देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश
की 16वीं विधान सभा का चुनाव हो रहा है। यह चुनाव स्वतंत्र भारत के इतिहास
में एक परिवर्तनकारी, महत्वपूर्ण और निर्णायक चुनाव साबित हो सकता है। इसके
लिए जरूरी है कि जनता -
- जांति-पांति, धार्मिक और क्षेत्रीय संकीर्णताओं से बाहर निकल कर अपने बदतर हालातों पर गौर करे;
- चुनावों के दौरान अपनाये जाने वाले भ्रष्ट तौर-तरीकों से प्रभावित न हो; और
- अपने हितों तथा प्रदेश एवं देश के हितों को ध्यान में रखकर चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करे।
सरकारों द्वारा प्रायोजित
भ्रष्टाचार एवं महंगाई से समाज के व्यापकतम तबकों की कठिनाईयां बेहद बढ़ी
हैं। ऐसे में प्रदेश की जनता को बेहद समझ बूझ कर अपने मत का प्रयोग करना है
और देश की आजादी की लड़ाई में अग्रणी भूमिका अदा करने वाले इस महान प्रदेश
के भविष्य का निर्माण करना है।
पांच साल पहले जो सरकार प्रदेश में
सत्ता में थी वह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सरमायेदारों के हाथ बेच
रही थी, किसानों की जमीनों का मनमाने तरीके से अधिग्रहण कर उसे अपने प्रिय
सरमायेदारों को सौंप रही थी, भ्रष्टाचार चरम पर था यहां तक कि पुलिस
कांस्टेबिलों की भर्ती में भारी पैसे का लेन-देन उजागर हुआ था, शिक्षा का
बाजारीकरण कर दिया गया था और नये विद्यालयों की मान्यता में भारी
भ्रष्टाचार व्याप्त था, महंगाई दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही थी, सार्वजनिक
वितरण प्रणाली ध्वस्त पड़ी थी, गुण्डागर्दी और माफियागीरी सरे आम चल रही
थी, कानून-व्यवस्था ध्वस्त पड़ी थी और सरकार एवं प्रशासन पर से जनता का
विश्वास पूरी तरह से उठ गया था।
इन सबसे निजात पाने के लिए 2007 के
विधान सभा चुनावों में आम जनता ने अपना जनादेश दिया था। जनता की इच्छा थी
कि नई सरकार इन सभी समस्याओं पर पूरा ध्यान देगी, आम आदमी की सुध लेगी और
स्वच्छ प्रशासन प्रदान कर समस्याओं का निराकरण करेगी।
लेकिन इस सरकार
ने भी अपनी पूर्ववर्ती सरकार के पदचिन्हों पर ही चलना शुरू कर दिया। गत
प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार का अनुसरण करते हुए प्रदेश सरकार ने आर्थिक
नवउदारवाद की जिस प्रतिगामी आर्थिक नीति का अनुसरण शुरू किया, उससे प्रदेश
की जनता खासकर किसानों, मजदूरों, बुनकरों, खेतिहर मजदूरों, दस्तकारों,
असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, युवाओं, छात्रों, कर्मचारियों, महिलाओं,
दलितों तथा अल्पसंख्यकों की कठिनाईयां आज चरम पर हैं। प्रतिरोध के स्वरों
तक को सरकार सुनने को तैयार नहीं हुई और जनता के आक्रोश को दबाने के लिए
आन्दोलनों से लाठियों एवं गोलियों से निपटा गया। सरकार ने जनता से एक ऐसी
दूरी स्थापित कर ली जिससे जनता की सिसकारियों की आवाज उसे सुननी न पड़े।
बसपा सुप्रीमो पैसा बटोरने के लिए भ्रष्ट उद्यमियों, बिल्डरों, अपराधियों
एवं माफियाओं को लाभ पहुंचाने में लगी रहीं।
प्रदेश की
कानून-व्यवस्था बदतर हो चुकी है। एक दलित और महिला मुख्यमंत्री होने के
बावजूद सर्वाधिक दमन इन्हीं दोनों तबकों पर बढ़ा है। महिलाओं से बलात्कार और
उनसे छेड़छाड़ की घटनायें आये दिन होती रही हैं। उनसे न केवल दुष्कर्म किये
गये अपितु दुष्कर्म के बाद हत्यायें कर दी गयीं। इन अपराधों की जड़ में शासक
