Thursday, October 15, 2015

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति को रद्द करना स्वागत योग्य: राज्य सरकार नैतिक जिम्मेदारी ले- भाकपा

लखनऊ- 15. 10. 15—भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री अनिल यादव की नियुक्ति को रद्द करने के निर्णय का स्वागत किया है. भाकपा ने उत्तर प्रदेश सरकार से श्री यादव की अवैध नियुक्ति की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करने का आग्रह किया है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि राज्य सरकार ने लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष जैसे अत्यंत महत्त्वपूर्ण पद पर सारे नियम, कानून और परंपराओं को ताक पर रख कर श्री अनिल यादव को नियुक्त किया था. श्री अनिल यादव ने भी अपनी नियोक्ता उत्तर प्रदेश सरकार के ही नक्शे कदम पर चलते हुये और सरकार में बैठे लोगों के राजनैतिक और आर्थिक हितों को साधते हुये हर स्तर की नियुक्तियों में हर स्तर की धांधलेबाजी की थी. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में शर्मनाक तरीके से होरही इस घपलेबाजी से अभ्यर्थी ही नहीं समाज का बडा भाग परेशान था. छात्र- नौजवानों ने तमाम आंदोलन किये और राज्य सरकार मौन साधे रही. मजबूरन अभ्यर्थियों और कुछ अन्य को अदालत का दरवाजा खटखटाना पडा. कल उच्च न्यायालय ने अपना दो टूक निर्णय सुनाते हुये राज्य सरकार को भी कटघरे में खडा किया है. यह पहली नियुक्ति नहीं है जिसको लेकर राज्य सरकार बेनकाब हुयी हो. कुछ ही दिन पूर्व उच्चतर शिक्षा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग के अध्यक्षों और उच्चतर शिक्षा आयोग के तीन सदस्यों को भी उनकी अवैध नियुक्तियों के कारण उच्च न्यायालय के फैसलों के तहत हठाया जाचुका है. माध्यमिक शिक्षा चयन आयोग के तीन सदस्यों के कार्य पर भी न्यायालय ने रोक लगा रखी है. लोकपाल की नियुक्ति के सवाल पर भी राज्य सरकार अदालत के फैसले से बेनकाव होचुकी है. इन सभी के द्वारा की गयीं नियुक्तियों पर भी सैकडों सवाल खडे होरहे हैं. लेकिन राज्य सरकार पूरी तरह खामोश है. इससे राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश उमडना स्वाभाविक है. उत्तर प्रदेश में हर तरह की नियुक्तियों में हर स्तर पर धांधली चल रही है अतएव अक्सरकर नियुक्तियों को न्यायालय में चुनौती दे दी जाती है और नियुक्त अनियुक्त बेरोजगार हाथ मलते रह जाते हैं. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि एक के बाद एक अवैध नियुक्ति और उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अवैध करार दिये जाने के बावजूद राज्य सरकार ने न तो अपनी गलतियों को स्वीकारा है न ही इन धांधलियों की नैतिक जिम्मेदारी ली है. राज्य सरकार के मुखिया को इस सब की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिये और तदनुसार कदम उठाना चाहिये. डा. गिरीश,

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