Tuesday, December 30, 2014

केन्द्र सरकार ने शीघ्र भूमि अधिग्रहण अध्यादेश वापस नहीं लिया तो आन्दोलन छेड़ा जायेगा; भाकपा.

लखनऊ-३१ दिसंबर २०१४- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने केन्द्र सरकार द्वारा गत दिन पारित किये गये भूमि अधिग्रहण संबंध्दी अध्यादेश को पूरी तरह किसान विरोधी एवं पूंजीपतियों तथा कारपोरेट घरानों का हित संरक्षक बताते हुये उसे तत्काल वापस लेने की मांग की है. भाकपा ने चेतावनी दी कि यदि इस अध्यादेश को तत्काल वापस नहीं लिया गया और इसके तहत किसानों की जमीनों को मनमाने तरीके से हथियाने का कोई भी प्रयास किया गया तो भाकपा इसका कड़ा विरोध करेगी. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहाकि देश के किसानों, किसान हितैषी संगठनों जिनमें भाकपा प्रमुख है ने लम्बी जद्दोजहद के बाद १८९४ के भूमि अधिग्रहण कानून में २०१३ में संशोधन कराकर इसे किसान हितों के सरक्षण वाला रूप दिलाया था. सभी जानते हैं कि पहले दादरी में सपा सरकार द्वारा अंबानी को सौंपी गयी २७६२ एकड़ जमीन को किसानों को वापस कराने के लिये भाकपा ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री वी.पी.सिंह एवं भाकपा के तत्कालीन महासचिव का. ए.बी. बर्धन के नेतृत्व में जंगजू आन्दोलन चलाया था जिसके परिणामस्वरूप किसानों की जमीनें आज उन्हें वापस मिल सकी है. इसके बाद जब बसपा की राज्य सरकार ने नोएडा, अलीगढ़, आगरा एवं मथुरा आदि में बढ़े पैमाने पर किसानों की जमीनें हड़प कर उसे जे.पी. समूह तथा अन्य औद्योगिक घरानों को सौंपा तो भाकपा फिर से किसानों के साथ खड़ी हुयी और १८९४ के उपनिवेशी कानून को बदलवाने में अहम भूमिका निभाई. आज केन्द्र की मोदी सरकार ने पुनः १८९४ के कानून की बहाली करके उपनिवेशी शासन की याद दिलादी है. डा.गिरीश ने कहाकि यह कानून किसानों से उनकी मर्जी के बिना मनमानी कीमतों पर जमीनों को छीन कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों, उद्योगपतियों एवं भूमाफियायों की झोली में डाल देगा जिसे देश का किसान कभी बर्दाश्त नहीं करेगा. किसानों से अच्छे दिन लाने का वायदा करने वाली यह सरकार आज पूरी तरह से किसानों के खिलाफ युध्द छेड़ चुकी है, भाकपा इसका सडकों पर उतर कर मुकाबला करेगी. जल्दी ही इस संबंध्द में आन्दोलन का निर्णय लिया जायेगा. भाकपा किसान हित में सभी वामपंथी दलों और जनवादी ताकतों को एकजुट करेगी, राज्य सचिव ने कहा है. डा.गिरीश, राज्य सचिव

