Saturday, May 7, 2016
ए आई एस एफ की विचारगोष्ठी में भगवा ताकतों और फासीवादियों का पर्दाफाश किया गया
अलीगढ- मजदूर दिवस के अवसर पर एक मई को अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के एम्पलाईज यूनियन कार्यालय परिसर में ए.आई.एस.एफ. की ओर से एक सफल सेमिनार का आयोजन किया गया. गोष्ठी का विषय था " लोकतंत्र स्वंत्रता और संस्कृति को खतरा और छात्रों का संघर्ष".
गोष्ठी का उद्घाटन करते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि देश की स्वतंत्रता लोकतंत्र और संस्कृति पर समय समय पर अलग अलग शक्तियों द्वारा हमले होते रहे हैं और देश की जनता उसका जबाव भी देती रही है. लेकिन पिछले दो साल में यह हमले तीव्र से तीव्रतर होगये हैं. केंद्र में सत्तारूढ मोदी सरकार ने जनता से किया एक भी वायदा पूरा नहीं किया अतएव जनता में इस सरकार के प्रति भारी असंतोष उमड रहा है. अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने, आक्रोश को दिग्भ्रमित करने और जनता के विरोध को मूर्त रूप देने वाली ताकतों को आतंकित करने के उद्देश्य से सरकार और सरकार समर्थक संगठनों ने उन पर बडे हमले बोल दिये हैं. हर विपन्न तबके को निशाना बनाया जारहा है. लेकिन ज्ञान के उद्गम स्थल शिक्षण संस्थानों और उसके छात्रों को खास निशाना बनाया जारहा है ताकि जहालत फैला कर जुल्म सितम का चक्का चलाया जाता रहे.
डा. गिरीश ने कहाकि यह पहली ऐसी सरकार है जो सीमा के पार वाले दुश्मनों के समक्ष तो घुटने टेके हुये है मगर अपने ही देश के छात्र नौजवानों के खिलाफ इसने युध्द छेड दिया है. फिल्म इंस्टीट्यूट, आईआईटी, हैदराबाद यूनिवर्सिटी, एएमयू, इलाहाबाद और सबसे ज्यादा जेएनयू के छात्रों को निशाना बनाया गया और उन्हें जान गंवाने को बाध्य किया गया या देशद्रोही बता कर जेलों में ठूंसा गया. लेकिन हर जगह छात्र आंदोलन के जरिये जबाव दे रहे हैं. कन्हैया कुमार इस आंदोलन का प्रतीक बन चुके हैं. यह आंदोलन आने वाले दिनों में और गति पकडेगा और यही व्यवस्था परिवर्तन की जंग का आधार बनेगा. भाकपा छात्र नौजवानों के इस संघर्ष के हर कदम पर उनके साथ है.
एआईएसएफ के अध्यक्ष वली उल्लाह खादरी ने कहा कि मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी एक्टिंग अच्छी कर लेती हैं, लेकिन शिक्षा के बारे में उन्हें जानकारी नहीं. शिक्षा के बजट में कटौती और छात्रों के हक को दबाने के सवाल पर उन्होंने प्रधानमंत्री पर भी जम कर निशाना साधा. उन्होने कहा कि देश भर में दहशत फैलाने का काम नागपुर से चल रहा है. तमाम महत्वपूर्ण संस्थाओं के साथ साथ फासीवादी ताकतों की नजर अल्पसंख्यक स्वरूप वाले एएमयू और जामिया मिलिया पर भी है. छात्र इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.
जेएनयू एआईएसएफ की अध्यक्ष राहिला परवीन ने कहा कि यह देश गांधी के राम का है. आरएसएस के जय श्रीराम का नहीं. हम आरएसएस के जय श्री राम को नहीं आने देंगे. देशवासियों को राम और जय श्रीराम के अंतर को समझना होगा. उन्होने कन्हैया को आज़ादी की दूसरी लडाई का योध्दा बताया और कहा कि रोहित वेमुला प्रकरण को दबाने के लिये फासीवादी ताकतों ने जेएनयू प्रकरण को उछाल दिया. इसमें विद्यार्थी परिषद के साथ तथाकथित राष्ट्रवादी चेनल भी साथ थे. रोहित वेमुला का उदाहरण देते हुये उन्होने कहा कि हम उस मां की जय बोलेंगे जिसने जन्म देकर अपने लाल को अन्याय के खिलाफ लडने भेजा. शेर पर सवार हाथ में त्रिशूल और भगवा झंडा वाली आरएसएस की ब्रांडेड मां की जय हम नहीं बोलेंगे. उन्होने कहा कि सीमा पर लडने वाले फौजी के किसान पिता आत्महत्या कर रहे हैं. इसकी चिंता सरकार को नहीं. उन्होने कहा कि आज़ादी के आंदोलन के दौरान सेनानी भारत माता की जय नहीं, वंदे मातरम और जय हिंद बोलते थे. लेकिन फासीवादी ताकतें हर चीज को मजहब में बांट कर अपनी कुर्सी बचाने में लगी हैं.
प्रसिध्द इतिहासकार प्रो. इरफान हबीव ने एआईएसएफ के गौरवशाली इतिहास की स्मृतियों को ताजा करते हुये कहा कि यही संगठन था जो आज़ादी की लडाई में असंख्य छात्र युवाओं को खींच लाया. उन्होने इस संगठन में बिताये अपने जीवन के अनुभवों को उपस्थित छात्र युवाओं के साथ साझा किया. उन्होने कहाकि भाजपा जिन सरदार पटेल की प्रतिमा का निर्माण करा रही है उन्होने आरएसएस के गोलवलकर को खत लिखा था कि संघ द्वारा फैलाये गये सांप्रदायिक जहर के कारण ही गांधी जी की हत्या हुयी. गांधी की हत्या पर संघ ने मिठाई बांटी थी और आरएसएस पर प्रतिबंध भी लगाया गया था. वह तभी हठा जब उनके गुरु ने लिख कर दे दिया कि संघ तो सांस्कृतिक संग्ठन है. पर हर कोई जानता है कि वह खुल कर राजनीति करता है, वह भी समाज को बांतने की.
प्रो. इरफान हबीब ने एएमयू में छात्राओं के साथ होने वाले भेद्भाव की चर्चा की और उसे खत्म किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया.
गोष्ठी को भाकपा जिला सचिव सुहेव शेरवानी, एआईएसएफ अलीगद के सन्योजक अनीश कुमार तथा ऐम्पलाईज यूनियन के अध्यक्ष वसी हैदर ने भी संबोधित किया. अध्यक्षता कु. फनस ने की. संचालन एआईएसएफ की एएमयू की सन्योजक कु. दूना मारिया भार्गवी ने किया. ऐम्पलायीज यूनियन के सैक्रेटरी शमीम अख्तर ने सभी को धन्यवाद दिया.
कु. दूना एवं अनीश ने बताया कि आगामी 23 मई को एआईएसएफ के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन और एवं विचारगोष्ठी अलीगढ में होगी. हर जिले से कम से कम 5 छात्र साथियों को सुबह 10 बजे तक अलीगढ पहुंचना है.
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