Monday, January 23, 2012

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा विधान सभा चुनावों के दौरान प्रमुख न्यूज चैनल्स द्वारा बरती जा रही पक्षधरता की शिकायत

    लखनऊ 24 जनवरी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने विधान सभा चुनावों के दौरान प्रमुख न्यूज चैनल्स द्वारा बरती जा रही पक्षधरता की शिकायत मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी से की है। इन दोनों को लिखे पत्र में भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनावों का प्रचार जारी है और निर्वाचन आयोग द्वारा बनाये कड़े नियमों से प्रचार कार्य में आपा-धापी नहीं चल पा रही है। यह अच्छी बात है लेकिन प्रमुख न्यूज चैनल्स आयोग के नियमों और अपेक्षाओं की धज्जियां बिखेर रहे हैं। वे पूंजीवादी पार्टियों के समाचार प्रसारित कर रहे हैं जिनसे कि उन्हें विज्ञापन मिल रहे हैं अथवा जो उन्हें पिछले रास्ते से आर्थिक लाभ पहुंचाने में समर्थ हैं। इन चैनल्स द्वारा उत्तर प्रदेश में केवल चार पार्टियों - कांग्रेस, भाजपा, बसपा तथा सपा के अभियानों को दिन-रात प्रसारित-प्रचारित किया जा रहा है। जो पार्टियां सचाई, ईमानदारी के रास्ते पर चलने के कारण इन्हें विज्ञापन नहीं दे सकतीं अथवा उपकृत नहीं कर सकतीं - खासकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को पूरी तरह नजरंदाज किया जा रहा है।

    भाकपा राज्य सचिव ने निर्वाचन आयोग को भेजी शिकायत में कहा है कि भाकपा द्वारा अपने कार्यक्रमों की सूचना लगातार इन चैनल्स को उपलब्ध कराई जा रही है। 21 जनवरी को भाकपा ने लखनऊ मुख्यालय पर अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया जिसकी सूचना सभी चैनल्स को दी गई। लेकिन ईटीवी, उत्तर प्रदेश, सहारा समय, उत्तर प्रदेश तथा पी-7 के अलावा किसी न्यूज चैनल्स ने इसका नोटिस नहीं लिया और एक पंक्ति भी भाकपा के घोषणापत्र के बारे में प्रसारित नहीं की जबकि सभी समाचार पत्रों ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया।

    भाकपा ने कहा है कि यह कृत्य अपने आपमें ‘पेड न्यूज’ का ही एक प्रकार है। न्यूज चैनल्स की यह पक्षधरता न केवल लोकतंत्र के लिये घातक है अपितु आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन है। इस पर रोक लगाये जाने की आवश्यकता है।

    आयोग को लिखे पत्र में भाकपा ने मांग की है कि सभी चैनल्स के लिये एक गाइडलाइन तैयार की जाये कि वे अपने बुलेटिनों के कुल प्रसारण समय में सभी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त दलों को बराबर-बराबर स्थान दें। क्षेत्रीय दलों को इसके बाद स्थान दिया जा सकता है। साथ ही समाचार चैनल्स के प्रसारण पर निगरानी रखने को एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाये जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, प्रेस परिषद के वरिष्ठ सदस्य, सेवानिवृत्त निर्वाचन आयुक्त तथा एक स्वतंत्र बुद्धिजीवी को शामिल किया जाये।

कार्यालय सचिव

Saturday, January 21, 2012

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनाव घोषणापत्र

 



















देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की 16वीं विधान सभा का चुनाव हो रहा है। यह चुनाव स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक परिवर्तनकारी, महत्वपूर्ण और निर्णायक चुनाव साबित हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जनता -
  • जांति-पांति, धार्मिक और क्षेत्रीय संकीर्णताओं से बाहर निकल कर अपने बदतर हालातों पर गौर करे;
  • चुनावों के दौरान अपनाये जाने वाले भ्रष्ट तौर-तरीकों से प्रभावित न हो; और
  • अपने हितों तथा प्रदेश एवं देश के हितों को ध्यान में रखकर चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करे।
सरकारों द्वारा प्रायोजित भ्रष्टाचार एवं महंगाई से समाज के व्यापकतम तबकों की कठिनाईयां बेहद बढ़ी हैं। ऐसे में प्रदेश की जनता को बेहद समझ बूझ कर अपने मत का प्रयोग करना है और देश की आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका अदा करने वाले इस महान प्रदेश के भविष्य का निर्माण करना है।
पांच साल पहले जो सरकार प्रदेश में सत्ता में थी वह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सरमायेदारों के हाथ बेच रही थी, किसानों की जमीनों का मनमाने तरीके से अधिग्रहण कर उसे अपने प्रिय सरमायेदारों को सौंप रही थी, भ्रष्टाचार चरम पर था यहां तक कि पुलिस कांस्टेबिलों की भर्ती में भारी पैसे का लेन-देन उजागर हुआ था, शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया गया था और नये विद्यालयों की मान्यता में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त था, महंगाई दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही थी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली ध्वस्त  पड़ी थी, गुण्डागर्दी और माफियागीरी सरे आम चल रही थी, कानून-व्यवस्था ध्वस्त पड़ी थी और सरकार एवं प्रशासन पर से जनता का विश्वास पूरी तरह से उठ गया था।
इन सबसे निजात पाने के लिए 2007 के विधान सभा चुनावों में आम जनता ने अपना जनादेश दिया था। जनता की इच्छा थी कि नई सरकार इन सभी समस्याओं पर पूरा ध्यान देगी, आम आदमी की सुध लेगी और स्वच्छ प्रशासन प्रदान कर समस्याओं का निराकरण करेगी।
लेकिन इस सरकार ने भी अपनी पूर्ववर्ती सरकार के पदचिन्हों पर ही चलना शुरू कर दिया। गत प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार का अनुसरण करते हुए प्रदेश सरकार ने आर्थिक नवउदारवाद की जिस प्रतिगामी आर्थिक नीति का अनुसरण शुरू किया, उससे प्रदेश की जनता खासकर किसानों, मजदूरों, बुनकरों, खेतिहर मजदूरों, दस्तकारों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, युवाओं, छात्रों, कर्मचारियों, महिलाओं, दलितों तथा अल्पसंख्यकों की कठिनाईयां आज चरम पर हैं। प्रतिरोध के स्वरों तक को सरकार सुनने को तैयार नहीं हुई और जनता के आक्रोश को दबाने के लिए आन्दोलनों से लाठियों एवं गोलियों से निपटा गया। सरकार ने जनता से एक ऐसी दूरी स्थापित कर ली जिससे जनता की सिसकारियों की आवाज उसे सुननी न पड़े। बसपा सुप्रीमो पैसा बटोरने के लिए भ्रष्ट उद्यमियों, बिल्डरों, अपराधियों एवं माफियाओं को लाभ पहुंचाने में लगी रहीं।
प्रदेश की कानून-व्यवस्था बदतर हो चुकी है। एक दलित और महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद सर्वाधिक दमन इन्हीं दोनों तबकों पर बढ़ा है। महिलाओं से बलात्कार और उनसे छेड़छाड़ की घटनायें आये दिन होती रही हैं। उनसे न केवल दुष्कर्म किये गये अपितु दुष्कर्म के बाद हत्यायें कर दी गयीं। इन अपराधों की जड़ में शासक दल के नेता, उनके पालतू गुण्डे, सामंती तत्व तथा पुलिस थाने रहे हैं। अपराधियों को बचाने में पूरा पुलिस तंत्र और प्रशासन हमेशा लगा रहा। हत्या, लूट, चोरी, दहेज हत्यायें, ऑनर किलिंग आदि सभी अपराध बेधड़क होते रहे। थानों पर पीड़ितों की रिपोर्ट तक नहीं लिखी गयीं। पुलिस हिरासत में कई मौतें हुईं। थाने एवं पुलिस चौकियां पैसा वसूलने और दलाली के अड्डे बन कर रह गये। जगह-जगह दलितों और कमजोरों को न केवल सताया जाता रहा है बल्कि उनकी हत्यायें भी होती रहीं। रमाबाईनगर (कानपुर देहात) में भाकपा नेता एवं दलित प्रधान सरजू प्रसाद कठेरिया की हत्या सितम्बर 2011 में बसपा विधायक द्वारा संरक्षित अपराधियों ने केवल इसलिए कर दी कि वे ईमानदारी से अपना काम कर रहे थे और माफिया तत्वों को निगाह की किरकिरी बने थे। भ्रष्टाचार के धन की बंदरबाट को लेकर प्रदेश में तमाम हत्यायें हुईं। राजधानी लखनऊ में ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से संबंधित दो मुख्य चिकित्साधिकारियों की हत्याओं तथा एक उप मुख्य चिकित्साधिकारी की जेल में हत्या ने शासन-प्रशासन में बैठे अपराधियों के दुस्साहस को उजागर कर दिया था।
बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर तमाम अपराधियों, दबंगों और माफियाओं को चुनवा कर संसद और विधान सभा में पहुंचाया। वे ही पिछले इन सालों में तमाम अपराधों और भ्रष्टाचार के सूत्रधार बने रहे। अखबारों में समाचार छपने पर उन्हें दंडित करने और बाद में उन्हें क्लीन चिट देने का सिलसिला जारी रहा। हालत इतनी गंभीर है कि बसपा सरकार के कई मंत्री एवं विधायक हत्या, बलात्कार, भ्रष्टाचार सरीखे संगीन आरोपों में जेल में बंद हैं या मजबूरी में सरकार से हटाये गये हैं।
इसके पहले प्रदेश में सत्ता में रही भाजपा और कांग्रेस के शासन काल के दौरान भी प्रदेश की जनता कमोबेश इन्हीं हालातों से दो-चार होती रही थी।
लगभग ढ़ाई वर्ष पहले लोक सभा के चुनावों में केन्द्र में कांग्रेस नीत संप्रग-2 की सरकार सत्ता में आई जिसे सपा एवं बसपा का समर्थन प्राप्त है। इस सरकार ने भ्रष्टाचार और महंगाई के नए कीर्तिमान स्थापित किये और उन आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ाया जिससे समाज में आर्थिक विषमता और तेजी से बढ़ी है।