Tuesday, December 16, 2014

भाजपा और कांग्रेस का विकल्प केवल वामपंथ

पिछले 25 सालों से घूम फिर कर केन्द्र में और तमाम राज्यों में जो भी गैर वामपंथी सरकारें बनी, इन सबने सरमायेदारों के अधिकतम मुनाफे के लिए काम किया है और विदेशी पूंजी मंगाने के नाम पर आने वाली पीढ़ियों पर लगातार बोझ लादा है। स्वदेशी, राम राज्य और पता नहीं विकास के किन-किन नारों के साथ कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए भाजपा केन्द्रीय सत्ता में आसीन हो गई और वामपंथ भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया। आज लोक सभा एवं राज्य सभा में पूंजीवाद और साम्राज्यवाद के साथ-साथ तमाम तरह के संकीर्णतावाद और फूटपरस्ती से संघर्ष करने वाली शक्तियां गिनी-चुनी बची हैं। लेकिन न तो यह इतिहास का अंत है और न ही भारतीय लोकतंत्र में अभी दो-दलीय शासन व्यवस्था कायम होने का कोई दौर ही शुरू हो गया है।
ऐसे मौके पर भाजपा के विरोध के नाम पर लोहिया के तमाम पुराने समाजवादी सहयोगियों यानी जनता दल के पुराने कुनबे को जोड़ने की कवायद हाल में शुरू की गयी है। सियासी तौर पर तो जमा हुए 6 दलों का वर्तमान लोक सभा में विशेष वजूद नहीं है। कुल मिला कर 15 संसद सदस्य मात्र हैं। दूसरे इन दलों का चन्द राज्यों को छोड़ कर कहीं जमीनी धरातल भी नहीं है। बिहार में नितीश और लालू का एक मंच पर आना उनकी राजनैतिक मजबूरी है और यह गठजोड़ भी आने वाले बिहार विधान सभा चुनावों में भाजपा को कितना रोक पायेगा, यह तो वक्त ही बतायेगा। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी है। उसके वोट बैंक में इस गठजोड़ से कोई इजाफा होने से रहा। जनता दल सेक्यूलर का भी वजूद बहुत सीमित दायरे में है। इनेलो नेतृत्वहीनता की शिकार है, ओम प्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला चुनाव ही नहीं लड़ सकते। यही संकट लालू के सामने भी है। छठा दल चन्द्रशेखर की सजपा (राष्ट्रीय) है। चंद्रशेखर के एक पुत्र सपा से राज्य सभा में हैं तो दूसरे भाजपा से। सियासी वजूद के रूप में शून्य हो चुकी उनकी विरासत को कमल मुरारका अभी तक ढो रहे हैं, कोई भाव नहीं देता तो मुलायम के घर बैठक में पहुंच गये।
इन दलों के एकीकरण का काम करने के लिए मुलायम सिंह को अधिकृत किया गया है। मुलायम की स्वयं की विश्वसनीयता  सबसे बड़ा संकट है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में भाकपा तथा माकपा को धोखा देने के साथ ही वी.पी. सिंह, चंद्रशेखर, देवगौड़ा, अजित सिंह, ममता आदि तमाम लोगों को धोखा दिया है। उन्होंने समाजवादी आन्दोलन को कभी आगे नहीं बढ़ाया। उनका समाजवाद और पिछड़ों के कल्याण का एजेंडा केवल उनके परिवार तक और उनके गांव तक सीमित रहा है। मुजफ्फरनगर में लोग मरते रहे और वे सैफई में नाच देखते रहे। कमोबेश यही हालत इस मोर्चे से कुछ अन्य नेताओं के साथ है, चाहे वे चौटाला परिवार हो या लालू परिवार।
इन सभी पार्टियों ने अपने-अपने सूबों में अपनी सरकार चलाते समय वही सब किया है जो केन्द्र में कांग्रेस, भाजपा और दूसरे दल करते रहे हैं। सभी पूंजीवाद के हितैषी तथा उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीयकरण के ध्वजवाहक हैं। सभी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। इसलिए वे केन्द्र में गैर भाजपा गैर कांग्रेस विकल्प हो ही नहीं सकते। उनका वास्तविक विकल्प वही दल प्रस्तुत कर सकते हैं जो 25 सालों से केन्द्र में चलाई जा रही नीतियों के उलट चलने की बात करते हो और उनका इतिहास ऐसा रहा हो।
पिछले 25 सालों में देश का जो विकास किया गया है, उससे आम जनता को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। चिकित्सा और शिक्षा दो बुनियादी मुद्दे हैं जिनकी आम जनता तक पहुंच हेतु भारत का संविधान अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करता है। परन्तु इन दोनों ही क्षेत्रों का असीमित निजीकरण किया गया है। शिक्षा संस्थान और अस्पताल खोलना आज एक व्यवसाय बन चुका है। आजादी के पहले और आजादी के बाद भी लम्बे वक्त तक शिक्षा संस्थान और अस्पताल धर्मादा उद्देश्य से खोले जाते थे या सरकार खोलती थी। लेकिन आज इनसे ज्यादा मुनाफा देने वाला कोई व्यवसाय नहीं है। देशी और विदेशी पूंजीपति इन दोनों क्षेत्रों में निवेश को व्याकुल हैं। गरीबों को चिकित्सा और शिक्षा दोनों से वंचित होना पड़ रहा है। खाने को तो उन्हें पेट भर मिलता ही नहीं है। वामपंथी दलों को छोड़ कर उनकी बात करने वाला भी कोई नहीं है। लेकिन मुलायम के नेतृत्व में खड़ा हो रहा तथाकथित मोर्चा ऐसे बयान जारी कर रहा है कि वे अपने साथ वामपंथ को भी जोड़ेंगे। ये सभी वामपंथ का पहले ही बहुत दोहन कर चुके हैं अतएव वामपंथ को अब इनकी बैसाखी नहीं बनना चाहिए और वाम पंथी दलों ने जो अपना आत्मनिर्भरता और एकता का रास्ता पकड़ा है, उसी पर चलना चाहिए। हमें आत्मविश्वास के साथ कहना चाहिए कि भाजपा और कांग्रेस की नीतियों का विकल्प वामपंथ ही देगा और हमें उसी के लिए अपने सारे प्रयास करने चाहिए। इस स्थिति से भटकाव वामपंथ को फिर से और पीछे ले जा सकता है।
इस समय पूरे देश में वामपंथ का संयुक्त आन्दोलन चल रहा है। मीडिया में उसकी आवाजें भले न सुनाई पड़ रहीं हो परन्तु सड़कों पर उनकी हलचल धीरे-धीरे बढ़ रही है। वामपंथी दलों और उसमें विशेषकर भाकपा का पूरे देश में संगठन है। भारतीय जन मानस को जाति, धर्म और क्षेत्रीयता के संकीर्ण दायरों से ऊपर उठ कर वामपंथी विकल्प के पीछे ही कतारबद्ध होना चाहिए।

