लखनऊ 26 दिसम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता, प्रख्यात पर्वतारोही एवं पर्यावरणवादी कामरेड कमला राम नौटियाल का आज देहरादून में निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे। भाकपा की उत्तर प्रदेश राज्य कौंसिल ने कामरेड नौटियाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उनके प्रति क्रान्तिकारी श्रद्धांजलि अर्पित की है। पार्टी ने शोक संतप्त परिवार के प्रति भी अपनी हार्दिक संवेदनायें प्रेषित की हैं।
कामरेड नौटियाल इलाहाबाद में अपने विद्यार्थी जीवन के दौरान आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन के साथ जुड़ गये थे और छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने एक पर्वतारोही की भूमिका निभाते हुए हिमालय के तमाम ग्लेशियरों को खोजा और उनका नामकरण किया। उन्होंने एक पर्यावरणवादी की भूमिका निभाते हुए हिमालय पर पेड़ों की कटान के खिलाफ व्यापक आन्दोलन किया जो बाद में चिपको आन्दोलन के नाम से विख्यात हुआ। वे चौदह वर्षों तक उत्तरकाशी नगर पालिका के चेयरमैन चुने जाते रहे और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के वर्षों तक सदस्य रहे। उत्तराखण्ड आन्दोलन के वे अगुवा नेताओं में से एक थे। ज्ञातव्य हो कि भाकपा ने राज्य के गठन के पूर्व ही अपनी उत्तराखण्ड कमेटी का गठन कर दिया था, जिसके वे कई सालों तक संयोजक रहे। उनकी लोकप्रियता पहाड़ों के दूरदराज गांवों तक फैली थी।
80 वर्षीय कामरेड नौटियाल कई सालों से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन से वामपंथी आन्दोलन ही नहीं उत्तराखण्ड की जनता को भी भारी क्षति पहुंची है जिसके लिए वे निरन्तर संघर्षरत रहे। भाकपा राज्य मंत्रिपरिषद अपने उत्तराखण्ड के सभी कार्यकर्ताओं को अपनी संवेदना प्रेषित करती है।
कामरेड नौटियाल इलाहाबाद में अपने विद्यार्थी जीवन के दौरान आल इंडिया स्टूडेन्ट्स फेडरेशन के साथ जुड़ गये थे और छात्र राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने एक पर्वतारोही की भूमिका निभाते हुए हिमालय के तमाम ग्लेशियरों को खोजा और उनका नामकरण किया। उन्होंने एक पर्यावरणवादी की भूमिका निभाते हुए हिमालय पर पेड़ों की कटान के खिलाफ व्यापक आन्दोलन किया जो बाद में चिपको आन्दोलन के नाम से विख्यात हुआ। वे चौदह वर्षों तक उत्तरकाशी नगर पालिका के चेयरमैन चुने जाते रहे और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय परिषद के वर्षों तक सदस्य रहे। उत्तराखण्ड आन्दोलन के वे अगुवा नेताओं में से एक थे। ज्ञातव्य हो कि भाकपा ने राज्य के गठन के पूर्व ही अपनी उत्तराखण्ड कमेटी का गठन कर दिया था, जिसके वे कई सालों तक संयोजक रहे। उनकी लोकप्रियता पहाड़ों के दूरदराज गांवों तक फैली थी।
80 वर्षीय कामरेड नौटियाल कई सालों से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन से वामपंथी आन्दोलन ही नहीं उत्तराखण्ड की जनता को भी भारी क्षति पहुंची है जिसके लिए वे निरन्तर संघर्षरत रहे। भाकपा राज्य मंत्रिपरिषद अपने उत्तराखण्ड के सभी कार्यकर्ताओं को अपनी संवेदना प्रेषित करती है।
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