Wednesday, July 13, 2011

बी.एड. में प्रवेश - उत्तर प्रदेश सरकार का नया स्कैन्डल


लखनऊ 14 जुलाई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने उत्तर प्रदेश सरकार पर बी.एड. प्रवेश के नाम पर एक नया स्कैन्डल करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि गैर वित्तपोषित और संसाधन-विहीन संस्थानों को बी.एड. की कक्षाएं चलाने के लिए मान्यता जारी रखने और नई मान्यता दिये जाने के नाम पर सरकार द्वारा शिक्षा माफियाओं से दस लाख पचास हजार रूपये प्रति कालेज लिया गया है तथा उसकी भरपाई कराने के लिए बी.एड. की फीस 51,000/- रूपये तय की गयी है।
लखनऊ के लोग आज भी लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इसी तरह एक संसाधनविहीन कालेज को बी.एड. कक्षायें चलाने के लिए पिछले साल दी गयी मान्यता के प्रकरण को भूले नहीं हैं।
भाकपा राज्य सचिव ने एक प्रेस बयान में कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा बी.एड. प्रवेश के लिए आज से शुरू हो रही कौंसिलिंग में आरक्षित और अनारक्षित दोनों श्रेणियों में प्रवेश के लिए छात्रों को पूरे साल की फीस रू. 51,000/- का ड्राफ्ट कौंसिलिंग के समय ही जमा कराने की शर्त रख कर प्रदेश के वंचित एवं शोषित तबकों के साथ-साथ मध्यम वर्ग के तमाम विद्यार्थियों को प्रवेश से वंचित रखने का निन्दनीय कार्य किया है जिसके लिए प्रदेश की जनता मायावती सरकार को क्षमा नहीं करेगी। प्रेस बयान में कहा गया है कि विश्वविद्यालयों तथा सहायता प्राप्त कालेजों में तो शिक्षकों का वेतन भुगतान राजकोष से किया जाता है और उसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय अनुदान आयोग भी संसाधनों के लिए पैसा मुहैया कराता है, उनके लिए भी रू. 51,000/- की फीस का निर्धारण किसी भी कीमत पर उचित नहीं है। प्रेस बयान में आगे कहा गया है कि जब लखनऊ विश्वविद्यालय और आई.टी. कालेज स्ववित्तपोषित विज्ञान के कोर्सों (जिसमें प्रयोगशालाओं में महंगे उपकरण तथा रसायनों की व्यवस्था करनी होती है) के लिए बीस-तीस हजार रूपये फीस वसूल करते हैं, तब बी. एड. कक्षाओं के लिए 51,000 की फीस समझ से परे है। भाकपा ने विश्वविद्यालयों एवं डिग्री कालेजों द्वारा मासिक एवं द्विमासिक आधार पर शुल्क जमा करने की व्यवस्था समाप्त कर पूरे साल की फीस प्रवेश के समय ही जमा कराने की कटु निन्दा की है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने माननीय राज्यपाल महोदय जोकि प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपति भी हैं, तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के इस नए स्कैन्डल की जांच कराने, बी.एड. कक्षाओं का शुल्क घटाने तथा संसाधनविहीन कालेजों की मान्यता रद्द करने के लिए उचित कार्यवाही अविलम्ब करें।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस मामले में प्रदेश के बुद्धिजीवी तबके से भी अपील करती है कि वे आगे आयें और प्रदेश के राज्यपाल तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष को उचित पत्र भेजें।

1 comment:

विशाल सिंह (Vishaal Singh) said...

हाथियों का राज है, वे क्या जाने शिक्षा-वे क्या जाने ईएड - बीएड, उन्हें तो जिधर हरियाली दिखी घूम गए..., है किसी में दम जो उन्हें रोक सके?! ये कांग्रेसी बचकाने पंजे के बस का रोग नहीं है और ना ही बीजेपी कमल का फूल दिखाकर पुचकार पा रही है. सपाई साइकिल तो कब की पंक्चर हो चुकी है. उत्तर प्रदेश में एक अच्छे महावत की सख्त आवश्यकता है. वैसे प्रदीप जी आपका लेख बहुत अच्छा था, तभी तो भावनाओं में बहकर मैं भी इतना लिख गया...