Friday, December 12, 2014

बंटवारे की राजनीति बंद करो : भाकपा

लखनऊ- १२ दिसंबर : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि आगरा, अलीगढ़ एवं अन्य स्थानों पर संघ परिवार के घटकों द्वारा छेड़ा गया ‘धर्मान्तरण जेहाद’ भाजपा एवं आर.एस.एस. द्वारा मोदी सरकार की वायदा खिलाफी से ध्यान हठाने और वोट के लिये बंटवारे की घ्रणित राजनीति करने का ही हथकंडा है. यदि जनता जनार्दन ने भाजपा और संघ की इन ओछी हरकतों को पहचानने में देरी की और धर्मनिरपेक्ष दलों ने ससमय इन करतूतों का जबाव नहीं दिया तो यह देश को गंभीर संकट में डाल देगा. भाकपा ने समाजवादी पार्टी और उसकी राज्य सरकार पर आगरा के धर्मान्तरण प्रकरण में मुज़फ्फर नगर कांड जैसी दोमुहीं रणनीति अपनाने का आरोप लगाया है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा देने वाली भाजपा की केन्द्र सरकार जब कारपोरेटों और पूंजीपतियों के हित चिन्तन में जुट गयी और आम जनता की तबाही का रास्ता खोल दिया तो सरकार की विश्वसनीयता पर संकट के बादल मंडराने लगे. महंगाई, भ्रष्टाचार और अन्य जनविरोधी नीतियों से त्राहि त्राहि कर रही आमजनता का ध्यान इन समस्यायों से हठाने और विभाजन के जरिये वोट बैंक को बनाये रखने के उद्देश्य से भाजपा और संघ परिवार तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं, और इस फहरिस्त में अब एक और स्टंट जुड़ गया है- धर्मान्तरण. सत्ता में आने के कुछ ही दिनों बाद संघ परिवार ने पहले लव जेहाद को उछाला. फिर गाँधी, नेहरु, पटेल, विवेकानंद, शहीद भगतसिंह एवं राजा महेन्द्र प्रताप की विरासत को हड़पने की कोशिश की. इससे जुड़े भगवा वस्त्रधारी महंतों, साध्वियों एवं महाराजों ने अल्पसंख्यकों एवं उनके प्रति उदार द्रष्टिकोण अपनाने वालों के खिलाफ घिनौनी और भड़काऊ शब्दावली में विष वमन किया. फिर गीता को राष्ट्रीय पुस्तक बनाने का शिगूफा छोड़ा गया. भाजपा के एक सांसद द्वारा महात्मा गाँधी के हत्यारे को देशभक्त और राष्ट्रवादी बताया गया. इससे भी बढ कर अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण का राग इसके अलग अलग भोंपू लगातार अलापते रहते हैं जिनमें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल सबसे आगे हैं. राज्यपाल श्री नाइक ने इस संवैधानिक पद की गरिमा और मर्यादा को भारी क्षति पहुंचाई है. इसका उद्देश्य विपक्षी दलों को इन्हीं मुद्दों पर उलझाये रखना है ताकि वे सरकार के जनविरोधी कामों पर पर्याप्त आक्रमण न कर पायें. यहाँ यह भी आश्चर्यजनक है कि देश विदेश में भारत की छवि निखारने का दंभ पाले प्रधानमंत्री मोदी इन घटनाओं पर खामोश हैं और भाजपा निर्लज्जता से इन सभी को जायज ठहराने में जुटी है. भाकपा ने सभी विपक्षी दलों से अपील की कि वह भाजपा और संघ परिवार की दोहरी चालबाजियों पर चहुंतरफा हमला करे. भाकपा ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की कि वह आगरा धर्मान्तरण प्रकरण के दोषियों के खिलाफ अविलम्ब कारगर कार्यवाही करे तथा इस हेतु अलीगढ़ में २५ दिसंबर को प्रस्तावित आयोजन पर रोक लगाये. भाकपा ने सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से अपील की कि खुल कर संघ के एजेंडे पर काम कर रहे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाइक को वापस बुलाने की मांग राष्ट्रपति महोदय के समक्ष उठायें. भाकपा राज्यपाल के संविधान विरोधी कृत्यों के खिलाफ लगातार आवाज उठाती रही है. डा.गिरीश ने बताया कि वामपंथी दल केन्द्र सरकार के जनविरोधी क्रियाकलापों एवं भाजपा एवं संघ की सांप्रदायिक करतूतों के खिलाफ ८ दिसंबर से ही सारे देश और उत्तर प्रदेश में आन्दोलन चला रहे हैं जिसके तहत प्रतिदिन प्रदेश के विभिन्न जिलों में धरने प्रदर्शन होरहे हैं. इसी क्रम में कल लखनऊ में भी वामदल सडकों पर उतरेंगे. डा.गिरीश

Monday, December 8, 2014

केन्द्र सरकार के जनविरोधी कदमों के खिलाफ वामदलों का आन्दोलन शुरू

लखनऊ- देश के छह वामपंथी दलों के आह्वान पर केन्द्र सरकार के जनविरोधी कारनामों के खिलाफ और दस सूत्रीय मांगपत्र को लेकर वामदलों का संयुक्त आन्दोलन आज समूचे देश में शुरू होगया. उत्तर प्रदेश में भी आज से ही इसकी धमाकेदार शुरुआत हुयी और आन्दोलन में शामिल दलों – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा(माले), फार्बर्ड ब्लाक, आरएसपी एवं एसयूआईसी ने आज प्रदेश के अलग अलग जिलों में सभायें कीं सम्मेलन किये और जनपद हाथरस में भाकपा के तत्वावधान में एक धरने का आयोजन किया गया. यह आन्दोलन प्रमुखतः मनरेगा को सीमित करने के प्रयासों, श्रम कानूनों में किये गये प्रतिकूल बद्लाबों, बीमा रेलवे रक्षा एवं अन्य आधारभूत क्षेत्रों को एफडीआई के हवाले किये जाने, महंगाई को काबू में न किये जाने, काले धन की वापसी के मामले में सरकार की हीला हवाली, भूमि अधिग्रहण कानून को बदलने की कोशिशों, महिलाओं दलितों सहित सभी कमजोर तबकों पर लगातार बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ तथा देश और देश की जनता को सांप्रदायिकता के जरिये बाँटने की साजिशों के विरुध्द चलाया जारहा है. वामदलों का आरोप है कि पिछले छह माहों में केन्द्र की मोदी सरकार ने एकतरफा कार्पोरेट और पूंजीपति घरानों को लाभ पहुंचाया है और किसान कामगार तथा दूसरे नागरिकों को तबाही की ओर धकेला है. यहाँ तक कि केरोसिन पर सब्सिडी खत्म कर दी गयी जबकि रसोई गैस पर मिलने वाली सब्सिडी को सीधे उपभोक्ताओं के खाते में भेजने का ढोंग रचा जारहा है. बेचारे उपभोक्ता इसे हासिल करने के लिए की जारही तमाम ओपचारिकताओं को पूरा करने की कबायद से परेशान हैं और वह यह भी आरोप लगा रहे हैं कि यह सब्सिडी उसी तरह उन्हें नहीं मिल पायेगी जिस तरह विभिन्न पेंशन योजनाओं की धनराशि उन्हें नहीं मिल पाती. गरीब लोगों को तो पहले ही पूरी कीमत देकर सिलेंडर खरीदना असंभव सा लग रहा है. सरकार को इन कदमों को वापस लेना चाहिये. वामदलों का दावा है कि अपने कार्यकाल के पहले छह महीनों में इस सरकार से जनता के मोहभंग की शुरुआत होगयी है. ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला. यही वजह है की जनता के तमाम हिस्से सडकों पर उतर रहे हैं. वामदलों का यह आन्दोलन उत्तर प्रदेश में १५ दिसंबर तक जारी रहेगा. हर जिले में अलग अलग तारीखों में सभायें, धरने, प्रदर्शन आयोजित किये जायेंगे जिसका समापन इलाहाबाद में १५ दिसंबर को संयुक्त धरने से किया जायेगा. डा.गिरीश, राज्य सचिव भाकपा, उत्तर प्रदेश

