लखनऊ 13 जुलाई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउंसिल की दो दिवसीय बैठक यहां प्रो. सुहेव शेरवानी एवं का. मोतीलाल ऐडवोकेट की अध्यक्षता में संपन्न हुयी। बैठक में आंदोलन और संगठन संबंधी कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गये।
बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि केंद्र सरकार को सत्ता में आये अभी 14 महीने पूरे नहीं हुये लेकिन इसके और भाजपा की सारी राज्य सरकारों के तमाम घोटाले सामने आ चुके हैं। मोदीगेट में जहां केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया पर गंभीर आरोप हैं तो मानव संसाधन मन्त्री स्मृति ईरानी अपनी योग्यता के फर्जी प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के आरोपों में घिरी हैं। मध्यप्रदेश में इसके मुख्यमंत्री व्यापमं घोटाले और उसके सबूत मिटाने के आरोपों में लिप्त हैं और प्रकरण की सीबीआई जांच घोषित हो जाने के बावजूद इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। महाराष्ट्र के दो-दो मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं तो छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भी सार्वजनिक धन के गोलमाल के आरोपों का सामना कर रहे हैं। लगता है भाजपा सत्ता में आने के बाद कांग्रेस की पचास साल की लूट को पांच सालों में पीछे छोड देने की योजना पर काम कर रही है।
भाकपा का आरोप है कि तमाम मोर्चाें पर विफल हो चुकी उत्तर प्रदेश की सरकार भ्रष्टाचार में अन्य सरकारों से एक कदम भी पीछे नहीं है। भ्रष्टाचार राज्य में अघोषित वैधता हासिल कर चुका है। सिविल सेवा, पुलिस और अन्य भर्तियों में मनमाना कदाचार चल रहा है। राज्य में अवैध खनन अवैध कमाई का जरिया बन चुका है। शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे जनोपयोगी कार्य भी भ्रष्टाचार की जकड में हैं। सरकार के कई मंत्रियो पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों के बावजूद उन्हें पदों से हटाया नहीं गया। शासन-प्रशासन में ऊपर से नीचे तक फैला भ्रष्टाचार आम जनता की लूट का औजार बना हुआ है।
भाकपा राज्य काउंसिल ने केंद्र और राज्य सरकार के घपले-घोटालों और भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्य वामदलों के साथ मिल कर 20 जुलाई को राज्य के सभी मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन आयोजित कर संघर्षों की शुरूआत करने का फैसला लिया है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि किसानों को तबाह करने के लिये केंद्र सरकार जमीन अधिग्रहण संबंधी कानून को पलटने जा रही है। वह किसानों की जमीनों को कारोबारियों को दे देना चाहती है। उत्तर प्रदेश में तो जमीन हड़पने का काम बडे पैमाने पर शुरु हो गया है। जमुना एक्स्प्रेस वे प्राधिकरण ने हाथरस जनपद के 421 गांवों को अपने अधीन लेने की अधिसूचना जारी की है। मौसम की मार से तबाह किसानों को पर्याप्त राहत नहीं प्रदान नहीं की गयी। गन्ना किसानों की भारी राशि आज भी उन्हें अदा नहीं की गयी। उनकी उपजों के लागत मूल्य भी उन्हें मिल नहीं पा रहे। वे गंभीर आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं। अतएव भाकपा ने किसान संगठनों द्वारा 1 सितंबर को प्रस्तावित आंदोलन को पूरी तरह समर्थन प्रदान करने का संकल्प लिया है।
इसी तरह भारत के श्रमिक वर्ग को कानूनी तौर पर असहाय बनाने और उद्योगपति-कारोबारियों को उनको हर तरह से शोषण करने में सक्षम बनाने को केंद्रीय श्रम कानूनों में परिवर्तन किया जा रहा है जिसके विरुद्ध देश के लगभग सभी श्रमिक संगठन 2 सितंबर को हड़ताल करने जा रहे हैं। भाकपा ने इस हड़ताल को संपूर्ण समर्थन प्रदान करने का निर्णय भी लिया है। इसके अलावा सांप्रदायिकता के खतरों से जनता को आगाह करने और महंगाई जैसे सवालों को लेकर पार्टी निरंतर अभियान चलाती रहेगी।
बैठक में भाकपा के सचिव का. अतुल कुमार अंजान खास तौर पर मौजूद थे। काउंसिल बैठक को संबोधित करते हुये उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने उपर्युक्त सभी अभियानों को व्यापक और सफल बनाने की अपील की।
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