Wednesday, May 25, 2016

बजरंग दल के हथियार चलाने की ट्रैनिंग देने वाले शिविरों को उचित ठहराने पर भाकपा ने की उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की निंदा

लखनऊ/अलीगढ: 25 मई, 2016- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा.गिरीश ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक के उस बयान पर गहरी चिंता और आक्रोश व्यक्त किया है जिसमें उन्होने उत्तर प्रदेश में बजरंग दल द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को आग्नेयास्त्रों सहित तमाम हथियारों की ट्रेनिंग देने को चलाये जारहे शिविरों को जायज ठहराया है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि राज्यपाल महोदय अपना कार्यभार संभालने के दिन से ही सांप्रदायिक बयानबाजी करते रहे हैं और हर वह काम करते रहे हैं जो संघ परिवार के एजेंडे को आगे बढाने वाला है. पर कल अलीगढ के अतरौली में दिया गया उनका बयान कानून और संविधान की धज्जियां बिखेरने वाला है. यह मामला इसलिये और गंभीर होजाता है कि यह बयान उस व्यक्ति ने दिया है जो संविधान और कानून की रक्षा करने वाले पद पर आसीन है. प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ‘टाइम्स आफ इंडिया’ के अनुसार श्री नाईक ने कहा कि “उन्हें इन शिविरों के आयोजन पर कोई एतराज नहीं है.” उन्होने यह भी कहा कि “इन केम्प्स को आयोजित करने का उद्देश्य ‘हिंदुओं की अन्य धर्मावलम्बियों से रक्षा करना है’.” इससे भी आगे बढ कर राज्यपाल ने कहा कि “ आत्मरक्षा करना कोई गलत बात नहीं है. यदि लोग अपनी रक्षा नहीं कर पायेंगे तो वे अपने समाज की रक्षा कैसे कर पायेंगे? हमें इस तरह की ट्रेनिंग जारी रखनी चाहिये. आपको इस ट्रेनिंग के इरादे को समझना चाहिये. .............. मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं.” आदि. सवाल खडे होते हैं कि क्या अल्पसंखकों, दलितों, आदिवासियों आदि को भी इस तरह के केम्प आयोजित करने की छूट राज्यपाल महोदय देंगे जो संघ परिवार और उसकी विचारधारा के हमलों के शिकार बनते हैं? क्या फिर कश्मीर, पूर्वोत्तर और वामपंथी उग्रवादियों के शिविरों को भी जायज नहीं माना जाना चाहिये? क्या राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को इस तरह का बयान देना चाहिये? भाकपा ने माननीय राष्ट्रपति महोदय से अपील की कि वे इस प्रकरण पर शीघ्र संविधान सम्मत कदम उठायें ताकि संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से संविधान की रक्षा की जासके. डा. गिरीश ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि वह अयोध्या, सुल्तानपुर, गोरखपुर, पीलीभीत, नोएडा एवं फतेहपुर आदि में बजरंग दल द्वारा रायफल, तलवार और लाठी की ट्रेनिंग देने वाले शिविरों पर फौरन रोक लगाये और इसके आयोजकों पर देशद्रोह का अभियोग पंजीकृत कर उन्हें गिरफ्तार करे. डा. गिरीश

