Friday, November 29, 2013
गन्ना मूल्य और चीनी मिलों को चलवाने हेतु भाकपा का आन्दोलन ९दिसन्बर से.
लखनऊ—३०नवंबर २०१३. आधा पेराई सत्र बीत गया, चीनी मिलें चालू नहीं हुईं, गन्ने का पिछला बकाया किसानों को मिला नहीं, गन्ने का नया समर्थन मूल्य घोषित नहीं हुआ, नतीजतन आशंकित किसानों ने आत्महत्या करना शुरू कर दिया है. लेकिन राज्य सरकार अभी कार्यवाही का झुनझुना ही थमा रही है. इससे किसानों में भारी गुस्सा है और वे सड़कों पर उतर रहे हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उनके हितों की लड़ाई में मुस्तैदी से उनके साथ खड़ी है और उसने सड़कों पर उतरने का ऐलान कर दिया है.
उपर्युक्त जानकारी देते हुए भाकपा के राज्य सचिव डॉ.गिरीश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में भाकपा गन्ना किसानों के समर्थन में ९दिसम्बर से आन्दोलन छेड़ने जा रही है. ९दिसम्बर को इसकी शुरुआत जिलों-जिलों में धरनों, प्रदर्शनों एवं आमसभाओं से होगी और उन जिलों में सघन कार्यवाहियां जारी रहेंगी जहाँ गन्ने का उत्पादन खासा पैमाने पर होता है.
भाकपा की राय में गन्ना किसानों के इस अभूतपूर्व संकट के लिए मौजूदा राज्य सरकार तो जिम्मेदार है ही बसपा की गत राज्य सरकार भी जिम्मेदार है जिसने सहकारी और सरकारी २१ चीनीं मिलें कोडी के मोल बेच डालीं. यदि आज ये मिलें निजी क्षेत्र को बेचीं न गयीं होतीं और सार्वजनिक क्षेत्र में ही काम कर रहीं होती तो आज के हालात पैदा नहीं हुए होते. केंद्र सरकार ने भी कोई स्पष्ट गन्ना नीति नहीं बनाई और भाजपा तो गन्ना क्षेत्र में सांप्रदायिकता भड़का कर हिंसा और विभाजन के काम में जुटी रही. आज ये पार्टियाँ किसानों के लिए घडियाली आंसू बहा रहीं हैं जिससे किसानों का कोई भला होने वाला नहीं है.
भाकपा की मांग है कि गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य रु.३५० प्रति कुंतल तत्काल घोषित किया जाये,चीनी मिलों को फौरन चलाया जाये, जो मिलें न चलें सरकार उनका अधिग्रहण करे,चीनी मिलों पर किसानों के बकाया रु.२४ हजार करोड़ का ब्याज समेत भुगतान किया जाये तथा नया भुगतान हाथ के हाथ कराया जाये. आन्दोलन के बाद भाकपा राज्यपाल के नाम ज्ञापन जिला अधिकारियों को सौंपेगी.
डॉ. गिरीश,राज्य सचिव
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