Friday, February 21, 2014
राहुल गाँधी के चुनाव क्षेत्र में भाकपा का धरना.
मुसाफिरखाना(अमेठी)- गरीब और आम आदमी की ज्वलंत समस्यायों, कानून व्यवस्था की बिगडी हालात और भाकपा नेता का० शारदा पाण्डेय के विरुध्द कोतवाली मुसाफिरखाना में दलालों के दबाब में दर्ज किये गये फर्जी मुकदमे के विरुध्द भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय खेत मजदूर यूनियन, अ० भा० किसान सभा, अ० भा० नौजवान सभा एवं आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के लगभग २५० कार्यकर्ताओं ने मुसाफिरखाना तहसील के प्रांगण में धरना दिया एवं एक आमसभा की.
सभा के मुख्यवक्ता भाकपा के राज्य सचिव डॉ० गिरीश थे. सभा को सम्बोधित करते हुये डॉ० गिरीश ने कहाकि आज केंद्र की सरकार द्वारा चलाई जारही नीतियों से जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र सरकार आये दिन डीजल पेट्रोल एवं रसोई गैस के दाम बढ़ाती रहती है. इस कारण और सरकार के दुसरे कदमों के कारण महंगाई आसमान छू रही है. आम जनता का जीवन दूभर होगया है. इस सरके के नौ वर्ष के शासनकाल में घपलों-घोटालों और भ्रष्टाचार की तो मानो बाढ़ सी आगयी है. बेरोजगारी बढ़ी है और शिक्षा एक व्यापार बन चुकी है,जिसके बेहद महंगा होजाने के कारण आमजन शिक्षा से वंचित रह जारहे हैं. सरकार की जनविरोधी नीतियों और कारगुजारियों के चलते जनता में भारी आक्रोश है जिसका खामियाजा कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनावों में निश्चय ही भुगतना होगा,
जनता के इस गुस्से को भाजपा अपने पक्ष में भुना कर सत्ता पर कब्जा करने की हर कोशिश में जुटी है. उसने देश और दुनियां के पूंजीपतियों, उद्योगपतियों एवं कार्पोरेट घरानों के सबसे चहेते नरेंद्र मोदी को चुनावों से पहले ही प्रधानमन्त्री पद का प्रत्याशी बना दिया है जबकि हमारे यहाँ संसदीय जनतंत्र है जिसमें चुनाव के बाद सांसदों के बहुमत द्वारा चुना गया व्यक्ति ही प्रधानमन्त्री बनता है. वे मोदी को चाय बेचनेवाले के रूप में प्रचारित कर रहे हैं ताकि गरीबों को बहकाया जासके और इस बात पर पर्दा डाला जासके कि मोदी की रैलियों और भाजपा के प्रचार अभियान में बहाया जारहा अरबों रुपया आखिर कहां से आरहा है. डॉ० गिरीश ने कहाकि सवाल यह नहीं है कि कोई चाय बेचता रहा है या चावल. सवाल यह है कि उसकी नीतियां चाय बेचने वाले जैसे गरीबों के पक्ष में खड़ी हैं या गरीबों को लूटने वाले धनपतियों के पक्ष में. ये मोदी नामक तत्व तो पूरी तरह धनपतियों का रक्षक है.
डॉ० गिरीश ने कहाकि वैसे भी भाजपा की आर्थिक नीतियों और कांग्रेस की नीतियों में कोई फर्क नहीं हैं. भाजपा नाम की मुर्गी के पेट से भी वही अंडा निकलेगा जो आज कांग्रेस के पेट से बाहर आरहा है. यह पार्टी भी महंगाई, भ्रष्टाचार बढ़ाने एवं सांप्रदायिकता फेलाने के लिये सुविख्यात है. यह जो सत्ता पर कब्जा करने के मंसूबे बांध रही है वो धुल-धूसरित होकर रहेंगे.
डॉ० गिरीश ने कहाकि आम जनता भ्रष्टाचार से बुरी तरह त्रस्त है और उसे पूरी तरह समाप्त करना चाहती है.