Friday, November 28, 2014

राजा महेन्द्र प्रताप के बहाने एएमयू को निशाना बनाने की कोशिशों की भाकपा ने निन्दा की

लखनऊ 30 नवम्बर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा साम्प्रदायिक विभाजन की अपनी चिरपरिचित राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को निशाना बनाने और उसके लिए वैचारिक रूप से मार्क्सवादी राजा महेन्द्र प्रताप जैसे धर्मनिरपेक्ष क्रान्तिकारी को औजार बनाने की कड़े से कड़े शब्दों में निन्दा की है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज से पहले कभी भाजपा को राजा महेन्द्र प्रताप का जन्म दिवस मनाने की याद नहीं आई। ऐसे में जबकि भाजपा की केन्द्रीय सरकार अपने चुनाव अभियान के दौरान जनता से किये गये तमाम ढपोरशंखी वायदों को पूरा करने में पूरी तरह विफल रही है। अपनी विफलताओं की ओर से जनता का ध्यान हटाने के लिए वह साम्प्रदायिक विभाजन पैदा करने और देश के ऐसे महापुरूषों, जिनका भाजपा हमेशा विरोध करती रही, की विरासत को हथियाने की कोशिश में जुटी है।
भाकपा ने आरोप लगाया कि पहले भाजपा मुजफ्फरनगर और मेरठ में बहू-बेटी बचाओ आन्दोलन करके और उसके बाद कथित ‘लव जेहाद’ के नाम पर घनघोर साम्प्रदायिक राजनीति करती रही है। अब उसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को निशाना बनाया है। पहले वहां की लाईब्रेरी में छात्राओं को पढ़ने की सुविधा देने को भाजपा ने मुद्दा बनाने की कोशिश की और अब राजा महेन्द्र प्रताप का जन्म दिवस अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में घुस कर मनाने की घिनौनी साजिश रची है।
भाजपा और संघ परिवार, जो गांधी की हत्या के लिए कुख्यात है, आज गांधी जी की पूजा पाठ का स्वांग रच रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द, शहीदे आजम भगत सिंह, जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल आदि सभी की विरासत को अपने आगोश में समेटने की असफल कोशिश भाजपा करती रही है परन्तु इन महापुरूषों के विचारों की आग को वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। अब ताजा उदाहरण राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की विरासत को हड़पने का है।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप एक पूर्ण धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे जो आजादी की लड़ाई के लिए अपना परिवार, सम्पत्तियां सब कुछ त्याग दिये थे और उन्होंने अपने निर्वासन काल में भारत सरकार का गठन किया जिसके वे राष्ट्रपति बनाये गये थे। भारत को आजाद कराने के लक्ष्य से उन्होंने सोवियत संघ के महान क्रान्तिकारी लेनिन से विमर्श किया हिटलर से नहीं। आजादी के बाद जब वे अलीगढ़ के धर्म समाज कालेज में व्याख्यान देने गये और उन्होंने आजाद भारत में हिन्दू-मुसलमानों के बीच एकता का संदेश दिया तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों ने उन पर पथराव किया और जैसे-तैसे उन्हें बन्द गाड़ी में सुरक्षित निकाला गया। 1957 में संघ के नामित प्रत्याशी अटल बिहारी बाजपेई मथुरा से राजा महेन्द्र प्रताप के सामने चुनाव लड़ने पहुंच गये लेकिन जनता ने उन्हें करारा जवाब दिया था। इस चुनाव में निर्दलीय राजा महेन्द्र प्रताप भारी मतों से विजयी हुए थे और अटल जी की जमानत तक जब्त हो गई थी। लेकिन आज वही भाजपा और संघ गिरोह खुद को राजा महेन्द्र प्रताप का अनन्य अनुयायी साबित करने पर जुटा है। भाजपा की यह कोशिशें कभी कामयाब नहीं होंगी।
भाकपा ने कहा है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय विश्व प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थान है और देश विदेश में उसकी बेहद प्रतिष्ठा है। उसको निशाना बनाया जाना बेहद निन्दनीय है। यह अभियान मोदी के उन दावों की भी हवा निकाल देता है जिसके तहत वे अपने को विकास का मसीहा साबित करने की कोशिश में लगे हैं।