संप्रग-1 सरकार और वामपंथ का उसे समर्थन का जिक्र यहां समीचीन है। जनता के तमाम तबकों ने इस बात का नोटिस लिया है कि संप्रग-1 सरकार पर वामपंथ के दवाब के कारण जहां एक ओर ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (जिसे अब मनरेगा कहा जाता है) और सूचना के अधिकार के कानून बने थे वहीं दूसरी ओर महंगाई पर अंकुश लगा रहा था, राजनीतिक भ्रष्टाचार फल-फूल नहीं सका था और केन्द्र सरकार जनविरोधी आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ा नहीं सकी थी। वामपंथ की ताकत में ह्रास का परिणाम आज सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेशीकरण, महंगाई और भ्रष्टाचार के रूप में आम जनता के सामने है।
केन्द्र और राज्य सरकारों की नीतियों के चलते जनता में उनके प्रति तीखा आक्रोश है। केन्द्रीय और उत्तर प्रदेश के स्तर पर भाजपा और प्रदेश स्तर पर समाजवादी पार्टी इस आक्रोश को भुनाने में जुटी हैं। लेकिन इनकी नीतियों और कारगुजारियों से वाकिफ जनता उनकी ओर आकर्षित नहीं हो रही है। भाजपा ने तो बसपा के कई दागी पूर्व मंत्रियों को शामिल कर नैतिकता की सारी हदें पार कर दीं हैं और अपनी सिद्धान्तहीनता एवं मौकापरस्ती को सार्वजनिक कर दिया है। कांग्रेस एवं बसपा की स्थिति में गिरावट है तो भाजपा एवं सपा की स्थिति भी दिनोंदिन नीचे जा रही है। बसपा अपने को अव्वल दिखाने की कोशिशों में जुटी है तो अन्य तीनों उसकी मुख्य प्रतिद्वंदी होने का दावा करने में जुटी हैं। चारों दलों से प्रतिदिन दर्जनों नेता व कार्यकर्ता पलायन कर रहे हैं। प्रदेश की राजनीति एक विकल्पशून्यता एवं ठहराव की स्थिति में है।
इस विकल्प शून्यता एवं ठहराव को उत्तर प्रदेश में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उसके सहयोग से  चलने वाली वामपंथी, धर्मनिरपेक्ष एवं जातिवाद से दूर शक्तियां ही तोड़ सकती हैं। इसी उद्देश्य से हमने ऐसी शक्तियों को एकजुट कर चुनाव मैदान में जाने का निश्चय किया है।
विधान सभा चुनावों के इस मौके पर तमाम अखबारों ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायकों एवं सांसदों पर विशेष लेख छाप कर यह इंगित कर दिया है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक एवं सांसद न केवल ईमानदार रहे हैं बल्कि जनता के हितों के लिये सतत संघर्षरत रहे हैं। श्री अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ तैयार किया गया वातावरण भी जनता को भाकपा की ओर आकर्षित कर रहा है।
इन सबसे जाहिर है कि इस समय उत्तर प्रदेश में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ताकत बढ़ना बहुत जरूरी है जो आप सबके द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को वोट देने से ही संभव है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लक्ष्य 
  • 16वीं विधान सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी तथा वामपंथी दलों की मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करना।
  • वर्तमान विधान सभा चुनावों के जरिये तमाम माफियाओं, भ्रष्ट तथा जनविरोधी राजनीतिज्ञों को अगली विधान सभा में प्रवेश से रोकना।
  • साम्प्रदायिक एवं जातिवादी पार्टियों और ताकतों को पीछे धकेलना।
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उपरोक्त लक्ष्य को हासिल कर जनता के हित में निम्न प्रमुख कार्यों को पूरा करना चाहती है।
विद्यार्थियों तथा नौजवानों के लिये
  • दोहरी शिक्षा प्रणाली की समाप्ति और शिक्षा का राष्ट्रीयकरण।
  • रोजगार उन्मुख निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था।
  • मध्यान्ह भोजन योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
  • धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रीय एकता तथा प्रगतिशील मानव मूल्यों का संचार करने वाले तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने वाले पाठ्यक्रमों को तैयार करना।
  • सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के रिक्त स्थानों पर भर्ती।
  • छात्रों एवं नौजवानों में खेल के प्रति रूझान पैदा करने के लिए जिलों-जिलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल-कूद की पर्याप्त सुविधाओं को विकसित करना।
  • बेरोजगारी समाप्ति के लिए रोजगार सृजन के लिए तमाम क्षेत्रों का विकास।
  • मनरेगा के समकक्ष योजना शहरी क्षेत्रों के लिए भी तैयार करना।
महिलाओं एवं बच्चों के लिये
  • संसद एवं विधायिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण का कानून बनवाना।
  • महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर कठोरतम कदम उठाना।
  • महिलाओं के लिए समान कानूनी अधिकार।
  • महिला एवं बाल-कल्याण कार्यक्रमों को सार्वभौमिक बनाना एवं इन योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
  • बच्चों के खिलाफ अपराध पर कठोर कार्यवाही तथा इन अपराधों के लिए सजा में बढ़ोतरी।
  • बालश्रम का उन्मूलन।
औद्योगिक मजदूरों के लिए
  • मजदूरों के हितों की पूरी दृढ़ता से रक्षा।
  • श्रम कानूनों में मजदूरों के हित में परिवर्तन तथा कानूनों को प्रभावी तरह से लागू करना।
  • मजदूर यूनियन बनाने में अड़गे डालने वालों को सख्त सजा दिये जाने के लिए कानून बनाना।
  • विभिन्न उद्योगों के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी के स्तर को जीने लायक मजदूरी में बदलना।
  • हर माह नियत तिथि पर मजदूरी भुगतान की गारंटी।
  • ठेका प्रथा एवं आउटसोर्सिंग की समाप्ति।
ग्रामीण एवं असंगठित मजदूरों के लिए
  • खेत मजदूरों तथा अन्य असंगठित वर्ग के मजदूरों के लिए आवश्यकता पर आधारित न्यूनतम मजदूरी (जिसके लिए 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन ने सिफारिश की थी), पेंशन और अन्य सामाजिक कल्याण लाभ, महिला मजदूरों के लिए समान मजदूरी और प्रसूति सुविधाओं की गारंटी करने वाले कानून को बनाना।
  • हदबंदी के ऊपर की बची जमीन और कृषि योग्य अन्य जमीनों का भूमिहीनों में वितरण।
खेती एवं किसानों के लिए
  • कृषि के विकास को राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास की बुनियाद बनाना।
  • मूलगामी भूमि सुधारों पर अमल।