वह कांग्रेस, भाजपा एवं दूसरी पूंजीवादी पार्टियों से भी बुरी तरह परेशान है और एक जन हितेषी राजनैतिक विकल्प की तलाश में है. अपनी इसी ख्वाहिश के चलते जनता ने दिल्ली विधानसभा के चुनावों में आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया. लेकिन सरकार बनाने के बाद वे न तो अपने चुनावी वायदे पूरे कर पाये न ही सत्ता में बने रह पाये. अब उद्योगपतियों की बैठक में जाकर उन्होंने यह भी ख डाला कि न तो वह पूंजीपतियों के खिलाफ हैं न ही निजीकरण के. उन्होंने अपना यह मन्तव्य भी उजागर कर दिया की वह सरकार के द्वारा उद्योग चलाये जाने के पक्ष में नहीं है. यह वही विचार है जिसे कांग्रेस और भाजपा अपनी विनाशकारी नई आर्थिक नीतियों को जायज ठहराने के लिये प्रकट करती रही हैं. उन्होंने स्पष्ट कियाकि कोई या तो पूँजीवाद का पैरोकार हो सकता है अथवा गरीबों का. कोई पूँजीवाद का समर्थक हो सकता है या समाजवाद का. आज यह स्पष्ट होगया है कि केजरीवाल और उनकी मंडली पूंजीवाद के पक्ष में खड़ी है और उन्हीं की पैरोकार है.
भाकपा राज्य सचिव ने कहाकि आज ऊतर प्रदेश की सरकार भी हर मोर्चे पर विफल होचुकी है. कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है. किसान-कामगार तवाह होरहे हैं. वे आर्थिक बदहाली के चलते आत्महत्यायें कर रहे हैं. मुजफ्फरनगर शामली एवं मेरठ के दंगों सहित १४० दंगे सपा के शासनकाल में होचुके हैं जिन्हें रोकने में सरकार पूरी तरह नाकमयाब रही है. प्रदेश की सत्ता मफियायों, दलालों और दबंगों के हाथों में कैद है. ऐसे ही लोगों के कहने पर भाकपा के जुझारू नेता का० शारदा पाण्डेय के खिलाफ फर्जी मुकदमे लिखे जारहे हैं और उनको गरीबों का साथ छोड़ने अथवा जान से हाथ धोने की धमकियां दी जारही है. डॉ० गिरीश ने चेतावनी देते हुए कहाकि यदि का० शारदा पांडे के खिलाफ कुछ भी हुआ तो उत्तर प्रदेश सरकार की चूलें हिला दी जायेंगी.
भाकपा सुल्तानपुर के जिला सचिव का० शारदा पाण्डेय ने कहाकि आजादी के ६५ साल बाद भी किसान मजदूर गरीब मेहनतकश आवश्यक सुविधाओं से वंचित हैं. भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य, मजदूर को उसका सही हक मनरेगा के तहत काम, अत्यंत गरीबों को बीपीएल के तहत मिलने वाला अनाज, राशनकार्ड नहीं मिल रहा. नौजवानों को रोजगार और गरीबों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा जारहा है. भाकपा आज ही नहीं अपने जन्म से ही इन सवालों पर संघर्ष करती रही है और करती रहेगी आज भाकपा को और मजबूती प्रदान करने की जरूरत है.
सभा के बाद एक ९ सूत्रीय ज्ञापन जो मुख्यमंत्री को सम्बोधित था उपजिलाधिकारी को सौंपा गया.
सभा को देव पाल सिंह एडवोकेट, जियालाल कोरी, रामदेव कोरी, रामप्यारे पांडे, रोशनलाल प्रधान, श्यामदेवी, नीलम, मीणा देवी, राम्सुधारे पासी, रामतीर्थ पासी, छितईराम पासी, बीडी रही, राकेश पासी, श्रीपाल पासी, एवं लल्लन पाल आदि ने सम्बोधित किया.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment