मौसम की मार से बर्वाद किसानों की केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही अनदेखी निंदनीय
भाकपा ने किसानों के समर्थन में आन्दोलन चलाने का किया आह्वान
लखनऊ 8 अप्रैल। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउन्सिल ने केन्द्र और प्रदेश की सरकार पर आरोप लगाया है कि वह मौसम की मार से जार-जार हुये किसानों के हितों की अनदेखी कर रही हैं। उनकी इस अनदेखी के चलते उत्तर प्रदेश में हर दिन लगभग 10 से 12 किसान या तो आत्महत्याएं कर रहे हैं अथवा सदमे से मर रहे हैं।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ओला, आंधी और बेमौसम बारिश से गेहूँ, आलू, दलहन, तिलहन की फसल बड़े पैमाने पर नष्ट हो चुकी है। जायद की फसल और आम की फसल पर भी भारी प्रभाव पड़ा है। किसानों ने बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर फसल उगाई थी जिसके बर्वाद होने से वह पूरी तरह टूट चूका है। हैरान परेशान किसान आत्महत्या कर रहे हैं अथवा भारी सदमे के चलते मौत का शिकार बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा कई सौ तक जा पहुंचा है।
डा. गिरीश ने कहा कि केन्द्र सरकार के प्रधानमन्त्री और गृह मंत्री दोनों ही उत्तर प्रदेश से सांसद हैं। लेकिन कितनी बड़ी बिडम्बना है कि अभी तक केन्द्र सरकार ने कोई राहत पैकेज जारी नहीं किया। राज्य सरकार ने यद्यपि राहत देने को छोटी सी राशि की घोषणा की है लेकिन वह अभी तक किसानों तक पहुँच नहीं पायी है। आत्महत्याओं और मौतों तक पर आशंकाएं खड़ी की जा रही हैं।
भाकपा केन्द्र और राज्य सरकार के इस रवैय्ये की कड़े शब्दों में निन्दा करती है। भाकपा केन्द्र सरकार से मांग करती है कि किसानों की फसल हानि की भरपाई और मृतक किसानों के परिवार को रु. दस लाख का मुआवजा देने को राहत पैकेज की घोषणा फौरन करे, किसानों के कर्जे माफ़ किये जायें और उनको अगली फसल तैयार करने को हर संभव मदद दी जाये। भाकपा राज्य सरकार से मांग करती है की वह हानि के सर्वे के नाम पर विलम्ब न करे हर मध्यम व छोटे किसान किसानों को प्रति एकड़ दस हजार रूपये की दर से मुआवजा दिलाने को ठोस कदम उठाये।
यहां यह उल्लेखनीय है कि जिन किसानों ने बैंकों से कर्जा लिया हुआ है, उनकी फसल बीमा के दायरे में आती है और 70 प्रतिशत फसल हानि पर किसान बीमा का लाभ पाने के हकदार बन जाते हैं। परन्तु निजी बीमा कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार किसानों को हुए नुकसान को 70 प्रतिशत मानने को तैयार नहीं है और 50 प्रतिशत से कम नुकसान बता रही है जोकि बेहद निन्दनीय है।
भाकपा ने उपर्युक्त के संबन्ध में और भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को वापस लेने की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में ब्लाक और तहसील स्तर पर लगातार प्रदर्शनों का आयोजन करने तथा 14 मई को जिला स्तर पर व्यापक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश पार्टी की जिला इकाइयों को दिया है। आन्दोलन को सघन बनाने के उद्देश्य से भाकपा राज्य काउन्सिल की बैठक 18 व 19 अप्रैल को राज्य कार्यालय पर बुलाई गयी है।
भाकपा ने किसानों के समर्थन में आन्दोलन चलाने का किया आह्वान
लखनऊ 8 अप्रैल। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य काउन्सिल ने केन्द्र और प्रदेश की सरकार पर आरोप लगाया है कि वह मौसम की मार से जार-जार हुये किसानों के हितों की अनदेखी कर रही हैं। उनकी इस अनदेखी के चलते उत्तर प्रदेश में हर दिन लगभग 10 से 12 किसान या तो आत्महत्याएं कर रहे हैं अथवा सदमे से मर रहे हैं।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ओला, आंधी और बेमौसम बारिश से गेहूँ, आलू, दलहन, तिलहन की फसल बड़े पैमाने पर नष्ट हो चुकी है। जायद की फसल और आम की फसल पर भी भारी प्रभाव पड़ा है। किसानों ने बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर फसल उगाई थी जिसके बर्वाद होने से वह पूरी तरह टूट चूका है। हैरान परेशान किसान आत्महत्या कर रहे हैं अथवा भारी सदमे के चलते मौत का शिकार बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा कई सौ तक जा पहुंचा है।
डा. गिरीश ने कहा कि केन्द्र सरकार के प्रधानमन्त्री और गृह मंत्री दोनों ही उत्तर प्रदेश से सांसद हैं। लेकिन कितनी बड़ी बिडम्बना है कि अभी तक केन्द्र सरकार ने कोई राहत पैकेज जारी नहीं किया। राज्य सरकार ने यद्यपि राहत देने को छोटी सी राशि की घोषणा की है लेकिन वह अभी तक किसानों तक पहुँच नहीं पायी है। आत्महत्याओं और मौतों तक पर आशंकाएं खड़ी की जा रही हैं।
भाकपा केन्द्र और राज्य सरकार के इस रवैय्ये की कड़े शब्दों में निन्दा करती है। भाकपा केन्द्र सरकार से मांग करती है कि किसानों की फसल हानि की भरपाई और मृतक किसानों के परिवार को रु. दस लाख का मुआवजा देने को राहत पैकेज की घोषणा फौरन करे, किसानों के कर्जे माफ़ किये जायें और उनको अगली फसल तैयार करने को हर संभव मदद दी जाये। भाकपा राज्य सरकार से मांग करती है की वह हानि के सर्वे के नाम पर विलम्ब न करे हर मध्यम व छोटे किसान किसानों को प्रति एकड़ दस हजार रूपये की दर से मुआवजा दिलाने को ठोस कदम उठाये।
यहां यह उल्लेखनीय है कि जिन किसानों ने बैंकों से कर्जा लिया हुआ है, उनकी फसल बीमा के दायरे में आती है और 70 प्रतिशत फसल हानि पर किसान बीमा का लाभ पाने के हकदार बन जाते हैं। परन्तु निजी बीमा कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार किसानों को हुए नुकसान को 70 प्रतिशत मानने को तैयार नहीं है और 50 प्रतिशत से कम नुकसान बता रही है जोकि बेहद निन्दनीय है।
भाकपा ने उपर्युक्त के संबन्ध में और भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को वापस लेने की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में ब्लाक और तहसील स्तर पर लगातार प्रदर्शनों का आयोजन करने तथा 14 मई को जिला स्तर पर व्यापक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश पार्टी की जिला इकाइयों को दिया है। आन्दोलन को सघन बनाने के उद्देश्य से भाकपा राज्य काउन्सिल की बैठक 18 व 19 अप्रैल को राज्य कार्यालय पर बुलाई गयी है।
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