  • राष्ट्रीय कृषि आयोग की सिफारिशों, जिसमें 4 प्रतिशत ब्याज पर ऋण मुहैया कराना शामिल है, को लागू कराने की दिशा में कार्य।
  • भूमि अभिलेखों के सही रखरखाव, चकबंदी को भ्रष्टाचार मुक्त कराना एवं निर्धारित समय सीमा के अंदर चकबंदी को पूरा करना।
  • किसानों द्वारा खेती में प्रयुक्त सामग्रियों - खाद, बीज, पानी, डीजल आदि की कीमतों में कटौती के तमाम उपाय तथा कृषि उत्पादों को लाभ पर बेचने की व्यवस्था (जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्यों को लागत मूल्य के उपर तय करना शामिल है) सुनिश्चित कर खेती को लाभदायक बनाना।
  • खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कृषि में सार्वजनिक निवेश की वृद्धि।
  • सिंचाई एवं जल संरक्षण के लिए उचित योजना बनाना और उसे कार्यान्वित करना।
  • बाढ़ नियंत्रण एवं सूखे की रोकथाम के लिए कदम उठाना।
  • कृषि विज्ञान केन्द्रों के ताने-बाने का विकास जिससे रसायनिक उर्वरकों का उपयोग कम किया जा सके।
  • सहकारिता आन्दोलन को मजबूत करना और उसमें व्याप्त नौकरशाही हस्तक्षेप तथा भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
  • कृषि के साथ किये जा सकने वाले अन्य कारोबारों - पशु पालन, मछली पालन, बागवानी आदि के लिए ढांचा विकसित करना और उसके लिए पैकेज की व्यवस्था, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके।
  • कारपोरेट खेती पर प्रतिबंध।
  • ब्रिटिश शासन काल के भूमि अधिग्रहण कानून के स्थान पर नया कानून बनाना और उपजाऊ जमीनों के अधिग्रहण पर रोक।
  • यदि आधारभूत ढांचे के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण के अतिरिक्त कोई विकल्प न हो तो भूमि के उचित मूल्य के भुगतान के साथ ही प्रभावित किसान एवं ग्रामीण मजदूरों के पुनर्वास की व्यवस्था - जिसमें अन्यत्र भूमि वितरण शामिल है, सुनिश्चित करना।
  • प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र में विकसित करना।
दलितों, आदिवासियों तथा पिछड़ी जनता के लिए
  • रिक्त पड़े आरक्षित पदों पर नियुक्तियां।
  • आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा, गैर कानूनी ढंग से उनसे ली गयी जमीनों को उन्हें वापस करना।
बुनकरों तथा अन्य दस्तकारों के लिए
  • यू. पी. हैण्डलूम कारपोरेशन को बहाल किया जायेगा जिससे बुनकरों एवं अन्य दस्तकारों के उत्पादों की बिक्री संभव हो सके।
  • बंद कताई मिलों को दुबारा चालू किया जायेगा।
  • बुनकरों एवं दस्तकारों को रियायती दर पर बिजली और सूत मुहैय्या कराना।
  • हथकरघा वस्त्रों तथा अन्य उत्पादों के निर्यात के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करना।
समाचार माध्यमों एवं उनके कर्मियों के बारे में
  • छोटे एवं मध्यम समाचार माध्यमों के विकास के लिए उचित माहौल।
  • मीडियाकर्मियों को वेज बोर्ड के अनुसार वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैय्या कराना।
  • आधारभूत ढांचा एवं सार्वजनिक क्षेत्र के लिए
  • प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र में विकसित करना।
  • बिजली आदि क्षेत्रों में शुरू की गयी निजीकरण की प्रक्रिया को उलटना।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बन्द पड़े उद्योगों को पुनः चालू करना।
  • सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरशाही हस्तक्षेप तथा भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
  • सार्वजनिक क्षेत्र को स्वाबलंबी बनाना।
  • प्रदेश के हर क्षेत्र का औद्योगिक विकास सुनिश्चित करना।
  • कृषि उत्पादों पर आधारित तथा निर्यात-उन्मुख उद्योगों के विकास पर विशेष ध्यान देना।
  • लघु उद्योगों के विकास पर विशेष ध्यान देना।
सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाना और रू. 10.00 लाख वार्षिक आय वाले परिवारों को उसके माध्यम से 14 आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति।
  • सभी मोहल्लों तथा ग्रामों में सस्ते दामों की दुकानों की स्थापना तथा इस प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
  • गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों के लिए वर्तमान सस्ती दरों पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति।
  • खाद्यान्नों को नष्ट होने से बचाने के लिए पीसीएफ के लिए गोदामों का निर्माण।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के लिए
  • सभी जिला मुख्यालयों पर स्थित जिला एवं महिला अस्पतालों का उच्चीकरण।
  • ब्लाक स्तर पर सरकारी क्षेत्र में बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था।
  • मंडल मुख्यालय पर मेडिकल कालेजों की स्थापना।
  • अस्पतालों में रिक्त चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों के रिक्त पड़े पदों को भरा जाना।
  • स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों के अतिरिक्त पदों का सृजन।
  • सरकारी अस्पतालों में सभी जांचों तथा दवाईयों की मुफ्त व्यवस्था और उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
  • स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण की सभी संभावनाओं को रद्द करना।
अल्पसंख्यकों के बारे में
  • रंगनाथ मिश्र आयोग तथा सच्चर कमेटी की अनुशंसाओं को लागू करना।
  • अल्पसंख्यकों के शैक्षिक तथा आर्थिक उन्नयन के लिए उचित कदम।
  • प्रशासन, पुलिस एवं सुरक्षा बलों में उनका समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।
  • अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के मामलों में धार्मिक भेदभाव की समाप्ति।
चुनाव सुधारों के बारे में
  • चुनावों में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करना।
  • चुनावों को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए उचित कदम।
  • निर्वाचित प्रतिनिधि द्वारा स्वयं पार्टी छोड़ने अथवा उसके पार्टी से निष्कासन पर संबंधित निकाय से उसकी सदस्यता का समापन।
  • मान्यता प्राप्त पार्टियों को राज्य की ओर से वित्तीय सहायता और इस सम्बंध में इन्द्रजीत गुप्ता समिति की सिफारिशों का अनुमोदन एवं क्रियान्वयन।
भ्रष्टाचार उन्मूलन के बारे में
  • प्रभावी लोकपाल के प्रति भाकपा अपनी प्रतिबद्धता पुनः जाहिर करती है।
  • जांच से लेकर मुकदमा चलाने तक सीबीआई सहित सभी जांच एजेंसियों को कार्यगत स्वतंत्रता मुहैया कराना।
  • सीबीआई की तरह एक स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रदेश स्तर पर गठन।
  • सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती से त्वरित कार्यवाही।
  • भ्रष्टाचार के मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए विशेष न्यायालयों का गठन।
  • जन-धन के सभी उपयोगों की स्वतंत्र एजेंसी से आडिट आवश्यक करना।
  • सामाजिक कल्याण योजनाओं के सोशल आडिट की व्यवस्था।
  • राजनैतिक भ्रष्टाचार की जड़ सांसद एवं विधायक निधि को समाप्त करना।
पुलिस सुधार
  • पुलिस कानून 1861 को निरस्त कर उसके स्थान पर राष्ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिशों के अनुसार लोकतांत्रिक कानून बनाना।
  • पुलिस को जनता के साथ मित्रवत रहने की शिक्षा देना और उन्हें मित्रवत बनाना।
  • पुलिस हिरासत में मौतों को रोकना और इस तरह की किसी भी घटना पर कठोर तथा त्वरित कार्यवाही।
  • अपराधों पर रोक के लिए पुलिस की जांच को पुख्ता करने के लिए अपराध विज्ञान प्रयोगशालाओं की जिला स्तर पर स्थापना जिससे अपराधियों को पकड़ने में पुलिस सक्षम हो सके और मुकदमों में सजा सुनिश्चित हो सके।
  • पुलिस द्वारा निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर सख्त कार्यवाही के लिए तंत्र विकसित करना।
  • एफआईआर दर्ज करने से जांच तक हर स्तर पर रिश्वतखोरी को समाप्त करना।
जल प्रबंधन
  • एक व्यापक जल प्रबंधन व्यवस्था पर अमल, जिसमें नदियों को परस्पर इस ढंग से जोड़ना कि पर्यावरण पर असर न पड़े, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, वर्षा जल संचयन एवं सभी के लिए पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था शामिल है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करेगी।
  • इसके लिए राज्य स्तर पर सीआईएसआर जैसी संस्था की स्थापना करेगी।
  • धर्मनिरपेक्षता की रक्षा तथा साम्प्रदायिक कट्टरपंथ का विरोध
  • हर किस्म की साम्प्रदायिकता, धार्मिक कट्टरपन, भाषायी, क्षेत्रीय तथा उग्र एवं अंध राष्ट्रवाद - जिससे हमारे समाज का एका और सौहार्द भंग होता है - के विरूद्ध सशक्त अभियान।
  • धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा और उसे मजबूत करना।
  • भाकपा हर तरह के जातिवादी भेदभाव और जातिवाद के राजनैतिक लाभ उठाने की हर कोशिश को समाप्त करेगी।
संसदीय लोकतंत्र की रक्षा
  • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करेगी।
  • विधान सभा एवं विधान परिषद की साल भर में कम से कम 100 दिनों तक बैठकों के आयोजन को सुनिश्चित करेगी।
  • नीतिगत फैसलों - जिनका जनमानस पर व्यापक प्रभाव होना है, पर विधायिका की मुहर को आवश्यक करना।
अन्य
  • आवास के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाने की दिशा में कार्य।
  • सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र की पिछली सरकारों द्वारा बेची गयी परिसंपत्तियों का राष्ट्रीयकरण।
  • विद्यालयों को वित्तविहीन मान्यता की व्यवस्था की समाप्ति, वर्तमान वित्तविहीन विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों को राज्य द्वारा वेतन भुगतान की व्यवस्था में लाना।
  • शिक्षा-मित्रों, मध्यान्ह भोजन रसोईया, आशा बहुओं, आंगनबाड़ी वर्कर्स की सेवाओं का नियमितीकरण एवं वेतन भुगतान।
  • विकलांग व्यक्ति कानून 1995 में प्रभावी अमल जिससे उन्हें अपनी क्षमताओं के निर्माण के पर्याप्त अवसर मुहैया हो सकें।
  • वृद्धावस्था, विकलांग एवं विधवा पेंशन सभी पात्र व्यक्तियों को मुहैया कराना और प्रति माह पेंशन की राशि को कम से कम जीवन निर्वाह के स्तर पर लाना। इन योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना। इन योजनाओं में पात्रता की परिभाषा में परिवर्तन जिससे उन सभी लोगों को, जिन्हें इसकी जरूरत है, इसमें शामिल किये जा सकें।
  • अधिवक्ता कल्याण निधि की राशि को बढ़ाकर छः लाख किया जायेगा।
उत्तर प्रदेश का विकास
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ऐसी आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक नीतियों को लागू करेगी जिससे उत्तर प्रदेश के समस्त भौगोलिक क्षेत्रों का समग्र, समान एवं त्वरित विकास हो। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का सृजन हो। इस समग्र आर्थिक विकास से ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रूकेगा तथा विभाजनकारी राजनैतिक शक्तियों, नेताओं और सरकारों की उत्तर प्रदेश को विभाजित करने की सारी विघटनकारी चालबाजियाँ भी ध्वस्त हो जायेंगी। समग्र रूप से विकसित उत्तर प्रदेश में ही उत्तर प्रदेश की 21 करोड़ जनता का भविष्य सुरक्षित रह सकता है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस घोषणापत्र में व्यक्त दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध है। इन बातों को मनवाने के लिए और आगामी दिनों में इन पर अमल के लिए वह विधान सभा एवं संसद के बाहर एवं भीतर संघर्ष जारी रखेगी।
इसके लिए आवश्यक है कि 16वीं विधान सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के और कुल मिलाकर वामपंथ के विधायक अधिक से अधिक संख्या में चुन कर आयें।
भाकपा प्रदेश के मतदाता भाइयों एवं बहनों से अपील करती है कि वह प्रदेश की जनता के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और उसकी तमाम ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिये -
  • सर्वप्रथम भाकपा प्रत्याशियों को वोट दें।
  • भाकपा समर्थित प्रत्याशियों को वोट दें।
  • संवेदनशील, संघर्षशील एवं मजबूत वामपंथी विकल्प के निर्माण का रास्ता प्रशस्त करें।
Vote for CPI