Monday, November 24, 2014

सेज़ के नाम पर लूट

भूमंडलीकरण, उदारीकरण और निजीकरण के दौर पर तमाम तरह लूट और घोटाले समय-समय पर सामने आते रहे हैं। हाल में कैग की एक रिपोर्ट ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़)  के नाम पर चल रहे घोटालों का भंडाफोड़ किया है। विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) स्थापित करते समय बड़े-बड़े वायदे किये गये थे। दावा किया गया था कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज़) स्थापित करने से निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, देश में उत्पादन बढ़ेगा, रोजगार सृजित होगा और व्यापार संतुलन में मदद मिलेगी। इसी तर्क पर वहां लगने वाली औद्योगिक इकाईयों के लिए ढ़ेर सारी रियायतों की घोषणा की गई थी। विस्थापन और दूसरे स्थानों पर लगने वाले उद्योगों से भेदभाव के सवालों को विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज़) के तथाकथित संभावित लाभों का हवाला देकर दबा दिया गया था।
हाल में कैग की एक रिपोर्ट में इन विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) से क्या हासिल हुआ, इसका खुलासा हुआ है। कैग की रिपोर्ट बताती है कि विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) गठित करने से रोजगार और निर्यात बढ़ाने में कोई मदद हासिल नहीं हुई है बल्कि कर रियायतों के कारण सरकारी खजाने को भारी कीमत चुकानी पड़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से 2013 के मध्य 83,000 करोड़ रूपये का राजस्व विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) को दिये जाने वाली रियायतों की भेट चढ़ गया है। इसमें कई तरह के केन्द्रीय कर और स्टाम्प शुल्क शामिल नहीं हैं। यानी यह आंकडा कई गुना ज्यादा भी हो सकता है। कई ऐसी कंपनियों ने भी कर रियायतें हासिल कीं, जिन्होंने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) में आबंटित जमीन का इस्तेमाल अपनी स्वीकृत परियोजना के लिए नहीं किया और किसी और को वह जमीन दे दी।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) के नाम पर आबंटित जमीन में से आधी जमीन का उपयोग अभी तक नहीं किया गया है जबकि आबंटन 8 साल पहले हुआ था। यह विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) के नाम पर जमीन की जमाखोरी के अलावा और कुछ नहीं है। तमाम कंपनियों ने वास्तविक जरूरत से ज्यादा जमीन हड़प ली।
इसका एक अर्थ यह भी है कि विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) के नाम पर जो हुआ विस्थापन और कृषि योग्य जमीन में आई कमी आवश्यता से कहीं अधिक थी। संप्रग और राजग अब भी यह समीक्षा करने को नहीं तैयार है कि विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) के नाम पर जमीन और राजस्व की भेट देने के बदले आखिर देश को और उसकी जनता को मिला क्या है। निर्यात के मोर्चे पर आज भी स्थिति बदहाल है और व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है।
जमीन और राजस्व की यह लूट केवल विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) के नाम पर ही नहीं की गई बल्कि और भी बहुत योजनाओं के तहत ऐसा किया गया। केवल उड़ीसा में खेती का रकबा 2005 से 2010 के मध्य 1,17,000 हेक्टेयर कम हो गया। यही कहानी पूरे देश में दोहराई गई है। उत्तर प्रदेश में लाखों हेक्टेयर जमीन एक्सप्रेस वे और उनके साथ विकसित किए जाने वाली टाउनशिप और इंडस्ट्रियल एरिया के नाम पर हड़प ली गई। इस बात का कोई आकलन नहीं किया गया कि ऐसे एक्सप्रेस वे स्थापित करने से क्या लाभ हासिल हो सकेगा।
विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज़) से संबंधित कैग की रिपोर्ट संसद के वर्तमान सत्र में पेश की जाने वाली है। इस पर उठने वाले स्वर दबा दिये जायेंगे। हमें पूरा विश्वास है कि संसद इस रिपोर्ट में उठाये गये मुद्दों पर कोई विचार नहीं करेगी। अंततः जनता को ही सड़कों पर उतर कर सवाल खड़े करने होंगे।
. प्रदीप तिवारी

Monday, November 17, 2014

केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ छह वामपंथी दलों का संयुक्त आन्दोलन आठ से चौदह दिसंबर तक

