Friday, January 31, 2014

वायदों को निगलती अखिलेश सरकार

पिछले विधान सभा चुनावों के दौरान वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित समाजवादी पार्टी के तमाम नेता जनता से बड़े-बड़े वायदे करते हुए प्रदेश भर में जनसभायें कर रहे थे। विभिन्न तबकों के वोटों के लिए किए गए इन वायदों पर अखिलेश सरकार खरी नहीं उतरी।
बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता, किसानों की ऋण माफी, इंटर के विद्यार्थियों को टैबलेट और इंटर पास चुके छात्रों को लैपटॉप देने सरीखे तमाम वायदे किये गये थे। बेरोजगार युवकों को बेरोजगारी भत्ता के नाम पर की गई घोषणा में तमाम ‘किन्तु’ और ‘परन्तु’ जोड़ दिये गये जिसका परिणाम यह हुआ कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश में फैली विकराल बेरोजगारों की फौज में से केवल एक लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिये जाने का मामला सामने आया। बाकी लाखों बेरोजगारों को निराशा ही हाथ लगी।
इसी तरह किसानों के कर्जा माफी के नाम पर केवल भूमि विकास बैंक के कर्जों को ही माफ किया गया। चुनावों के दौरान ऋण माफी के वायदे को देखते हुए तमाम किसानों ने अपना कर्जा अदा नहीं किया जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें न केवल उस कर्जे पर ब्याज की अदायगी करनी पड़ी बल्कि तमाम किसानों के खिलाफ बैंकों ने वसूली प्रमाणपत्र जारी कर दिये जिसके कारण तमाम लोगों की जमीनें और ट्रैक्टर आदि नीलाम हो गये।
इंटर के 25 लाख विद्यार्थियों को टैबलेट देने का वायदा किया गया था। दो साल पूरे होने को हैं परन्तु इस वायदे को आज तक पूरा नहीं किया गया। अब पता चला है कि इस योजना के नाम पर जो कदमताल की जा रही थी, उसे भी बंद कर दिया गया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अगले साल के बजट के लिये वित्त एवं नियोजन विभाग को भेजे गये अपने बजट प्रस्ताव में इस मद में केवल एक रूपये का प्राविधान करने के लिए कहा है। मात्र एक रूपये में वे कितने छात्रों को टैबलेट दे पायेंगे, यह बड़ा सवालिया निशान है। ध्यान देने वाली बात यह है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री स्वयं सीधे देख रहे हैं और निश्चित रूप से ऐसा उनके निर्देशों पर ही विभाग ने किया होगा।
इंटर पास करने वाले छात्रों को अलबत्ता लैपटॉप बांटने की कवायद की गई। कहा जाता है कि जितने के लैपटॉप नहीं बांटे गये उससे ज्यादा पैसा लैपटॉप बांटने के आयोजनों पर किया गया। जो लैपटॉप बांटे गये वे बहुत ही घटिया क्वालिटी के हैं और जिन्हें यह मिले हैं, वे इसका उचित एवं आवश्यक प्रयोग भी नहीं कर पा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इन लैपटॉप की खरीद में भी भारी घोटाला हुआ है।
बुनकरों को किये गये तमाम वायदे भी हवा में ही तैर रहे हैं।
केन्द्र सरकार कई सालों से स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना चला रही है। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है। खाद्यान्न एवं भोजन पर बनने वाले व्यय का आबंटन केन्द्र सरकार राज्य सरकार को करती है। चौकाने वाली खबर है कि वर्तमान शैक्षिक सत्र में अब तक ग्राम प्रधानों तथा विद्यालयों को न तो खाद्यान्न मुहैया कराया गया है और न ही उसके बनने पर होने वाले व्यय को ही उपलब्ध कराया गया है। जिन ग्राम प्रधानों एवं प्रधानाध्यापकों ने इस आशा में कि देर-सबेर आबंटन मिल ही जायेगा, राशन की दुकान से एडवांड खाद्यान्न उठा कर भोजन बनवा कर बच्चों को मध्यान्न भोजन सुलभ कराया, वे अब परेशान हो रहे हैं क्योंकि कोटेदार राशन के पैसे मांग रहा है और भोजन बनवाने में होने वाला खर्चा तो वे अपने पास से कर ही चुके हैं।
अन्यान्य ऐसे वायदे हैं जो किये गये थे और जिन्हें अखिलेश सरकार लगातार निगलती चली जा रही है। आने वाले लोक सभा चुनावों में जनता के तमाम तबके किये गये वायदों पर जवाब जरूर मांगेंगे।
- प्रदीप तिवारी

Thursday, January 30, 2014

का. इन्द्रजीत गुप्त की सादगी पर राष्ट्रीय सहारा का आलेख.

