स्वप्न में भी न सोचा हो. लूट के लिये सत्ता और सत्ता के लिये वोट, फिर वोट के लिये विभाजन और विभाजन के लिये धर्म और जाति को औजार बनाना, यही खेल खेला जा रहा है आज उत्तर प्रदेश में. कांठ इस खेल का नया मोहरा है जो फूटवादी और लूटवादी ताकतों और सत्ता प्रतिष्ठान के लिये कमोवेश एक जैसे अवसर प्रदान करता है. कांठ के ग्राम अकबरपुर चैदरी के माजरा नया गांव के मन्दिर पर श्रध्दालुओं ने माइक लगाया हुआ था. इस बीच पुराने माइक को हठा कर नया माइक लगाया गया. हमारे धर्मपरायण देश में रोजाना न जाने कितने मन्दिर – मस्जिद बनाये जा रहे हैं और उन पर कब कानफोडू माइक टांग दिए जाते हैं, जान पाना बेहद कठिन है. लेकिन अकबरपुर चैदरी में मन्दिर पर टांगा गया माइक अति विशिष्ट माइक साबित हुआ तो इसमें बेचारे माइक का क्या दोष? बताया जारहा है कि इस मन्दिर पर महाशिवरात्रि एवं जन्माष्टमी के अवसर पर ही माइक चलाने की अनुमति है. फिर भोले भाले ग्रामवासियों को नया माइक लगाने का खयाल अचानक क्यों आया, पेंच यहीं से शुरू होता है. सूत्र बताते हैं कि पवित्र रमजान माह के शुरू होने से पहले मन्दिर पर माइक लगाने का फलितार्थ समझने वालों ने ही इसका ताना- बाना बुना. मुरादाबाद के वर्तमान सांसद और स्थानीय कार्यकर्ताओं के इर्द- गिर्द ही इस घटना का चक्र घूम रहा है. वे इस जनपद की ठाकुरद्वारा सीट से विधायक थे जो उनके सांसद बनने के बाद खाली हुई है. शीघ्र ही प्रदेश में खाली हुई दर्जन भर विधानसभा सीटों के साथ ही चुनाव होना है. भाजपा की नजर इन सीटों को किसी भी कीमत पर अपनी झोली में डालने पर गढ़ी है. ज्ञातव्य है कि ये सारी सीटें भाजपा विधायकों के सांसद बन जाने से रिक्त हुई हैं. अतएव भाजपा के लिए इन सभी को जीतना बेहद महत्त्वपूर्ण है. यह गांव पीस पार्टी के विधायक अनीसुर्रहमान का गांव है. सभी समुदायों में उनका सम्मान है. यह बात बहुतों को अखरती है. उस समाजवादी पार्टी को भी जिसे लोकसभा चुनावों में करारी पराजय का सामना करना पड़ा है. वह इस हार से हतप्रभ भी है. वह अपनी इस पराजय के लिये सपा से अल्पसंख्यक वोटों के छिटकने को भी एक कारण मानती है. सपा १२ विधानसभा सीटों के उपचुनावों को लेकर काफी गंभीर है. वह इन सीटों में से कुछ को भाजपा से झटक कर संदेश देना चाहती है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा का मुकाबला सपा ही कर सकती है. खबर है कि रमजान से पहले मन्दिर पर से माइक उतरवाने को जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया और स्थानीय सपाइयों ने माइक उतरवाने को प्रशासन पर दबाव बनाया. इसे अप्रत्याशित ही माना जायेगा कि स्थानीय प्रशासन ने २७ जून को नया गांव पहुँच कर मन्दिर का ताला तोड़ कर माइक उतार दिया. विरोध करने वाली भीड़ को पुलिस ने बुरी तरह धुना. महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया. कई स्त्री- पुरुष पुलिसिया कार्यवाही में जख्मी हुये. ये अधिकतर दलित समुदाय के थे. यहां सवाल उठता है कि माइक को उतरवाने के लिये पुलिसिया कार्यवाही ही क्या एकमात्र विकल्प थी? क्या इससे पहले कोई नागरिक पहल नहीं की जानी चाहिये थी? क्या स्थानीय विधायक और गांव के सभी समुदायों के लोगों को बैठा कर मामले को नहीं सुलझाया जा सकता था? लेकिन पुलिस- प्रशासन ने एक ही विकल्प चुना, पुलिसिया कार्यवाही का. और प्रशासन का यही कदम पुलिस और राज्य सरकार को शक के घेरे में ला खड़ा करता है. सब कुछ मुजफ्फरनगर कांड की तर्ज पर चल रहा था. माइक उतारने की घटना एक स्थानीय घटना थी और इस पर स्थानीय प्रतिरोध को नकारा नहीं जा सकता. लेकिन भाजपा तो जैसे मौके की तलाश में ही बैठी थी. गत लोकसभा चुनावों में हुये ध्रुवीकरण के चलते दलित मतों का एक भाग भाजपा की झोली में चला गया था अतएव भाजपा के लिये इस वर्ग को अपने साथ बनाये रखने की चुनौती भी है. फिर क्या था, भाजपा नेताओं के बयानों की झड़ी लग गयी. मुजफ्फरनगर के सांसद और अब केंद्र सरकार में राज्यमन्त्री एक दर्जन नेताओं के साथ कांठ को कूच कर गये जिन्हें स्थानीय प्रशासन ने रोक दिया. अगले दिन भाजपा और उसके आनुसंगिक संगठनों ने मुरादाबाद कलेक्ट्रेट में उग्र और अराजक प्रदर्शन किया. तनाव के चलते कांठ के बाजार अब तक बंद हैं. ४ जुलाई को भाजपा ने वहां महापंचायत का एलान किया और मुजफ्फरनगर दंगों के उसके सारे सिपहसालार कांठ की और कूच कर दिये. आसपास के जिलों की भीड़ भी एकत्रित की गयी. रोके जाने पर भीड़ ने कांठ स्टेशन पर धाबा बोल दिया. पुलिस और भाजपाइयों के बीच हुये इस तुमुल- युध्द में जिलाधिकारी गम्भीर रूप से घायल होगये और उनकी आंख की रोशनी चली जाने की खबर है. अन्य कई दर्जन नागरिक घायल हुये तथा करोड़ों करोड़ की सार्वजनिक सम्पत्तियां नष्ट होगयीं. घंटों रेल यातायात ठप रहा और यात्रियों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. छापामार युध्द की तरह पुलिस को बार बार चकमा देकर भाजपाई तोड़फोड़ की कारगुजारियों को अंजाम देते रहे. यह कोई नक्सली हमला नहीं था जिन पर कड़ी कार्यवाही करने की चेतावनी केन्द्रीय गृह मंत्री जारी कर चुके हैं. अपितु यह तो वोट के उन सौदागरों का निर्विघ्न तांडव था जो भारतीय संस्क्रती और सभ्यता की दुहाई देते नहीं थकते और सत्ता हथियाने के लिये कुछ भी कर गुजरने से नहीं चूकते. सौभाग्य अथवा दुर्भाग्य से वे आज केंद्र में सत्तासीन हैं. करेला नीम चढ़ गया है. लोकसभा चुनावों में अप्रत्याशित जीत ने भाजपा की सत्ता की भूख को बढ़ा दिया है. वह अब उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ होने के सपने देख रही है. उसे भलीभांति पता है कि चुनाव अभियान के दौरान उछाला गया ‘अच्छे दिन आने वाले हैं ‘ का लुभावना नारा छलावा साबित होने जारहा है और मोदी लहर का जल्दी ही कचूमर निकलने वाला है. अतएव वह उत्तर प्रदेश में जल्दी से जल्दी विधान सभा चुनाव कराने को उद्यत है ताकि मोदी लहर पर सवार होकर सत्ता पर काबिज होसके. अतएव वह प्रदेश सरकार को किसी भी तरह गिराने को हाथ पांव मार रही है. इसके लिये वह हर उस स्थानीय घटना जिसमें दो अलग अलग समुदाय लिप्त हों को सांप्रदायिक रूप देने में जुट जाती है. लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद से प्रदेश में हर रोज एक न एक ऐसी वारदात हो रही है जिसको आसानी से सांप्रदायिक रूप दे दिया जाता है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश इन घटनाओं का सघन केंद्र बना हुआ है. भाजपा का कोई न कोई मोर्चा हर दिन विरोध प्रदर्शन के नाम पर अराजकता पैदा करता दिखाई दे रहा है और उनका प्रांतीय नेत्रत्व सरकार को बर्खास्त करने की मांग उठाता रहता है. उसके केन्द्रीय नेत्रत्व का उसे सम्पूर्ण समर्थन हासिल है. विधान सभा की १२ सीटों और मैनपुरी की लोक सभा सीट के उपचुनाव में वह सौफीसद कामयाबी को उत्सुक है. इन सीटों में आधा दर्जन सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही हैं, इससे भाजपा की व्यग्रता को आसानी से समझा जा सकता है. समाजवादी पार्टी ने भी लोकसभा चुनावों में अपनी करारी हार और सांप्रदायिक विभाजन का लाभ उठाने की अपनी नीति की विफलता से लगता है कोई सबक नहीं लिया है. वह न तो प्रदेश की कानून व्यवस्था को पटरी पर ला पारही न सांप्रदायिक वारदातों को रोक पारही है. वह दुविधा की स्थिति में भी जान पड़ती है. सपा नेत्रत्व का एक हिस्सा भाजपा के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग कर रहा है तो शीर्ष नेत्रत्व कह रहा है कि मुरादाबाद में कुछ हुआ ही नहीं. राजनीति, शासन और प्रशासन की इस विकलांगता का भरपूर लाभ भाजपा उठाने में जुटी है. जनता की आंखो में धूल झोंकने के लिये भाजपा ने अपने विधायकों की जांच कमेटी गठित की है जो कांठ के भाजपा प्रायोजित उपद्रव की जांच करेगी. एक ‘साधु परिषद’ नामक संगठन द्वारा शिवरात्रि के दिन अकबरपुर चैदरी गांव के शिव मन्दिर पर जलाभिषेक करने की घोषणा की गई है. इसे भाजपा की विभाजन की राजनीति को बरकरार रखने की मंशा के विस्तार के रूप में देखा जा रहा है. देश के किसी भी भाग में हिंसा और टकराव हो केंद्र से एक सदाशयता की उम्मीद की जाती है लेकिन केंद्र में हाल में ही सत्तारूढ़ हुई शक्तियां अपने संवैधानिक दायित्वों से ज्यादा अपने राजनैतिक हितों को अधिक तरजीह देती नजर आरही हैं. कांठ को सांप्रदायिक हिंसा की नयी प्रयोगशाला बनाने वाले इसका कितना लाभ उठा पाएंगे यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन अकबरपुर चैदरी गांव और कांठ क्षेत्र की जनता तो इसके कुफल भोगने को मजबूर है. असुरक्षा वोध के चलते वह पलायन कर चुकी है, तमाम लोग रोटी रोजी को मुंहताज हैं और कईयों को इलाज नहीं मिल पारहा. ऐसे में वोट के लिये मानवता को शर्मसार करने वाली कारगुजारियों में संलिप्त ताकतों को बेनकाब किया जाना चाहिये. डा. गिरीश

Sunday, June 29, 2014

महंगाई और कानून व्यवस्था के सवाल पर भाकपा ने आन्दोलन का बिगुल फूंका.