दल के नेता, उनके पालतू गुण्डे, सामंती तत्व तथा पुलिस थाने रहे हैं।
अपराधियों को बचाने में पूरा पुलिस तंत्र और प्रशासन हमेशा लगा रहा। हत्या,
लूट, चोरी, दहेज हत्यायें, ऑनर किलिंग आदि सभी अपराध बेधड़क होते रहे।
थानों पर पीड़ितों की रिपोर्ट तक नहीं लिखी गयीं। पुलिस हिरासत में कई मौतें
हुईं। थाने एवं पुलिस चौकियां पैसा वसूलने और दलाली के अड्डे बन कर रह
गये। जगह-जगह दलितों और कमजोरों को न केवल सताया जाता रहा है बल्कि उनकी
हत्यायें भी होती रहीं। रमाबाईनगर (कानपुर देहात) में भाकपा नेता एवं दलित
प्रधान सरजू प्रसाद कठेरिया की हत्या सितम्बर 2011 में बसपा विधायक द्वारा
संरक्षित अपराधियों ने केवल इसलिए कर दी कि वे ईमानदारी से अपना काम कर रहे
थे और माफिया तत्वों को निगाह की किरकिरी बने थे। भ्रष्टाचार के धन की
बंदरबाट को लेकर प्रदेश में तमाम हत्यायें हुईं। राजधानी लखनऊ में ग्रामीण
स्वास्थ्य मिशन से संबंधित दो मुख्य चिकित्साधिकारियों की हत्याओं तथा एक
उप मुख्य चिकित्साधिकारी की जेल में हत्या ने शासन-प्रशासन में बैठे
अपराधियों के दुस्साहस को उजागर कर दिया था।
बसपा ने सोशल
इंजीनियरिंग के नाम पर तमाम अपराधियों, दबंगों और माफियाओं को चुनवा कर
संसद और विधान सभा में पहुंचाया। वे ही पिछले इन सालों में तमाम अपराधों और
भ्रष्टाचार के सूत्रधार बने रहे। अखबारों में समाचार छपने पर उन्हें दंडित
करने और बाद में उन्हें क्लीन चिट देने का सिलसिला जारी रहा। हालत इतनी
गंभीर है कि बसपा सरकार के कई मंत्री एवं विधायक हत्या, बलात्कार,
भ्रष्टाचार सरीखे संगीन आरोपों में जेल में बंद हैं या मजबूरी में सरकार से
हटाये गये हैं।
इसके पहले प्रदेश में सत्ता में रही भाजपा और
कांग्रेस के शासन काल के दौरान भी प्रदेश की जनता कमोबेश इन्हीं हालातों से
दो-चार होती रही थी।
लगभग ढ़ाई वर्ष पहले लोक सभा के चुनावों में
केन्द्र में कांग्रेस नीत संप्रग-2 की सरकार सत्ता में आई जिसे सपा एवं
बसपा का समर्थन प्राप्त है। इस सरकार ने भ्रष्टाचार और महंगाई के नए
कीर्तिमान स्थापित किये और उन आर्थिक नीतियों को आगे बढ़ाया जिससे समाज में
आर्थिक विषमता और तेजी से बढ़ी है।
संप्रग-1 सरकार और वामपंथ का उसे
समर्थन का जिक्र यहां समीचीन है। जनता के तमाम तबकों ने इस बात का नोटिस
लिया है कि संप्रग-1 सरकार पर वामपंथ के दवाब के कारण जहां एक ओर ग्रामीण
रोजगार गारंटी योजना (जिसे अब मनरेगा कहा जाता है) और सूचना के अधिकार के
कानून बने थे वहीं दूसरी ओर महंगाई पर अंकुश लगा रहा था, राजनीतिक
भ्रष्टाचार फल-फूल नहीं सका था और केन्द्र सरकार जनविरोधी आर्थिक नीतियों
को आगे बढ़ा नहीं सकी थी। वामपंथ की ताकत में ह्रास का परिणाम आज सार्वजनिक
क्षेत्र के विनिवेशीकरण, महंगाई और भ्रष्टाचार के रूप में आम जनता के सामने
है।
केन्द्र और राज्य सरकारों की नीतियों के चलते जनता में उनके
प्रति तीखा आक्रोश है। केन्द्रीय और उत्तर प्रदेश के स्तर पर भाजपा और
प्रदेश स्तर पर समाजवादी पार्टी इस आक्रोश को भुनाने में जुटी हैं। लेकिन
इनकी नीतियों और कारगुजारियों से वाकिफ जनता उनकी ओर आकर्षित नहीं हो रही
है। भाजपा ने तो बसपा के कई दागी पूर्व मंत्रियों को शामिल कर नैतिकता की
सारी हदें पार कर दीं हैं और अपनी सिद्धान्तहीनता एवं मौकापरस्ती को