पिछले कुछ दिनों में एक हाल में ही प्रकट हुयी पार्टी के नेताओं की सादगी और उसकी उपलब्धियों पर मीडिया ने दर्शकों और श्रोताओं के आँख और कानों को अपने तोता रटंत गुणगान से पाट दिया है. लेकिन अपनी तटस्थता का दाबा करने वाले मीडिया ने कम्युनिस्टों की कुर्बानियों, बलिदानों और सादगी को कभी प्रसारित नहीं किया अपितु जहाँ मौका मिला उन पर कीचड़ ही उछाली. लेकिन आज राष्ट्रीय सहारा ने का. इन्द्रजीत गुप्त पर एक टिपण्णी प्रकाशित कर मीडिया धर्म को निभाया है. उसका यथावत पाठ नीचे दिया जारहा है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(सीपीआइ) के नेता इन्द्रजीत गुप्त सिर्फ १९७७-८० को छोड़ कर १९६० से जीवनपर्यन्त सांसद रहे.सबसे वरिष्ठ सांसद रहने के नाते वह तीन बार(१९९६, १९९८, १९९९) प्रोटेम स्पीकर बने और उन्होंने नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई.वह सीपीआइ के जनरल सेक्रेट्री रहे. वह आल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्री (१९८०-१९९०) रहे. वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ़ ट्रेड यूनियंस के अध्यक्ष(१९९८) रहे.और एच.डी. देवगोडा के मंत्रिमंडल में वह (१९९६-९८) गृहमंत्री रहे. उन्हें १९९२ में “आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंतेरियां का सम्मान दिया गया. राष्ट्रपति के.आर. नारायण ने उन्हें श्रध्दांजलि देते हुए कहा था कि वह गांधीजी जैसी सादगी, लोकतान्त्रिक द्रष्टिकोण और मूल्यों के प्रति समर्पित व्यक्ति थे. ग्रहमंत्री बनने केबाद भी वह वेस्टर्न कोर्ट के दो कमरों के क्वार्टर में रहते रहे. वे टहलते हुये संसद चले जाते थे. गृहमंत्री बनने पर प्रोटोकाल के नाते उन्हें सरकारी गाड़ी से चलना पड़ा. फिर भी उन्होंने बहुत सी सुविधायें नहीं लीं थीं जो मंत्री होने के नाते उहें मिलती. यहाँ तक कि उन्होंने सुरक्षा गार्ड लेना स्वीकार नहीं किया. वह हमेशा लोगों को होने वाली असुविधाओं का पूरा ख्याल रखते थे. मंत्री रहते हुए भी एअरपोर्ट के टर्मिनल तक वायुसेवा की बस सही जाते थे न कि अपनी गाड़ी से. का. इन्द्रजीत गुप्त कज्न्म १८ मार्च १९१९ को कोलकता में हुआ था. उनके पिता सतीशचन्द्र गुप्त देश के अकाउंटेंट जनरल थे. इन्द्रजीत गुप्त के दादा बिहारीलाल गुप्त आईसीएस थे और बरोदा के दीवान थे.इन्द्रजीत गुप्त की पढ़ाई शिमला, दिल्ली के सेंट स्टीफेंस व किंग्स कालेज और केम्ब्रिज में हुई थी.इंग्लेंड में ही वह रजनीपाम दत्त के प्रभाव में आये और उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ज्वाइन कर ली. १९३८ में कोलकता लौटने पर वह किसानों और मजदूरों के आन्दोलन से जुड़ गये. आजादी के बाद कम्युनिस्ट पार्टी पर तीन बार प्रतिबन्ध लगाया गया और इसके तहत अन्य वाम नेताओं के साथ इन्द्रजीत गुप्त को या तो भूमिगत होना पड़ा या गिरफ्तार. इन्द्रजीत गुप्त का देहान्त २० फरबरी २००१ को ८१ साल की उम्र में हुआ.