Tuesday, May 24, 2016

AISF Conference

ए.आई.एस.एफ. का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न सम्मेलन में झूठे देशभक्तों और पूंजीवादी ताकतों से लडने का लिया संकल्प: सबको एक समान शिक्षा, शैक्षिक कलेंडर लागू करने, छात्र संघों के चुनाव कराये जाने और सबको रोजगार दिये जाने की मांगों के लिये संघर्ष का किया आह्वान अलीगढ: आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक क्षेत्रीय सम्मेलन यहां उत्साह और गर्मजोशी के माहौल में संपन्न हुआ. बेहद गर्म मौसम के बावजूद सम्मेलन में आठ जिलों के 60 प्रतिनिधि शामिल हुये. सम्मेलन की अध्यक्षता ए.एम.यू. की एआईएसएफ की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी भार्गवी ने की तथा संचालन एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार ने किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एआईएसएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वलीउल्लाह खादरी ने शिक्षा पर बढते हमले, शिक्षा के बजट में की जारही कटौती, फीस में की जारही भारी वृध्दि, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारीकरण तथा शिक्षा के भगवाकरण के प्रयासों पर सवाल खडे किये. उन्होने कहा कि केंद्र हो या राज्यों की सरकारें जन समुदाय को अपढ बना कर रखना चाहती हैं इसीलिये शिक्षा का बजट घटा रही हैं, विद्यार्थियों की फेलोशिप छीन रही है, जहां छात्र इसका विरोध कर रहे हैं उनको हर तरह से दबाया जारहा है. उन्होने सभी छात्रों से शिक्षा को बचाने और छात्रों के बुनियादी अधिकरों की रक्षा के लिये संघर्ष का आह्वान किया. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और संगठन के महासचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि जिन्होने अब तक देश व देशवासियों के साथ गद्दारी की है, वे आज देशभक्त होने का प्रमाण बांट रहे हैं. देश व प्रदेश में शिक्षा की हालत बद से बदतर होती जारही है. एकतरफ जहां छात्रों को उपयुक्त शिक्षा व रोजगार नहीं मिल रहे हैं वहीं उनके अधिकारों को कुचला जारहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जे एन यू एवं रोहित वेमूला प्रकरण इसके उदाहरण हैं. इसलिये सभी को मुफ्त व समान शिक्षा , छात्रसंघों के चुनाव और रोजगार के लिये छात्रों का एकजुट संघर्ष ही छात्रों के भविष्य की रक्षा करेगा. एआईएसएफ इस संघर्ष के लिये सबसे उपयुक्त मंच है. सम्मेलन में प्रमुख वक्ता भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि यह गौरव केवल एक छात्र संगठन- 'एआईएसएफ' को ही हासिल है कि उसका जन्म आज़ादी के आंदोलन की कोख से हुआ और उसने आज़ादी की लडाई में हिस्सा लिया. उस दौर में यह आंदोलन की सभी प्रमुख धाराओं- कांग्रेस, सोशलिस्ट तथा कम्युनिस्ट विचारधारा के छात्रों का संयुक्त मंच था. छात्र आंदोलन के हितों और शिक्षा की उपादेयता को देखते हुये एआईएसएफ को छात्रों का संयुक्त मंच ही रहना चाहिये था लेकिन छात्रों को दलगत स्वार्थों की पूर्ति का मौहरा बनाने के लिये कांग्रेस ने एनएसयूआई तथा सोशलिस्टों ने समाजवादी युवजन सभा बनाली. आरएसएस जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजी हुकूमत को बचाने के काम में लगा था, ने आज़ादी आने के बाद जनसंघ/ भाजपा बनाली तथा एबीवीपी नामक छात्र संगठन बना लिया. जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल सांप्रदायिकता और जाति के नाम पर बांटना है. छात्रों और समाज के बुनियादी सवालों से उसका कोई लेना देना नहीं. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों के खिलाफ युध्द छेड रखा है और विद्यार्थी परिषद उसके सह्योग में छात्रों के खिलाफ षडयंत्र कर रही है. जगह जगह वामपंथी और अंबेडकरवादी छात्र संगठनो पर हमले बोले जा रहे हैं. छात्रों को अपने शैक्षिक हितों के साथ साथ विद्यार्थी परिषद के छात्र विरोधी कुकृत्यों का भी जबाव देना होगा. भाकपा के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की शिक्षा और छात्रों को तबाह करने वाली नीतियों के खिलाफ जगह जगह जुझारू छात्र आंदोलन उग रहे हैं और अपने संघर्षो से कई जगह छात्रों ने सफलतायें हासिल की हैं. जेएनयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघर्ष इसका उदाहरण हैं. आने वाले दिनों में छात्रों, शिक्षा और उसके संस्थानो पर और तीव्र हमले होंगे और छात्रों को उसका जबाव भी मजबूती से देना होगा. छात्र आंदोलन को उचित दिशा देने का काम केवल एआईएसएफ कर सकता है अतएव उसे मजबूत बनाने की जरूरत है. भाकपा के जिला सचिव प्रोफेसर सुहेव शेरवानी ने कहा कि अलीगढ और उत्तर प्रदेश में एआईएसएफ तेजी से कदम बढा रही है. भाकपा हर तरह से उनका साथ देने को प्रतिबध्द है. उन्होने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह सभी को समान शिक्षा देने की व्यवस्था करे लेकिन राज्य सरकार ने इस ओर कोई कदम नहीं बढाया. हम सबको मिल कर सरकार पर दबाव बढाना चाहिये. प्रोफेसर शमीम अख्तर ने मोदी सरकार के फासिस्ट्वादी कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला. सम्मेलन को प्रदेश उपाध्यक्ष उत्कर्ष चतुर्वेदी, कु. फसलीन, यशपाल सिंह, देवेंद्र कुमार, गौरव सक्सेना, विनीत कुमार, पंकज सागर, अतुल, रवि शर्मा, अश्वनी कुमार, अभिषेक पचौरी, संतोष, यतेंद्र बघेल और हर्ष पालीवाल विवेक त्रिपाठी आदि ने भी संबोधित किया.