Friday, January 20, 2012

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा चुनाव घोषणापत्र जारी करने हेतु प्रेसवार्ता हेतु आमंत्रण

20 जनवरी 2012

सम्पादक/ब्यूरो प्रमुख
समाचार पत्र/टी.वी. चैनेल्स/न्यूज एजेंसीज
लखनऊ

प्रिय महोदय,

भाकपा का चुनाव घोषणापत्र जारी करने हेतु पत्रकार वार्ता

    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश कल दिनांक 21 दिसम्बर 2012 को दोपहर 12.00 बजे भाकपा के राज्य कार्यालय 22 - कैसरबाग, लखनऊ पर एक पत्रकार वार्ता में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव घोषणापत्र को जारी करेंगे।

    आपसे निवेदन है कि अपने प्रतिनिधि/छायाकार को उपर्युक्त पत्रकार वार्ता में भाग लेने के लिए निर्देशित करने का कष्ट करें।

भ व दी य


कार्यालय सचिव

Tuesday, January 17, 2012

भाकपा ने जारी की प्रत्याशियों की तीसरी सूची

    लखनऊ 18 जनवरी 2012। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विधान सभा चुनाव हेतु अपने प्रत्याशियों की तीसरी सूची जारी कर दी। इस सूची में भाकपा ने 9 प्रत्याशी घोषित किये हैं। इस तरह भाकपा ने अब तक कुल 53 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार दिये हैं।
    सूची जारी करते हुये राज्य सचिव डा. गिरीश ने बताया कि संवेदनशील, संघर्षशील एवं सशक्त वामपंथी विकल्प के निर्माण में अगुवा भूमिका निभा रही भाकपा किसान-मजदूरों और आम आदमी के ज्वलंत सवालों पर चुनाव अभियान चला रही है। भाकपा ने भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की जमीनों के जबरिया अधिग्रहण और गरीबों के लिये चल रही विभिन्न सरकारी योजनाओं में लूट खसोट को उजागर कर पूंजीवादी पार्टियों, जातिवादी और साम्प्रदायिक शक्तियों को बेनकाब करने का बीड़ा उठाया है। भाकपा को इस अभियान में आम जनता का व्यापक सहयोग और समर्थन मिल रहा है।
    आज जारी सूची निम्न प्रकार है -

