Tuesday, July 19, 2016

अलीगंज (एटा) में जहरीली शराब से हुयी मौतोंं की राज्य सरकार जिम्मेदारी ले, सीबीआई से जांच कराई जाये: भाकपा

लखनऊ- 19 जुलाई 2016, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने एटा जनपद के अलीगंज में जहरीली शराब काण्ड में मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है तथा अस्वस्थ बने हुये लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है. सचिव मंडल ने घटना में मृतकों के आश्रितों को रु. 10.00 लाख मुआबजा तथा इलाज करा रहे बीमारों को कम से कम रु. 2.00 लाख की आर्थिक सहायता दिये जाने की मांग की है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि अलीगंज में 15 जुलाई को हुयी इस घटना जिसमें कि अब तक अलीगंज और फरुखाबाद जनपद के कायमगंज के 40 लोगों की मौत होचुकी है और एक सौ से भी अधिक लोग गंभीर हालत के चलते सैफई, आगरा और अलीगढ में इलाज करा रहे हैं, राज्य सरकार, प्रशासन और राजनेताओं के सरंक्षण में इस क्षेत्र में दशकों से निर्वाध रुप से चल रहे अवैध शराब के धंधे का परिणाम है. मथुरा के जवाहरबाग कांड से भी अधिक जिन्दगियां निगलने वाला यह कांड उत्तर प्रदेश की सरकार के माथे पर कलंक है और उसे इसकी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिये. भाकपा राज्य सचिव ने बताया कि अवैध शराब का यह धंधा एटा, मैनपुरी, फरुखाबाद, हाथरस, कासगंज और फिरोजाबाद जनपद के विभिन्न हिस्सों में दशकों से चल रहा है. सरकार भले ही भाजपा की रही हो, बसपा की अथवा सपा की शराब माफिया का जादू हरेक के सिर पर चढ कर बोलता रहा है. आज जबकि प्रदेश में सपा की सरकार है गरीबों के घर उजाडने वाला यह धंधा उसके स्थानीय नेताओं के सरंक्षण में फलफूल रहा है. डा. गिरीश ने कहा कि यह क्षेत्र उद्योगविहीन क्षेत्र है और नकली शराब और अवैध हथियारों का निर्माण तथा अपहरण और फिरौती उद्योग यहाँ माफिया, राजनेताओं और पुलिस प्रशासन की अवैध आय के स्रोत बने हुये हैं. किसी भी दल की सरकार ने यहाँ विकास और औद्योगीकरण पर ध्यान नहीं दिया. उन्होने कहा कि जिस तरह प्रशासन ने इन दो दिनों में कार्यवाही कर बडे पैमाने पर अवैध शराब और उसे बनाने में प्रयुक्त होने वाला लेहन पकडा है, यदि ऐसी ही कठोर कार्यवाही पहले की जाती तो इन दर्जनों लोगों की जानें न जाती और सैकडों बच्चे और परिवार अनाथ न होते. लेकिन पहले या तो कार्यवाही हुयी नहीं और यदि हुयी भी तो अवैध शराब माफिया को नेताओं ने छुडवा दिया और अलीगंज, आजमगढ, लखनऊ और उन्नाव जैसी बडी घटनायें होने पर आबकारी विभाग और पुलिस के कुछ ओहदेदारों को कुछ समय के लिये सस्पेंड करा दिया. एटा क्यूंकि प्रदेश के वर्तमान में सत्ताधारी परिवार का निजी क्षेत्र है अतएव इस दौरान वहाँ के चार चार जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को बदला गया. भाकपा की स्पष्ट राय है कि यह मामला सामान्य कानून व्यवस्था का मामला नहीं, राज्य सरकार और उसकी मशीनरी का गरीबों की जान की कीमत पर अपनी तिजौरियां भरने का मामला है. यदि इस कांड और उत्तर प्रदेश में चल रहे अवैध शराब के कारोबार की दो दशकों की जांच होगयी तो शासक दल और विपक्षी दलों से जुडे तमाम राजनेता और अधिकारी जेल के सींखचों के पीछे होंगे. अतएव गरीबों के हित में भाकपा इस प्रकरण और उत्तर प्रदेश में चल रहे अवैध शराब के कारोबार की सीबीआई से जांच कराये जाने की मांग करती है. डा. गिरीश

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