Tuesday, May 17, 2016

आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कार्यकर्ता सम्मेलन अलीगढ में 23 मई में: छात्रों की बुनियादी समस्याओं और संगठन के विकास पर होगी चर्चा

अलीगढ- आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का क्षेत्रीय सम्मेलन 23मई, सोमवार को अलीगढ में संपन्न होने जारहा है. इस सम्मेलन में छात्रों और शिक्षा से जुडी बुनियादी समस्याओं पर गहनता से चर्चा होगी. इन समस्याओं से कैसे निपटा जाये और आम छात्रों को सस्ती, अच्छी और रोजगारपरक शिक्षा दिलाने को क्या कदम उठाये जायें इस पर भी विस्तार से चर्चा होगी. देश की आज़ादी की लडाई के दौरान पैदा हुये और देश के छात्रों का सबसे पहला संगठन होने का गौरव प्राप्त इस संगठन के आज की चुनौतियों से निपटने योग्य ढांचे के निर्माण पर भी चर्चा होगी. सम्मेलन की तैयारियों आदि के संबंध में जानकारी देते हुये एआईएसएफ अलीगढ के संयोजक अनीश कुमार तथा इसकी एएमयू इकाई की संयोजक कु. दूना मारिया भार्गवी ने बताया कि यह सम्मेलन 23 मई को सुबह 10:30 बजे से एआईएसएफ के पान दरीबा (निकट रेलवे स्टेशन) स्थित कार्यालय पर संपन्न होगा. सम्मेलन की सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. स्वागत समिति का अध्यक्ष एआईएसएफ के पूर्व कार्यकर्ता और वर्तमान में भाकपा के जिला सचिव का. सुहेव शेरवानी को बनाया गया है. नेताद्वय ने बताया कि इस सम्मेलन के मुख्य वक्ता संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सय्यद वली उल्लाह खादरी एवं राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत कुमार होंगे. मुख्य अतिथि एआईएसएफ के पूर्व प्रांतीय सचिव और वर्तमान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश और भाकपा के राज्य सहसचिव अरविंद राज स्वरुप होंगे. कई राज्य स्तरीय नेताओं के भी इस सम्मेलन में आने की संभावना है. जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के अलीगढ आगमन को लेकर आये दिन प्रकाशित होरहे समाचारों को बेबुनियाद बताते हुये दोनों छात्र नेताओं ने कहा कि अलीगढ एआईएसएफ अपना ध्यान पूरी तरह से छात्र हितों पर केंद्रित किये हुये है. कन्हैया कुमार के यहां आगमन का फिलहाल कोई कार्यक्रम नहीं है. अनीश कुमार और दूना मारिया भार्गवी ने एआईएसएफ के सभी कार्यकर्ताओं से समय पर पहुंच कर सम्मेलन में भाग लेने की अपील की है. अनीश कुमार, अलीगढ संयोजक दूना मारिया भार्गवी, एएमयू संयोजक

Friday, May 13, 2016

इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र आंदोलन और भाकपा/ ए.आई.एस.एफ.