1 -    बाराबंकी              योगेन्द्र सिंह
2 -    निजामाबाद         राम सूरत यादव
3 -    बरहज                 काशी नाथ कुशवाहा
4 -    बांदा                   सौंखी लाल
5 -    संडीला                गंगा राम एडवोकेट
6 -    मलिहाबाद          महेन्द्र रावत
7 -    कोल                  राजेन्द्र कुमार माहेश्वरी
8 -    बेहट                  धर्म सिंह
9 -    शाहजहांपुर        मोहम्मद सलीम



(डा. गिरीश)
राज्य सचिव

Tuesday, January 10, 2012

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश द्वारा चुनाव कोष की अपील

24 दिसम्बर 2011 को भारत निर्वाचन आयोग में जिन पांच राज्यों में विधान सभा के चुनावों की घोषणा की है, उसमें उत्तर प्रदेश शामिल है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अन्य वामपंथी दलों तथा जनता दल (सेकुलर) के साथ मिलकर विधान सभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लगभग 55 प्रत्याशियों को चुनाव में उतारने का फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का राज्य सम्मेलन कुछ ही दिनों पूर्व अलीगढ़ में सम्पन्न हुआ था। सम्मेलन की सांगठनिक गतिविधियों के कारण हम चुनाव फण्ड एकत्रित नहीं कर सके। चुनाव की गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं।
अस्तु हम अपने साथियों एवं सहयोगियों से अनुरोध करते हैं कि -
    अलीगढ़ सम्मेलन के निर्देशों के अनुसार राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य दस हजार रूपये, राज्य कार्यकारिणी के सदस्य पांच हजार रूपये तथा राज्य कौंसिल एवं कंट्रोल कमीशन के सदस्य दो हजार रूपये के हिसाब से राज्य केन्द्र को लौटती डाक से भेजना सुनिश्चित करें।
    जो जिले चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, वे तुरन्त चुनाव कोष एकत्रित करने के लिए अभियान स्थानीय सुविधा के अनुसार चला कर एकत्रित समस्त धनराशि राज्य केन्द्र को भेज दें।
    पार्टी के सहयोगियों से अनुरोध है कि वे यथाशक्ति अधिक से अधिक धनराशि यथाशीघ्र पार्टी के राज्य केन्द्र को प्रेषित कर हमारा सहयोग करें।
    पार्टी आम जनता से भी आर्थिक सहयोग की अपील करती है।
धनराशि भेजने के लिए पार्टी के साथी एवं सहयोगी उसे सीधे यूनियन बैंक आफ इंडिया, क्लार्कस अवध शाखा लखनऊ के खाता संख्या 353302010017252 में जमा कर सकते हैं अथवा आरटीजीएस अथवा एनईएफटी के जरिये इस खाते में जमा करने के लिए अपने बैंक में आवेदन कर सकते हैं। आरटीजीएस/एनईएफटी के लिए खाता संख्या यही रहेगा, खाते के नाम की जगह ”कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया, यू. पी. स्टेट कौंसिल“ तथा पता 22 - कैसरबाग, लखनऊ लिखे तथा बैंक के आईएफएससी कोड UBIN0535338 का जिक्र करें।
विधान सभा चुनाव पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और राज्य केन्द्र संचालन के लिए हमें कम से कम बीस लाख रूपयों की जरूरत है। हम विश्वास करते हैं कि हमारे सभी साथी तथा सहयोगी इस मौके पर हमारी अधिक से अधिक मदद करेंगे।
मदद भेजने वाले साथी हमारे कार्यालय के फोन संख्या 0522-2622844 एवं 2624943 पर धन जमा करने अथवा भेजने की सूचना देते हुए कार्यालय सचिव को अपना नाम एवं पता अवश्य नोट करा दें जिससे हमारे द्वारा रसीद जारी की जा सके।
(डा. गिरीश)
राज्य सचिव

