Friday, October 16, 2015
हिदू मुस्लिम त्योहारों पर कडी चौकसी बरती जाये: भाकपा
दशहरा- मौहर्रम के मद्दे नजर कानून व्यवस्था कडी करे सरकार: भाकपा
लखनऊ- 16-10- 15. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि वह पूर्व के अनुभवों, प्रदेश के विषाक्त वातावरण और दशहरा, दुर्गा पूजा तथा मौहर्रम जैसे त्योहारों को देखते हुये प्रदेश को किसी अनहोनी से बचाने को कडे कदम उठाये.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि गत कई वर्षों से यह देखने में आरहा कि दशहरा, दुर्गा पूजा और मौहर्रम जैसे त्योहारों से पहले सांप्रदायिक और दूसरे अवांछनीय तत्व धार्मिक कर्मकांडों की आड में दंगा भडकाने का हर संभव प्रयास करते हैं. गत वर्ष भी इस दर्म्यान कई शहर और जिले दंगों की चपेट में आगये थे.
भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि इस बार दादरी, वाराणसी की घ्रणित घट्नायें और करहल, गोंडा सहित प्रदेश में सौ से अधिक दंगे होचुके हैं. त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों और बिहार में चल रहे विधान सभा चुनावों में वोटों को विभाजित करके लाभ उठाने की कोशिशें भी सांप्रदायिक शक्तियां लगातार कर रही हैं. अतएव राज्य सरकार के स्तर पर कडी चौकसी, निगरानी और कठोरतम कार्यवाही की जरुरत है. भाकपा को उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने दल के स्वार्थो से ऊपर उठ कर प्रदेश में अमन, शांति और सद्भाव की रक्षा के लिये कठोर से कठोर प्रशासनिक कदम जरूर उठायेंगे.
भाकपा ने राज्य सरकार को सुझाव दिये हैं कि वह सुनिश्चित करे कि किसी भी मिली जुली आबादी से किसी भी समुदाय का धार्मिक जुलूस न निकाला जाये, डी.जे. तथा अन्य वाद्य यंत्रों अथवा हथियारों का प्रदर्शन हर कीमत पर रोका जाये, प्रतिमाओं अथवा ताज़ियों का विसर्जन/ दफन अनुमति के आधार पर निर्धारित स्थानों पर ही किया जाये, खुफिया एजेंसियों को सक्रिय किया जाये तथा मिली जुली आबादियों के धर्मनिरपेक्ष लोगों को लेकर बनी शांति कमेटियों को सक्रिय किया जाये. जिलधिकारियों, कप्तानों, सैक्टर मजिस्ट्रेटों और थानाध्यक्षों को स्पष्ट निर्देश दे दिये जायें कि उनके क्षेत्रों में हुयी घटनाओं के लिये वे स्वयं जिम्मेदार ठहराये जायेंगे और कठोर कार्यवाही के पात्र होंगे.
डा. गिरीश
Thursday, October 15, 2015
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति को रद्द करना स्वागत योग्य: राज्य सरकार नैतिक जिम्मेदारी ले- भाकपा
लखनऊ- 15. 10. 15—भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री अनिल यादव की नियुक्ति को रद्द करने के निर्णय का स्वागत किया है. भाकपा ने उत्तर प्रदेश सरकार से श्री यादव की अवैध नियुक्ति की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करने का आग्रह किया है.
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि राज्य सरकार ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष जैसे अत्यंत महत्त्वपूर्ण पद पर सारे नियम, कानून और परंपराओं को ताक पर रख कर श्री अनिल यादव को नियुक्त किया था. श्री अनिल यादव ने भी अपनी नियोक्ता उत्तर प्रदेश सरकार के ही नक्शे कदम पर चलते हुये और सरकार में बैठे लोगों के राजनैतिक और आर्थिक हितों को साधते हुये हर स्तर की नियुक्तियों में हर स्तर की धांधलेबाजी की थी.
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में शर्मनाक तरीके से होरही इस घपलेबाजी से अभ्यर्थी ही नहीं समाज का बडा भाग परेशान था. छात्र- नौजवानों ने तमाम आंदोलन किये और राज्य सरकार मौन साधे रही. मजबूरन अभ्यर्थियों और कुछ अन्य को अदालत का दरवाजा खटखटाना पडा. कल उच्च न्यायालय ने अपना दो टूक निर्णय सुनाते हुये राज्य सरकार को भी कटघरे में खडा किया है.