अपनी एकजुटता और संघर्ष के बल पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने एक बढी जंग जीत ली है. करीब हफ्ते भर तक चले इस आंदोलन के द्वारा छात्र अपनी मांगों को मनबाने में पूरी तरह कामयाब रहे हैं. उन्होने मानव संसाधन मंत्रालय को अपने तानाशाहीपूर्ण कदमों को वापस लेने को बाध्य किया है. मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के शिक्षण संस्थाओं में हस्तक्षेप न करने के दाबों की इस आंदोलन ने कलई खोल कर रख दी है. संदेश साफ है कि छात्र भगवा ब्रिगेड के शिक्षा विरोधी और छात्र विरोधी कामों को सहेंगे नहीं. वे लडेंगे भी और जीतेंगे भी. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एआईएसएफ छात्रों- नौजवानों के हर बुनियादी संघर्षों में उनके साथ खडे हुये हैं और साथ खडे रहने को संकल्पबध्द हैं. वे मन वाणी और कर्म से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र- छात्राओं के साथ खडे रहे. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एआईएसएफ के एक राज्य स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने गत 8 मई को इलाहाबाद पहुंच कर वहां अपनी समस्याओं के लिये छात्र संघ भवन में अनशन कर रहे छात्र- छात्राओं से भेंट की और उनके संघर्ष के प्रति एकजुटता का इजहार किया. भाकपा उत्तर प्रदेश के सचिव डा. गिरीश के नेत्रत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के राज्य सहसचिव का. अरविंदराज स्वरुप एवं एआईएसएफ उत्तर प्रदेश के संयुक्त सचिव मयंक चक्रवर्ती भी शामिल थे. इलाहाबाद में पार्टी के जिला सह सचिव का. नसीम अंसारी, वरिष्ठ नेता का. गिरिधर गोपाल त्रिपाठी एडवोकेट, एटक लीडर का. मुस्तकीम एवं एआईएसएफ के अमितांशु गौर भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होगये. केंद्रीय एवं राज्य की प्रशासनिक सेवाओं के लिये मानव संसाधन मुहैया कराने के लिये प्रसिध्द इस विश्वविद्यालय का छात्रसंघ भी उतना ही प्रसिध्द रहा है और इसके पदों पर चुने गये तमाम लोग राजनीतिक, सामाजिक और अन्य कई क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं. लेकिन कई दशकों से पूंजीवादी दलों द्वारा पोषित राजनीति में आई गिरावट का ग्रहण शिक्षण संस्थाओं को भी लगा और इलाहाबाद विश्वविद्यालय का शैक्षिक स्तर और उसका छात्रसंघ भी उससे प्रभावित हुआ. लेकिन इस बार वहाँ के छात्र- छात्राओं ने पहली बार एक छात्रा ऋचा सिंह को विश्वविद्यालय छात्रसंघ का अध्यक्ष चुना जो वहां चुने गये पदाधिकारियों में एक मात्र गैर भाजपा पदाधिकारी थीं. उन्हें इस बात का श्रेय जाता है कि तमाम दबावों और घेराबंदियों के बावजूद उन्होने भयंकर सांप्रदायिक एवं हिंदू कट्टरपंथी गोरखपुर के भाजपा सांसद श्री आदित्यनाथ को विश्वविद्यालय परिसर में आने से रोक दिया था. उसके बाद से ही वह संघ परिवार के निशाने पर थीं और केंद्र सरकार और स्थानीय भाजपाइयों के इशारे पर विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें तरह तरह से परेशान कर रहा था. भाकपा और एआईएसएफ ने इस समूची जद्दोजहद में हमेशा उनका मनोबल बढाया. पिछले दिनों विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्र संगठनों ने ऋचा सिंह के नेत्रत्व में कुलपति श्री रतनलाल हाँगलू को एक सात सूत्रीय ज्ञापन संयुक्त रुप से सौंपा था जिसमें उन्होने कहा था कि विश्वविद्यालय के ग्रामीण अंचल के छात्रों की बहुलता को देखते हुये परास्नातक सहित सभी प्रवेश परीक्षाओं में 'आफ लाइन' का विकल्प भी दिया जाये, पिछले दिनों जिन 17 छात्रों का निलंबन किया गया है उसे वापस लिया जाये, आनलाइन आवेदनों में वेवसाइट की गडबडी के कारण छात्रों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड रहा है, उसे तत्काल सुधारा जाये. प्रवेश परीक्षाओं का बढा हुआ शुल्क जो कि पिछले से लगभग दोगुना है वापस किया जाये, डबल एम.ए. करने हेतु 80 प्रतिशत अंक की अपरिहार्यता और अव्यवहारिकता को वापस लिया जाये, प्रवेश हेतु जमा होने वाला चालान एस. बी.आई. के माध्यम से भी जमा करने का विकल्प हो. ज्ञापन में यह भी कहा गया कि प्रवेश परीक्षाओं का टेंडर पारदर्शी तरीके से न होना प्रवेश प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खडे करता है. मात्र टी.सी.एस के आवेदन के बाद उसका टेंडर देना अनुचित है. आंदोलनकारी छात्र- छात्रायें जब इन मांगों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में पुलिस को बुलबा भेजा. तमाम छात्रो को पीटा गया और वे लहू लुहान होगये, उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तार किया गया. पर रिहाई के बाद वे यूनियन हाल में अध्यक्ष ऋचा सिंह के नेत्रत्व में आमरण अनशन पर बैठ गये. वे कुलपति कार्यालय के समक्ष अनशन करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें वहां बैठने से रोक दिया. भाकपा और एआईएसएफ ने अलग अलग बयान जारी कर इस पुलिसिया कार्यवाही की निंदा की और छात्रों की मांगों का समर्थन किया. आंदोलन का नेत्रत्व कर रही ऋचा सिंह को फोन कर छात्रों का मनोबल भी बढाया गया. छात्र छात्राओं पड रहे चहुंतरफा दबाव और उनके स्वास्थ्य में आरही गिरावट के समाचार भाकपा और एआईएसएफ के राज्य केंद्र को मिल रहे थे अतएव पार्टी नेत्रत्व ने वहाँ पहुंच कर छात्रों के इस आंदोलन को सक्रिय समर्थन प्रदान करने का फैसला लिया. प्रतिनिधिमंडल जिस दिन वहां पहुंचा, आमरण अनशन का छठवां दिन था. चूंकि वहां पहुंचने का समाचार समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था तो सभी आंदोलनकारी छात्र इस प्रतिनिधिमंडल का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे. प्रतिनिधिमंडल ने ऋचा सिंह से बात की और उनका साहस बढाया. वहीं पता लगा कि पूर्व की रात को पुलिस ने अनशनकारियों को गिरफ्तार करने की कोशिश की थी लेकिन छात्रों ने अपने को यूनियन हाल में बंद कर लिया. यू.पी. सरकार के पुलिस और प्रशासन का यह रवैया समझ से परे था. ऋचा सिंह ने छात्रो के बीच ले जाकर प्रतिनिधिमंडल से विचार व्यक्त करने का आग्रह किया. उपस्थित छात्र समुदाय को संबोधित करते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आफलाइन विकल्प के अभाव में ग्रामीण और गरीब तबके के छात्र शिक्षा से वंचित रह जायेंगे इसलिये आम छात्रों के हित में आफलाइन का विकल्प भी खुला रहना चाहिये. उन्होने छात्रों की न्यायोचित मांगों के प्रति केंद्र सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन की हठवादिता और छात्रों पर पुलिस/प्रशासन द्वारा किये जारहे बल प्रयोग की कडे शब्दों में निंदा की और छात्रों के इस न्याययुध्द में हर संभव मदद का भरोसा उन्हें दिलाया. उन्होने घोषणा की कि लखनऊ लौटने पर भाकपा महामहिम राज्यपाल से भेंट कर छात्रों को न्याय दिलाने की मांग करेगी. छात्रों ने बढी ही गर्मजोशी से प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और उनके प्रति आभार व्यक्त किया. यद्यपि वहां अन्य कई प्रतिनिधिमंडल भी आये हुये थे पर भाकपा और एआईएसएफ के प्रतिनिधिमंडल के वहां पहुंचने से भाजपा और सपा के खीमों में काफी हलचल दिखाई दी. अगले दिन मीडिया ने भी प्रतिनिधिमंडल की खबरों को प्रमुखता से छापा. सत्ताधारियो का सिंहासन हिला और 48 घंटे के भीतर ही छात्रों की प्रमुख मांगों को मान लिया गया और अनशन समाप्त करा दिया गया. समझौते के अनुसार अब विश्वविद्यालय में प्रवेश में आफ लाइन का विकल्प खोला गया है, डबल एम.ए. के प्रवेश में अब 80 के बजाय 60 प्रतिशत अंक ही आवश्यक होंगे तथा छात्रों के निलंबन की कार्यवाही पर पुनर्विचार किया जायेगा. इस सफलता के बाद ऋचा सिंह और कई छात्रों ने भाकपा नेत्रत्व को न केवल इसकी सूचना दी अपितु उनके प्रति कृतज्ञता भी ज्ञापित की. भाकपा नेत्रत्व ने भी उन्हे बधाई दी. एआईएसएफ इलाहाबाद के एक प्रतिनिधिमंडल ने सन्योजक अजीत सिंह के नेत्रत्व में ऋचा सिंह एवं अन्य आंदोलनकारी छात्रों से छात्रसंघ भवन में जाकर इस सफलता के लिये उन्हें पुरजोर तरीके से बधाई दी. प्रतिनिधिमंडल में अमितांशु गौर, मो.खालिद, सर्वेश मिश्रा, गौरीशंकर, विमर्श एवं संकर्ष भी शामिल थे. ऋचा सिंह ने सहयोग और समर्थन के लिये धन्यवाद दिया और कृतज्ञता ज्ञापित की. यह छात्रों के संघर्षों का ही नतीजा है कि मानव संसाधन मंत्रालय को घुटने टेकने पडे हैं. केंद्र सरकार के पलटी मारने से कल तक उसके यस मैन बने कुलपति हाँगलू आहत महसूस कर रहे हैं. उन्होने स्मृति ईरानी और भाजपा पर विश्वविद्यालय में हस्तक्षेप का आरोप जडा है. यह तो जग जाहिर ही था, पर पहली बार किसी कुलपति ने भी इस सच पर से पर्दा उठाया है. यह भी उल्लेखनीय है कि जो विद्यार्थी परिषद ऋचा सिंह के खून का प्यासा बना हुआ था, छात्रों के दबाव में और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये उसे भी सबके साथ अनशन पर बैठना पडा. डा. गिरीश