महंगाई पर कारगर अंकुश लगाने और प्रदेश की कानून-व्यवस्था दुरुस्त किये जाने की मांगों को लेकर १४ जुलाई को राज्य भर में प्रदर्शन करेगी भाकपा लखनऊ- २९ जून- २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउन्सिल की दो दिवसीय बैठक आज यहाँ संपन्न हुयी. आज की बैठक की अध्यक्षता का. सुरेन्द्र राम ने की. बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा महंगाई बढ़ाने वाले कई कदम उठाये हैं जिससे खुदरा और थोक बाज़ार में चीजों के दामों में उछाल दर्ज किया गया है. खरीफ फसलों के खरीद मूल्य भी लागत की तुलना में काफी कम बढ़ाये गये हैं जिससे किसान ठगा महसूस कर रहे हैं. आम जनता अभी से ठगा महसूस करने लगी है. राज्य सरकार भी महंगाई की इस मार को और तेज कर रही है. उसने जनहित की लैपटाप, कन्या विद्याधन एवं बेरोजगारी भत्ता जैसी योजनाओं को भी इस लिए समाप्त कर दिया क्योंकि लोकसभा चुनाव में जनता ने उन्हें करारा झटका दे दिया. महिलाओं से दुराचरण की घटनाओं को रोकने में और कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने में यह सरकार विफल रही है. गन्ना बकायों का भुगतान तो हो नहीं पाया, सूखे की इस स्थिति में बिजली संकट और नहरों में पानी न आने से खरीफ की फसलों पर असर पड़ रहा है. अतएव भाकपा राज्य काउन्सिल ने केंद्र और राज्य सरकार के इन गरीब और किसान विरोधी कदमों के खिलाफ १४ जुलाई को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरने और प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया है. डॉ. गिरीश ने बताया कि प्रदेश में विधान सभा एवं लोक सभा के होने वाले उपचुनावों में भी भाकपा ने प्रत्याशी खड़े करने का निर्णय लिया है.

Saturday, June 28, 2014

महंगाई को केन्द्र एवं राज्य सरकारें दे रहीं हैं बढ़ावा

लखनऊ 28 जून। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कौंसिल की दो दिवसीय बैठक आज यहां भाकपा के राज्य कार्यालय पर अतुल कुमार सिंह की अध्यक्षता में शुरू हो गयी है।
बैठक में राज्य सचिव डा. गिरीश ने राजनैतिक एवं संगठनात्मक रिपोर्ट पेश की जिस पर चर्चा चल रही है। बैठक का यह मानना है कि मोदी सरकार ने जिस प्रकार यात्री भाड़े और रेल भाड़े के साथ-साथ डीजल के दामों में बढ़ोतरी एवं चीनी के आयात शुल्क में वृद्धि जैसे महंगाई बढ़ाने वाले फैसले लिये हैं, उससे आसमान छूती महंगाई से जनता को निकट भविष्य में किसी भी प्रकार की राहत मिलना सम्भव नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करते समय भी फसलों की आ रही लागत को विचार में नहीं लिया गया और किसान विरोधी फैसला किया गया है।
सोने का आयात खोल देने से सोने के भावों में आई गिरावट में बड़े पूंजीपतियों ने अपने काले धन का निवेश सोने में कर देने के कारण सोने के भाव फिर बढ़ गये। वैसे भी सोने की खरीद-फरोख्त जनता के बड़े तबके द्वारा नहीं की जाती है।
मोदी सरकार बनने की प्रत्याशा में सरकार बनने के पूर्व से ही कुलांचे मार रहा शेयर बाजार अब लड़खड़ाने लगा है और विदेशी मुद्रा बाजार में रूपये की वैल्यू लगातार गिर रही है जिसके कारण तमाम जिन्सों के दामों में बढ़ोतरी के आसार पैदा हो रहे हैं। अपने निर्णयों से मोदी सरकार ने यह संकेत दे दिया है कि वह महंगाई फैलाने वाले और बेरोजगारी बढ़ाने वाली कांग्रेस की नई आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ायेगी। मोदी सरकार ने पहले ही कड़े फैसलों का संकेत दे दिया है और निश्चित रूप से यह कड़े फैसले आम जनता के ही खिलाफ लिये जायेंगे न कि मुनाफाखोरों और बड़े घरानों के खिलाफ।
राज्य सरकार के कार्यों की समीक्षा करते हुए बैठक में सामान्य राय यह है कि लोक सभा चुनावों के परिणामों से सपा ने कोई सबक नहीं लिया है और पूरी तरह एक जन विरोधी बजट पेश किया गया है। नये बजट में सरकार ने लैपटाप, कन्या विद्या धन तथा बेरोजगारी भत्ता जैसी कई योजनाओं को खत्म कर दिया। सवाल उठता है कि क्या उन लोगों को अब उसकी जरूरत नहीं है? या फिर इस सबका उद्देश्य केवल वोट हासिल करना था। और जब जनता ने वोट नहीं दिया तो एक झटके में उससे सभी कुछ छीन लिया गया।
कानून-व्यवस्था के मामले में भी सरकार नकारा साबित हुई है। प्रदेश में प्रति दिन लगभग एक दर्जन बालिकाओं के साथ बलात्कार, बलात्कार के बाद हत्या या हत्या के प्रयास की खबरें आ रही हैं। अब तो पुलिस अधिकारियों और कर्मियों पर दुराचार के आरोप लग रहे हैं। सरकार केवल नौकरशाहों को उद्देश्यहीन तरीके से थोक में लगातार इधर से उधर कर रही है और कानून-व्यवस्था को सुधारने के कोई प्रयास नहीं कर रही है।
वर्षा के बारे में मौसम विभाग के स्पष्ट संकेतों के बावजूद सूखे से निपटने के मोर्चे पर सरकार ने अभी सोचना भी शुरू नहीं किया है। बिजली में बेतहाशा कटौती के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक कृषि कार्य शुरू नहीं हो सका है। सरकार बिजली की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी कर महंगाई को आगे बढ़ाने का ही काम कर रही है।
बैठक अभी चल रही है और कल तक चलेगी। कई सांगठनिक एवं कार्यक्रम सम्बंधी फैसले लिये जा सकते हैं।


कार्यालय सचिव

Wednesday, June 25, 2014

मोदी सरकार का एक माह - कार्पोरेट्स मालामाल जनता बदहाल.

