Sunday, April 22, 2012

विद्युत वितरण के निजीकरण का पुरजोर विरोध करेगी भाकपा

बिजली क्षेत्र की यूनियनों को पिछली गलती न दोहराने की चेतावनी

लखनऊ 23 अप्रैल। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अखिलेश यादव सरकार द्वारा सात शहरों के विद्युत वितरण की व्यवस्था को मायावती सरकार की चहेती रही निजी कम्पनी टोरंट को सौंपने के फैसले को जनविरोधी बताते हुए उसकी कटु निन्दा करते हुए उसका पुरजोर विरोध करने का आह्वान किया है। भाकपा के राज्य सचिव मंडल की ओर से जारी एक प्रेस बयान में कहा गया है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सरकार के इस फैसले के खिलाफ सातों शहरों में जनता को सड़कों पर उतारने का पूरा प्रयास किया जायेगा और सरकार को फैसला वापस लेने के मजबूर किया जायेगा।
भाकपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप तिवारी ने प्रेस बयान में कहा है कि मायावती सरकार ने टोरंट के मालिकों से पैसा लेकर आगरा और कानपुर की विद्युत वितरण व्यवस्था को उसके हवाले करने का फैसला लिया था जिसका भाकपा ने दोनों शहरों में पुरजोर विरोध किया था। कानपुर में कर्मचारियों और जनता के व्यापक विरोध के चलते मायावती सरकार को अपने कदम पीछे खीचने पड़े थे परन्तु आगरा की विद्युत वितरण व्यवस्था को टोरंट को सौंपने में मायावती सरकार कामयाब हो गयी थी।
भाकपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप तिवारी ने प्रेस बयान में कहा है कि आगरा की जनता विद्युत वितरण की बदहाली, टोरंट की नादिरशाही और लूट से त्राहि-त्राहि कर रही है और वहां टोरंट कम्पनी के खिलाफ माहौल बन रहा है। आगरा की जनता यह रास्ता देख रही थी कि सरकार बदलने पर शायद उसे टोरंट कम्पनी से मुक्ति मिल जाये परन्तु समाजवादी पार्टी की सरकार ने उसी टोरंट को सात अन्य शहरों की विद्युत व्यवस्था सौंपने का फैसला लेकर एक बार फिर यह दिखा दिया है कि समाजवादी पार्टी उसी पूंजीवादी नीतियों और भ्रष्टाचार की पोषक है जिन नीतियों पर कांग्रेस, भाजपा और बसपा चलती रही हैं।
भाकपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप तिवारी ने प्रेस बयान में कहा है कि सपा सरकार के इस फैसले से इस बात की फिर पुष्टि हुई है कि पूंजीवाद में सरकारों को भ्रष्ट बनाकर सरमायेदार किस तरह जनता के धन की लूट कर अपना मुनाफा बढ़ाने में सफल होते रहते हैं। उन्होंने दावा किया है कि भाकपा सातों शहरों में इस फैसले के खिलाफ तुरन्त अपनी मुहिम शुरू कर देगी जिसमें जनता के व्यापक तबकों को लामबंद करने के लिए विचार-गोष्ठियों, विरोध प्रदर्शनों का आयोजन शामिल है।
प्रेस विज्ञप्ति में बिजली क्षेत्र की यूनियनों को आगाह किया गया है कि वे भ्रष्ट पूंजीवादी साजिशों से होशियार रहें और इस मसले पर सरकार के कदम वापस खींचने तक केवल संघर्ष करें। इस मामले में प्रबंधन और सरकार से यूनियनों के वार्तालाप की कोई जगह नहीं है और पिछली बार की गलती को इस बार न दोहराया जाये।


कार्यालय सचिव

No comments: