लखनऊ 23 नवम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कल राज्य सरकार द्वारा किसानों के 50 हजार तक के कर्जे माफ करने की घोषणा को छूट का पुलिंदा और किसानों के साथ छलावा बताया है। भाकपा का आरोप है कि एक बार फिर राज्य सरकार की कथनी और करनी का अंतर सामने आ गया है। भाकपा ने सरकार से मांग की है कि वह हर बैंक के हर तरह के किसानों के कर्जे में से 50 हजार रूपये माफ करे। पार्टी ने चेतावनी दी है कि वह इस सवाल को जनता के बीच ले जायेगी और किसानों के हित में आन्दोलन खड़ा करेगी।
भाकपा राज्य सचिव मंडल की ओर से यहां जारी एक प्रेस बयान में राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा में भी झोल ही झोल हैं और इससे किसानों को कोई राहत नहीं मिलने जा रही। चुनाव के बाद से ही कर्ज माफी के इंतजार में बैठा किसान ठगा महसूस कर रहा है और राहत के बजाय वह कर्ज के जाल में उलझ कर रह गया है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि जिस सहकारी ग्राम्य विकास बैंक से दिये गये कर्ज की माफी की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है, उससे बहुत ही कम किसान कर्ज लेते हैं। उसकी साख समाप्त हो चुकी है और किसानों की जमीनें जब्त करने के लिए यह बैंक कुख्यात रही है। किसान इसे ‘भूमि विनाश बैंक’ कह कर पुकारते हैं। तभी तो प्रान्त में 10 करोड़ के लगभग किसान हैं और उनमें लगभग 90 प्रतिशत कर्जदार हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री की घोषणा के दायरे में केवल 7 लाख 20 हजार किसान ही आ रहे हैं।
शेष किसानों को इससे कोई राहत नहीं मिल पा रही क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंकों, जिला सहकारी बैंकों तथा ग्रामीण बैंकों से कर्ज ले रखा है। और जब किसान कर्ज लेता है तो 50 हजार तक ही नहीं लेता, अपनी जरूरत के मुताबिक ही अधिक भी कर्ज लेता है। इन बैंकों के कर्जों को सरकार ने माफ नहीं किया है।
दूसरे सरकार ने 50 हजार तक के कर्जे माफ करने की घोषणा की है जबकि हर कर्जदार किसान के हर कर्जे में से 50,000 रूपये माफ किये जाने चाहिए। सरकार की यह शर्त कि उसी किसान का कर्ज माफ होगा जिसने मार्च 2012 तक 10 प्रतिशत रकम अदा कर दी है, पूरी घोषणा को ही बेमानी कर देती है। किसान रबी की फसल के लिए अक्सर अक्टूबर-नवम्बर में कर्ज लेते हैं, जिसकी अदायगी मई-जून में देय होती है। फिर कौन किसान बिना फसल पैदा हुये मार्च में कर्ज का 10 प्रतिशत अदा कर देगा? अतएव अधिकतर किसान इस घोषणा के अंतर्गत कर्जमाफी से वंचित रह जायेंगे।
इसके अलावा कई छोटे किसान डेयरी, मुर्गी, सुअर तथा मछली पालन जैसे कामों के लिए भी कर्ज लेते हैं, उनको भी कोई राहत नहीं दी गयी है।
भाकपा ने इस झूठी घोषणा को सिरे से नकार दिया है और सरकार से मांग की है कि वह सभी बैंकों से सभी तरह के कर्ज लेने वाले किसानों के सभी तरह के कर्जों में से 50 हजार रूपये माफ करने की घोषणा करे। भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि इस सरकार ने किसानों से किये गये वायदे के अनुसार 50 हजार रूपये प्रति किसान कर्ज माफ नहीं किया तो भाकपा जिलों-जिलों में आन्दोलन चलायेगी। पार्टी ने अपनी जिला इकाईयों को स्थानीय स्तर पर आंदोलन संगठित करने के निर्देश भी दिये हैं।
भाकपा राज्य सचिव मंडल की ओर से यहां जारी एक प्रेस बयान में राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा में भी झोल ही झोल हैं और इससे किसानों को कोई राहत नहीं मिलने जा रही। चुनाव के बाद से ही कर्ज माफी के इंतजार में बैठा किसान ठगा महसूस कर रहा है और राहत के बजाय वह कर्ज के जाल में उलझ कर रह गया है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि जिस सहकारी ग्राम्य विकास बैंक से दिये गये कर्ज की माफी की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है, उससे बहुत ही कम किसान कर्ज लेते हैं। उसकी साख समाप्त हो चुकी है और किसानों की जमीनें जब्त करने के लिए यह बैंक कुख्यात रही है। किसान इसे ‘भूमि विनाश बैंक’ कह कर पुकारते हैं। तभी तो प्रान्त में 10 करोड़ के लगभग किसान हैं और उनमें लगभग 90 प्रतिशत कर्जदार हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री की घोषणा के दायरे में केवल 7 लाख 20 हजार किसान ही आ रहे हैं।
शेष किसानों को इससे कोई राहत नहीं मिल पा रही क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंकों, जिला सहकारी बैंकों तथा ग्रामीण बैंकों से कर्ज ले रखा है। और जब किसान कर्ज लेता है तो 50 हजार तक ही नहीं लेता, अपनी जरूरत के मुताबिक ही अधिक भी कर्ज लेता है। इन बैंकों के कर्जों को सरकार ने माफ नहीं किया है।
दूसरे सरकार ने 50 हजार तक के कर्जे माफ करने की घोषणा की है जबकि हर कर्जदार किसान के हर कर्जे में से 50,000 रूपये माफ किये जाने चाहिए। सरकार की यह शर्त कि उसी किसान का कर्ज माफ होगा जिसने मार्च 2012 तक 10 प्रतिशत रकम अदा कर दी है, पूरी घोषणा को ही बेमानी कर देती है। किसान रबी की फसल के लिए अक्सर अक्टूबर-नवम्बर में कर्ज लेते हैं, जिसकी अदायगी मई-जून में देय होती है। फिर कौन किसान बिना फसल पैदा हुये मार्च में कर्ज का 10 प्रतिशत अदा कर देगा? अतएव अधिकतर किसान इस घोषणा के अंतर्गत कर्जमाफी से वंचित रह जायेंगे।
इसके अलावा कई छोटे किसान डेयरी, मुर्गी, सुअर तथा मछली पालन जैसे कामों के लिए भी कर्ज लेते हैं, उनको भी कोई राहत नहीं दी गयी है।
भाकपा ने इस झूठी घोषणा को सिरे से नकार दिया है और सरकार से मांग की है कि वह सभी बैंकों से सभी तरह के कर्ज लेने वाले किसानों के सभी तरह के कर्जों में से 50 हजार रूपये माफ करने की घोषणा करे। भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि इस सरकार ने किसानों से किये गये वायदे के अनुसार 50 हजार रूपये प्रति किसान कर्ज माफ नहीं किया तो भाकपा जिलों-जिलों में आन्दोलन चलायेगी। पार्टी ने अपनी जिला इकाईयों को स्थानीय स्तर पर आंदोलन संगठित करने के निर्देश भी दिये हैं।
कार्यालय सचिव
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दिन मे इस विषय-वस्तु को फेसबुक और इसके कई ग्रुप्स मे प्रसारित कर दिया है।
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