किसी भी सरकार के मूल्यांकन के लिये एक माह का कार्यकाल पर्याप्त नहीं कहा जा सकता. लेकिन केंद्र सरकार ने एक माह में जिस तरह ताबड़तोड़ फैसले लिये हैं और आम जनता में इसकी जैसी तीखी प्रतिक्रिया हुई है उसके चलते बरबस ही सरकार के कामकाज पर चर्चा शुरू होगयी है. शुरुआत चुनाव नतीजे आते ही होगयी थी. भारतीय जनता पार्टी को इस बार पर्याप्त बहुमत हासिल हुआ है अतएव उसे सरकार गठन के लिए कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं करनी थी. फिर भी उसने परिणामों के ठीक दस दिन बाद- २६ मई को भव्य शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया. लोकतंत्र में राजतंत्र जैसा शपथग्रहण आजादी के बाद पहली बार देखने को मिला. सभी पड़ोसी क्षत्रपों को शपथग्रहण समारोह का आमंत्रण दिया गया था. अम्बानी, अदानी जैसे धनपति और कई फिल्म सेलिब्रिटी समारोह के खास मेहमान थे. तो फिर व्यवस्था भी भव्य की ही जानी थी. लेकिन पूरे दस दिनों तक इतने बड़े देश में कोई जबाबदेह सरकार नहीं थी. इसकी जिम्मेदारी तो फिर भाजपा की ही बनती है. इसका पहला खामियाजा गोरखधाम एक्सप्रेस के उन निर्दोष रेल यात्रियों को भुगतना पड़ा जो शपथग्रहण के दिन ही दुर्घटनाग्रस्त होगयी और लगभग दो दर्जन लोग काल कवलित होगये. इधर मृतकों और घायलों के परिवारीजनों का करुण क्रंदन जारी था और उधर राजतिलक का लकदक आयोजन चल रहा था. कहाबत है रोम जब जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था. ऐसा यदि किसी अन्य दल ने किया होता तो भाजपा ने जरूर आसमान सिर पर उठा लिया होता. लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद भी श्री मोदी ने समारोह को सादगी से आयोजित करने की सदाशयता नहीं दिखाई. सरकार के आगाज के साथ ही सेंसेक्स ने जो छलांग लगाई, शेयर बाज़ार के बड़े खिलाड़ी मालामाल होगये. सोने का आयात खोल दिया गया और परिणामतः सोने के दाम काफी नीचे आगये. आम लोगों को भ्रम हुआ कि उनके अच्छे दिन आगये और अब वे भी सस्ते सोने के आभूषण पहन सकेंगे. लेकिन उनका यह सपना पलक झपकते ही धूल धूसरित होगया और सोने की कीमतें फिर से चढ़ने लगीं. लेकिन इस बीच काले धन वालों ने जम कर सोना खरीदा और अब उसे वह ऊंची कीमतों पर बेचेंगे. उनके तो अच्छे दिन आही गये. विपक्ष खासकर वामपंथी विपक्ष लगातार कहता रहा है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों की पोषक हैं अतएव महंगाई भ्रष्टाचार एवं बेरोजगारी जैसे सवालों पर जनता को भाजपा से ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिये. यह तब स्पष्ट होगया जब केंद्र सरकार ने अपने जश्नकाल में ही डीजल की कीमतें बड़ा कर महंगाई बढ़ने देने का रास्ता खोल दिया और मई माह में थोक और खुदरा बाज़ार में महंगाई ने बढ़त जारी रखी. अब रेल किराये में १४.२प्रतिशत और मालभाड़े में ६.४प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर महंगाई को छलांग लगाने का रास्ता हमबार कर दिया. रही सही कमी चीनी पर आयात शुल्क में १५ के स्थान पर ४०प्रतिशत की वृध्दि ने कर दी. निर्यात पर प्रति टन रु. ३३०० की दर से दी जाने वाली सब्सिडी को सितंबर तक बढ़ा दिया गया. पेट्रौल में दस प्रतिशत एथनाल मिलाने की छूट दे दी. परिणामस्वरूप बाज़ार में एक ही झटके में चीनी के दामों में एक रु. प्रति किलो की बढोत्तरी होगयी जो चंद दिनों में रु.३.०० प्रति किलो तक जा सकती है. एक तरफ उपभोक्ताओं पर भीषण कहर वरपा किया गया वहीं चीनी उद्योग समूह को रु.४४०० करोड़ का व्याजमुक्त अतिरिक्त ऋण देने का निर्णय भी ले डाला. पूर्ववर्ती केंद्र सरकार पहले ही इस मद में रु.६६०० करोड़ दे चुकी है. यह सब किसानों के मिलों पर बकाये के भुगतान के नाम पर किया जारहा है. नीति वही पुरानी है केवल अमल करने वाले बदल गये हैं. आज भी यह सब कुछ विकास के नाम पर किया जारहा है. दिन दो दिन में गैस और केरोसिन के दाम बढ़ाये जाने हैं जो चौतरफा महंगाई वृध्दि का रास्ता खोलेंगे. प्याज के दामों में वृध्दि जारी है और वह रुलाने के स्तर तक पहुँच कर ठहरेगी. आम बजट और रेल बजट की तस्वीर भी कुछ कुछ दिखाई देने लगी है. जनविरोधी इन नीतियों को आसानी से लोगों के गले उतारने की फिराक में विभाजनकारी एजेंडे को पहले ही दिन से चालू कर दिया गया. अनुच्छेद ३७० और कामन सिविलकोड पर अलग अलग प्रवक्ता पैरवी करते दिखे. राम मन्दिर का निर्माण अभी ठन्डे बस्ते में है लेकिन बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं के दोहन के लिये गंगा की शुध्दि को साइन बोर्ड के तौर पर स्तेमाल किया जारहा है. गंगा की शुध्दि के लिये कड़े नैतिक कदम उठाने की जरूरत है पर एनडीए सरकार मुद्दे को सिर्फ गरमाए रखना चाहती है. सोशल मीडिया पर हिंदी के प्रयोग को बलात लादने के गृह मन्त्रालय के फैसले को भी इसी श्रेणी में रखा जारहा है. इराक युध्द को लेकर भी केंद्र सरकार अँधेरे में हाथ पैर मार रही है और वहां फंसे भारतीय कार्मिकों की सुरक्षित वापसी के लिये कुछ भी नहीं कर पायी है. यहाँ बहुत याद करने पर भी एक माह में सरकार का एक भी काम याद नहीं आपारहा जिसे आम जनता के लिये अच्छे दिनों की शुरूआत माना जासके. जनता का दोहन करने वालों के लिये अच्छे दिनों की शुरुआत अवश्य होगयी. मोदी ने जब कुछ कठोर कदम उठाने की बात की थी तो सभी ने अलग अलग अलग मायने निकाले थे. कुछ ने माना था कि बेतहाशा दौलत वालों को कटघरे में लाया जायेगा. काले धनवालों की एक सूची भी सरकार के पास है. लगा कि उन पर कार्यवाही होगी. बैंकों के बड़े बकायेदारों से बसूली का मामला भी सरकार के सामने है. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि छप्पन इंच के सीने वाला प्रधानमन्त्री अवश्य ही कुछ करेगा. लेकिन पहला माह कारपोरेटों को लाभ पहुँचाने और आमजनों की कठिनाइयाँ बढ़ाने वाला ही दिखा. निश्चय ही जनता आने वाले माहों में अच्छे दिनों के आने की उम्मीद लगाये बैठी है. डा. गिरीश.

Tuesday, June 24, 2014

दलितों महिलाओं पर अत्याचार रोको या फिर गद्दी छोडो- भाकपा उत्तर प्रदेश ने माँगा अखिलेश सरकार से स्तीफा.

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़े करते हुए कहाकि अभी तक यह सरकार महिलाओं और बच्चियों से दरिंदगी और उनकी निर्मम हत्यायों को रोक पाने में तो पूरी तरह विफल रही अब इसके शासनकाल में दलितों पर सामन्ती और पुलिसिया दमन सारी सीमायें पार कर गये हैं. कल ही बाराबंकी के सतरिख थाने में गत माह हुई हत्या के सिलसिले में एक दलित श्री राम सुरेश और उसकी पत्नी कौशल्या को लाया गया और राम सुरेश को इस हद तक पीटा गया कि उसकी मौत होगयी. इतना ही नहीं उसकी लाश को बिना घरवालों को बताये मोर्चरी में लाकर रख दिया गया. इसी तरह हाथरस जनपद के सिकंदरा राऊ थानान्तर्गत एक गाँव में दबंगों ने एक दलित युवक को बेरहमी से पीटा और परिजनों के तमाम आग्रह के बाद भी घटना की रिपोर्ट नहीं लिखी गयी. हौसलाबुलंद सामंतों ने दलित के घर में आग लगा कर उसे जला कर ख़ाक कर दिया. अब बसपा- भाजपा , सपा जैसी पार्टियाँ मामले पर राजनैतिक रोटियां सेंक रही हैं. भाकपा ने अखिलेश सरकार से मांग की कि या तो वह इन जघन्य अपराधों को रोके या विदाई ले. डा. गिरीश

Monday, June 16, 2014

उत्तर प्रदेश की बदतर कानून व्यवस्था पर भाकपा ने जताई चिंता

लखनऊ- १६ जून २०१४- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने दिन- दिन बद से बदतर होती जा रही उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गहरी चिंता व्यक्त की है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहा कि अब तक महिलाएं, बच्चियां, आम आदमी और अपराधियों से नेता बने लोग ही बिगडी कानून व्यवस्था के शिकार हो रहे थे लेकिन अब तो पुलिस भी अपराधियों के निशाने पर है. गत रात फिरोजाबाद में बदमाशों ने दो सिपाहियों की हत्या कर दी और आज हत्या के विरोध में सड़कों पर उतरे आक्रोशित लोगों ने न केवल बड़े पैमाने पर तोड़- फोड़ की अपितु पथराब में एक बड़े पुलिस अधिकारी भी घायल हुए हैं. बलात्कार, बलात्कारों के बाद हत्या और उसके बाद महिलाओं को फांसी पर लटकाने की घटनायें थमने का नाम नहीं लेरही हैं. भाकपा इस बात पर गहरी चिंता जाहिर करती है की राज्य सरकार कानून- व्यवस्था पटरी पर लाने में पूरी तरह असफल है और निहित स्वार्थी राजनैतिक तत्वों ने इन हालातों पर घ्रणित राजनीति शुरू कर दी है. कुछ पार्टियाँ और संगठन इन घटनाओं की आड़ में सांप्रदायिक और जातीय खेल खेलने में जुट गये हैं. ठीक उसी तर्ज़ पर जैसाकि गत वर्ष मुज़फ्फरनगर में किया गया. सभी को इसे गंभीरता से लेना चाहिये. भाकपा राज्य सरकार से मांग करती है कि बिना विलम्ब किये कानून व्यवस्था को काबू में लाये और इसकी आड़ में राजनैतिक रोटियां सैंकने वाले तत्वों का पर्दाफाश करे. डा. गिरीश

Saturday, June 14, 2014

रेलों के ठहराव रद्द करने का प्रस्ताव जनविरोधी: भाकपा ने की प्रस्ताव को वापस लेने की मांग

लखनऊ- १४ जून २०१४, उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्टेशनों से चलने वाली और गुजरने वाली लगभग दो दर्जन ट्रेनों के कई ठहरावों के रद्द किये जाने के प्रस्ताव पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भाकपा ने इस प्रस्ताव को तत्काल रद्द करने की मांग की है. रेल मंत्री को लिखे गये पत्र में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि जिन ट्रेनों के विभिन्न स्टेशनों पर ठहरावों को रद्द करने की घोषणा रेलवे ने की है, वे जनता की मांग पर उनकी सुविधा के लिए निश्चित किये गये थे. अब जनता से इस सुविधा को छीनने की कोशिश की जारही है. इससे आमजनता को बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा और सरकार को भी जनता के विरोध का सामना करना पड़ेगा. इसलिए बेहतर यही होगा कि जनता से इस सुविधा को छीना न जाये. डा. गिरीश ने कहा कि यद्यपि इस प्रस्ताव को ३० सितंबर तक के लिये स्थगित कर दिया गया है लेकिन भाकपा जनहित में ऐसे जनविरोधी प्रस्ताव को पूरी तरह रद्द करने की मांग करती है. डा. गिरीश

Thursday, June 12, 2014

महिलाओं की रक्षा और कानून के राज के लिये भाकपा ने किया प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