लखनऊ 17 नवम्बर। केन्द्र सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ देश के छह वामपंथी दल आगामी आठ से चौदह दिसंबर तक संयुक्त अभियान चलायेंगे। उपर्युक्त निर्णय यहां संपन्न छह वामदलों के प्रदेश स्तरीय नेताओं की बैठक में लिया गया। ज्ञात हो कि ये छहों दल राष्ट्रीय स्तर पर पहली नवंबर को ही इस आन्दोलन को प्रभावी बनाने का निर्णय ले चुके हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा.), आल इण्डिया फारवर्ड ब्लाक, रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) -लिबरेशन एवं सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इण्डिया (कम्युनिस्ट) के पदाधिकारियों की संपन्न बैठक में निर्णय लिया गया कि हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा उठाये गये जनविरोधी कदमों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश भर में मिल कर अभियान चलाया जाये। लिये गये निर्णय के अनुसार वाम दल प्रदेश के सभी जनपदों में संयुक्त रूप से धरने, प्रदर्शन, सभायें एवं विचार गोष्ठियां आयोजित कर जनता को लामबन्द करेंगे। इससे पहले नवंबर माह के भीतर ही इन दलों की जनपद स्तर पर संयुक्त बैठकें की जायेंगी।
आठ से चौदह दिसंबर तक होने वाले इन आयोजनों में कमरतोड़ महंगाई, आवश्यक दवाओं के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण योजना (मनरेगा) को नेस्तनाबूद करने एवं श्रम कानूनों को असरहीन बनाने के सरकारी कदम, बीमा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने, काले धन को वापस लाने में सरकार की हीला हवाली और भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के प्रयास जैसे मुद्दे शामिल होंगे। इसके अलावा संवैधानिक, शैक्षिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं में आरएसएस के एजेंडे को लागू करने, तथाकथित लव जेहाद तथा सांप्रदायिक प्रचार के अन्य माध्यमों के जरिये सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, दलितों और अन्य दबे कुचले तबकों पर अत्याचार जैसे मुद्दे भी इसमें शामिल होंगे।
बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि अपने चुनाव अभियान में देश की मेहनतकश जनता से एक से बढ़ कर एक लुभावने वायदे करने वाली भाजपा की केन्द्र सरकार आज इन्हीं तबकों की कमर तोड़ने पर उतारू है। ग्रामीण गरीब और बेरोजगारों का सहारा बनी मनरेगा योजना को आबंटित धन में लगभग पचास प्रतिशत की कटौती कर चुकी है। योजना के लिये धन भेजने में पहले ही रुकावटें खड़ी कर दी गयीं हैं। हाल ही में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने जो समझौते किये हैं उनसे दवाओं की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद उपभोक्ताओं के लिये पेट्रोल और डीजल के दामों में पर्याप्त गिरावट नहीं की गयी है। महंगाई सातवें आसमान पर है। सरकार श्रम कानूनों को असरहीन बनाने को कदम उठा चुकी है और अब भूमि अधिग्रहण कानून को ही बदलने की मंशा भी जता चुकी है। सौ दिन के भीतर काले धन को वापस लाकर जनता तक पहुँचाना तो दूर सरकार अब इस समस्या से मुंह चुरा रही है।
बीमा, रक्षा एवं रेलवे जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के क्षेत्रों में भी एफडीआई को बढ़ाने को कदम उठाये जा रहे हैं। इसी तरह महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों एवं अन्य कमजोर तबकों का उत्पीडन और उनकी लूट की दर में भी इजाफा हुआ है। अपने दीर्घकालिक संकीर्ण हितों को साधने की गरज से संघ परिवार सरकार के माध्यम से शिक्षण संस्थाओं, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं में घुस पैठ कर रहा है और अपने कट्टरपंथी सांप्रदायिक अभियान को हवा दे रहा है। इससे समूचे देश में सांप्रदायिक तनावों में वृद्धि हो रही है। कारपोरेटों एवं दक्षिण पंथी ताकतों के द्वारा आर्थिक नवउदारवादी नीतियों को लागू करने के जरिये जनता के ऊपर हमला लगातार बढ़ रहा है जिससे जनता की रोजी रोटी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अतएव वामदलों ने जनहित में आन्दोलन में उतरने का निश्चय किया है।
एक अन्य प्रस्ताव में लखनऊ विश्वविद्यालय में आइसा की गोष्ठी में आयी ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव कविता कृष्णन के ऊपर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं द्वारा किये गये हमले की निन्दा की गई।
बैठक में भाकपा के डा. गिरीश व अरविन्द राज स्वरूप, माकपा के प्रेमनाथ राय, भाकपा (माले) - लिबरेशन के रमेश सिंह सेंगर व अरुण कुमार, एआईएफबी के शिव नारायण चौहान, डा. एस.पी. विश्वास व विजय पाल सिंह, एसयूसीआई-सी के जगन्नाथ वर्मा, सपन बनर्जी व जयप्रकाश मौर्य एवं आरएसपी के संतोष गुप्ता ने भाग लिया।

Thursday, November 13, 2014

गन्ना मूल्य बढ़ाओ वरना आन्दोलन होगा: भाकपा

लखनऊ- पूर्व की भांति इस बार भी गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य न बढ़ाये जाने के राज्य सरकार के निर्णय की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कड़े शब्दों में आलोचना की है. भाकपा ने मांग की है कि गन्ने का समर्थन मूल्य रु ३५० प्रति कुंतल निर्धारित किया जाये. भाकपा ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया तो वह आन्दोलन को बाध्य होगी. यहाँ जारी एक बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहा कि जरूरी उपकरणों और उपादानों की कीमत में हुयी बढ़ोत्तरी के चलते गन्ने की उद्पादन लागत में खासी वृध्दि हुयी जिसके विभिन्न आंकड़े सरकार के पास हैं. इस बार सूखा और बाढ़ के चलते लागत और भी बढ़ गयी है और गन्ने के उत्पादन में गिरावट भी आरही है.यही वजह है कि किसान और किसान हितैषी संगठन गन्ने का मूल्य ३५० रु. प्रति कुंतल करने की मांग कर रहे थे. लेकिन राज्य सरकार ने किसानों के बजाय चीनी मिल मालिकों को लाभ पहुँचाने को न केवल गन्ना मूल्य जाम कर दिया अपितु उसका भुगतान दो किश्तों में करने का फरमान भी जारी कर दिया. अभी तक राज्य सरकार किसानों के पिछले सत्र के बकाये को भी नहीं दिला पायी और किसानों का लगभग दो हजार करोड़ रुपया आज भी चीनी मिलों पर बकाया है. अन्य कई रियायतें भी चीनी मिल मालिकों को दे दी गयी हैं. डा. गिरीश ने कहाकि मुख्यमंत्री दिन में सौ बार अपनी सरकार को समाजवादी सरकार बताते रहते हैं. यह कैसा समाजवाद है जो मिल मालिकों को माला- माल और किसानों को कंगाल बना रहा है. किसानों के अच्छे दिन लाने का झांसा देने वाली केंद्र सरकार भी पूंजीपतियों के हित में भूमि अधिग्रहण कानून को बदलने जा रही है. चहुँतरफा मार झेल रहा किसान आत्म हत्याएं करने को मजबूर है और केंद्र में शासक दल भाजपा राज्य सरकार के किसान विरोधी कदमों की आलोचना करके और प्रदेश में सत्तारूढ़ सपा केंद्र सरकार के किसान विरोधी कदमों की आलोचना करके राजनैतिक रोटियां सेंक रही हैं. किसान हितों की किसी को परवाह नहीं. भाकपा राज्य सचिव ने उन जिलों जहाँ गन्ना पैदा होता है, की भाकपा की कमेटियों का आह्वान किया है कि वे सरकार के इन कदमों के विरुध्द आवाज उठायें. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही भाकपा राज्य स्तर पर भी आन्दोलन की रुपरेखा बनायेगी. डा.गिरीश, राज्य सचिव