सार्वजनिक कर दिया है। कांग्रेस एवं बसपा की स्थिति में गिरावट है तो भाजपा
एवं सपा की स्थिति भी दिनोंदिन नीचे जा रही है। बसपा अपने को अव्वल दिखाने
की कोशिशों में जुटी है तो अन्य तीनों उसकी मुख्य प्रतिद्वंदी होने का
दावा करने में जुटी हैं। चारों दलों से प्रतिदिन दर्जनों नेता व कार्यकर्ता
पलायन कर रहे हैं। प्रदेश की राजनीति एक विकल्पशून्यता एवं ठहराव की
स्थिति में है।
इस विकल्प शून्यता एवं ठहराव को उत्तर प्रदेश में
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उसके सहयोग से चलने वाली वामपंथी,
धर्मनिरपेक्ष एवं जातिवाद से दूर शक्तियां ही तोड़ सकती हैं। इसी उद्देश्य
से हमने ऐसी शक्तियों को एकजुट कर चुनाव मैदान में जाने का निश्चय किया है।
विधान सभा चुनावों के इस मौके पर तमाम अखबारों ने भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायकों एवं सांसदों पर विशेष लेख छाप कर यह
इंगित कर दिया है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक एवं सांसद न केवल
ईमानदार रहे हैं बल्कि जनता के हितों के लिये सतत संघर्षरत रहे हैं। श्री
अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ तैयार किया गया वातावरण भी जनता को
भाकपा की ओर आकर्षित कर रहा है।
इन सबसे जाहिर है कि इस समय उत्तर
प्रदेश में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ताकत बढ़ना बहुत जरूरी है जो आप
सबके द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को वोट देने से ही संभव है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लक्ष्य
- 16वीं विधान सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी तथा वामपंथी दलों की मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करना।
- वर्तमान विधान सभा चुनावों के जरिये तमाम माफियाओं, भ्रष्ट तथा जनविरोधी राजनीतिज्ञों को अगली विधान सभा में प्रवेश से रोकना।
- साम्प्रदायिक एवं जातिवादी पार्टियों और ताकतों को पीछे धकेलना।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उपरोक्त लक्ष्य को हासिल कर जनता के हित में निम्न प्रमुख कार्यों को पूरा करना चाहती है।
विद्यार्थियों तथा नौजवानों के लिये
- दोहरी शिक्षा प्रणाली की समाप्ति और शिक्षा का राष्ट्रीयकरण।
- रोजगार उन्मुख निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था।
- मध्यान्ह भोजन योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
- धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रीय एकता तथा प्रगतिशील मानव मूल्यों का संचार
करने वाले तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने वाले पाठ्यक्रमों को तैयार
करना।
- सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के रिक्त स्थानों पर भर्ती।
- छात्रों एवं नौजवानों में खेल के प्रति रूझान पैदा करने के लिए
जिलों-जिलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल-कूद की पर्याप्त सुविधाओं को
विकसित करना।
- बेरोजगारी समाप्ति के लिए रोजगार सृजन के लिए तमाम क्षेत्रों का विकास।
- मनरेगा के समकक्ष योजना शहरी क्षेत्रों के लिए भी तैयार करना।
महिलाओं एवं बच्चों के लिये
- संसद एवं विधायिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण का कानून बनवाना।
- महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर कठोरतम कदम उठाना।