अत्याचार रोके न गये तो आन्दोलन को और तेज किया जायेगा - भाकपा
लखनऊ 12 जून। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ दरिंदगी और अत्याचारों की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। कानून व्यवस्था भी दिन-प्रति-दिन बद से बदतर होती जा रही है। शहर हो या गांव महिलाओं का तो सड़कों पर निकलना और सुरक्षित लौट के घर आना बेहद मुश्किल हो गया है। घर में भी वे हिंसा की शिकार हो रही हैं। इस स्थिति को लम्बे समय तक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। महिलाओं और संवेदनशील समाज की इस पीड़ा को आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मजबूत आवाज प्रदान की। “महिलाओं की रक्षा करो, कानून का राज कायम करो” नारे के तहत भाकपा की तमाम जिला इकाइयों ने आज जिला केन्द्रों पर जुझारू तेवरों के साथ धरने-प्रदर्शंन आयोजित किये और महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे।
बदायूं के कटरा सआदत गंज में सामूहिक बलात्कार के बाद दो किशोरियों को फांसी पर लटकाने और हर दिन लगभग दर्जन भर महिलाओं के साथ दुराचार और अनेक जगह उनकी हत्यायों को गंभीरता से लेते हुये भाकपा ने अपनी समस्त जिला इकाइयों का आह्वान किया था कि वे आज के दिन इस ज्वलंत समस्या को लेकर जिला केन्द्रों पर व्यापक तैयारी के साथ धरने प्रदर्शन आयोजित करें और प्रदर्शनों में महिलाओं की अच्छी भागीदारी सुनिश्चित करें। आन्दोलन को कामयाब बनाने के लिए भाकपा के राज्य नेतृत्व ने प्रदेश के विभिन्न भागों के दौरे किये और भाकपा का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल राज्य सचिव के नेतृत्व में कटरा सआदतगंज भी गया था।
आज सुबह 11 बजे से ही एक के बाद एक जिले से सफल प्रदर्शनों की रिपोर्ट भाकपा के राज्य मुख्यालय को प्राप्त होने लगी थीं। बदायूं, जहां की घटना ने सारी दुनियां का ध्यान आकर्षित किया था, जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष एक विशाल धरना दिया गया जिसका नेतृत्व महिला फेडरेशन की नेता प्रो. निशा राठौर एवं भाकपा के जिला सचिव रघुराज सिंह ने किया। राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। बदायूं के मंडलीय मुख्यालय बरेली में भी भाकपा एवं महिला फेडरेशन ने एक संयुक्त धरना कलेक्ट्रेट के समक्ष तिकोनियां पार्क में दिया और व्यापक नारेबाजी की। बाद में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया जोकि राज्यपाल को संबोधित था। प्रदर्शन का नेतृत्व भाकपा जिला सचिव राजेश तिवारी, ट्रेड यूनियन नेता तारकेश्वर चतुर्वेदी, युवा नेता मसर्रत वारसी तथा महिला फेडेरेशन की नेता सबीना बेगम ने किया। इसी मंडल के जनपद शाहजहांपुर में भी जिला कलेक्ट्रेट पर भारी नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया गया और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। नेतृत्व जिला सचिव मोहम्मद सलीम, रामशंकर नेताजी, सुरेश नेताजी, जुगेन्द्र कौर एवं पद्मावती ने किया।
संतकबीर नगर में जिला कलेक्ट्रेट पर हुए प्रदर्शन में पुरुषों के अतिरिक्त लगभग दो सौ से अधिक महिलाओं ने भारी नारेबाजी के बीच ज्ञापन दिया। नेतृत्व भाकपा जिला सचिव श्रीमती हरजीत कौर, महिला फेडरेशन की नेता श्रीमती सुनीता मोदनवाल तथा शिव कुमार गुप्ता ने किया। देवरिया में भी जिला सचिव चक्रपाणी तिवारी एवं आनंद चौरसिया के नेतृत्व में धरना आयोजित किया गया। लखनऊ में महिला फेडरेशन की नेत्री श्रीमती आशा मिश्रा, श्रीमती बबिता एवं भाकपा जिला सचिव मोहम्मद खालिक के नेतृत्व में पार्टी के जिला कार्यालय कैसरबाग से जिलाधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाला तथा कलेक्ट्रेट पर सभा के उपरान्त उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
प्रदेश के पश्चिमी भाग गाज़ियाबाद में पार्टी के जिला सचिव जितेन्द्र शर्मा के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर बड़ा धरना लगाया गया जिसमें महिलाओं की भागीदारी शानदार रही। भारी नारेबाजी के बाद जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। अलीगढ में भी भाकपा एवं महिला फेडरेशन के कार्यकर्ता निषेधाज्ञा तोड़ कर जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में घुस गये और जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष भीषण नारेबाजी की और ज्ञापन सौंपा। नेतृत्व जिला सचिव प्रो. सुहेव शेरवानी, रामबाबू गुप्ता एवं इक़बाल मंद ने किया।
फैजाबाद में तहसील के बाहर तिकौनियां पार्क में हुए धरने का नेतृत्व जिला सचिव रामतीर्थ पाठक, रामजी यादव, परमा देवी तथा रीता देवी ने किया। जनपद मऊ में जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष धरना दिया गया जिसका नेतृत्व पूर्व विधायक इम्तियाज़ अहमद एवं विनोद राय ने किया। इसके बाद जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। सुल्तानपुर में शारदा पाण्डेय के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। इसी तरह ललितपुर में बाबूलाल अहिरवार, जिला सचिव के नेतृत्व में ज्ञापन दिया गया। हाथरस में पार्टी के कार्यवाहक सचिव चरण सिंह बघेल, नगर सचिव जगदीश आर्य एवं आर. डी. आर्य के नेतृत्व में ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। कानपुर महानगर में राज्य सहसचिव अरविन्द राज स्वरूप, जिला सचिव ओमप्रकाश आनंद तथा महिला फेडरेशन की नेता श्रीमती उमा गुप्ता के नेतृत्व में राम आसरे पार्क में धरना दिया गया और सभा की गयी। सिटी मजिस्ट्रेट ने वहां पहुँच कर ज्ञापन प्राप्त किया।
अन्य जिलों में भी धरने प्रदर्शनों के आयोजन की रिपोर्ट राज्य कार्यालय को लगातार प्राप्त हो रही है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापनों में प्रदेश में महिलाओं के ऊपर चलाये जा रहे दमन चक्र की कड़े शब्दों में निंदा की गयी है और जर्जर बन चुकी कानून व्यवस्था की हालत पर तीखा आक्रोश प्रकट किया गया है। भाकपा राज्य सचिव मंडल ने महामहिम राज्यपाल से मांग की है कि वे महिलाओं की सुरक्षा और कानून के शासन के लिये अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार को कड़े निर्देश जारी करें। भाकपा राज्य सचिव मंडल ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि उसने इस दिशा में सही कदम शीघ्र न उठाये तो भाकपा और व्यापक आन्दोलन करेगी और इसकी रुपरेखा 28-29 जून को होने जा रही राज्य काउन्सिल की बैठक में तैयार की जायेगी। डा. गिरीश ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को बधाई दी कि उन्होंने इस भीषण गर्मीं में जनहित के सवालों पर सडकों पर उतर कर आवाज बुलंद की।

कार्यालय सचिव

Tuesday, June 10, 2014

”महिलाओं की रक्षा करो, कानून का राज कायम करो“ नारे के तहत भाकपा समस्त उत्तर प्रदेश में करेगी धरना-प्रदर्शन

लखनऊ  11 जून। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने इस बात पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है कि प्रदेश सरकार के लाख दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश में महिलाओं एवं बालिकाओं के साथ दरिन्दगी और उनकी हत्याओं की वारदातों में कोई कमी नहीं आई है।
शासक दल के नेताओं और सर्वोच्च पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस सम्बंध में दिये जा रहे गैरजिम्मेदाराना बयान अपराधी तत्वों की हौसला अफजाई करते हैं। वहीं शासक दल एवं उसकी पिट्ठू पुलिस द्वारा अपराधियों को दिया जा रहा संरक्षण अपराधों को बढ़ा रहा है और पीड़ितों को न्याय से वंचित रख रहा है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए कसाईखाना जैसा बन गया है, जहां प्रतिदिन औसतन एक दर्जन दरिन्दगी की वारदातें अंजाम दी जा रही हैं। हत्या एवं दूसरे अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है।
अतएव भाकपा कल दिनांक 12 जून 2014 को ”महिलाओं की रक्षा करो! कानून का राज कायम करो!!“ नारे के तहत प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर धरने/प्रदर्शनों का आयोजन करेगी और महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे जायेंगे।

Thursday, June 5, 2014

एआईएसएफ की मांग - ”टैबलेट दो, लैपटॉप दो - वरना गद्दी छोड़ दो“

लखनऊ 5 जून। आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने आज अपनी राज्य स्तरीय कार्यकर्ता बैठक में 12 अगस्त को अपने स्थापना दिवस पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विचार गोष्ठियां आयोजित करने का फैसला लिया। विचार गोष्ठियों का नारा होगा - ”टैबलेट दो, लैपटॉप दो - वरना गद्दी छोड़ दो“ तथा ”शिक्षा का बाजारीकरण बन्द करो“।
फेडरेशन ने जून माह में पूरी तैयारी कर पूरे प्रदेश में जुलाई एवं अगस्त माह में सघन सदस्यता अभियान चलाने, सितम्बर में जिला सम्मेलन आयोजित करने तथा अक्टूबर माह में राज्य सम्मेलन आयोजित करने का फैसला भी लिया।
फेडरेशन ने ”सामाजिक परिवर्तन के लिए शिक्षा में सुधार“ विषय पर एक राज्य स्तरीय गोष्ठी लखनऊ में आयोजित करने का भी फैसला लिया है जिसमें शिक्षा शास्त्रियों तथा समाज शास्त्रियों को आमंत्रित किया जायेगा। फेडरेशन ने सोशल मीडिया पर भी अपनी गतिविधियां तेज करने का फैसला लिया है।
फेडरेशन की कार्यकर्ता बैठक ने सांगठनिक कारणों से राज्य कमेटी को भंग कर दिया तथा एक तदर्थ समिति का गठन किया जो अगले राज्य सम्मेलन तक राज्य कार्यालय का कार्य देखेगी। ओंकार नाथ पाण्डेय को तदर्थ समिति का संयोजक तथा अमरेश चौधरी को सह संयोजक बनाया गया है। तदर्थ समिति के अन्य सदस्य हैं - रजनीश मिश्रा, तिलक राम मांझी, हरी मोहन त्रिपाठी, कु. शिवानी मौर्या तथा उत्कर्ष त्रिपाठी।

Wednesday, June 4, 2014

महिलाओं से बदसलूकी का मुद्दा सड़कों पर उठेगा . भाकपा ने बदायूं का दौरा किया. पुलिस और सपा समर्थकों को ठहराया जिम्मेदार.