Saturday, May 7, 2016

ए आई एस एफ की विचारगोष्ठी में भगवा ताकतों और फासीवादियों का पर्दाफाश किया गया

अलीगढ- मजदूर दिवस के अवसर पर एक मई को अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एम्पलाईज यूनियन कार्यालय परिसर में ए.आई.एस.एफ. की ओर से एक सफल सेमिनार का आयोजन किया गया. गोष्ठी का विषय था " लोकतंत्र स्वंत्रता और संस्कृति को खतरा और छात्रों का संघर्ष". गोष्ठी का उद्घाटन करते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि देश की स्वतंत्रता लोकतंत्र और संस्कृति पर समय समय पर अलग अलग शक्तियों द्वारा हमले होते रहे हैं और देश की जनता उसका जबाव भी देती रही है. लेकिन पिछले दो साल में यह हमले तीव्र से तीव्रतर होगये हैं. केंद्र में सत्तारूढ मोदी सरकार ने जनता से किया एक भी वायदा पूरा नहीं किया अतएव जनता में इस सरकार के प्रति भारी असंतोष उमड रहा है. अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने, आक्रोश को दिग्भ्रमित करने और जनता के विरोध को मूर्त रूप देने वाली ताकतों को आतंकित करने के उद्देश्य से सरकार और सरकार समर्थक संगठनों ने उन पर बडे हमले बोल दिये हैं. हर विपन्न तबके को निशाना बनाया जारहा है. लेकिन ज्ञान के उद्गम स्थल शिक्षण संस्थानों और उसके छात्रों को खास निशाना बनाया जारहा है ताकि जहालत फैला कर जुल्म सितम का चक्का चलाया जाता रहे. डा. गिरीश ने कहाकि यह पहली ऐसी सरकार है जो सीमा के पार वाले दुश्मनों के समक्ष तो घुटने टेके हुये है मगर अपने ही देश के छात्र नौजवानों के खिलाफ इसने युध्द छेड दिया है. फिल्म इंस्टीट्यूट, आईआईटी, हैदराबाद यूनिवर्सिटी, एएमयू, इलाहाबाद और सबसे ज्यादा जेएनयू के छात्रों को निशाना बनाया गया और उन्हें जान गंवाने को बाध्य किया गया या देशद्रोही बता कर जेलों में ठूंसा गया. लेकिन हर जगह छात्र आंदोलन के जरिये जबाव दे रहे हैं. कन्हैया कुमार इस आंदोलन का प्रतीक बन चुके हैं. यह आंदोलन आने वाले दिनों में और गति पकडेगा और यही व्यवस्था परिवर्तन की जंग का आधार बनेगा. भाकपा छात्र नौजवानों के इस संघर्ष के हर कदम पर उनके साथ है. एआईएसएफ के अध्यक्ष वली उल्लाह खादरी ने कहा कि मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी एक्टिंग अच्छी कर लेती हैं, लेकिन शिक्षा के बारे में उन्हें जानकारी नहीं. शिक्षा के बजट में कटौती और छात्रों के हक को दबाने के सवाल पर उन्होंने प्रधानमंत्री पर भी जम कर निशाना साधा. उन्होने कहा कि देश भर में दहशत फैलाने का काम नागपुर से चल रहा है. तमाम महत्वपूर्ण संस्थाओं के साथ साथ फासीवादी ताकतों की नजर अल्पसंख्यक स्वरूप वाले एएमयू और जामिया मिलिया पर भी है. छात्र इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. जेएनयू एआईएसएफ की अध्यक्ष राहिला परवीन ने कहा कि यह देश गांधी के राम का है. आरएसएस के जय श्रीराम का नहीं. हम आरएसएस के जय श्री राम को नहीं आने देंगे. देशवासियों को राम और जय श्रीराम के अंतर को समझना होगा. उन्होने कन्हैया को आज़ादी की दूसरी लडाई का योध्दा बताया और कहा कि रोहित वेमुला प्रकरण को दबाने के लिये फासीवादी ताकतों ने जेएनयू प्रकरण को उछाल दिया. इसमें विद्यार्थी परिषद के साथ तथाकथित राष्ट्रवादी चेनल भी साथ थे. रोहित वेमुला का उदाहरण देते हुये उन्होने कहा कि हम उस मां की जय बोलेंगे जिसने जन्म देकर अपने लाल को अन्याय के खिलाफ लडने भेजा. शेर पर सवार हाथ में त्रिशूल और भगवा झंडा वाली आरएसएस की ब्रांडेड मां की जय हम नहीं बोलेंगे. उन्होने कहा कि सीमा पर लडने वाले फौजी के किसान पिता आत्महत्या कर रहे हैं. इसकी चिंता सरकार को नहीं. उन्होने कहा कि आज़ादी के आंदोलन के दौरान सेनानी भारत माता की जय नहीं, वंदे मातरम और जय हिंद बोलते थे. लेकिन फासीवादी ताकतें हर चीज को मजहब में बांट कर अपनी कुर्सी बचाने में लगी हैं. प्रसिध्द इतिहासकार प्रो. इरफान हबीव ने एआईएसएफ के गौरवशाली इतिहास की स्मृतियों को ताजा करते हुये कहा कि यही संगठन था जो आज़ादी की लडाई में असंख्य छात्र युवाओं को खींच लाया. उन्होने इस संगठन में बिताये अपने जीवन के अनुभवों को उपस्थित छात्र युवाओं के साथ साझा किया. उन्होने कहाकि भाजपा जिन सरदार पटेल की प्रतिमा का निर्माण करा रही है उन्होने आरएसएस के गोलवलकर को खत लिखा था कि संघ द्वारा फैलाये गये सांप्रदायिक जहर के कारण ही गांधी जी की हत्या हुयी. गांधी की हत्या पर संघ ने मिठाई बांटी थी और आरएसएस पर प्रतिबंध भी लगाया गया था. वह तभी हठा जब उनके गुरु ने लिख कर दे दिया कि संघ तो सांस्कृतिक संग्ठन है. पर हर कोई जानता है कि वह खुल कर राजनीति करता है, वह भी समाज को बांतने की. प्रो. इरफान हबीब ने एएमयू में छात्राओं के साथ होने वाले भेद्भाव की चर्चा की और उसे खत्म किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया. गोष्ठी को भाकपा जिला सचिव सुहेव शेरवानी, एआईएसएफ अलीगद के सन्योजक अनीश कुमार तथा ऐम्पलाईज यूनियन के अध्यक्ष वसी हैदर ने भी संबोधित किया. अध्यक्षता कु. फनस ने की. संचालन एआईएसएफ की एएमयू की सन्योजक कु. दूना मारिया भार्गवी ने किया. ऐम्पलायीज यूनियन के सैक्रेटरी शमीम अख्तर ने सभी को धन्यवाद दिया. कु. दूना एवं अनीश ने बताया कि आगामी 23 मई को एआईएसएफ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन और एवं विचारगोष्ठी अलीगढ में होगी. हर जिले से कम से कम 5 छात्र साथियों को सुबह 10 बजे तक अलीगढ पहुंचना है.