राजनेताओं की उपेक्षा की शिकार है शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित जी. टी. रोड

भाकपा ने जी. टी. रोड की मरम्मत कराने की मांग उठाई. लखनऊ- ३० जनवरी २०१४, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डॉ० गिरीश ने केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री को पत्र लिख कर राष्ट्रीय राज मार्ग सं० ९१(जी. टी. रोड) की कानपुर और और अलीगढ के बीच दयनीय दशा से अवगत कराया है और इसकी तत्काल मरम्मत कराने की मांग की है. अपने पत्र में भाकपा राज्य सचिव ने भूतल परिवहन मंत्री को बताया है कि उक्त मार्ग अत्यंत जीर्ण- शीर्ण हालात में है. सडक में इतने गहरे गड्ढ़े हो गये हैं कि यह पता ही नहीं लगता कि गड्ढ़ों में सड़क है या सडक में गड्ढ़े. कानपूर और अलीगढ़ के बीच सफर में ६ घंटे लगते थे मगर अब सडक की इस दुर्दशा के चलते ९-१० घंटे लग जाते हैं. अतएव समय एवं ईंधन की भारी वर्बादी होती है. डॉ० गिरीश ने कहा कि यह राष्ट्रीय मार्ग केन्द्रीय मंत्री श्री श्रीप्रकाश जायसवाल, केंद्र सरकार को समर्थन दे रहे श्री मुलायम सिंह यादव एवं श्रीमती डिम्पल यादव जैसे अति विशिष्ट लोगों के चुनाव क्षेत्रों से गुजरता है. फिर भी यह इस दुर्दशा को प्राप्त है. इसकी सीधी वजह यह है कि इन नेताओं को इस मार्ग से चलने की जरूरत नहीं है. ये मान्य नेतागण हवाई जहाज अथवा हेलिकॉप्टर से यात्रायें करते हैं अतएव उन्हें इसकी फ़िक्र करने की शायद जरूरत नहीं है. हमने इन नेताओं को भी पत्र की प्रतियाँ भेजी हैं और उनसे भी इस सम्बन्ध में त्वरित कदम उठाने की मांग की है, भाकपा नेता ने कहा है. भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि इस मार्ग की फौरन मरम्मत नहीं कराई गयी तो सम्बन्धित नेताओं को इसका खामियाजा लोकसभा चुनावों में भुगतना पड़ सकता है. डॉ० गिरीश, राज्य सचिव, भाकपा, उत्तर प्रदेश.

Saturday, January 25, 2014

भाकपा ने लिये कई महत्वपूर्ण निर्णय.

लखनऊ- २५ जनवरी २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक आज यहाँ सम्पन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता का० सुरेन्द्रराम ने की. बैठक में लिए गये फैसलों की जानकारी देते हुये पार्टी के राज्य सचिव डॉ० गिरीश ने बताया कि बैठक में कमरतोड़ महंगाई के खिलाफ ३१ जनवरी को प्रदेश के सभी जिला केन्द्रों पर धरना/प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया गया. इन प्रदर्शनों माध्यम से केन्द्र और राज्य सरकार के महंगाई बड़ाने वाले कदमों को उजागर किया जायेगा. प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों के माध्यम से प्रेषित किये जायेंगे. ज्ञापन में पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृध्दि पर रोक लगाने, प्रशासनिक व्यवस्था द्वारा मूल्य निर्धारण की व्यवस्था पुनः लागू कराने, इन पदार्थों पर राज्य के टेक्सों में कमी कराने, जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और सट्टेबाजी पर रोक लगाने तथा जमाखोरी विरोधी अभियान चलाये जाने, बुनियादी सेवाओं का निजीकरण न किये जाने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को व्यापक बनाने, दिल्ली हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश में भी बिजली की दरें कम किये जाने,सभी तरह की शिक्षण संस्थाओं में ली जारही भारी फीस में प्रभावी कमी किये जाने, दवाओं की कीमतों में कमी लाने तथा निजी अस्पतालों में इलाज की दरें कम कराने की मांग की जायेगी. डॉ० गिरीश ने बताया की गन्ना किसानों की समस्यायों का समाधान कराने तथा सांप्रदायिक ताकतों की साजिशों को विफल करने के उद्देश्य से क्षेत्रीय “एकता रैलियां” आयोजित की जायेंगी. अभी तक १५ फरबरी को मेरठ और २० फरबरी को कुशीनगर में रैलियां आयोजित की जायेंगी. इन रैलियों को पार्टी के राष्ट्रीय एवं प्रांतीय नेतागण भाग लेंगे. मेरठ रैली में मेरठ एवं सहारनपुर मंडलों के जनपद भाग लेंगे जबकि कुशीनगर की रैली में गोरखपुर एवं बस्ती मंडल के जनपद भाग लेंगे. राज्य कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा चुनाव की तैय्यारियों पर भी चर्चा हुई. भाकपा ने वामदलों के साथ मिल कर चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है. बैठक में उत्तर प्रदेश में १६ लोकसभा सीटों की सूची तैयार कर राष्ट्रीय कार्यकारणी के विचारार्थ अग्रसारित किया गया है. केन्द्रीय कार्यकारिणी की ३१ जनवरी और १ फरबरी को दिल्ली में होने वाली बैठक में अंतिम निर्णय लिया जायेगा. डॉ० गिरीश, राज्य सचिव.

