Thursday, September 12, 2013
८० प्रतिशत अभावग्रस्त एवं वंचित समाज का पैरोकार है मीडिया द्वारा वामपंथ. वामपंथ की अनदेखी अक्षम्य.
आजकल बड़े छोटे न्यूज़ चैनल्स का ट्रेंड एकदम साफ है. डिस्कसन पैनल में दो व्यक्ति साम्प्रदायिक पार्टियों के बिठाये जाते हैं जो रोबोट की तरह जो कुछ उनके अंदर फीड किया गया है उसे कोबरा के विष-वमन की तरह उंडेलते रहते हैं. एक कांग्रेस का कोई मरघिल्ला बैल बिठाया जाता है जो दम तोड़ते हुए बुड्ढे की भांति लम्बी लम्बी सांसें लेता हांफता पार्टी के पापों पर पर्दा डालता नजर आता है. एक कोई क्षेत्रीय क्षत्रप अपनी पार्टी के पक्ष में उलट बांसियाँ करता नजर आता है. लेकिन ८० प्रतिशत शोषित, पीड़ित ,दलित और दमित समाज के लिए संघर्षरत वामपंथ का कोई प्रतिनिधि या तो बुलाया नहीं जाता या बुलाया जाता है तो ऐसा कोई गुड्डा जो वामपंथ के सरोकारों को रखने के बजाय विक्रत अंग, विक्रत वाणी, विक्रत वेश के जरिये विदूषक की भूमिका में नजर आता है. अच्छे,सच्चे और जमीन से जुड़े नेताओं को मौका नहीं दिया जाता. जाहिर है कार्पोरेट हितों का पोषक मीडिया क्यूँ कर आम जनता के सच्चे पेरोकारों को जनता के सामने पेश करेगा.
डॉ. गिरीश.
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