लखनऊ 21 अक्टूबर। बलिया के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता कामरेड मुंशी धर्मदेव लाल का गत सायं बलिया में उनके आवास पर निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे और कई माह से अस्वस्थ चल रहे थे।
कामरेड धर्मदेव लाल आजादी के आन्दोलन के प्रसिद्ध कुड़वा मानिकपुर कांड के योद्धाओं में से एक थे जिसमें कि का. सुभाष मुखर्जी शहीद हुए थे। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेते हुये ही वे कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने लगे थे और 1947 में भाकपा के सदस्य बन गये थे।
उनके निधन का समाचार मिलने पर भाकपा राज्य कार्यालय पर पार्टी ध्वज को उनके सम्मान में झुका दिया गया। एक शोक सभा आयोजित की गयी जिसमें भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि ऐसे जुझारू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के निधन से देश, समाज और पार्टी को गहरी क्षति पहुंची है। लेकिन उनके सपनों के समाज - समाजवादी समाज के निर्माण का संघर्ष जारी रहेगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मौन रख कर शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की गयी। उधर बलिया में भी उनके निधन का समाचार सुन कर तमाम राजनीतिविद्, पत्रकार और प्रशासन के अधिकारी उनके आवास पर जमा हो गये।
कामरेड धर्मदेव लाल आजादी के आन्दोलन के प्रसिद्ध कुड़वा मानिकपुर कांड के योद्धाओं में से एक थे जिसमें कि का. सुभाष मुखर्जी शहीद हुए थे। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेते हुये ही वे कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने लगे थे और 1947 में भाकपा के सदस्य बन गये थे।
उनके निधन का समाचार मिलने पर भाकपा राज्य कार्यालय पर पार्टी ध्वज को उनके सम्मान में झुका दिया गया। एक शोक सभा आयोजित की गयी जिसमें भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि ऐसे जुझारू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के निधन से देश, समाज और पार्टी को गहरी क्षति पहुंची है। लेकिन उनके सपनों के समाज - समाजवादी समाज के निर्माण का संघर्ष जारी रहेगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मौन रख कर शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की गयी। उधर बलिया में भी उनके निधन का समाचार सुन कर तमाम राजनीतिविद्, पत्रकार और प्रशासन के अधिकारी उनके आवास पर जमा हो गये।
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