Wednesday, April 22, 2015
किसानों की आत्महत्यायों और सदमे से होरही मौतों पर राजनीती न की जाये ; भाकपा
किसानों की लगातार होरहीं आत्महत्याएं और सदमे से मौतें बेहद दुखद: ठोस प्रयासों की जरूरत, राजनीतिक रोटियां न सैंकें पार्टियाँ- भाकपा
लखनऊ- २३ अप्रैल २०१५. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कल ‘आप’ की रैली के दौरान एक किसान द्वारा की गयी आत्महत्या, प्रतिदिन देश भर में सैकड़ों की तादाद में होरही किसानों की आत्महत्याओं और सदमे से होरही मौतों को अत्यंत दुखद और असहनीय बताया है.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब राजधानी दिल्ली में किसी किसान ने अपनी आपदा से पीड़ित होकर सरेआम अपनी जान दी हो और प्रशासनिक मशीनरी और राजनीतिक लोग तमाशबीन बने रहे हों. आजादी के बाद यह भी पहला अवसर है जब देश के बड़े हिस्से में किसान जानें देरहे हैं और उनकी सदमे से जानें जारही हैं और पूरी की पूरी व्यवस्था उन्हें ढाढस बंधाने में नाकामयाब रही है.
डा.गिरीश ने कहा कि यह वक्त राजनैतिक रोटियां सैंकने का नहीं ठोस प्रयास करने का है. यदि शीघ्र ही समस्या का ठोस समाधान न निकाला गया तो हालात और भी बिगड़ेंगे. अभी तो किसान ही संकट में है, खाद्यान्नों और रोजगार का संकट पैदा होने से अन्य गरीब तबके भी इन्ही हालातों में पहुंचने जारहे हैं.
भाकपा ने किसान भाइयों से अपील की है कि वे धैर्य न छोड़ें और अपने परिवार और देश के हित में अपनी जानों को यूं ही न गवायें. भाकपा उनके सुख दुःख में उनके साथ खड़ी है और साथ खड़ी रहेगी. किसानों की इस व्यापक पीड़ा की ओर सरकार और व्यवस्था का ध्यान खींचने को ही भाकपा ने पूरे देश में १४ मई को किसानों के प्रति एकजुटता आन्दोलन का निर्णय लिया है. उत्तर प्रदेश में यह आन्दोलन ‘रास्ता रोको’ के रूप में होगा.
डा.गिरीश ने भाकपा के समस्त कार्यकर्ताओं और हमदर्दों से अनुरोध किया है कि ग्रामीण जीवन में आई इस महाविपत्ति की घडी में वे अपना हर पल हर क्षण ग्रामीण जनता के बीच बितायें और आमजनों को “भागो नहीं, समस्या का मुकाबला करो” का संदेश दें. साथ ही १४ मई के आन्दोलन के लिए किसानों कामगारों को लामबंद करें.
डा.गिरीश
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