- महिलाओं के लिए समान कानूनी अधिकार।
- महिला एवं बाल-कल्याण कार्यक्रमों को सार्वभौमिक बनाना एवं इन योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
- बच्चों के खिलाफ अपराध पर कठोर कार्यवाही तथा इन अपराधों के लिए सजा में बढ़ोतरी।
- बालश्रम का उन्मूलन।
औद्योगिक मजदूरों के लिए
- मजदूरों के हितों की पूरी दृढ़ता से रक्षा।
- श्रम कानूनों में मजदूरों के हित में परिवर्तन तथा कानूनों को प्रभावी तरह से लागू करना।
- मजदूर यूनियन बनाने में अड़गे डालने वालों को सख्त सजा दिये जाने के लिए कानून बनाना।
- विभिन्न उद्योगों के मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी के स्तर को जीने लायक मजदूरी में बदलना।
- हर माह नियत तिथि पर मजदूरी भुगतान की गारंटी।
- ठेका प्रथा एवं आउटसोर्सिंग की समाप्ति।
ग्रामीण एवं असंगठित मजदूरों के लिए
- खेत मजदूरों तथा अन्य असंगठित वर्ग के मजदूरों के लिए आवश्यकता पर
आधारित न्यूनतम मजदूरी (जिसके लिए 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन ने सिफारिश की
थी), पेंशन और अन्य सामाजिक कल्याण लाभ, महिला मजदूरों के लिए समान मजदूरी
और प्रसूति सुविधाओं की गारंटी करने वाले कानून को बनाना।
- हदबंदी के ऊपर की बची जमीन और कृषि योग्य अन्य जमीनों का भूमिहीनों में वितरण।
खेती एवं किसानों के लिए
- कृषि के विकास को राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास की बुनियाद बनाना।
- मूलगामी भूमि सुधारों पर अमल।
- राष्ट्रीय कृषि आयोग की सिफारिशों, जिसमें 4 प्रतिशत ब्याज पर ऋण मुहैया कराना शामिल है, को लागू कराने की दिशा में कार्य।
- भूमि अभिलेखों के सही रखरखाव, चकबंदी को भ्रष्टाचार मुक्त कराना एवं निर्धारित समय सीमा के अंदर चकबंदी को पूरा करना।
- किसानों द्वारा खेती में प्रयुक्त सामग्रियों - खाद, बीज, पानी, डीजल
आदि की कीमतों में कटौती के तमाम उपाय तथा कृषि उत्पादों को लाभ पर बेचने
की व्यवस्था (जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्यों को लागत मूल्य के उपर तय करना
शामिल है) सुनिश्चित कर खेती को लाभदायक बनाना।
- खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कृषि में सार्वजनिक निवेश की वृद्धि।
- सिंचाई एवं जल संरक्षण के लिए उचित योजना बनाना और उसे कार्यान्वित करना।
- बाढ़ नियंत्रण एवं सूखे की रोकथाम के लिए कदम उठाना।
- कृषि विज्ञान केन्द्रों के ताने-बाने का विकास जिससे रसायनिक उर्वरकों का उपयोग कम किया जा सके।
- सहकारिता आन्दोलन को मजबूत करना और उसमें व्याप्त नौकरशाही हस्तक्षेप तथा भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
- कृषि के साथ किये जा सकने वाले अन्य कारोबारों - पशु पालन, मछली पालन,
बागवानी आदि के लिए ढांचा विकसित करना और उसके लिए पैकेज की व्यवस्था,
जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके।
- कारपोरेट खेती पर प्रतिबंध।
- ब्रिटिश शासन काल के भूमि अधिग्रहण कानून के स्थान पर नया कानून बनाना और उपजाऊ जमीनों के अधिग्रहण पर रोक।
- यदि आधारभूत ढांचे के लिए कृषि भूमि के अधिग्रहण के अतिरिक्त कोई
विकल्प न हो तो भूमि के उचित मूल्य के भुगतान के साथ ही प्रभावित किसान एवं
ग्रामीण मजदूरों के पुनर्वास की व्यवस्था - जिसमें अन्यत्र भूमि वितरण
शामिल है, सुनिश्चित करना।
