Thursday, July 11, 2013
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ के फैसलों का भाकपा स्वागत करती है
लखनऊ-कल ही सर्वोच्च न्यायालय ने दो साल तक की सजा पाये सांसदों और विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का फैसला सुनाया और आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राजनैतिक दलों द्वारा जातिगत रैलियां आयोजित करने पर रोक लगा दी. दोनों ही फैसले बेहद स्वागत योग्य हैं.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का राज्य सचिव मंडल दोनों फैसलों को राजनीति के अपराधीकरण और जातिवादी राजनीति पर रोक लगाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल मानता है और उन लोगों को बधाई देता है जिन्होंने इस संबंध में न्यायालयों में याचिकाएं दाखिल कर इन फैसलों को बजूद में आने की पहल की.
यह फैसले इसलिये महत्वपूर्ण हैं कि पिछले कई दशकों से कई राजनैतिक दल अपराधियों और मफियायों को चुनावों में उतार रहे थे और ये अपराधी तत्व अपने धनबल और बाहुबल के बल पर चुनाव जीतने में कामयाब होजाते थे. सद्चरित्र और समाज के प्रति समर्पित लोग संसद और विधान सभाओं में पहुँचने से वंचित रह जाते थे. इससे राजनीति में दिन-ब- दिन गिरावट आती गयी और वह जन-सरोकारों से दूर होती गयी.
इसी तरह जाति आधारित राजनीति के चलते भी तमाम अपराधी, धनबली और बाहुबली चुनावों में बाजी जीत रहे थे और जनहित के लिये काम करने वाले व्यक्ति और पार्टियाँ पिछड़ जाते थे.
इन फैसलों ने साबित कर दिया है कि राजनीति में अपराधियों और जातिवाद का घालमेल न केवल अनैतिक है असंवैधानिक भी है.अब जनता को भी अपराधियों और जातिवादी तत्वों को चुनावों में शिकस्त देनी चाहिये,वरना तो ये फैसले भी बेकार ही साबित होंगे.
डॉ. गिरीश
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