Tuesday, August 16, 2016
ऊना में दलितों पर हमले बंद करो, दोषियों को कड़ी सजा दो: भाकपा
लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कल गुजरात के ऊना में दलितों और अल्पसंख्यकों की संयुक्त रैली में उमडी भारी भीड़ से बौखलाये सामंती और संघी सोच वाले तत्वों द्वारा दलितों पर किये गये जानलेवा हमलों की कठोर शब्दों में निंदा की है.
भाकपा ने गुजरात और समूचे देश में अपने भयावह उत्पीड़न के खिलाफ और आर्थिक और सामाजिक आज़ादी पाने के लिये संघर्षरत दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, महिलाओं और अन्य कमजोर तबकों के आंदोलनों के प्रति पूर्ण एकजुटता प्रदर्शित की है.
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि गुजरात और देश के दूसरे भागों में गौहत्या और अन्य बहानों से दलितों और अल्पसंख्यकों पर होरहे निर्मम हमलों के खिलाफ गुजरात के अहमदाबाद से यात्रा निकाली गयी थी जिसका कल स्वतंत्रता दिवस पर ऊना में समापन होना था. इस रैली में भाग लेने को दलितों के भीतर भारी आक्रोशजनित उत्साह था. अल्पसंख्यकों की इसमें शिरकत की खबरों से यह उत्साह और भी बढ गया था.
इससे पहले से ही हमलाबर सामंती और संघी तत्व पूरी तरह बौखला गये. रैली में आने से पूर्व दलितों को गांव गांव में न केवल धमकाया गया अपितु कई जगह तो उन्हें गांवों से बाहर निकलने तक नहीं दिया गया. पुलिस और सामंती तत्व मिल कर उन्हें रैली की ओर जाने वाले रास्तों पर रोक रहे थे. पूरा ऊना शहर छावनी बना दिया गया था ताकि दहशत के मारे दलित रैली में शामिल न हों.
लेकिन फिर भी रैली में जब भारी भीड़ जुट गयी तो इन्हीं तत्वों ने रैली से लौट रहे दलितों पर गोलियां बरसाईं और उनके वाहनों में आग लगा दी. सैकडों की तादाद में दलित जख्मी हुये हैं और सरकारी तथा गैर सरकारी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं. आज भी गांवों में दलितों पर हमले होने की खबर है. इतना ही नहीं इस रैली में भाग लेने पहुंचे जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और दलित नेताओं की अहमदाबाद में होने वाली प्रेस कांफ्रेंस को सरकार ने रद्द करा दिया जबकि उसकी पहले से अनुमति थी. यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर शर्मनाक हमला है.
डा. गिरीश ने कहा कि यह सब उस समय होरहा है जब कल ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ने दलितों पर अनाचार को लेकर कठोर टिप्पणियां की हैं और कडी कार्यवाही किये जाने पर बल दिया है. इससे श्री मोदी के गुजरात माडल और संघ के कथित हिंदू राष्ट्र का मुखौटा उतर गया है. सवाल उठता है कि ये कठोर कार्यवाही कब होगी. भाकपा का स्पष्ट मत है कि गुजरात सरकार से पीड़ितों को न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती. अतएव इस समूचे प्रकरण की जांच सर्वोच्च न्यायालय के सेवारत न्यायधीश से कराई जानी चाहिये.
डा. गिरीश
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