- प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र में विकसित करना।
दलितों, आदिवासियों तथा पिछड़ी जनता के लिए
- रिक्त पड़े आरक्षित पदों पर नियुक्तियां।
- आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा, गैर कानूनी ढंग से उनसे ली गयी जमीनों को उन्हें वापस करना।
बुनकरों तथा अन्य दस्तकारों के लिए
- यू. पी. हैण्डलूम कारपोरेशन को बहाल किया जायेगा जिससे बुनकरों एवं अन्य दस्तकारों के उत्पादों की बिक्री संभव हो सके।
- बंद कताई मिलों को दुबारा चालू किया जायेगा।
- बुनकरों एवं दस्तकारों को रियायती दर पर बिजली और सूत मुहैय्या कराना।
- हथकरघा वस्त्रों तथा अन्य उत्पादों के निर्यात के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करना।
समाचार माध्यमों एवं उनके कर्मियों के बारे में
- छोटे एवं मध्यम समाचार माध्यमों के विकास के लिए उचित माहौल।
- मीडियाकर्मियों को वेज बोर्ड के अनुसार वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा मुहैय्या कराना।
- आधारभूत ढांचा एवं सार्वजनिक क्षेत्र के लिए
- प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र में विकसित करना।
- बिजली आदि क्षेत्रों में शुरू की गयी निजीकरण की प्रक्रिया को उलटना।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बन्द पड़े उद्योगों को पुनः चालू करना।
- सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरशाही हस्तक्षेप तथा भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
- सार्वजनिक क्षेत्र को स्वाबलंबी बनाना।
- प्रदेश के हर क्षेत्र का औद्योगिक विकास सुनिश्चित करना।
- कृषि उत्पादों पर आधारित तथा निर्यात-उन्मुख उद्योगों के विकास पर विशेष ध्यान देना।
- लघु उद्योगों के विकास पर विशेष ध्यान देना।
सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाना और रू. 10.00 लाख वार्षिक
आय वाले परिवारों को उसके माध्यम से 14 आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति।
- सभी मोहल्लों तथा ग्रामों में सस्ते दामों की दुकानों की स्थापना तथा इस प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार का उन्मूलन।
- गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों के लिए वर्तमान सस्ती दरों पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति।
- खाद्यान्नों को नष्ट होने से बचाने के लिए पीसीएफ के लिए गोदामों का निर्माण।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के लिए
- सभी जिला मुख्यालयों पर स्थित जिला एवं महिला अस्पतालों का उच्चीकरण।
- ब्लाक स्तर पर सरकारी क्षेत्र में बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था।
- मंडल मुख्यालय पर मेडिकल कालेजों की स्थापना।
- अस्पतालों में रिक्त चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों के रिक्त पड़े पदों को भरा जाना।
- स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों तथा अन्य कर्मचारियों के अतिरिक्त पदों का सृजन।
- सरकारी अस्पतालों में सभी जांचों तथा दवाईयों की मुफ्त व्यवस्था और उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना।
- स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण की सभी संभावनाओं को रद्द करना।
अल्पसंख्यकों के बारे में