भाकपा की उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी की बैठक में कई फैसले लिए गये.

लखनऊ- २५ जनवरी २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक आज यहाँ सम्पन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता का० सुरेन्द्रराम ने की. बैठक में लिए गये फैसलों की जानकारी देते हुये पार्टी के राज्य सचिव डॉ० गिरीश ने बताया कि बैठक में कमरतोड़ महंगाई के खिलाफ ३१ जुलाई को प्रदेश के सभी जिला केन्द्रों पर धरना/प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय लिया गया. इन प्रदर्शनों माध्यम से केन्द्र और राज्य सरकार के महंगाई बड़ाने वाले कदमों को उजागर किया जायेगा. प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों के माध्यम से प्रेषित किये जायेंगे. ज्ञापन में पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृध्दि पर रोक लगाने, प्रशासनिक व्यवस्था द्वारा मूल्य निर्धारण की व्यवस्था पुनः लागू कराने, इन पदार्थों पर राज्य के टेक्सों में कमी कराने, जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और सट्टेबाजी पर रोक लगाने तथा जमाखोरी विरोधी अभियान चलाये जाने, बुनियादी सेवाओं का निजीकरण न किये जाने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को व्यापक बनाने, दिल्ली हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश में भी बिजली की दरें कम किये जाने,सभी तरह की शिक्षण संस्थाओं में ली जारही भारी फीस में प्रभावी कमी किये जाने, दवाओं की कीमतों में कमी लाने तथा निजी अस्पतालों में इलाज की दरें कम कराने की मांग की जायेगी. डॉ० गिरीश ने बताया की गन्ना किसानों की समस्यायों का समाधान कराने तथा सांप्रदायिक ताकतों की साजिशों को विफल करने के उद्देश्य से क्षेत्रीय “एकता रैलियां” आयोजित की जायेंगी. अभी तक १५ फरबरी को मेरठ और २० फरबरी को कुशीनगर में रैलियां आयोजित की जायेंगी. इन रैलियों को पार्टी के राष्ट्रीय एवं प्रांतीय नेतागण भाग लेंगे. मेरठ रैली में मेरठ एवं सहारनपुर मंडलों के जनपद भाग लेंगे जबकि कुशीनगर की रैली में गोरखपुर एवं बस्ती मंडल के जनपद भाग लेंगे. राज्य कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा चुनाव की तैय्यारियों पर भी चर्चा हुई. भाकपा ने वामदलों के साथ मिल कर चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है. बैठक में उत्तर प्रदेश में १६ लोकसभा सीटों की सूची तैयार कर राष्ट्रीय कार्यकारणी के विचारार्थ अग्रसारित किया गया है. केन्द्रीय कार्यकारिणी की ३१ जनवरी और १ फरबरी को दिल्ली में होने वाली बैठक में अंतिम निर्णय लिया जायेगा. डॉ० गिरीश, राज्य सचिव.