यह पहली नियुक्ति नहीं है जिसको लेकर राज्य सरकार बेनकाब हुयी हो. कुछ ही दिन पूर्व उच्चतर शिक्षा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग के अध्यक्षों और उच्चतर शिक्षा आयोग के तीन सदस्यों को भी उनकी अवैध नियुक्तियों के कारण उच्च न्यायालय के फैसलों के तहत हठाया जाचुका है. माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग के तीन सदस्यों के कार्य पर भी न्यायालय ने रोक लगा रखी है. लोकपाल की नियुक्ति के सवाल पर भी राज्य सरकार अदालत के फैसले से बेनकाव होचुकी है.
इन सभी के द्वारा की गयीं नियुक्तियों पर भी सैकडों सवाल खडे होरहे हैं. लेकिन राज्य सरकार पूरी तरह खामोश है. इससे राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश उमडना स्वाभाविक है. उत्तर प्रदेश में हर तरह की नियुक्तियों में हर स्तर पर धांधली चल रही है अतएव अक्सरकर नियुक्तियों को न्यायालय में चुनौती दे दी जाती है और नियुक्त अनियुक्त बेरोजगार हाथ मलते रह जाते हैं.
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि एक के बाद एक अवैध नियुक्ति और उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अवैध करार दिये जाने के बावजूद राज्य सरकार ने न तो अपनी गलतियों को स्वीकारा है न ही इन धांधलियों की नैतिक जिम्मेदारी ली है. राज्य सरकार के मुखिया को इस सब की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिये और तदनुसार कदम उठाना चाहिये.
डा. गिरीश,
Monday, October 5, 2015
महंगाई, दादरी प्रकरण और सूखे जैसे मुद्दों पर भाकपा ने राज्य भर में धरने प्रदर्शनों का आयोजन किया.
महंगाई, सूखा, दादरी प्रकरण एवं अन्य सवालों पर भाकपा ने जिलों जिलों में धरने प्रदर्शन किये और ज्ञापन सौंपे
लखनऊ- 5 अक्तूबर - भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य मुख्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार भाकपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के निर्देशानुसार आज समूचे उत्तर प्रदेश में आसमान लांघ रही महंगाई, भयावह सूखा, दादरी का जघन्य हत्याकांड, भाकपा कार्यकर्ताओं पर जगह जगह लगाये जारहे फर्जी मुकदमे, प्रदेश में सभी को एक समान शिक्षा की व्यवस्था तथा अनुसूचित जातियों की जमीनों को हडपने के लिये राज्य सरकार द्वारा कानून में बदलाव किये जाने जैसे सवालों पर जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन किये गये.
कई जिलों में इन कार्यक्रमों में भाकपा के साथ अन्य वामपंथी दलों- क्रमशः माकपा, भाकपा- माले आदि ने भी शिरकत की.
यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि केन्द्र की एन डी ए सरकार द्वारा चलाई जारही नीतियों के चलते महंगाई ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं. दाल, सब्जी, तेल सहित जरूरी चीजों के आसमान छूरहे मूल्यों ने गरीब और आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है. इसका प्रमुख कारण केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियाँ हैं. उदाहरण के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बेहद कम होने के बावजूद सरकार ने पटल और डीजल आदि कि कीमतें काफी ऊंची कर रखी हैं. राज्य सरकार ने भी पेट्रोल डीजल पर टैक्स बढ़ा कर, बिजली की कीमतें बढ़ा कर तथा राशन प्रणाली को पंगु करके महंगाई की धार को और भी तीखा बना दिया है.
उन्होंने कहाकि आज समूचे उत्तर और मध्य भारत में भयावह रूप से सूखा पड़ा हुआ है लेकिन न तो इन राज्यों को सूखा पीड़ित घोषित किया गया है और न सूखे से निपटने को कोई भी कदम केन्द्र और राज्य सरकार ने उठाये हैं. मौसम की मार से गत रबी और खरीफ की फसलों की हानि की एबज में किसानों को राहत दी नहीं गयी है.