लखनऊ- ४ जून २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं उसके सहयोगी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बदायूं जनपद के कटरा सआदतगंज पहुँच कर पीड़ित परिवार से भेंट की, उनके प्रति सहानुभूति प्रकट की तथा उस स्थल को भी देखा जिसमें दो किशोरियों के साथ बलात्कार के बाद उन्हें फांसी पर लटका दिया गया था. भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डॉ. गिरीश के नेत्रत्व में वहां पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में भाकपा की राष्ट्रीय परिषद् के सदस्य एवं हरियाणा प्रदेश के सचिव का. दरयाब सिंह कश्यप, पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य का. अजय सिंह, राज्य काउन्सिल के सदस्य एवं गाज़ियाबाद के जिला सचिव का. जितेन्द्र शर्मा, बरेली के जिला सचिव राजेश तिवारी, बदायूं के जिला सचिव रघुराज सिंह, उत्तर प्रदेश महिला फेडरेशन की काउन्सिल सदस्य प्रोफेसर निशा राठोड़, जिला संयोजक विमला, भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय सचिव का. विजेंद्र निर्मल, उत्तर प्रदेश किसान सभा के सचिव का. रामप्रताप त्रिपाठी, उपाध्यक्ष का. छीतरसिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर सदाशिव,बरेली से पार्टी के प्रत्याशी रहे का. मसर्रत वारसी, वरिष्ठ पार्टी नेता डी.डी. बेलवाल, शाहजहांपुर के वरिष्ठ नेता का. सुरेश कुमार, का. प्रेमपाल सिंह, प्रवीण नेगी, सुरेन्द्र सिंह, सुखलाल भारती, सुरेन्द्र सिंह, हरपाल यादव, राकेश सिंह, रामप्रकाश, मुन्नालाल, राकेश सिंह सहित लगभग ५० कार्यकर्ता शामिल थे जो आठ गाड़ियों के काफिले के साथ वहां पहुंचे थे. प्रतिनिधि मंडल को पीड़ित परिवार एवं उपस्थित महिलाओं ने बताया कि गाँव के दबंग लोग जो समाजवादी पार्टी के समर्थक हैं, अक्सर गाँव के कमजोर परिवारों की महिलाओं और किशोरियों से अशोभनीय व्यवहार करते हैं. उनके पशु कमजोर तबकों के किसानों के खेतों में चरते हैं और कोई उनसे मना करने की हिम्मत जुटाता है तो उसके साथ मारपीट करते हैं. एक गरीब महिला ने बताया कि उसके बेटे की पिछले वर्ष हत्या करदी गई और आज तक पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की. पुलिस हर मामले में और हमेशा इन दबंगों का ही साथ देती है और यह दमन चक्र सपा की सरकार आते ही और बढ़ जाता है. महिलाओं ने बताया कि गाँव में शौचालयों का बेहद अभाव है. शिक्षा के लिये कोई कालेज भी नहीं है. उनकी पीड़ा इस बात को लेकर भी झलकी कि अभी तो सभी लोग यहाँ आ- जा रहे हैं, जब कुछ दिनों बाद लोगों का आना- जाना बंद होजायेगा तो गाँव के ये दबंग तत्व फिर दबंगई करेंगे. प्रतिनिधिमंडल की ओर से डॉ. गिरीश ने उपस्थित लोगों से कहा कि हम लोग आपका दर्द बाँटने आये हैं सहानुभूति के दो शब्द कहने आये हैं तथा आपकी आवाज को आवाज देने का भरोसा दिलाने आये हैं. हमारे पास अन्य दलों की तरह देने को न धन है न झूठे बायदे. न ही हम औरों की तरह वोट की राजनीति करते हैं. हम पीड़ित परिवार की प्रशंसा करते हैं कि आज के युग में जब लोग एक एक पैसे के लिए सर्वस्व लुटाने को तैय्यार हैं इस परिवार ने सरकार की मदद को ठुकरा दिया अपराधियों को सजा दिलाने की दृढ़ता दिखाई. सभी लोगों ने भाकपा की इस भावना को सराहनीय बताया. भाकपा की यह स्पष्ट राय है कि सआदतगंज की इस घटना के लिए स्थानीय पुलिस पूरी तरह जिम्मेदार है. वह वहां अपराधियों को प्रश्रय देने में जुटी थी और पीड़ित परिवार को ही डरा धमका रही थी. राज्य सरकार कई दिनों तक अपराधियों के प्रति सहानुभूति का रवैय्या अख्तियार किये रही. ठीक उसी तरह जैसे सी.ओ. पुलिस जिया उल हक हत्याकांड में अपनाती रही थी. वह तब हरकत में आयी जब मामला काफी तूल पकड़ गया. भाकपा मांग करती है कि पीड़ित परिवार और गाँव के अन्य कमजोरों की जान माल और आबरू की सुरक्षा हेतु कड़े कदम उठाये जायें, वहां थाने और चौकियों पर कमजोर वर्गों से आने वाला स्टाफ तैनात किया जाये, तत्कालीन थानाध्यक्ष उसैहत सहित तमाम दोषी पुलिसजनों को सस्पेंड किया जाये, मृतक दोनों बहिनों के नाम पर वहां एक सरकारी बालिका विद्यालय खोला जाये, हर घर में शौचालय बनबाये जायें तथा अति पिछड़े इस क्षेत्र के विकास के लिए वहां सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग लगाए जायें. डॉ. गिरीश ने कहा है कि आज उतर प्रदेश महिलाओं के लिये तो कसाईघर बन कर रह गया है. हर दिन प्रदेश भर में लगभग दर्जनभर महिलाओं के साथ दरिंदगी की ख़बरें मिल रहीं हैं. प्रदेश की कानून व्यवस्था समाप्त ही होगयी है. इसकी नैतिक जिम्मेदारी मुख्यमंत्री को अपने ऊपर लेनी चाहिये और सरकार को त्यागपत्र देदेना चाहिये. भाकपा ने महिलाओं की सुरक्षा के प्रश्न पर व्यापक आन्दोलन छेड़ने का निश्चय किया है. प्रदेश भर में जन जागरण छेड़ दिया है और १२ जून को भाकपा “महिलाओं की रक्षा करो” नारे के साथ सभी जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शनों का आयोजन करेगी. डॉ. गिरीश

Saturday, May 31, 2014

महिलाओं केसाथ दुराचार की मुख्यमंत्री नैतिक जिम्मेदारी कबूल करें - भाकपा

लखनऊ- ३१ मई २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहाकि बदायूं जनपद में दो किशोरियों की दुराचार के बाद की गई हत्या की बारदातें विचलित करने वाली हैं. आज ही जनपद आजमगढ़ में किशोरी के साथ हुई सामूहिक दुराचार की घटना के प्रकाश में आने से यह स्पष्ट होगया हैकि प्रदेश में सरकार नाम की कोई हस्ती है ही नहीं. अराजकता और अत्याचार का नंगा नाच जारी है. यह अब बेहद असहनीय होगया है. भाकपा महिलाओं की आबरू और उनकी जानमाल की रक्षा के लिये जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक संघर्ष चलाएगी और यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक पीड़ित महिलाओं को न्याय नहीं मिल जाता और वह निर्भयता से सडकों पर निकल सकें ऐसा वातावरण नहीं बन जाता. यहाँ संपन्न पार्टी के राज्य सचिव मंडल की बैठक को संबोधित करते हुए पार्टी के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहाकि पिछले लगभग एक माह में प्रदेश में महिलाओं के साथ दुराचार की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है. अभी कुछ ही दिन पहले बागपत जिले के छपरौली में छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ, मुजफ्फर नगर के ककरौली में भी नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ, गाज़ियाबाद के मोदी नगर में किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ तथा बिजनौर के धामपुर में भी दुराचार की घटनायें प्रकाश में आयी हैं. इटावा से जहाँ दुराचार और इसके बाद पीडिता के परिजनों के साथ मारपीट की घटनायें सामने आयी हैं वहीं सीतापुर में तो महिला के साथ कार में दुराचार के बाद उसे बाहर फैंक दिया गया. ऊपर से एक आई जी बचकाना बयान देरहे हैं कि उत्तर प्रदेश में दुराचार की बारदातें आबादी की तुलना में कम हैं. भाकपा की दृढ़ राय है कि इन घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी मुख्यमंत्री को स्वयं स्वीकार करनी चाहिये और पीड़ितों को न्याय दिलाने तथा सभी दोषियों को दण्डित किये जाने हेतु शीघ्र ठोस कदम उठाये जाने चाहिये. भाकपा राज्य सचिव मंडल ने पार्टी की बदायूं एवं आजमगढ़ जिला कमेटियों को पहले ही निर्देश देदिया हैकि वह घटना स्थल पहुँच कर पीड़ितों का दुःख बांटें और छान- बीन कर कल सुबह तक रिपोर्ट राज्य केंद्र को भेजें. कल यहाँ राज्य केंद्र पर होने वाली भाकपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में इस सम्वेदनशील मुद्दे पर अगली कार्यवाही पर निर्णय लिया जायेगा. राज्य सचिव मंडल ने प्रदेश में होरही अभूतपूर्व बिजली कटौती का भी नोटिस लिया और सरकार से मांग की कि वह समस्या का सार्थक समाधान खोजे, बहानेबाजी से कोई लाभ होने वाला नहीं. डॉ.गिरीश.