Saturday, January 11, 2014

वामदलों ने महंगाई बढ़ाने की नीतियों के खिलाफ आन्दोलन का निर्णय लिया

लखनऊ 11 जनवरी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा.), आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक तथा रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के राज्य के पदाधिकारियों की एक बैठक आज यहाँ सम्पन्न हुयी।
बैठक में वामदलों के केन्द्रीय नेतृत्व के आह्वान पर राज्य में महंगाई विरोधी आन्दोलन चलाने की रणनीति पर विचार किया गया। निर्णय लिया गया कि उत्तर प्रदेश में यह आन्दोलन केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों की महंगाई बढाने वाली नीतियों के विरोध में चलाया जायेगा।
बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार वाम दल 15 जनवरी से लेकर 30 जनवरी के मध्य जिलों-जिलों में सभायें, नुक्कड़ सभायें, साईकिल मार्च अथवा पदयात्राएं करके जनता के बीच जायेंगे तथा 31 जनवरी को जिला केन्द्रों अथवा तहसील केन्द्रों पर व्यापक धरने-प्रदर्शन आयोजित करेंगे।
आन्दोलन के अंतर्गत पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्य वृद्धि पर रोक लगाने, सरकारी स्तर पर कीमतों के निर्धारण की व्यवस्था फिर से लागू करने, पेट्रोल डीजल आदि पर राज्य सरकार द्वारा लगाये गये करों में कमी कर उन्हें अन्य राज्यों के स्तर पर लाने, जनता को सेवाएं और सब्सिडी देने के काम को आधार कार्ड से न जोड़ा जोड़ने, जरूरी वस्तुओं जमाखोरी और सट्टेबाजी पर रोक लगाने तथा जमाखोरी विरोधी अभियान चलवाने, बुनियादी सेवाओं का निजीकरण न किये जाने तथा जो प्राइवेट कम्पनियां सार्वजनिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुये बुनियादी सेवायें दे रही हैं उनका ऑडिट कराये जाने, सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली को फिर से लागू कराने, महंगाई को नीचे लाने को दिल्ली की तरह उत्तर प्रदेश में भी बिजली की दरें घटाए जाने, बिजली कम्पनियों का ऑडिट कराये जाने, बिजली का निजीकरण रोके जाने, लाइन हानियाँ एवं बिजली चोरी रोके जाने, सभी स्तरों पर सभी प्रकार की शिक्षण संस्थाओं में लिए जा रहे भारी शिक्षण शुल्कों में प्रभावी कटौती किये जाने, दवाओं की कीमतें घटाए जाने तथा अस्पतालों में मरीजों की लूट रोके जाने आदि मुद्दे उठाये जायेंगे।
बैठक में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश, सहसचिव अरविन्द राज स्वरूप, माकपा के सचिव एस. पी. कश्यप एवं दीनानाथ यादव, फॉरवर्ड ब्लॉक के राज्य महासचिव शिव नारायण सिंह चोहान तथा आरएसपी के सचिव संतोष गुप्ता ने भाग लिया।