Monday, January 9, 2012

वामपंथी दलों तथा जनता दल (सेकुलर) की प्रेस वार्ता

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी तथा जनता दल (सेक्यूलर) के राज्य नेतृत्व ने 9 जनवरी को लखनऊ में प्रेस वार्ता में निम्नलिखित बयान जारी किया:
    ”उत्तर प्रदेश में विधान सभा के चुनावों की घोषणा हो चुकी है। इस चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी तथा जनता दल (सेकुलर) ने मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार आदि के साथ-साथ आम जनता के हित में वैकल्पिक आर्थिक नीतियों को चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला किया है।
प्रदेश में चुनाव लड़ रही बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों के बीच आर्थिक नीतियों पर आम सहमति है। जिनके कारण मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार एवं अपराध सभी बढ़ रहे हैं। वामपंथी वैकल्पिक आर्थिक नीतियां ही आम जनता को राहत दिला सकती हैं, जिसके लिए देश एवं प्रदेश के स्तर पर लगातार ये दल संघर्ष करते रहे हैं।
वामपंथी दल और जनता दल (सेक्यूलर) प्रदेश में साम्प्रदायिक एवं जातिवादी राजनीति करने वाली शक्तियों के खिलाफ लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष एवं वामपंथी राजनीति को जनता के मध्य ले जाने का प्रयास करेंगी और आम जनता के संघर्षों को आगे बढ़ायेंगी।
वामपंथी दल और जनता दल (सेकुलर) ने आपस में तालमेल कर एक दूसरे के खिलाफ न लड़ने का फैसला किया हैं। ये दल आपस में मिल-जुल कर विधान सभा चुनाव लडेंगे तथा एक दूसरे के प्रत्याशियों को सफल बनाने में हर तरह से योगदान करेंगे।“



भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी    भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)    आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक    रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी    
http://cpiup.blogspot.comजनता दल (सेकुलर)

Sunday, January 8, 2012

प्रेस वार्ता का आमंत्रण

कल सोमवार दिनांक 9 जनवरी 2012 को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, फारवर्ड ब्लाक, आरएसपी तथा जनता दल (सेक्यूलर) का प्रांतीय नेतृत्व भाकपा के राज्य कार्यालय 22, कैसरबाग, लखनऊ पर सायं 3.30 बजे से एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करेगा।
अस्तु आपसे अनुरोध है कि आप अपने छायाकार एवं प्रतिनिधि को प्रेस वार्ता को कवर करने के निर्देश देने का कष्ट कीजिए।

कार्यालय सचिव

Friday, January 6, 2012

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों से मिला


    लखनऊ 6 जनवरी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल आज राजभवन में भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों से मिला। प्रतिनिधिमंडल में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश के अतिरिक्त पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक मिश्र तथा प्रदीप तिवारी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने निम्नलिखित मांगों पर एक निम्नलिखित ज्ञापन भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों को सौंपा और तमाम अन्य मुद्दों पर भी आयोग के सदस्यों के साथ वार्ता करने हुए उचित कार्यवाही की मांग की।

    ”
उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनावों की प्रक्रिया प्रारम्भ हो चुकी है। निर्वाचन आयोग ने धनबल, बाहुबल का दुरूपयोग रोकने के लिए काफी कठोर कदम उठाये हैं। लेकिन अब उन पर सख्ती से अमल की जरूरत है। साथ ही कई प्रक्रियाओं को सरल बनाने की भी जरूरत है। अस्तु हम आपसे अनुरोध कर रहे हैं:
  • चुनाव की घोषणा के बावजूद पूंजीवादी दलों के प्रत्याशी मतदाताओं के बीच कंबल, शराब तथा कई तरह के उपहार बांटने में जुटे हैं। यह काम स्थानीय पुलिस प्रशासन की नजर में है लेकिन इसकी अनदेखी की जा रही है।
  • कई धार्मिक आयोजन एवं अनुष्ठान भी चुनाव प्रचार का साधन बने हैं जिसका खर्च प्रत्याशियों के खर्च में शामिल नहीं हो पा रहा है। इस विषय पर कारगर कदम उठाने की जरूरत है।
  • कई विभागों के अधिकारी बसपा के कैडर की तरह काम कर रहे हैं। सरकार के संरक्षण के चलते वे वर्षों से एक ही स्थान पर अपने पदों पर जमे हैं और शासक दल के लिये धन जुटाने के काम में लगे हैं। इस तरह के अधिकारियों की जांच कराके उन्हें या तो स्थानान्तरित कर दिया जाये या उन्हें चुनावों के दौरान मुख्यालय से अटैच किया जाये।
  • भारत-नेपाल सीमा तथा उत्तर प्रदेश से सटे राज्यों - बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा आदि की सीमाओं से प्रदेश में अवैध धन, शराब एवं हथियारों के आने पर प्रभावी रोक लगाये जाने की व्यवस्था की भी जरूरत है।
  • प्रदेश में चल रही अवैध शराब बनाने की भट्ठियों को तत्काल बन्द कराया जाना चाहिये।
  • चुनाव प्रचार के लिये सभाओं की अनुमति लेने की प्रणाली बेहद जटिल है, जिसे सरल बनाया जाये और आवेदन करने के 24 घंटे के अन्दर अनुमति प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय में प्राप्त करा दी जाये।
  • नियमित आय-व्यय देने की प्रक्रिया को इस ढंग से सरल बनाया जाये कि प्रत्याशी को कम से कम समय गंवाना पड़े।
  • आयोग द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों को निर्देशित किये जाने की जरूरत है कि वे चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों द्वारा खोले जाने वाले अस्थाई बचत खातों को खोलने में प्रत्याशियों का सहयोग करें और खाता खोले जाने वाले दिन ही पास बुक एवं चेक बुक जारी करने की व्यवस्था करें।

हमें पूर्ण विश्वास है कि आयोग हमारे सुझावों पर उचित एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए विचार करेगा।


कार्यालय सचिव