Friday, May 6, 2016

भाकपा उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल कल पहुंचेगा इलाहाबाद. आंदोलनरत छात्रों से करेगा मुलाकात

लखनऊ- 7 मई 2016, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल कल इलाहाबाद पहुंचेगा. प्रतिनिधिमंडल वहाँ आफलाइन विकल्प के लिये संघर्षरत और अनशन कर रहे छात्र नेताओं और छात्रों से मिल कर उनके संघर्ष के प्रति एकजुटता का इजहार करेगा. ज्ञात हो कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पदाधिकारी और अन्य छात्र दाखिले की प्रक्रिया में आनलाइन के साथ आफलाइन विकल्प की मांग को लेकर पिछले एक सप्ताह से आंदोलन कर रहे हैं. गत दिनों विश्वविद्यालय प्रशासन की पहल पर पुलिस ने छात्रों पर भारी लाठीचार्ज किया था, उन पर कई धाराओं में केस दर्ज किये गये थे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. भाकपा ने तभी छात्रों पर हुये इस दमन की कडे शब्दों में निंदा की थी. रिहाई के बाद से ही ये छात्र अपनी मांगों को लेकर अनशन कर रहे हैं. भाकपा राज्य सचिव मंडल की ओर से जारी बयान में मांग की गयी है कि छात्रों की इस न्यायोचित मांग को अबिलंब पूरा किया जाये और उन पर दमनचक्र चलाने के लिये जिम्मेदार लोगों को चिन्हित कर दंडित किया जाये. बयान में बताया गया है कि इन आंदोलनकारी छात्रों के संघर्ष के प्रति एक्जुटता प्रकट करने को भाकपा का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल राज्य सचिव डा.गिरीश के नेत्रत्व में कल इलाहाबाद जायेगा. राज्य सहसचिव का. अरविन्दराज स्वरुप एवं आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के नेतागण भी उनके साथ होंगे. डा.गिरीश