कार्यालय सचिव

Thursday, January 9, 2014

बिजली के दामों में बढ़ोतरी जनविरोधी कदम

उत्तर प्रदेश में बिजली कंपनियों ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को जो प्रस्ताव सौंपा है, उसकी मंजूरी मिलने के बाद आम उपभोक्ताओं के बिजली के बिल कम से कम दो गुने अवश्य हो जायंेगे। सभी बिजली कंपनियों ने हो रहे बिजली के दामों में बढ़ोतरी का कारण हो रहे घाटे को बताया है। उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें पहले से ही पड़ोसी राज्यों बिहार, दिल्ली, पंजाब आदि से बहुत ज्यादा हैं।
प्रति किलो वाट फिक्स चार्ज जो इस समय रू. 50/- प्रतिमाह है, उसे बढ़ाकर डेढ़ गुना करने की बात कही गयी है। यह वह चार्ज है जो केवल कनेक्शन ले लेने पर देना पड़ता है, आप बिजली का उपभोग करें या न करें। इतनी शीत लहरी में अगर कहीं आपने हीटर लगा लिया तो आपका मीटर 1 किलो वॉट से ज्यादा का उपभोग दर्शा देगा और आप पर एक बड़ी राशि स्वीकृत लोड से अधिक लोड का उपभोग करने के नाम पर लगा दी जायेगी।
लाईफ लाईन कहे जाने वाले गरीब लोगों के घरों पर लगे 1 किलो वॉट के कनेक्शन के लिए अब 150 यूनिट के बजाय 50 यूनिट कर देने का प्रस्ताव है। 50 यूनिट से तो आज के जमाने में किसी का काम चलता ही नहीं है। इस प्रकार न्यूनतम बिजली की दरें तो किसी पर लागू नहीं होने वाली। 50 यूनिट से ज्यादा खर्च करने पर बिजली कंपनियों की प्रस्तावित दरों के अनुसार 100 यूनिट तक 4 रूपये प्रति यूनिट, 101 से 300 यूनिटों पर 4.50 पैसे प्रति यूनिट, 301 से 500 यूनिट पर 5 रूपये प्रति यूनिट और इससे अधिक पर 5.50 रूपये प्रति यूनिट दाम लिये जायेंगे।
घाटे का कारण होने वाली कथित लाईन हानियां, बिजली कंपनियों में व्याप्त भ्रष्टाचार और निजी बिजली कंपनियों से ज्यादा कीमत पर बिजली खरीदना है। निजी बिजली कंपनियां अधिक कीमत पर बिजली बेचने के लिए अपनी बैलेन्स शीटों में हेरा-फेरी कर रही हैं। इसी तरह पॉवर कारपोरेशन और उसकी तमाम कंपनियां बिजली चोरी तो करवाती ही हैं और भी अनाप-शनाप तरीके से पैसा व्यय किया जाता है जिसको व्यय करने की जरूरत नहीं है। वितरण निगमों का रू. 29,325 करोड़ रूपये बकाया है, इसमें केवल 2600 करोड़ रूपये वसूल लिये जायें तो बिजली कंपनियों का घाटा खतम हो जायेगा। 10 हजार करोड़ रूपये तो केवल उत्तर प्रदेश सरकार पर बकाया हैं। सरकार को इस बकाये को खुद तुरन्त अदा कर देना चाहिए। अगर लाइन हानियों को केवल 11 प्रतिशत कम कर दिया जाये तो कहा जाता है कि 4 हजार करोड़ रूपये की बचत हो जायेगी।
जनता के तमाम तबकों में उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन, उसके उत्पादन एवं वितरण कंपनियों के साथ-साथ निजी उत्पादन कंपनियों के ऑडिट की मांग उठने लगी है। यानी जनता जानना चाहती है कि बही खातों में जो ब्यौरा दिखाया जा रहा है, वह कितना वास्तविक है और इसमें किसी तरह की गड़बड़ी तो नहीं है। सन 2010 से बिजली कंपनियों के बही खातों का ऑडिट नहीं हुआ है। सनदी लेखाकारों यानी सी.ए. से यह ऑडिट करवाने में कुछ निकलने वाला नहीं है। हमें इन सभी कंपनियों का आडिट सीएजी यानी कैग से करवाने की मांग जोर-शोर से करनी चाहिए। कुछ ही दिनों पहले टेलीकॉम कंपनियों के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा था कि कैग को निजी टेलीकॉम कंपनियों के खातों की जांच करने का हक है। उच्च न्यायालय का कहना है कि चूंकि उनके राजस्व को सरकार के साथ साझा करना होता है इसलिए जनहित में कैग को उनका आडिट करने का अख्तियार उचित है। इस फैसले के अनुसार निजी बिजली कंपनियों का भी कैग से आडिट करवाया जा सकता है जिससे यह पता चल सके कि यह अपनी उत्पादन लागत जितनी दिखा रही हैं, क्या वास्तव में लागत उतनी ही है या ये कंपनियां हेरा-फेरी करके अधिक कीमत पर बिजली बेच रही हैं। खबर है कि उत्पादकों से बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में वितरण कंपनियां खेल करती हैं। बाजार में सस्ती बिजली उपलब्ध होने के बावजूद कुछ खास लोगों से महंगी बिजली खरीदी जाती है। बाद में इसका बोझ दरों के रूप में जनता पर डाला जाता है।
इस बात की भी मांग होनी चाहिए कि सरकार जहां से भी सस्ती बिजली मिले, वहीं से बिजली खरीदे। महंगी बिजली निजी क्षेत्र से खरीदने की कोई जरूरत नहीं है। प्रदेश में 6 रूपये से लेकर पौने आठ रूपये प्रति यूनिट तक की दर से बिजली खरीदने की तैयारी है। शायद ही पूरे देश में किसी राज्य में इस दर पर बिजली खरीदी जा रही हो। आडिट से यह भी पता चलेगा कि इसके पीछे किसका हित है और किसका खेल चल रहा है।
लाईन हानियां दिखाने से लेकर सामानों की खरीद फरोख्त, ठेकों के आबंटन, परिचालन व्यय आदि की गड़बड़ियां भी सामने आ सकती है, इसलिए कंपनियां आडिट से कतराती हैं। आगरा में बिजली के निजीकरण पर महालेखाकार की रिपोर्ट से यह साबित हो चुका है। महालेखाकार ने आगरा में टोरेंट पावर के साथ हुए करार से सरकार को 5348 करोड़ रूपये की चपत लगने का खुलासा किया था। नोएडा में भी बिजली वितरण निजी हाथों में है। वहां भी खेल चल रहा है। आश्चर्य का विषय है कि आगरा में बिजली आपूर्ति करने वाली निजी कंपनी टोरेंट को केवल 2.20 रूपये प्रति यूनिट बिजली दी जा रही है। महंगी बिजली खरीद कर टोरेंट को सस्ते में देना भी बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है। आगरा में टोरेंट लाईन हानियों को 48.62 प्रतिशत बता रहा है जोकि पूरे देश का उच्चतम स्तर है। इसके पीछे के खेल को भी उजागर करना जरूरी है।
अब समय आ गया है जब जनता को सड़कों पर उतर कर बिजली की कीमतों में किसी भी बढ़ोतरी का विरोध करने के बजाय सड़कों पर उतर पर बिजली की वर्तमान दरों में कमी की मांग करनी चाहिए और सभी बिजली कंपनियों का आडिट कैग से करवाने पर जोर देना चाहिए।
- प्रदीप तिवारी