भाकपा इस बात पर गहरा रोष प्रकट करती है कि आरएसएस/ भाजपा की यह सरकार हर मोर्चे पर असफल होजाने के बाद लोगों को आपस में बांटने के लिए खुलकर सांप्रदायिकता फैला रही है, यहाँ तक निर्दोष गरीबों का खून बहा रही है. दादरी के बिसाहडा की घटना की जितनी निंदा की जाये कम है. इस घटना की आड़ में भाजपा और आरएसएस तो आग लगाने पर आमादा हैं ही राज्य सरकार भी राजनीति करने से बाज नहीं आरही. सच तो यह है कि वहां राज्य सरकार भाजपा को अपना खेल खेलने के लिये प्लेटफार्म मुहैया करा रही है और शांति चाहने वाले दलों की राह में रोड़े अटका रही है. वाराणसी, गोंडा और अन्य जिलों में भी दंगे कराने की हर कोशिश की जारही है.
भाकपा माननीय उच्च न्यायालय के उस निर्णय जिसमें सभी को समान शिक्षा देने का राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है का पूर्ण समर्थन करती है. साथ ही अनुसूचित जाति के किसानों की जमीनों को हथियाने की गरज से राज्य सरकार द्वारा कानून में परिवर्तन किये जाने की साजिश की भर्त्सना करती है. भाकपा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह कानून व्यवस्था के मोर्चे पर पूरी तरह असफल है और राज्य में उसकी पुलिस दमन और शोषण का पर्याय बन चुकी है. चूंकि भाकपा कार्यकर्ता उसकी करतूतों का जगह जगह विरोध कर रहे हैं तो बौखलाई पुलिस उन पर फर्जी मुकदमे लगा कर दमन चक्र चला रही है. हाल ही में अमरोहा में पुलिस ने भाकपा राज्य सचिव मंडल के सदस्य का. अजय सिंह, सागर सिंह एवं नरेश चन्द्र को संगीन धाराओं में बंद कर दिया और बिजनौर के जिला सचिव का. रामनिवास जोशी पर गैंगस्टर लगा दिया.
लखनऊ में भाकपा के जिला सचिव मो. खालिक के नेतृत्व में उप्जिलाधिकरिनको ज्ञापन सौंपा गया तथा वामदलों के साथ मिल कर पटेल प्रतिमा पर धरना दिया गया. समाचार प्रेषित किये जाने तक आज़मगद, मेरठ, मुरादाबाद, हाथरस, आगरा, बाँदा सुल्तानपुर, जौनपुर, अलीगढ, गाज़ियाबाद गोरखपुर आदि लगभग ४० जिलों से धरने, प्रदर्शन और ज्ञापन देने की खबरें राज्य मुख्यालय को प्राप्त होचुकी हैं.
डा.गिरीश
Thursday, October 1, 2015
उत्तर प्रदेश को सांप्रदायिकता की आग में झौंकने की संघ परिवार साजिश कर रहा है. भाकपा
लखनऊ- 1 अक्तूबर, 2015- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उत्तर प्रदेश के राज्य सचिव मंडल ने भारतीय जनता पार्टी और आर.एस.एस. पर आरोप लगाया है कि वे अपने दीर्घकालीन और तात्कालिक उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति के लिये उत्तर प्रदेश और समूचे देश को सांप्रदयिक्ता और सांप्रदायिक दंगों की आग में झौंकने की साजिश में जुटे हैं. क्षुद्र राजनैतिक उद्देश्यों की खातिर की जारही हिंसा, विभाजन की इन कार्यवाहियों की भाकपा ने कड़े शब्दों में निंदा की है.
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के किसी न किसी हिस्से में अलग अलग बहानों से भाजपा और संघ परिवार ने सांप्रदायिक विद्वेष फैला कर प्रदेश को दंगों की आग में झौंकने का काम किया है.
सबसे ताजा घटना दिल्ली से सटे जनपद- गौतम बुध्द नगर (नोएडा ) की है जहां औद्योगिक क्षेत्र- दादरी के थाना- जारचा के गांव- विसाहड़ा में सोमवार की रात्रि लगभग एक हजार लोगों की उन्मादी भीड़ ने गांव के एक मुस्लिम परिवार के घर पर धाबा बोल दिया और घर के मुखिया इखलाक को पीट- पीट कर मार डाला तथा उसके बेटे दानिश को भी बुरी तरह पीटा जो अस्पताल में जीवन के लिये संघर्ष कर रहा है. उपद्रवियों ने घर की महिलाओं को भी नहीं बख्शा और घर का सारा सामान भी नष्ट- भ्रष्ट कर दिया.