- रंगनाथ मिश्र आयोग तथा सच्चर कमेटी की अनुशंसाओं को लागू करना।
- अल्पसंख्यकों के शैक्षिक तथा आर्थिक उन्नयन के लिए उचित कदम।
- प्रशासन, पुलिस एवं सुरक्षा बलों में उनका समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।
- अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के मामलों में धार्मिक भेदभाव की समाप्ति।
चुनाव सुधारों के बारे में
- चुनावों में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करना।
- चुनावों को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए उचित कदम।
- निर्वाचित प्रतिनिधि द्वारा स्वयं पार्टी छोड़ने अथवा उसके पार्टी से निष्कासन पर संबंधित निकाय से उसकी सदस्यता का समापन।
- मान्यता प्राप्त पार्टियों को राज्य की ओर से वित्तीय सहायता और इस
सम्बंध में इन्द्रजीत गुप्ता समिति की सिफारिशों का अनुमोदन एवं
क्रियान्वयन।
भ्रष्टाचार उन्मूलन के बारे में
- प्रभावी लोकपाल के प्रति भाकपा अपनी प्रतिबद्धता पुनः जाहिर करती है।
- जांच से लेकर मुकदमा चलाने तक सीबीआई सहित सभी जांच एजेंसियों को कार्यगत स्वतंत्रता मुहैया कराना।
- सीबीआई की तरह एक स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रदेश स्तर पर गठन।
- सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती से त्वरित कार्यवाही।
- भ्रष्टाचार के मुकदमों के त्वरित निस्तारण के लिए विशेष न्यायालयों का गठन।
- जन-धन के सभी उपयोगों की स्वतंत्र एजेंसी से आडिट आवश्यक करना।
- सामाजिक कल्याण योजनाओं के सोशल आडिट की व्यवस्था।
- राजनैतिक भ्रष्टाचार की जड़ सांसद एवं विधायक निधि को समाप्त करना।
पुलिस सुधार
- पुलिस कानून 1861 को निरस्त कर उसके स्थान पर राष्ट्रीय पुलिस आयोग की सिफारिशों के अनुसार लोकतांत्रिक कानून बनाना।
- पुलिस को जनता के साथ मित्रवत रहने की शिक्षा देना और उन्हें मित्रवत बनाना।
- पुलिस हिरासत में मौतों को रोकना और इस तरह की किसी भी घटना पर कठोर तथा त्वरित कार्यवाही।
- अपराधों पर रोक के लिए पुलिस की जांच को पुख्ता करने के लिए अपराध
विज्ञान प्रयोगशालाओं की जिला स्तर पर स्थापना जिससे अपराधियों को पकड़ने
में पुलिस सक्षम हो सके और मुकदमों में सजा सुनिश्चित हो सके।
- पुलिस द्वारा निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर सख्त कार्यवाही के लिए तंत्र विकसित करना।
- एफआईआर दर्ज करने से जांच तक हर स्तर पर रिश्वतखोरी को समाप्त करना।
जल प्रबंधन
- एक व्यापक जल प्रबंधन व्यवस्था पर अमल, जिसमें नदियों को परस्पर इस ढंग
से जोड़ना कि पर्यावरण पर असर न पड़े, बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, वर्षा जल संचयन
एवं सभी के लिए पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था शामिल है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करेगी।
- इसके लिए राज्य स्तर पर सीआईएसआर जैसी संस्था की स्थापना करेगी।
- धर्मनिरपेक्षता की रक्षा तथा साम्प्रदायिक कट्टरपंथ का विरोध
- हर किस्म की साम्प्रदायिकता, धार्मिक कट्टरपन, भाषायी, क्षेत्रीय तथा
उग्र एवं अंध राष्ट्रवाद - जिससे हमारे समाज का एका और सौहार्द भंग होता है
- के विरूद्ध सशक्त अभियान।
- धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा और उसे मजबूत करना।
- भाकपा हर तरह के जातिवादी भेदभाव और जातिवाद के राजनैतिक लाभ उठाने की हर कोशिश को समाप्त करेगी।
