पिछले विधान सभा चुनावों के दौरान वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित समाजवादी पार्टी के तमाम नेता जनता से बड़े-बड़े वायदे करते हुए प्रदेश भर में जनसभायें कर रहे थे। विभिन्न तबकों के वोटों के लिए किए गए इन वायदों पर अखिलेश सरकार खरी नहीं उतरी।
बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता, किसानों की ऋण माफी, इंटर के विद्यार्थियों को टैबलेट और इंटर पास चुके छात्रों को लैपटॉप देने सरीखे तमाम वायदे किये गये थे। बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता के नाम पर की गई घोषणा में तमाम ‘किन्तु’ और ‘परन्तु’ जोड़ दिये गये जिसका परिणाम यह हुआ कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश में फैली विकराल बेरोजगारों की फौज में से केवल एक लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिये जाने का मामला सामने आया। बाकी लाखों बेरोजगारों को निराशा ही हाथ लगी।
इसी तरह किसानों के कर्जा माफी के नाम पर केवल भूमि विकास बैंक के कर्जों को ही माफ किया गया। चुनावों के दौरान ऋण माफी के वायदे को देखते हुए तमाम किसानों ने अपना कर्जा अदा नहीं किया जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें न केवल उस कर्जे पर ब्याज की अदायगी करनी पड़ी बल्कि तमाम किसानों के खिलाफ बैंकों ने वसूली प्रमाणपत्र जारी कर दिये जिसके कारण तमाम लोगों की जमीनें और ट्रैक्टर आदि नीलाम हो गये।
इंटर के 25 लाख विद्यार्थियों को टैबलेट देने का वायदा किया गया था। दो साल पूरे होने को हैं परन्तु इस वायदे को आज तक पूरा नहीं किया गया। अब पता चला है कि इस योजना के नाम पर जो कदमताल की जा रही थी, उसे भी बंद कर दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अगले साल के बजट के लिये वित्त एवं नियोजन विभाग को भेजे गये अपने बजट प्रस्ताव में इस मद में केवल एक रूपये का प्राविधान करने के लिए कहा है। मात्र एक रूपये में वे कितने छात्रों को टैबलेट दे पायेंगे, यह बड़ा सवालिया निशान है। ध्यान देने वाली बात यह है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री स्वयं सीधे देख रहे हैं और निश्चित रूप से ऐसा उनके निर्देशों पर ही विभाग ने किया होगा।
इंटर पास करने वाले छात्रों को अलबत्ता लैपटॉप बांटने की कवायद की गई। कहा जाता है कि जितने के लैपटॉप नहीं बांटे गये उससे ज्यादा पैसा लैपटॉप बांटने के आयोजनों पर किया गया। जो लैपटॉप बांटे गये वे बहुत ही घटिया क्वालिटी के हैं और जिन्हें यह मिले हैं, वे इसका उचित एवं आवश्यक प्रयोग भी नहीं कर पा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इन लैपटॉप की खरीद में भी भारी घोटाला हुआ है।
बुनकरों को किये गये तमाम वायदे भी हवा में ही तैर रहे हैं।
केन्द्र सरकार कई सालों से स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना चला रही है। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। खाद्यान्न एवं भोजन पर बनने वाले व्यय का आबंटन केन्द्र सरकार राज्य सरकार को करती है। चौकाने वाली खबर है कि वर्तमान शैक्षिक सत्र में अब तक ग्राम प्रधानों तथा विद्यालयों को न तो खाद्यान्न मुहैया कराया गया है और न ही उसके बनने पर होने वाले व्यय को ही उपलब्ध कराया गया है। जिन ग्राम प्रधानों एवं प्रधानाध्यापकों ने इस आशा में कि देर-सबेर आबंटन मिल ही जायेगा, राशन की दुकान से एडवांड खाद्यान्न उठा कर भोजन बनवा कर बच्चों को मध्यान्न भोजन सुलभ कराया, वे अब परेशान हो रहे हैं क्योंकि कोटेदार राशन के पैसे मांग रहा है और भोजन बनवाने में होने वाला खर्चा तो वे अपने पास से कर ही चुके हैं।
अन्यान्य ऐसे वायदे हैं जो किये गये थे और जिन्हें अखिलेश सरकार लगातार निगलती चली जा रही है। आने वाले लोक सभा चुनावों में जनता के तमाम तबके किये गये वायदों पर जवाब जरूर मांगेंगे।
- प्रदीप तिवारी
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