Monday, January 23, 2012

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा विधान सभा चुनावों के दौरान प्रमुख न्यूज चैनल्स द्वारा बरती जा रही पक्षधरता की शिकायत

    लखनऊ 24 जनवरी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने विधान सभा चुनावों के दौरान प्रमुख न्यूज चैनल्स द्वारा बरती जा रही पक्षधरता की शिकायत मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी से की है। इन दोनों को लिखे पत्र में भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनावों का प्रचार जारी है और निर्वाचन आयोग द्वारा बनाये कड़े नियमों से प्रचार कार्य में आपा-धापी नहीं चल पा रही है। यह अच्छी बात है लेकिन प्रमुख न्यूज चैनल्स आयोग के नियमों और अपेक्षाओं की धज्जियां बिखेर रहे हैं। वे पूंजीवादी पार्टियों के समाचार प्रसारित कर रहे हैं जिनसे कि उन्हें विज्ञापन मिल रहे हैं अथवा जो उन्हें पिछले रास्ते से आर्थिक लाभ पहुंचाने में समर्थ हैं। इन चैनल्स द्वारा उत्तर प्रदेश में केवल चार पार्टियों - कांग्रेस, भाजपा, बसपा तथा सपा के अभियानों को दिन-रात प्रसारित-प्रचारित किया जा रहा है। जो पार्टियां सचाई, ईमानदारी के रास्ते पर चलने के कारण इन्हें विज्ञापन नहीं दे सकतीं अथवा उपकृत नहीं कर सकतीं - खासकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को पूरी तरह नजरंदाज किया जा रहा है।

    भाकपा राज्य सचिव ने निर्वाचन आयोग को भेजी शिकायत में कहा है कि भाकपा द्वारा अपने कार्यक्रमों की सूचना लगातार इन चैनल्स को उपलब्ध कराई जा रही है। 21 जनवरी को भाकपा ने लखनऊ मुख्यालय पर अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया जिसकी सूचना सभी चैनल्स को दी गई। लेकिन ईटीवी, उत्तर प्रदेश, सहारा समय, उत्तर प्रदेश तथा पी-7 के अलावा किसी न्यूज चैनल्स ने इसका नोटिस नहीं लिया और एक पंक्ति भी भाकपा के घोषणापत्र के बारे में प्रसारित नहीं की जबकि सभी समाचार पत्रों ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया।

    भाकपा ने कहा है कि यह कृत्य अपने आपमें ‘पेड न्यूज’ का ही एक प्रकार है। न्यूज चैनल्स की यह पक्षधरता न केवल लोकतंत्र के लिये घातक है अपितु आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन है। इस पर रोक लगाये जाने की आवश्यकता है।

    आयोग को लिखे पत्र में भाकपा ने मांग की है कि सभी चैनल्स के लिये एक गाइडलाइन तैयार की जाये कि वे अपने बुलेटिनों के कुल प्रसारण समय में सभी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त दलों को बराबर-बराबर स्थान दें। क्षेत्रीय दलों को इसके बाद स्थान दिया जा सकता है। साथ ही समाचार चैनल्स के प्रसारण पर निगरानी रखने को एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाये जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, प्रेस परिषद के वरिष्ठ सदस्य, सेवानिवृत्त निर्वाचन आयुक्त तथा एक स्वतंत्र बुद्धिजीवी को शामिल किया जाये।

कार्यालय सचिव

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