Tuesday, May 20, 2014

एआईएसएफ के प्रसार हेतु विद्यार्थी कैडर बैठक

एआईएसएफ के उत्तर प्रदेश में प्रसार के लिए विद्यार्थियों की एक राज्य स्तरीय बैठक लखनऊ में भाकपा के राज्य कार्यालय पर 5 जून 2014 को पूर्वांहन 10.00 बजे से आहूत की गयी है। पार्टी के सभी साथियों,  तमाम जन संगठनों पर कार्यरत साथियों तथा एआईएसएफ के पूर्व कार्यकर्ताओं से अनुरोध है कि इस अत्यावश्यक बैठक को सफल बनाने के लिए अपने-अपने जिले/क्षेत्र से नेतृत्व कर सकने लायक विद्यार्थियों को बैठक में भाग लेने के लिए भेजने का कष्ट करें।
हमारा पूरा प्रयास है कि आसन्न अकादमिक सत्र में एआईएसएफ का संगठन उत्तर प्रदेश में एक स्वरूप ग्रहण कर सके और विद्यार्थियों के व्यापक तबकों को संगठन की ओर आकर्षित करने लायक संगठन तैयार हो सके। इस उद्देश्य को बिना आप सभी के सहयोग के पूरा कर सकना सम्भव नहीं है।
अस्तु आप सभी से अनुरोध है कि इस कार्य पर ध्यान देने का कष्ट करें और यथा सम्भव राज्य केन्द्र को सहयोग प्रदान करें।
- डा. गिरीश, राज्य सचिव, भाकपा

Wednesday, May 14, 2014

बंगाल के चुनावों में धांधली और हिंसा के विरुध्द भाकपा का प्रदर्शन.

लखनऊ- १४, मई. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एवं वामपंथी दलों ने पश्चिम बंगाल में आखिरी चरण के मतदान के दौरान तृणमूल कांग्रेस समर्थकों द्वारा बड़े पैमाने पर की गई हिंसा, धांधली और अराजकता के विरुध्द वामपंथी दलों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज समूचे उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया. वामदलों ने इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरुध्द कड़ी कार्यवाही की मांग की तथा गडबडी वाले लगभग १००० बूथों पर पुनर्मतदान कराये जाने की मांग की. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने बताया कि यद्यपि आज प्रदेश भर में अवकाश था और सरकारी कार्यालय बंद थे, फिर भी प्रदेश में अधिकतर जिलों में भाकपा कार्यकर्ता सडकों पर उतरे और विरोध प्रदर्शन किये. निर्वाचन आयोग को सम्बोधित ज्ञापन जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपे गये. राजधानी लखनऊ में भाकपा एवं माकपा के कार्यकर्ताओं ने विधान भवन के सामने प्रदर्शन किया और इन घटनाओं के लिये जिम्मेदार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी का पुतला फूंका. प्रदर्शन का नेत्रत्व भाकपा के जिला सचिव मोहम्मद खालिक एवं माकपा के जिला सचिव छोटे लाल ने किया. बाद में मोहम्मद खालिक के नेत्रत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने सिटी मजिस्ट्रेट हरिप्रसाद शाही के कार्यालय में पहुंच कर निर्वाचन आयोग को संबोधित ज्ञापन प्राप्य कराया. इसी तरह के विरोध प्रदर्शन भाकपा की मथुरा, हाथरस, आगरा, मैनपुरी, अलीगढ़, गाज़ियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, जे. पी. नगर, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, कानपुर, फतेहपुर, जालौन, झाँसी, बाँदा, इलाहाबाद, फैजाबाद, सुल्तानपुर, बलरामपुर, कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर, मऊ, आजमगढ़, बस्ती, जौनपुर, प्रतापगढ़, राबर्ट्सगंज एवं चंदौली जिला कमेटियों ने भी आयोजित किये. भाकपा राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने अपने बयान में कहा कि आशा की जाती है कि निर्वाचन आयोग मामले को गंभीरता से लेगा और लोकतंत्र के हित में उन बूथों पर दोबारा मतदान के आदेश तत्काल देगा जहाँ हिंसा और हथियारों के बल पर लोगों को मतदान से रोका गया है और फर्जी मतदान किया गया है. तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा प्रायोजित हिंसा और धांधली की घटनाओं के मामलों में कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिये. डॉ. गिरीश

Sunday, May 11, 2014

मेरठ की घटनायें चिंताजनक. राज्य सरकार कठोर कदम उठाये.

लखनऊ- ११ मई, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कल घटित हुई मेरठ की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है. भाकपा ने मांग की है कि इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाये. यहाँ जारी एक बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि पिछले दिनों मेरठ, मुजफ्फरनगर एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुये दंगों से संप्रदायों के बीच गहरी खाई पैदा होगई थी. इस बीच भाजपा एवं संघ परिवार ने अपने चुनाव अभियान में बड़े पैमाने पर विष- वमन किया और इस खाई को और भी चौड़ा करने का काम किया है. ऐसे गरमाए माहौल में संवेदनशील स्थानों पर कोई भी छोटी घटना भयावह रूप ले सकती है. मेरठ की घटना इसी वातावरण की देन प्रतीत होती हैं. डॉ. गिरीश ने कहाकि घटनास्थल के हालात बताते हैं कि एक विवादित स्थान पर होरहे निर्माण को लेकर पैदा हुई तनातनी को अगर स्थानीय पुलिस- प्रशासन ने सख्ती से हाथ के हाथ दबा दिया होता तो मामला इतना तूल नहीं पकड़ता. पुलिस- प्रशासन की इसी ढिलाई का फायदा उठाते हुये वहां सांप्रदायिक शक्तियाँ सक्रिय होगयीं और वहां खूनी संघर्ष होगया. मेरठ और आसपास के जिलों के तमाम भाजपा नेता वहां जुट गये थे. डॉ. गिरीश ने राज्य सरकार से मांग की है कि वे घटनाओं के जिम्मेदार सभी तत्वों को चिन्हित कर शीघ्र कानूनी कार्यवाही करे. उन्होंने चेतावनी दी है कि चुनाव परिणाम आने पर बौखलाये तत्व ऐसी और भी वारदातों को अंजाम दे सकते हैं अतएव राज्य सरकार को कड़ी चौकसी बरतनी चाहिये. साथ ही प्रदेश की जनता से भी अपील की कि वह सांप्रदायिक तत्वों के उकसाबे में न आये डॉ. गिरीश

Saturday, May 10, 2014

सरमाये एवं मीडिया का नग्न नृत्य और असहाय चुनाव आयोग

लोक सभा चुनाव के अंतिम दौर का प्रचार आज सायं समाप्त हो जायेगा और इस अंक के पाठकों तक पहुंचने के पहले चुनाव परिणाम घोषित हो चुके होंगे और नई सरकार के गठन की कवायद चल रही होगी। लोक सभा चुनावों के चुनाव परिणामों के बारे में कोई भी टिप्पणी परिणाम आने के बाद ही की जा सकती है लेकिन इस चुनाव के दौरान जिस तरह सरमाये एवं मीडिया ने एक व्यक्ति विशेष को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अभियान चलाया और जिस तरह चुनावों के दौरान धर्म एवं जातियों में मतदाताओं के संकीर्ण ध्रुवीकरण के प्रयास हुए, वह दोनों निहायत चिन्ताजनक है। भारतीय संविधान की आत्मा जार-जार की जाती रही। इस पूरे चुनाव के दौरान मुद्दे गायब रहे, जनता के सरोकार गायब रहे और चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई। जिस विकास की बातें की गईं, उस तरह का विकास पूरे देश में जगह-जगह पिछले 23 सालों में देखने को मिलता रहा है। इस दौर में हर चीज बढ़ती रही है, सरमायेदारों का सरमाया बढ़ता चला गया है और गरीबों की गरीबी बढ़ती चली गई है। महंगाई, बेरोजगारी, दमन, उत्पीड़न, अपराध सब प्रगति के पथ पर बेरोकटोक आगे बढ़ते रहे हैं। नई आर्थिक नीतियों की शुरूआत में नीति नियंताओं और साम्राज्यवादी अर्थशास्त्रियों का दावा था कि सरमायेदारों का सरमाया बढ़ने से टपक-टपक कर पैसा आम जनता तक पहुंचने लगेगा और यह सिद्धान्त ‘ट्रिकल डाउन’ थ्योरी के रूप में जाना गया। 23 साल बीत गये हैं परन्तु ऐसा होता कहीं दिखाई नहीं दिया। ऊपर से नीचे टपकता धन कहीं दिखाई नहीं दिया। उलटे नीचे से उछल कर धन ऊपर वालों की तिजोरियों में जाता रहा।
तीव्र ध्रुवीकरण के लिए नेता अनाप-शनाप बोलते रहे। लम्बे समय तक चुनाव आयोग खामोश रहा। अमित शाह, तोगड़िया, गिरिराज सिंह और बाबा रामदेव सरीखे अन्यान्य के आपत्तिजनक बयानों को लेकर निर्वाचन आयोग पर उदारता बरतने के आरोप लगते रहे। फिर उसने कुछ को नोटिसें और कुछ के खिलाफ एफआईआर लिखाने के निर्देश दिये। शुरूआत में अमित शाह एवं आजम खां के उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार करने पर पाबंदी लगा दी परन्तु बाद में अमित शाह के माफी मांगने के बाद उन पर लगाया गया प्रतिबंध वापस ले लिया गया। सवाल उठता है कि ऐसा क्यों किया गया? यदि एक अपराध किया जाता है तो दुनियां के किसी भी कानून में माफी मांग लेने से अपराध की तीव्रता कम नहीं हो जाती। चुनाव आयोग को बार-बार चैलेन्ज किया जाता रहा। कभी आजम खां ने तो कभी मोदी ने संवैधानिक संस्था पर दवाब बनाने के प्रयास किये। वाराणसी में बिना अनुमति मोदी ने रोड शो किया और ध्रुवीकरण के तमाम प्रयास किये। चुनाव आयोग निरपेक्ष भाव से देखता रहा। संवैधानिक संस्थाओं को सार्वजनिक रूप से चैलेन्ज करना लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।
विज्ञापनों एवं पेड न्यूज की भरमार रही। इलेक्ट्रानिक मीडिया पूरी तरह और प्रिंट मीडिया का बहुत बड़ा हिस्सा बिका हुआ साफ दिखाई दिया। विज्ञापनों के अलावा खबरों तथा सर्वेक्षणों को इस प्रकार पेश किया गया कि जनता का अधिसंख्यक तबका मानने लगा है कि मीडिया बिका हुआ था। मीडिया की विश्वसनीयता पर अभूतपूर्व प्रश्नचिन्ह लग गया है।
चुनावों के दौरान कई स्थानों पर पैसे के बल पर मतदाताओं के खरीदने के नापाक प्रयास किये जाने के समाचार हैं। कई स्थानों पर बूथ कैपचरिंग की भी घटनायें हुई हैं। आश्चर्य का विषय है कि कई पोलिंग बूथों पर 100 प्रतिशत से अधिक मत पड़ने के समाचार मिले हैं। ऐसा कैसे सम्भव हुआ, इसका कोई उत्तर किसी के पास नहीं है।
सबसे अधिक चिन्ता का विषय यह है कि चुनावों के दौरान मीडिया में वामपंथ को कोई स्थान नहीं मिला। चुनाव सर्वक्षणों में वामपंथ को 20 सीटों के करीब सिमटा दिया गया। चुनाव परिणाम क्या होंगे, इस बारे में कयास लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह अंक पाठकों तक पहुंचते-पहुंचते चुनाव परिणाम घोषित हो चुके होंगे।
चुनाव परिणाम कुछ भी हों, देश पिछले 23 सालों से जिन आर्थिक नीतियों के रास्ते पर चल रहा है, उसमें बदलाव की कोई भी संभावना नहीं दिखाई दे रही है। अगर तीसरे मोर्चे की भी सरकार बन जाती है, तो उसमें अधिसंख्यक वहीं क्षेत्रीय राजनैतिक दल होंगे जो अपने-अपने राज्यों में जनविरोधी पूंजीवादी आर्थिक नीतियों को अमल में लाते रहे हैं।
इन आर्थिक नीतियों में बदलाव के लिए चुनावों के बाद वामपंथ, विशेषकर भाकपा को अपनी रणनीति में सुधार की दिशा में निर्ममता के साथ आगे बढ़ना होगा। प्रखर जनांदोलनों के जरिये जनता को पंूजीवाद के खिलाफ लामबंद करने की दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा।
इस चुनाव के दौरान चुनाव सुधारों की आवश्यकता बहुत ही प्रबलता के साथ महसूस की गई। इस दिशा में प्रखर जनांदोलन समय की मांग है। भाकपा को इसके लिए पहल करनी होगी।
- प्रदीप तिवारी