घटना को अंजाम देने के लिये इन उपद्रवियों ने एक मंदिर पर लगे माइक से सोची समझी साजिश के तहत यह प्रसारित किया कि इखलाक ने गोकशी की है और वहां पड़ा मांस का टुकड़ा गाय का है. यह संघ परिवार द्वारा समाज में घोले जारहे जहर का ही परिणाम है कि इस बे सिर पैर की अफवाह पर हजार एक लोग एकत्रित होगये और वर्षों पुराने अपने पडौसी के खून के प्यासे बन गये. भीड़ हिंसा करती रही और कोई भी पडौसी वचाव के लिये नहीं आया. पुलिस भी सूचना के काफी देर बाद पहुंची.
पुलिस और प्रशासन की ढिलाई का ही परिणाम है कि पुलिस द्वारा पकड़े लोगों को छुडाने को भीड़ ने पुलिस पर हमला तक बोला. इतना ही नहीं अगले दिन आसपास के गांवों में अफ्वाहें फैला कर तनाव पैदा किया गया और विसाहड़ा से लगभग 5 कि.मी. दूरी पर स्थित गांव- ऊंचा अमीरपुर में कथित गोहत्या के दोषियों को फांसी पर लट्काने की मांग के बहाने बड़े पैमाने पर तोड़्फोड़ की गयी. इन घटनाओं से संपूर्ण क्षेत्र में तनाव व्याप्त है और विसाहड़ा सहित तमाम गांवों के अल्पसंख्यक पलायन कर रहे हैं.
अभी पिछले ही सप्ताह प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में एक साधु गिरोह ने जो कि संघ परिवार का ही आउट्फिट है गंगा में गणेश प्रतिमायें विसर्जित करने के लिये हंगामा खड़ा कर दिया, जबकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार गंगा में प्रतिमायें विसर्जित नहीं की जासकतीं. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अपने राजनैतिक उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति के लिये संघ परिवार गंगा को पवित्र बनाने के नाम पर तमाम नाटक नौटंकी करता रहता है. पुलिस प्रशासन यहाँ भी दो दिनों तक नाटक करता रहा और कठोर कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया. अब साधुओं की पिटाई के नाम पर भाजपा और संघ परिवार वहां तनाव बढाने को हर हथकंडा अपना रहे हैं.
ठीक इसी तर्ज पर गत सप्ताह गोंडा शहर में मूर्ति विसर्जन को जारहे जलूस में पाबंदी के बावजूद डीजे लगाया गया जिसे पुलिस ने नहीं रोका. जब ये जुलूस अल्पसंख्यक बहुल आबादी में पहुंचा तो वहां तनाव व्याप्त होगया. मौके का लाभ उठा कर उपद्रवियों ने आगजनी और लूट्पाट की.
समूचे उत्तर प्रदेश की इन दिनों ऐसी ही तस्वीर है जब त्योहारों के कर्मकाण्डों को बहाना बना कर दंगे फैलाने की साजिश रची जारही है. इसका तात्कालिक उद्देश्य उत्तर प्रदेश में चल रहे पंचायत चुनावों और बिहार विधान सभा के चुनावों में लाभ उठाना है. धर्मपरायणता और सांप्रदायिकता क्योंकि शासक वर्ग और उसकी सरकारों के जनविरोधी कार्यों को जनता में स्वीकार्य बनाती है, अतएव केंद्र और राज्य सरकार का रवैय्या दंगे फसाद रोकने का नहीं; उनके होजाने के बाद राजनैतिक रोटियां सैंकने का है.
भाजपा जहां हर जगह खुल कर दंगाइयों के साथ खड़ी है वहीं मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने अपने को दरोगा की तरह धमकी देने और मुआबजा जारी करने तक सीमित कर रखा है.
ऐसे में भाकपा समाज के सभी धर्मनिरपेक्षजनों से अपील करती है कि वे उत्तर प्रदेश की शांति और सहिष्णुता को बचाने के लिये आगे आयें. भाकपा राज्य सरकार से भी मांग करती है कि वह सांप्रदायिकता से निपटने को द्रढ इच्छाशक्ति का परिचय दे और तदनुसार अपनी पुलिस और प्रशासन की चूलें कसे.
डा. गिरीश
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