लखनऊ 28 मार्च। राज्य सरकार द्वारा राज्य के बड़े जिलों में पुलिस आयुक्त प्रणाली की स्थापना की घोषणा पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना विरोध प्रकट करते हुए कहा है कि प्रदेश में पुलिस की कार्यप्रणाली, उसकी मानसिकता और उसका मौजूदा ढांचा पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए उपयुक्त नहीं है। पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने से जिला पुलिस और अधिक निरंकुश, अमानवीय तथा नियंत्रणविहीन हो जायेगी।
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि प्रदेश की नई सरकार यह जताने की कोशिश कर रही है कि वह प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में आमूल-चूल सुधार करना चाहती है लेकिन इस तरह के बिना सोचे समझे किये गये परिवर्तन जनता के लिए नए संकटों और परेशानियों को जन्म देने वाले साबित हो सकते हैं। भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि बेहतर होगा कि राज्य सरकार जल्दबाजी में कोई कदम उठाने के बजाय राष्ट्रीय एवं राज्य के राजनीतिक दलों से विमर्श कर पुलिस कानून 1861 को निरस्त कर उसके स्थान पर राष्ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिशों तथा सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुरूप लोकतांत्रिक कानून बनाने, आवश्यक पुलिस सुधारों को लागू करने, पुलिस को जनता के साथ मित्रवत मित्रवत बनाने, पुलिस हिरासत में मौतों को रोकने और इस तरह की किसी भी घटना पर कठोर तथा त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने, अपराधों पर रोक के लिए पुलिस की जांच को पुख्ता करने के लिए अपराध विज्ञान प्रयोगशालाओं की जिला स्तर पर स्थापना करने जिससे अपराधियों को पकड़ने में पुलिस सक्षम हो सके और मुकदमों में सजा सुनिश्चित हो सके, पुलिस द्वारा निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर सख्त कार्यवाही के लिए तंत्र विकसित करने और एफआईआर दर्ज करने से जांच तक हर स्तर पर रिश्वतखोरी को समाप्त करने आदि की दिशा में आगे बढ़े जिससे कानून-व्यवस्था की हालत में सुधार हो सके तथा जनता राहत की सांस ले सके।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि पुलिस के प्रशासनिक तंत्र में परिवर्तन करने से स्थितियां सुधारने वाली नहीं है, ज्यादा जरूरी है पुलिस की मानसिकता एवं उसके कार्य करने के तौर तरीकों में आमूल-चूल सुधार की और नई राज्य सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
कार्यालय सचिव
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि प्रदेश की नई सरकार यह जताने की कोशिश कर रही है कि वह प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में आमूल-चूल सुधार करना चाहती है लेकिन इस तरह के बिना सोचे समझे किये गये परिवर्तन जनता के लिए नए संकटों और परेशानियों को जन्म देने वाले साबित हो सकते हैं। भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि बेहतर होगा कि राज्य सरकार जल्दबाजी में कोई कदम उठाने के बजाय राष्ट्रीय एवं राज्य के राजनीतिक दलों से विमर्श कर पुलिस कानून 1861 को निरस्त कर उसके स्थान पर राष्ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिशों तथा सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुरूप लोकतांत्रिक कानून बनाने, आवश्यक पुलिस सुधारों को लागू करने, पुलिस को जनता के साथ मित्रवत मित्रवत बनाने, पुलिस हिरासत में मौतों को रोकने और इस तरह की किसी भी घटना पर कठोर तथा त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने, अपराधों पर रोक के लिए पुलिस की जांच को पुख्ता करने के लिए अपराध विज्ञान प्रयोगशालाओं की जिला स्तर पर स्थापना करने जिससे अपराधियों को पकड़ने में पुलिस सक्षम हो सके और मुकदमों में सजा सुनिश्चित हो सके, पुलिस द्वारा निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर सख्त कार्यवाही के लिए तंत्र विकसित करने और एफआईआर दर्ज करने से जांच तक हर स्तर पर रिश्वतखोरी को समाप्त करने आदि की दिशा में आगे बढ़े जिससे कानून-व्यवस्था की हालत में सुधार हो सके तथा जनता राहत की सांस ले सके।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि पुलिस के प्रशासनिक तंत्र में परिवर्तन करने से स्थितियां सुधारने वाली नहीं है, ज्यादा जरूरी है पुलिस की मानसिकता एवं उसके कार्य करने के तौर तरीकों में आमूल-चूल सुधार की और नई राज्य सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
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