दिनांक- ९.५.१४ को आकाशवाणी से प्रसारित डॉ. गिरीश का चुनाव प्रसारण.

देश के मतदाता भाइयो और बहिनों, 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव अभियान अपने अंतिम दौर में है। देश की विभिन्न राजनैतिक पार्टियों एवं ताकतों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए आक्रामक अभियान चलाया हुआ है। हमारे देश के चुनावी इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब पूंजीपतिवर्ग खास कर कार्पाेरेट घराने सांप्रदायिक ताकतों के पक्ष में पूरी ताकत से अभियान चला रहे हैं और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिये वे प्रचार माध्यमों का भरपूर स्तेमाल कर रहे हैं। कार्पाेरेट्स इस नतीजे पर पहुंच चुके हैं कि अपना हित साधने के लिये जितना काम उन्होंने कांग्रेस से लिया है उससे कहीं ज्यादा काम वे भाजपा और उसके काल्पनिक प्रधानमंत्री से ले सकेंगे। कार्पाेरेट घराने यह भी जानते हैं कि यूपीए सरकार ने जब भी कार्पाेरेट्स के पक्ष में फैसला लिया तो विपक्ष में होने के बाबजूद भाजपा ने उसका साथ दिया। देश की जनता निश्चित ही कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार से आजिज आ चुकी है। अभूतपूर्व महंगाई, हर क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और रोजगारों के छिनते चले जाने, निजीकरण के चलते शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के आमजनों के लिए दुर्लभ हो जाने, डीजल, पेट्रोल और गैस एवं जनहित में अन्य वस्तुओं पर दी जाने वाली सब्सिडीज को योजनाबद्ध तरीके से घटाते जाने तथा सार्वजनिक वितरण व्यवस्था को विभाजित और पंगु बना डालने जैसी उसकी कारगुजारियों ने जनता की मुसीबतों को बेहद बढ़ा दिया है। अतएव लोग कांग्रेस से बेहद नाराज हैं। आम जनता की इस नाराजगी को भुनाने के लिये ही भाजपा और संघ परिवार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वे देश की शीर्ष सत्ता पर आसीन हो कर अपने संरक्षक कार्पाेरेट घरानों के आर्थिक एवं व्यावसायिक एजेंडे तथा संघ परिवार के सांप्रदायिक एजेंडे को लागू करना चाहते हैं। परन्तु यहाँ सवाल यह है कि क्या बीजेपी वाकई कोई ऐसा वास्तविक बदलाव ला सकती है जैसा जनता चाहती है? सवाल यह भी है कि यूपीए सरकार ने जब संसद में जनविरोधी, किसान विरोधी और मजदूर विरोधी कई कानून पारित करने की कोशिश की तो क्या कभी भाजपा ने उसे रोकने की कोशिश की? सरकार ने जब जनता की मुसीबतें बढ़ाने वाले कई फैसले लिए अथवा कार्यवाहियां कीं तो क्या कभी भाजपा ने इनको रोकने की कोशिश की? क्या भाजपा की आर्थिक नीतियाँ और दृष्टिकोण कांग्रेस से किसी भी तरह अलग हैं? इन सभी का जबाब है - नहीं, नहीं, बिलकुल नहीं। स्पष्ट है कि भाजपा देश में सांप्रदायिक विभाजन कर अपने विनाशकारी आर्थिक एजेंडे को ही मुस्तैदी से लागू करेगी और जिन समस्यायों से जनता छुटकारा पाना चाहती है, भाजपा के पास उनके समाधान का कोई रास्ता नहीं है। देश के कई राज्यों में वामदलों से अलग कई दल हैं जो क्षेत्रीय पहचान अथवा सामाजिक न्याय के सवालों को उठाकर सत्ता में आते रहे हैं। परन्तु उनकी आर्थिक नीतियां भी कांग्रेस और भाजपा के समान हैं। राज्यों में सत्ता में आने पर ये पार्टियाँ भी आर्थिक नव उदारवाद की उन्हीं नीतियों को लागू करती हैं जिनसे खेती और कुटीर उद्योग बर्बाद होते हैं और महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और कुपोषण जैसी समस्यायें पैदा होती हैं। सत्ता में भागीदारी के लिए ऐसे दल सांप्रदायिक भाजपा से भी जुड़ जाते हैं। देश के मौजूदा परिदृश्य को सत्ता शीर्ष पर केवल पार्टियों को बदल कर नहीं बदला जा सकता। इसको आर्थिक नव उदारवाद की नीतियों को पलट कर वैकल्पिक नीतियों को लागू कर ही बदला जा सकता है। और केवल वामपंथ ही ऐसी वैकल्पिक नीतियों को पेश करता रहा है और वामपंथ के पास ही हालात बदलने का बुनियादी रास्ता है। यह मुख्यतः वामपंथ ही है जो मजदूर वर्ग, किसानों, दस्तकारों, अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों तथा पूंजीवादी व्यवस्था के शोषण के शिकार सभी मेहनतकशों के हितों की रक्षा में लगातार संघर्ष करता रहा है। सदन में उसकी संख्या कुछ भी रही हो, जनता के पक्ष में नीतियां बनवाने में और संसद के बाहर संघर्षरत जनता की मांगों को बुलंद करने में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एक अग्रणी ताकत के रूप में काम करती रही है। आज की परिस्थिति का तकाजा है कि देश की संप्रभुता, जनता की रोजी-रोटी, आवास, रोजगार, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के अधिकार और धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक व्यवस्था को संसद के अंदर और बाहर मजबूत करने के लिए वामपंथ और जोरदार तथा लम्बा संघर्ष चलाये। इसके लिए जरूरी है कि १6वीं लोकसभा में वामपंथ का एक मजबूत ब्लाक पहुंचे। अतएव आप सभी से विनम्र निवेदन है कि लोकसभा चुनावों में जहां-जहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं, वहां भाकपा के चुनाव निशान - ”बाल हंसिया“ के सामने वाला बटन दबा कर उन्हें भारी बहुमत से विजयी बनायें। धन्यवाद!

भाजपा द्वारा संवैधानिक संस्थाओं पर हमला निंदनीय- भाकपा

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि अपनी अपेक्षित जीत से काफी दूर दिखाई देरही भाजपा इस कदर बौखला गई है कि अब वह संवैधानिक संस्थाओं पर हमले करने पर उतर आयी है. हाल ही में उसने चुनाव आयोग को निशाना बनाया है. भाजपा और उसके प्रवक्ताओं ने चुनाव आयोग पर चहुँतरफा हमले बोल दिए हैं. भाकपा इसकी कड़े शब्दों में निंदा करती है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने कहा कि भले ही भाजपा भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुये ही सत्ता और राजनीति में भागीदारी करती है, लेकिन वह संविधान और संवैधानिक संस्थाओं की विरोधी है. उसकी सांप्रदायिक राजनीति एवं उसके द्वारा बाबरी ढांचे का तोड़ा जाना आदि अनेक उदाहरण हैं जो इस तथ्य की पुष्टि करते हैं. अब निर्वाचन आयोग द्वारा वाराणसी में उसकी सभा को सुरक्षा कारणों से अनुमति न दिए जाने पर भाजपा बुरी तरह तिलमिला गई है और निर्वाचन आयोग पर तीखे हमले कर रही है. वह मतदाताओं को यह संदेश देना चाहती है कि चुनाव आयोग उसके साथ ज्यादती कर रहा है. इस तरह वह मतदाताओं की हमदर्दी बटोरना चाहती है. वह भूल गयी कि अमितशाह, तोगड़िया, गिरिराज सिंह और बाबा रामदेव के आपत्तिजनक बयानों को लेकर निर्वाचन आयोग पर भाजपा के प्रति कथित उदारता बरतने के आरोप लगते रहे हैं. भाकपा ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को बधाई दी है कि उन्होंने दोटूक शब्दों में भाजपा की धौंसपट्टी में न आने का ऐलान कर दिया. किसी भी संवैधानिक संस्था पर हमले को भाकपा बेहद आपत्तिजनक मानती है और भाजपा को चेतावनी देना चाहती है कि वह अपनी संविधान विरोधी कारगुजारियों से बाज आये वरना भाकपा संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा के लिए जनांदोलन चलायेगी और भाजपा को बेनकाब करेगी. डॉ. गिरीश