महंगाई के खिलाफ सडकों पर उतरेंगे वामदल. उत्तर प्रदेश में भाकपा ने वामदलों के साथ १५ से ३१ जनवरी तक अभियान चलाने का निश्चय किया.

पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृध्दि एवं महंगाई के खिलाफ उत्तर प्रदेश में भी आन्दोलन छेड़ेगी भाकपा. लखनऊ- ९ जनवरी २०१४. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने तय किया है कि वामदलों के केन्द्रीय नेत्रत्व के निर्देशानुसार पार्टी पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में लगातार की जारही मूल्य वृध्दि और कमरतोड़ महंगाई के खिलाफ १५ से ३१ जनवरी तक राज्यव्यापी आन्दोलन छेड़ेगी. भाकपा शीघ्र ही इस सम्बन्ध में राज्य के वामदलों के साथ बैठक भी करेगी. पार्टी के राज्य सचिव मंडल की बैठक के बाद भाकपा के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने एक बयान में कहा कि कल दिल्ली में सम्पन्न चार वामदलों की बैठक में इन सवालों पर देशव्यापी आन्दोलन छेड़ने का निर्णय लिया गया है. तदनुसार उत्तर प्रदेश में भी व्यापक आन्दोलन छेड़ा जायेगा. भाकपा राज्य सचिव मंडल की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि लगातार बढ़ रही महंगाई के बोझ तले जनता का हर तबका दबा जा रहा है. ऊपर से संप्रग-२ सरकार पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और सीएनजी की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी कर आग में घी डालने का काम कर रही है. निकट भविष्य में भी कीमतों की इस मार से कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. अतएव अब सडकों पर उतरने के अलाबा कोई रास्ता नहीं है. भाकपा राज्य सचिव मंडल द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि उनका यह आन्दोलन पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों नें बढ़ोत्तरी को रोकने और प्रशासनिक मूल्य बहाल करने सहित कई मांगों पर केन्द्रित होगा. हम जमाखोरी और आवश्यक वस्तुओं के वायदा कारोबार को रोकने की मांग भी करेंगे. हम सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू करने की मांग भी करेंगे. हम मूलभूत सेवाओं के निजीकरण का विरोध करेंगे और उन निजी कम्पनियों का ऑडिट करने की मांग करेंगे जो सार्वजानिक संसाधनों का उपयोग कर मूलभूत सेवाओं की आपूर्ति कर रही हैं. डॉ. गिरीश ने बताया कि उत्तर प्रदेश में भाकपा बिजली की दरों में प्रस्तावित वृध्दि के खिलाफ तथा बिजली की दरें कम करने, बिजली कम्पनियों का ऑडिट कराने एवं लाइन हानि कम करने के सवाल पर पहले से ही अभियान चलाये हुए है. अब महंगाई विरोधी अभियान के साथ इसे और सघन किया जायेगा. डॉ. गिरीश, राज्य सचिव.