S. Sudhakar Reddy's Press Conference |
भाकपा महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा कि नई दिल्ली में 23 मई को सभी वामपंथी पार्टियां एक बैठक कर रहीं हैं जिसमें साझा मांगों एवं कार्यक्रम पर फैसला लिया जायेगा। हम इन मांगों को पूरा करवाने के लिए जनता के मध्य जायेंगे और धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक उन राजनीतिक दलों का मोर्चे में स्वागत करेंगे जो हमारी मांगों एवं कार्यक्रम के साथ जुड़ने के लिए तैयार हों जिससे एक मजबूत, जनता के प्रति संवेदनशील वाम लोकतांत्रिक विकल्प का निर्माण किया जा सके।
भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी ने कहा कि वित्त मंत्री कह रहे हैं कि देश की खराब आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें रात में नीद नहीं आती लेकिन सरकार पूंजीपतियों को दिये जा रहे अनुदान को वापस लेने के लिए कतई तैयार नहीं है जबकि आम आदमी को दिये जा रहे अनुदान का लगातार रोना रोया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि आम आदमी को दिया जाने वाला अनुदान पूंजीपतियों को दिये जाने वाले अनुदान का आधा भी नहीं है।
भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी ने वाशिंगटन द्वारा आर्थिक सुधारों के नए संस्करण के लिए नई दिल्ली को दिये जाने वाले संकेतों की कटु निन्दा की। उन्होंने रेटिंग एजेंसी ‘स्टैन्डर्ड एंड पुअर्स’ द्वारा भारत की रेटिंग को घटाते समय आर्थिक सुधारों की जरूरत के बारे में दिये गये बयान की भी निन्दा की। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि कुछ ही समय पूर्व जब इस रेटिंग एजेंसी ने अमरीका की रेटिंग को नीचे गिराया था तब अमरीकी सरकार के लिए इसी तरह की जरूरतों को रेखांकित क्यों नहीं किया था?
भाकपा महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा कि भाकपा बीमा, बैंक और पेंशन के क्षेत्रों में प्रस्तावित कथित सुधारों तथा खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के खिलाफ है और ऐसे किसी भी कदम के खिलाफ संसद और सड़कों पर विरोध करेगी।
भाकपा महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने मोंटेक फार्मेूले की निन्दा करते हुए कहा कि गरीबी की रेखा के नीचे उन लोगों को शामिल किया जाये जिनकी प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति आय एक सौ रूपये है। उन्होंने कहा कि केवल निर्धारित कैलोरी आवश्यकता के आधार पर गरीबों को चिन्हित करना उचित नहीं है बल्कि इसके लिए पीने के पानी, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी जरूरतों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
भाकपा महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा गैर राजनीतिक व्यक्ति के राष्ट्रपति बनाने का भाकपा समर्थन नहीं करती है। उन्होंने कहा कि देश के राष्ट्रपति का पद एक राजनीतिक पद है और उस किसी राजनीतिक व्यक्ति को ही बैठाना अधिक उपयुक्त होगा। किसी बौद्धिक व्यक्ति को भी राष्ट्रपति बनाया जा सकता है परन्तु राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए उसकी क्षमता, उसकी ईमानदारी, धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था पर उसके पिछले रिकार्ड को भी ध्यान में रखना जरूरी है। प्रेस वार्ता में पूछे गये एक सवाल पर उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि हम एक तकनीशियन के रूप में उनकी क्षमताओं के कायल हैं लेकिन राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए उन्हें उपयुक्त नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को चाहिए कि वह नये राष्ट्रपति के लिए प्रस्ताव लेकर अन्य दलों से वार्ता कर आम सहमति बनाने का प्रयास करे। उसके बाद ही भाकपा यह तय कर पायेगी कि वह उस व्यक्ति का समर्थन करेगी अथवा किसी नए नाम का सुझाव देगी। उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए एक गैर-कांग्रेसी और एक गैर-भाजपाई व्यक्ति की आवश्यकता को रेखांकित किया।
भारतीय संसद द्वारा 60 वर्ष पूरा करने के सन्दर्भ में उन्होंने कल संसद में प्रधानमंत्री के भाषण की निन्दा करते हुए कहा संप्रग सरकार निर्वाचित सांसदों को संसद में जनता के मुद्दों को उठाने नहीं देती है जिसके कारण संसद में हंगामा होता है। उन्होंने प्रश्न किया कि यदि सांसद संसद में जनता के मुद्दे नहीं उठा सकते तो आखिर वे किस लिये चुने जाते हैं?
भारत के मजबूत लोकतंत्र की चर्चा करते हुए भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी ने कहा कि संसद के 140 दिन चले सबसे लम्बे सत्र को पचास साल बीत चुके हैं लेकिन अब संसद की पूरे साल में 100 बैठकें भी नहीं होती। जनता के मध्य गुस्सा पनप रहा है जोकि लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है। तमाम सरकारें इसके लिए जिम्मेदार हैं। राजनीतिक सिस्टम को अब जाग जाना चाहिए।
भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी ने मनमोहन सिंह को देश का सबसे अक्षम प्रधानमंत्री बताते हुए कहा कि जनता के मुद्दों पर वे अक्षम और अकर्मण्य बन जाते हैं परन्तु अमरीकी साम्राज्यवाद और पूंजीवाद की चाकरी करने में वे बहुत बहादुराना चेहरा सामने लेकर आते हैं। उनके कार्यकाल में देश में पूंजीपतियों ने बहुत तेजी से प्रगति की है। कारपोरेट घरानों की परिसम्पत्तियों में हजारों गुना की बढ़ोतरी हुई है लेकिन गरीब को आज भोजन तक नसीब नहीं हो पा रहा।
भाकपा महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा कि अखिलेश सरकार को चुनावों के दौरान जनता को दिये गये वायदों को पूरा करना चाहिए। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र बेरोजगार युवा बन जाता है। उसे उस समय धन की जरूरत होती है और 35 साल की उम्र तक तो आदमी कुछ न कुछ करने लग जाता है चाहे वह खोंचा लगाये, रिक्शा चलाये या मजदूरी करे। उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवकों को प्रदेश सरकार को निराश नहीं करना चाहिये और 20 साल की उम्र पर बेरोजगारी भत्ता बिना किसी शर्त के देना चाहिए।
भाकपा महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में रोजगार सृजन किसी भी अन्य काम से ज्यादा महत्वपूर्ण काम है। उत्तर प्रदेश पूरे यूरोप का आधा है। अगर उत्तर प्रदेश विकसित होता है तो पूरा देश विकसित होगा। उत्तर प्रदेश के नये युवा मुख्यमंत्री को इस ओर पर्याप्त ध्यान देना चाहिए।
पत्रकारों से प्रेस क्लब में वार्ता के दौरान भाकपा की राष्ट्रीय परिषद के सचिव अतुल कुमार अंजान, राज्य सचिव डा. गिरीश तथा वरिष्ठ नेता प्रदीप तिवारी मौजूद थे।
(शमशेर बहादुर सिंह)
कार्यालय सचिव
No comments:
Post a Comment