Friday, May 9, 2014

Election Telecast of CPI on Doordarshan (9.5.14.). by-Dr.Girish

प्रिय मतदाता भाइयों एवं बहनों, आप सभी लोक सभा के चुनावों की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं और आप सभी को पिछले चुनावों की तुलना में ज्यादा विवेक और सूझ-बूझ के साथ मत का प्रयोग करना है क्योंकि देश के सामने जैसी चुनौतियाँ आज हैं, पहले कभी न थीं। जनता की जैसी हालत आज है, वैसी कभी न थी। पूंजीवादी नीतियों और सरकारों की कारगुजारियों के चलते आज महंगाई सातवें आसमान पर है। महंगाई ने आम और गरीब लोगों की मुसीबतें बेहद बढ़ा दी हैं। अनेक लोग आधे पेट सोने को मजबूर हैं। एक ओर मुट्ठी भर लोग अरबों-खरबों की सम्पत्ति के स्वामी हैं तो बहुमत लोग बेहद गरीब हैं। खुद सरकार ने स्वीकार किया है कि 78 प्रतिशत लोग प्रतिदिन 20 रूपये से कम में गुजारा करते हैं। एक तिहाई बच्चे और 50 फीसदी मातायें कुपोषण की शिकार हैं। केंद्र और राज्य सरकारों की जनविरोधी नीतियों के कारण देश के किसान कंगाल हो चुके हैं। कर्ज में डूबे किसान आत्महत्यायें कर रहे हैं। मजदूरों और कर्मचारियों के न तो जीवन की सुरक्षा है न उनकी नौकरियों की। बढ़ती जा रही बेरोजगारी नौजवानों के लिए अभिशाप बन चुकी है। रिक्त होने वाले पदों पर नौकरियां नहीं दी जा रहीं हैं। शिक्षा का बजट लगातार कम हो रहा है। दोहरी शिक्षा प्रणाली और बेहद महंगी फ़ीस के कारण आम आदमी बच्चों को पढ़ा ही नहीं पा रहा है। केंद्र की सरकार इस बीच तमाम घपलों-घोटालों में जुटी रही। लाखों करोड़ के इन घोटालों में जनता के पसीने की कमाई सरकारी खजाने से निकल कर भ्रष्टाचारियों की तिजोरियों में पहुंच गयी। आम लोग विकास से वंचित रह गये। मुख्य विपक्षी दल भाजपा भी भ्रष्टाचार से अछूती नहीं है। उसने भ्रष्टाचार जैसे सवालों पर संसद में कभी सार्थक बहस नहीं होने दी। इसके दो राष्ट्रीय अध्यक्षों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगे जिनमें से एक को न्यायालय से सजा तक मिली। कर्नाटक के इसके पूर्व मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार की खबरें जगजाहिर हैं। इस दौर में हमारे प्राकृतिक संसाधनों की बेपनाह लूट चलती रही। इन भ्रष्टाचार और घोटालों के सभी मामलों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मजबूत आवाज उठाई और कोयला आबंटन घोटाला तथा एक उद्योग समूह द्वारा निकाली जाने वाली गैस के दाम कई गुने किये जाने के घपले को तो भाकपा के नेताओं ने ही उजागर किया था। हालात यह हैं कि करोड़ों लोगों के पास रहने को घर नहीं है। शहरों की आबादी का बड़ा भाग झुग्गी-झोपड़ियों में रह रहा है। बड़ी संख्या में लोगों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिलता। शहरों-कस्बों में उच्चस्तरीय प्रदूषण के चलते श्वांस लेना कठिन है। कुपोषण, प्रदूषण और दूषित जल से बीमारियों में इजाफा हो रहा है। ऊपर से इलाज इतने महंगे हो गये हैं कि आम आदमी बिना इलाज के तड़प-तड़प कर मर रहा है। यह सब पूंजीवादी नीतियों को निर्ममता से चलाने का दुष्परिणाम है। पिछले दो दशकों में यह व्यवस्था आर्थिक नवउदारवाद के आवरण में लपेट कर चलायी जाती रही है। इसके चलते देश की दौलत का बहुत बड़ा भाग पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों की झोली में पहुँच चुका है जिसका बड़ा भाग विदेशी बैंकों में डाला जा चुका है। अभावों के महासागर में धकेल दी गई जनता में भारी असंतोष और गुस्सा है। केंद्र में सत्ता में होने के कारण कांग्रेस इन हालातों के लिए जिम्मेदार है। कांग्रेस से नाराज लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस के समान आर्थिक नीतियों पर ही चलने वाली भाजपा उनके जीवन में कोई बदलाव नहीं ला सकती। वह और भी मुस्तैदी से गरीबों की लूट का एजेंडा चलाएगी। लोगों की इस नाराजगी को भुनाने के लिए भाजपा एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। कारपोरेटों की पूँजी और उनके द्वारा नियंत्रित मीडिया उसके प्रचार अभियान को धार देने में जुटे हैं। भाजपा किसी भी कीमत पर सत्ता में आने को छटपटा रही है तो कारपोरेट घराने उसे सत्ता में बैठा देने को आतुर हैं ताकि कारपोरेटों को मालामाल और आमजनों को कंगाल बनाने के एजेंडे को निर्ममता से लागू किया जा सके। वामपंथी दलों को तो इस कारपोरेटी मीडिया ने पूरी तरह किनारे कर रखा है। जनता को लुभाने को गुजरात के कथित विकास की लम्बी-चौड़ी बातें की जा रही हैं। आजादी के पहले ही गुजरात में पूँजी का विकास देश के अन्य भागों की तुलना में ज्यादा हो चुका था। गत दशक में तो वहां किसानों की जमीनें बेहद कम कीमत पर अधिग्रहण कर पूंजीपतियों को मुफ्त में सौंपी गयी हैं। यहाँ तक कि सीमाओं की रक्षा के उद्देश्य से कच्छ में बसाये गये सिक्ख किसानों को भी नहीं बक्शा गया और उनकी जमीनें अधिगृहीत कर बड़े उद्योग समूहों को दे दी गयीं। वहां कुपोषण, शिशु मृत्युदर और जननी मृत्युदर देश के अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है। मजदूरों को तो साधारण अधिकार भी प्राप्त नहीं हैं। नये रोजगार सृजन में गुजरात पीछे है तथा वहां तरक्की की दर राष्ट्रीय दर से कम है। दशकों पहले हुये विकास को भी भाजपा अपने सत्ताकाल के विकास के रूप में प्रचारित कर रही है। देश में संसदीय प्रणाली लागू है जिसके अंतर्गत चुन कर आने वाले सांसदों का बहुमत प्रधानमंत्री का चुनाव करता है। लेकिन सत्ता पाने को व्याकुल भाजपा एवं संघ परिवार ने साम्प्रदायिक विभाजन को तीव्र कर वोट पाने की गरज से घनघोर सांप्रदायिक व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। यह संसदीय प्रणाली को बदल कर राष्ट्रपति प्रणाली लागू करने की भाजपा की चिर-परिचित नीति को आगे बढाने का प्रयास भी है। सांप्रदायिक विभाजन को तीखा करने की गरज से भाजपा और संघ परिवार के नेता तमाम भड़काने वाली बयानबाजियां कर रहे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की यह राय है कि हमारा महान देश अनेक धर्मों, संप्रदायों, भाषाओं और संस्कृतियों का संमिश्रण है। धर्मनिरपेक्षता हमारी राष्ट्रीय एकता का मुख्य आधार है। हम सभी धर्माबलंबियों को यह भरोसा दिलाने के पक्षधर हैं कि वे सुरक्षित हैं और उन्हें समान अवसर मिलेंगे। देश में सांप्रदायिकता के लिए कोई स्थान नहीं है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने हमेशा देश और देश की जनता के हित में अभूतपूर्व योगदान किया है। आजादी की लड़ाई में हम किसी से पीछे न थे। इतिहास गवाह है कि जमींदारी के उन्मूलन और व्यापक भूमि सुधार के लिए हमने निर्णायक आन्दोलन किये। बैंकों का राष्ट्रीयकरण कराने और राजाओं का प्रिवीपर्स समाप्त कराने में हमने ठोस भूमिका निभाई। सार्वजनिक क्षेत्र की मजबूती के लिए हमने मजबूत आवाज उठाई। हमारे समर्थन पर टिकी संप्रग-1 सरकार को मनरेगा, सूचना का अधिकार अधिनियम, आदिवासी अधिकार अधिनियम, घरेलू हिंसा विरोधी अधिनियम आदि पारित करने के लिए बाध्य किया। सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने को हम हमेशा मैदान में डटे रहे। हाल में भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने महंगाई को नीचे लाने, भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने, सभी को खाद्य सुरक्षा दिलाने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को व्यापक बनाने, किसानों को उनकी पैदावारों का समुचित मूल्य दिलाने, किसानों बुनकरों दस्तकारों और सभी जरूरतमन्दों को रूपये 3000/- प्रति माह पेंशन दिलाने, मजदूरों को उचित वेतन दिलाने, ठेकेदारी प्रथा समाप्त कराने, बेरोजगारों को रोजगार दिलाने, शिक्षा का बाजारीकरण रोके जाने, स्वास्थ्य सेवाओं को आमजन के लिए सुलभ बनाने आदि के लिए भी निरंतर आवाज उठाई है। महिलाओं, आदिवासियों, दलितों एवं अल्पसंख्यकों के सशक्तीकरण के लिए भी हम अनवरत संघर्ष करते रहे हैं। इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि देश और समाज के समक्ष मौजूद चुनौतियों से तभी निपटा जा सकता है जब आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों की जगह जनता के बुनियादी हितों को साधने वाली वैकल्पिक नीतियों को आगे बढाया जाये। और यह तभी संभव होगा जब संसद में एक मजबूत वामपंथी ब्लाक जीत कर आये। यह वामपंथी ब्लाक ही संसद से सडक तक इन मुद्दों पर संघर्ष करेगा। मतदाता भाइयो और बहिनों, मौजूदा निजाम को बदलो, इससे से भी बदतर निजाम को आने से रोको और वामपंथी जनवादी ताकतों के हाथ मजबूत करो। अतएव आपसे अनुरोध है कि जहां-जहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं वहां उनके चुनाव निशान - “हंसिया बाली“ के सामने वाला बटन दबा कर उन्हें भारी बहुमत से विजयी बनायें। धन्यवाद!