Friday, August 12, 2016
आगामी चुनावों में मुद्दों को दरकिनार करने की साजिश को काम्याब नहीं होने दिया जायेगा- भाकपा
लखनऊ-12 अगस, 2016, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने प्रदेश में सत्ता की दौड में शामिल प्रमुख दलों पर आरोप लगाया है कि वे आगामी विधान सभा चुनाव को जनता के सवालों से भटकाने और मतदाता को एक बटन दबाने वाले रोबोट की हैसियत में पहुंचाने की कवायद में जुटे हैं. दल- बदल और पाला बदल कराने की ताजा कोशिशें इसी उद्देश्य से प्रेरित है. भाकपा इस पर कडी नजर बनाये हुये है और पूंजीवादी, सांप्रदायिक और जातिवादी दलों की इस करतूत को जनता के बीच ले जायेगी और प्रदेश के आगामी चुनाव जनता के बुनियादी सवालों पर लडे जायें इसके लिये हर संभव प्रयास करेगी.
भाकपा के राज्य सचिव मंडल ने एक बैठक कर प्रदेश के मौजूदा हालातों का संज्ञान लिया. पार्टी के प्रदेश सचिव डा. गिरीश की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में शामिल सचिवमंडल के सदस्यों में इस सवाल पर एकमत था कि गत ढाई दशक से अधिक समय से प्रदेश में सपा, बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों और सांप्रदायिक भाजपा का शासन रहा है, और इस बीच प्रदेश का अपेक्षित विकास नहीं हुआ है. प्रदेश की जनता गहरे सामाजिक आर्थिक संकटों से गुजर रही है और इन दलों से उसका मोहभंग हुआ है. यही वजह है कि किसी दल को आगामी विधान सभा चुनावों में जीत का भरोसा नहीं है. अतएव इन दलों में कई किस्म के अंतर्विरोध पैदा होगये हैं और उनमें भगदड मची है.
पिछले कुछ दिनो में उत्तर प्रदेश में कई विधायकों, पूर्व मंत्रियों और पूर्व विधायकों ने जिस तरह से पाला बदल किया है इसका जनहित, राजनैतिक विचारधारा और सिध्दांतों से कोई लेना देना नहीं है अपितु यह अवसरवादी राजनीति की पराकाष्ठा है और हर कोई सुरक्षित घर की तलाश में है. विधान सभा चुनावों से छह माह पहले ही चल पडे इस घृणित खेल ने दल बदल कानून को भी प्रभावहीन बना डाला है. इस आवाजाही के आने वाले दिनों में और गति पकडने की प्रबल संभावनायें हैं.
जनता खुली आंखों से देख रही है कि इस खेल में अपने को ‘औरों से अलग’ पार्टी बताने वाली भाजपा सबसे आगे है. केंद्र की उसकी सरकार की नीतियों और कारगुजारियों का पूरी तरह भंडाफोड होजाने और उसके नेताओं में भी मची भगदड के चलते उसने सारी मर्यादायें ताक पर रख दी हैं और केंद्र की सता का लाभ उठा कर उसने दल बदल को ही मुख्य औजार बना लिया है. अरुणांचल और उत्तराखंड में न्यायालय के हस्तक्षेप के चलते अपने मंसूबों को पूरा करने में विफल रही भाजपा अब उत्तर प्रदेश मे सत्ता हथियाने को बडे पैमाने पर दल बदल का खेल खेल रही है.
खराब कानून व्यवस्था और सत्ता विरोधी रुझान से हतप्रभ सपा भरपाई करने को किसी को भी पार्टी में लाने को उतारु है. उसने कई ऐसे लोगों को शामिल किया है जो सीधे आर.एस.एस. से जुडे हैं और जिन पर दंगा फसाद कराने के संगीन आरोप लगे हैं. बहुजन समाज के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव के सपनों से खिलवाड करते हुये सत्ता के लिये पूरी तरह सामंतवाद और पूंजीवाद के सामने घुटने टेक देने की बसपा की नीति अब पूरी तरह उजागर हो चुकी है और वह सर्वाधिक भगदड का शिकार बनी हुयी है. इससे उबरने को बसपा भी दल बदल के काम में जुटी है.
इस सबके जरिये प्रदेश के राजनैतिक परिदृश्य से जनता के मुद्दों को पूरी तरह से पृष्ठभूमि में धकेला जारहा है. भाकपा ने जनता के मुद्दों पर जन लामबंदी पर गहनता से विचार किया और तात्कालिक और दूरगामी कदमों पर चर्चा की.
डा. गिरीश ने बताया है कि आगामी 17 अगस्त को महंगाई, एफडीआई, बेरोजगारी, महंगी और दोहरी शिक्षा प्रणाली, सूखा और बाढ की तबाही, दलितॉ, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर होरहे हमलों जैसे प्रमुख सवालों पर जिला केंद्रों पर प्रदर्शन आयोजित किये जायेंगे. सांप्रदायिकता के खिलाफ तथा उपर्युक्त सवालों पर प्रदेश के छह वामपंथी दलों के साथ मिल कर कई क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे. वाराणसी में 28 अगस्त, मुरादाबाद में 4 सितंबर तथा मथुरा में 10 सितंबर को संयुक्त सम्मेलन होंगे. प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनावों को जनता के ज्वलंत सवालों के इर्द-गिर्द रखने की हर संभव कोशिश की जायेगी, भाकपा राज्य सचिव मंडल ने संकल्प व्यक्त किया है.
डा. गिरीश
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