लखनऊ 30 नवम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा साम्प्रदायिक विभाजन की अपनी चिरपरिचित राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को निशाना बनाने और उसके लिए वैचारिक रूप से मार्क्सवादी राजा महेन्द्र प्रताप जैसे धर्मनिरपेक्ष क्रान्तिकारी को औजार बनाने की कड़े से कड़े शब्दों में निन्दा की है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज से पहले कभी भाजपा को राजा महेन्द्र प्रताप का जन्म दिवस मनाने की याद नहीं आई। ऐसे में जबकि भाजपा की केन्द्रीय सरकार अपने चुनाव अभियान के दौरान जनता से किये गये तमाम ढपोरशंखी वायदों को पूरा करने में पूरी तरह विफल रही है। अपनी विफलताओं की ओर से जनता का ध्यान हटाने के लिए वह साम्प्रदायिक विभाजन पैदा करने और देश के ऐसे महापुरूषों, जिनका भाजपा हमेशा विरोध करती रही, की विरासत को हथियाने की कोशिश में जुटी है।
भाकपा ने आरोप लगाया कि पहले भाजपा मुजफ्फरनगर और मेरठ में बहू-बेटी बचाओ आन्दोलन करके और उसके बाद कथित ‘लव जेहाद’ के नाम पर घनघोर साम्प्रदायिक राजनीति करती रही है। अब उसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को निशाना बनाया है। पहले वहां की लाईब्रेरी में छात्राओं को पढ़ने की सुविधा देने को भाजपा ने मुद्दा बनाने की कोशिश की और अब राजा महेन्द्र प्रताप का जन्म दिवस अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में घुस कर मनाने की घिनौनी साजिश रची है।
भाजपा और संघ परिवार, जो गांधी की हत्या के लिए कुख्यात है, आज गांधी जी की पूजा पाठ का स्वांग रच रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द, शहीदे आजम भगत सिंह, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल आदि सभी की विरासत को अपने आगोश में समेटने की असफल कोशिश भाजपा करती रही है परन्तु इन महापुरूषों के विचारों की आग को वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। अब ताजा उदाहरण राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की विरासत को हड़पने का है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप एक पूर्ण धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे जो आजादी की लड़ाई के लिए अपना परिवार, सम्पत्तियां सब कुछ त्याग दिये थे और उन्होंने अपने निर्वासन काल में भारत सरकार का गठन किया जिसके वे राष्ट्रपति बनाये गये थे। भारत को आजाद कराने के लक्ष्य से उन्होंने सोवियत संघ के महान क्रान्तिकारी लेनिन से विमर्श किया हिटलर से नहीं। आजादी के बाद जब वे अलीगढ़ के धर्म समाज कालेज में व्याख्यान देने गये और उन्होंने आजाद भारत में हिन्दू-मुसलमानों के बीच एकता का संदेश दिया तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों ने उन पर पथराव किया और जैसे-तैसे उन्हें बन्द गाड़ी में सुरक्षित निकाला गया। 1957 में संघ के नामित प्रत्याशी अटल बिहारी बाजपेई मथुरा से राजा महेन्द्र प्रताप के सामने चुनाव लड़ने पहुंच गये लेकिन जनता ने उन्हें करारा जवाब दिया था। इस चुनाव में निर्दलीय राजा महेन्द्र प्रताप भारी मतों से विजयी हुए थे और अटल जी की जमानत तक जब्त हो गई थी। लेकिन आज वही भाजपा और संघ गिरोह खुद को राजा महेन्द्र प्रताप का अनन्य अनुयायी साबित करने पर जुटा है। भाजपा की यह कोशिशें कभी कामयाब नहीं होंगी।
भाकपा ने कहा है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय विश्व प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थान है और देश विदेश में उसकी बेहद प्रतिष्ठा है। उसको निशाना बनाया जाना बेहद निन्दनीय है। यह अभियान मोदी के उन दावों की भी हवा निकाल देता है जिसके तहत वे अपने को विकास का मसीहा साबित करने की कोशिश में लगे हैं।