संसदीय लोकतंत्र की रक्षा
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करेगी।
- विधान सभा एवं विधान परिषद की साल भर में कम से कम 100 दिनों तक बैठकों के आयोजन को सुनिश्चित करेगी।
- नीतिगत फैसलों - जिनका जनमानस पर व्यापक प्रभाव होना है, पर विधायिका की मुहर को आवश्यक करना।
अन्य
- आवास के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाने की दिशा में कार्य।
- सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र की पिछली सरकारों द्वारा बेची गयी परिसंपत्तियों का राष्ट्रीयकरण।
- विद्यालयों को वित्तविहीन मान्यता की व्यवस्था की समाप्ति, वर्तमान
वित्तविहीन विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के शिक्षकों को राज्य द्वारा वेतन
भुगतान की व्यवस्था में लाना।
- शिक्षा-मित्रों, मध्यान्ह भोजन रसोईया, आशा बहुओं, आंगनबाड़ी वर्कर्स की सेवाओं का नियमितीकरण एवं वेतन भुगतान।
- विकलांग व्यक्ति कानून 1995 में प्रभावी अमल जिससे उन्हें अपनी क्षमताओं के निर्माण के पर्याप्त अवसर मुहैया हो सकें।
- वृद्धावस्था, विकलांग एवं विधवा पेंशन सभी पात्र व्यक्तियों को मुहैया
कराना और प्रति माह पेंशन की राशि को कम से कम जीवन निर्वाह के स्तर पर
लाना। इन योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना। इन योजनाओं में
पात्रता की परिभाषा में परिवर्तन जिससे उन सभी लोगों को, जिन्हें इसकी
जरूरत है, इसमें शामिल किये जा सकें।
- अधिवक्ता कल्याण निधि की राशि को बढ़ाकर छः लाख किया जायेगा।
उत्तर प्रदेश का विकास
भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी ऐसी आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक नीतियों को लागू करेगी
जिससे उत्तर प्रदेश के समस्त भौगोलिक क्षेत्रों का समग्र, समान एवं त्वरित
विकास हो। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का सृजन हो। इस समग्र आर्थिक विकास
से ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रूकेगा तथा विभाजनकारी राजनैतिक शक्तियों,
नेताओं और सरकारों की उत्तर प्रदेश को विभाजित करने की सारी विघटनकारी
चालबाजियाँ भी ध्वस्त हो जायेंगी। समग्र रूप से विकसित उत्तर प्रदेश में ही
उत्तर प्रदेश की 21 करोड़ जनता का भविष्य सुरक्षित रह सकता है।
भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी इस घोषणापत्र में व्यक्त दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध
है। इन बातों को मनवाने के लिए और आगामी दिनों में इन पर अमल के लिए वह
विधान सभा एवं संसद के बाहर एवं भीतर संघर्ष जारी रखेगी।
इसके लिए
आवश्यक है कि 16वीं विधान सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के और कुल
मिलाकर वामपंथ के विधायक अधिक से अधिक संख्या में चुन कर आयें।
भाकपा
प्रदेश के मतदाता भाइयों एवं बहनों से अपील करती है कि वह प्रदेश की जनता
के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और उसकी तमाम ज्वलंत समस्याओं के समाधान के
लिये -
- सर्वप्रथम भाकपा प्रत्याशियों को वोट दें।
- भाकपा समर्थित प्रत्याशियों को वोट दें।
- संवेदनशील, संघर्षशील एवं मजबूत वामपंथी विकल्प के निर्माण का रास्ता प्रशस्त करें।
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Vote for CPI |