मौजूदा रेल आरक्शण टिकट की प्रक्रिया में बदलाव से बाज आये सरकार: भाकपा

लखनऊ- 6 मई 2016, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आरक्षण खिडकी से कराये गये रेलवे के आरक्षित टिकट को रद्द कराने की मौजूदा प्रक्रिया में प्रस्तावित बदलाव को जनता के लिये बहुत ही कष्टकारक और आर्थिक रुप से हानि पहुंचाने वाला बताया है. भाकपा ने आरक्षित टिकट की मौजूदा प्रणाली को ही बनाये रखने की मांग की है. ज्ञात हो कि मौजूदा व्यवस्था के अनुसार यात्री कहीं से खरीदे टिकट को देश में किसी भी स्टेशन से रद्द करा सकते हैं. लेकिन अब रेलवे इस मौजूदा प्रक्रिया में बदलाव कर यह व्यवस्था करने जारही है कि जो टिकट जहां से खरीदी गयी है उसको उसी स्टेशन से रद्द कराया जा सकेगा. रेल मंत्री को भेजे गये पत्र में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने इस पर कडी आपत्ति दर्ज कराई है. अपने इस पत्र में भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि इस प्रस्तावित नई प्रक्रिया से मुसाफिरों को भारी कठिनाई का सामना करना पडेगा और आर्थिक हानि भी उठानी पडेगी. इस संबंध में उदाहरण देते हुये डा.गिरीश ने कहा कि जब में लखनऊ से अपने घर हाथरस जाता हूं तो वहाँ से लौटने का टिकट भी यहीं से बनवा कर ले जाता हूँ ताकि प्रतीक्षा सूची में लटकने से बचा जा सके. पर यदि किसी कारण से मुझे अपनी यात्रा की तिथि आगे बढानी पड जाये तो मेरा लखनऊ से कटाया गया यह टिकिट हाथरस में रद्द नही हो सकेगा. इस तरह मेरा यह पैसा डूब जायेगा. ज्यादा यात्रा करने वालों और टूरिस्टों को तो इससे बहुत अधिक कठिनाई होगी. डा. गिरीश ने आरोप लगाया है कि गत दो वर्षों में रेलवे ने यात्री किराये और माल भाडे में बडी वृध्दि तो की ही है अन्य अनेक भार भी यात्रियों पर लाद दिये हैं. सफाई के नाम पर एक अलग कर लगाया गया है, बच्चों की आधी टिकट समाप्त कर उसे पूरा कर दिया गया है, टिकिट रद्द कराने में ज्यादा पैसे की कटौती कर दी गयी है और टिकिट रद्द कराने की अवधि भी कम कर दी गयी है. मजे की बात है कि यात्रियों पर यह सारी चोट यात्री सुविधा बढाने के नाम पर की जारही है. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि “ प्रभुजी! ये सब बंद करो वरना ये जनता तुम्हारी सरकार की राजनैतिक रेल को रोक देगी.” डा. गिरीश

आरक्षित रेल टिकिट को रद्द कराने की प्रक्रिया में बदलाव से बाज आये रेलवे: भाकपा

रेल के आरक्षित टिकट को रद्द कराने की प्रक्रिया में बदलाव से जनता को होगी भारी कठिनाई: भाकपा ने प्रस्तावित बदलाव को न करने की मांग की लखनऊ- 6 मई 2016, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आरक्षण खिडकी से कराये गये रेलवे के आरक्षित टिकट को रद्द कराने की मौजूदा प्रक्रिया में प्रस्तावित बदलाव को जनता के लिये बहुत ही कष्टकारक और आर्थिक रुप से हानि पहुंचाने वाला बताया है. भाकपा ने आरक्षित टिकट की मौजूदा प्रणाली को ही बनाये रखने की मांग की है. ज्ञात हो कि मौजूदा व्यवस्था के अनुसार यात्री कहीं से खरीदे टिकट को देश में किसी भी स्टेशन से रद्द करा सकते हैं. लेकिन अब रेलवे इस मौजूदा प्रक्रिया में बदलाव कर यह व्यवस्था करने जारही है कि जो टिकट जहां से खरीदी गयी है उसको उसी स्टेशन से रद्द कराया जा सकेगा. रेल मंत्री को भेजे गये पत्र में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने इस पर कडी आपत्ति दर्ज कराई है. अपने इस पत्र में भाकपा राज्य सचिव ने कहा है कि इस प्रस्तावित नई प्रक्रिया से मुसाफिरों को भारी कठिनाई का सामना करना पडेगा और आर्थिक हानि भी उठानी पडेगी. इस संबंध में उदाहरण देते हुये डा.गिरीश ने कहा कि जब में लखनऊ से अपने घर हाथरस जाता हूं तो वहाँ से लौटने का टिकट भी यहीं से बनवा कर ले जाता हूँ ताकि प्रतीक्षा सूची में लटकने से बचा जा सके. पर यदि किसी कारण से मुझे अपनी यात्रा की तिथि आगे बढानी पड जाये तो मेरा लखनऊ से कटाया गया यह टिकिट हाथरस में रद्द नही हो सकेगा. इस तरह मेरा यह पैसा डूब जायेगा. ज्यादा यात्रा करने वालों और टूरिस्टों को तो इससे बहुत अधिक कठिनाई होगी. डा. गिरीश ने आरोप लगाया है कि गत दो वर्षों में रेलवे ने यात्री किराये और माल भाडे में बडी वृध्दि तो की ही है अन्य अनेक भार भी यात्रियों पर लाद दिये हैं. सफाई के नाम पर एक अलग कर लगाया गया है, बच्चों की आधी टिकट समाप्त कर उसे पूरा कर दिया गया है, टिकिट रद्द कराने में ज्यादा पैसे की कटौती कर दी गयी है और टिकिट रद्द कराने की अवधि भी कम कर दी गयी है. मजे की बात है कि यात्रियों पर यह सारी चोट यात्री सुविधा बढाने के नाम पर की जारही है. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि “ प्रभुजी! ये सब बंद करो वरना ये जनता तुम्हारी सरकार की राजनैतिक रेल को रोक देगी.” डा. गिरीश