Wednesday, November 12, 2014

आर.एस.एस. के एजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटे हैं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल-भाकपा का आरोप

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाइक संवैधानिक पद पर आसीन होने के बाद भी आर.एस.एस. के एजेन्डे को ही आगे बढ़ाने में जुटे हैं. कल अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण के संबंध में दिया गया उनका बयान भी उनके इन्हीं प्रयासों की अगली कड़ी है. यहाँ का. अशोक मिश्र की अध्यक्षता में संपन्न भाकपा राज्य कार्यकारिणी की बैठक में कल श्री नाइक के बयान कि “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच साल में राम मन्दिर मामले का हल निकालने का प्रयास करेंगे,” “कि देश के हर नागरिक के मन में मन्दिर निर्माण को लेकर सवाल उठ रहे हैं,” पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी. भाकपा की स्पष्ट राय है कि श्री नाइक का यह बयान न तो राज्यपाल जैसे पद की गरिमा के अनुकूल है न संविधान सम्मत. जब राम मन्दिर/बाबरी मस्जिद विवाद सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है तो कैसे एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति उसके बारे में टीका-टिपण्णी कर सकता है. यदि श्री नाइक को सक्रिय राजनीति और संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाने की इतनी ही फ़िक्र है तो वे सक्रिय राजनीति करें राज्यपाल जैसे गरिमामय पद का परित्याग करें. वे राम मन्दिर के सवाल को हर नागरिक के मन में बता कर अपने एजेंडे को विस्तार देरहे हैं. भाकपा राज्य कार्यकारिणी ने कहा कि पहले भी श्री नाइक संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत से दो घंटे तक चर्चा करने के कारण विवादों में घिर चुके हैं और वे यह भी बयान दे चुके हैं कि उन्होंने भाजपा की सदस्यता छोड़ी है, आर.एस.एस. की नहीं. उनकी यह स्वीकारोक्ति इन आरोपों को पुष्ट करती है कि वे संघ के एजेन्डे पर ही काम कर रहे हैं. राज्य कार्यकारिणी बैठक के अन्य फैसलों के बारे में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने बताया कि पार्टी ने प्रदेश में सभी वामपंथी दलों को एकजुट कर जनता के सवालों पर जन आन्दोलन खड़ा करने और आन्दोलन को मूर्त रूप देने को राज्य स्तर पर वामदलों की संयुक्त बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया. उन्होंने बताया कि केन्द्रीय स्तर पर इस तरह की मीटिंग पहले ही की जा चुकी है. इस बैठक में भाकपा, माकपा, आरएसपी, फार्बर्ड ब्लाक के अलावा भाकपा- माले एवं एसयूसीआइ-सी आदि पार्टियाँ भाग लेंगी. बैठक १७ नवंबर को सायं ३.०० बजे भाकपा के कैसरबाग स्थित कार्यालय पर होगी. इसके अलावा बैठक में शाखा सम्मेलनों और जिला सम्मेलनों के आयोजन की समीक्षा की गयी तथा २८ फरवरी से २ मार्च के बीच इलाहाबाद में होने जारहे २२ वें राज्य सम्मेलन की तैय्यारियों का भी जायजा लिया गया. डा.गिरीश, राज्य सचिव

Thursday, October 23, 2014

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल संघ का एजेंडा ही आगे बढ़ा रहे हैं: भाकपा

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा.गिरीश ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नायक से सवाल किया है कि क्या वे राजभवन में बैठ कर संघ के एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहे हैं. श्री नायक की इस स्वीकारोक्ति के बाद ‘कि मैंने भाजपा से स्तीफा दिया है संघ से नहीं, कि अभी भी मैं अपने को संघ का स्वयंसेवक मानता हूं क्योंकि संघ से स्तीफा देने जैसी कोई बाध्यता नहीं है, ‘कि मैं ३५ साल से आर.एस.एस. का प्रचारक रहा हूँ,’ और राज्यपाल की तीन माह की कारगुजारियों को लेकर यह प्रश्न खड़ा होगया है कि वे राजभवन में बैठ कर भारतीय संविधान का अनुपालन कर रहे हैं या संघ के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं. भाकपा श्री नायक से स्थिति स्पष्ट करने की मांग करती है. डा.गिरीश ने कहा कि जिस संघ के श्री नायक स्वयंसेवक हैं, उसमें स्वयंसेवकों को शपथ दिलाई जाती है कि वे जहां भी रहें संघ के एजेंडे को ही आगे बढ़ायेंगे. तो उन पर संघ के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लगे आरोपों का इस महत्त्वपूर्ण संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को स्पष्टीकरण करना चाहिये. लेकिन श्री नायक स्थिति स्पष्ट करने के बजाय मामले का घालमेल करने में जुटे हैं. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि जब श्री नायक ने संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत को उनके शीर्ष परामर्श मंडल के साथ राजभवन बुला कर उनसे दो घंटे मंत्रणा की और उन्हें रात्रिभोज दिया था तब भी भाकपा ने सबसे पहले उनके इस कदम पर आपत्ति जताई थी और तर्क दिया था कि संघ जैसे अतिवादी और सांप्रदायिक संगठन के मुखिया के साथ राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा मंत्रणा करना संविधान की मर्यादाओं के विरुध्द है. भाकपा ने इस मंत्रणा के मुद्दों का खुलासा करने की मांग भी की थी. लेकिन कई दिनों बाद श्री नायक ने गोलमटोल जबाब दिया कि श्री भागवत उनके मित्र हैं और राजभवन सबके लिये खुला है. अब राज्यपाल ने अपने तीन माह के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड जारी कर फिर से राज्यपाल के पद की मर्यादाओं का उल्लंघन किया है. लगता है एक स्वयंसेवक ने अपने शीर्ष नेतृत्व को अपने कार्य की प्रगति रिपोर्ट प्रेषित की है. लेकिन उनकी यह कार्यवाहियां लोकतंत्र के लिये घातक हैं. राष्ट्रपति महोदय को इसका संज्ञान लेना चाहिये, डा.गिरीश ने मांग की है. डा.गिरीश

Thursday, October 16, 2014

महंगाई को नीचे लाने को केन्द्र और प्रदेश की सरकार को बाध्य करने हेतु भाकपा ने किया राज्य भर में प्रदर्शन

लखनऊ 16 अक्टूबर। अपने चुनाव अभियान में भाजपा ने सत्ता में आते ही महंगाई को समाप्त करने के लम्बे चौड़े वायदे किये थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद लगभग पांच महीनों में भी सरकार ने महंगाई को नीचे लाने को कोई ठोस प्रयास नहीं किये। उलटे सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने रेल किराये और माल भाड़े में भारी वृद्धि की, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में लगभग 19 फीसदी की कमी आने के बावजूद डीजल के दाम बढ़ाये जाते रहे, तथा जमाखोरों और काला बाजारियों को खुली छूट दे दी गई। यही कारण है कि आज भी महंगाई लोगों के सामने बड़ी समस्या बनी हुयी है। यही वजह है कि आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने महंगाई को कारगर रूप से नीचे लाने को सरकार को बाध्य करने को आज देश भर में धरने एवं प्रदर्शनों का आयोजन किया।
चूंकि उत्तर प्रदेश में सरकार ने हाल ही में बिजली के दामों में बड़ी वृद्धि कर और जरूरत की कई चीजों पर वैट की दरें बढ़ा कर महंगाई बढ़ाने का रास्ता खोला है, अतएव उत्तर प्रदेश में भाकपा ने प्रदेश सरकार के इन कदमों को भी आज के आन्दोलन की जद में रखा। उत्तर प्रदेश में सूखा और बाढ़ की तबाही से किसान-कामगारों को राहत दिलाने की मांग भी केंद्र और राज्य सरकार से की गई। आन्दोलन का आह्वान भाकपा की राष्ट्रीय परिषद् ने किया था तथा पार्टी की राज्य काउन्सिल ने इस आह्वान की परिपुष्टि की थी। इससे पूर्व 14 जुलाई को भी भाकपा ने उत्तर प्रदेश में बडे पैमाने पर सडकों पर उतर कर महंगाई के खिलाफ धरने प्रदर्शन किये थे।
उपर्युक्त जानकारी देते हुये भाकपा के राज्य सचिव एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डा. गिरीश ने बताया कि जिलों-जिलों में प्रदर्शनों के उपरान्त दो अलग-अलग ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे गये। पहला ज्ञापन राष्ट्रपति तो दूसरा राज्यपाल को संबोधित था।
राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में केन्द्र सरकार को महंगाई को नीचे लाने हेतु जरूरी निर्देश दिए जाने की मांग की गयी। इस हेतु जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और उनके वादा कारोबार पर रोक लगाने, हर परिवार को हर माह 35 किलो खाद्यान्न 2 रूपये प्रति किलो की दर से मुहैय्या कराने, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में आयी भारी गिरावट को देखते हुये पेट्रोल, डीजल एवं गैस की कीमतों में उल्लेखनीय कमी किये जाने तथा रेल किराया और माल भाड़े में कमी लाने जैसी मांगें की गयीं हैं।
राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन में बिजली की बढ़ी दरों को वापस लेने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को व्यापक और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने, पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट कम करने तथा सूखा और बाढ़ से प्रभावित किसानों-कामगारों के हित में ठोस कदम उठाने हेतु राज्य सरकार को निर्देश दिये जाने की मांग की गयी है।
भाकपा राज्य सचिव ने दावा किया कि आज प्रदेश भर में हर जिले में बड़ी संख्या में आक्रोशित जनता भाकपा के बैनर तले सडकों पर उतरी। एक अनुमान के अनुसार लगभग 20,000 से भी अधिक लोगों ने इन प्रदर्शनों में भाग लिया, जिनमें महिलाओं एवं युवाओं की संख्या उल्लेखनीय थी।
राजधानी लखनऊ में भाकपा कार्यालय, कैसरबाग से एक जुलूस निकाला गया जो जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुँच कर सभा में तब्दील हो गया। सभा को भाकपा राज्य सचिव मंडल की सदस्या आशा मिश्रा, जिला सहसचिव परमानंद, राज्य काउन्सिल सदस्य कान्ति मिश्रा के अलावा अशोक सेठ, राजपाल यादव, अकरम, बबिता सिंह, रामचंदर, शिव प्रकाश तिवारी एवं महेंद्र रावत आदि ने संबोधित किया। ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा गया।
बलिया में भाकपा राज्य कार्यकारिणी के सदस्य एवं जिला सचिव दीनानाथ सिंह, राज्य काउन्सिल सदस्य ओम प्रकाश कुंवर एवं विद्याधर पांडे के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर जुझारू प्रदर्शन कर आमसभा की. ज्ञापन भी सौंपा गया।
कानपुर देहात में  भाकपा के सैकड़ों कार्यकर्ता माती स्थिति जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरने पर जम गये और महंगाई के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन किया। आम सभा के बाद ज्ञापन भी सौंपा गया. सभा को राज्य कार्यकारिणी के सदस्य राजेन्द्र दत्त शुक्ल, जिला सचिव जगरूप सिंह, मोतीलाल, रंजीत सिंह सेंगर, कुसुम, रामावतार, गुरुप्रसाद सचान एवं कैप्टन आर. एस. यादव ने संबोधित किया।
मथुरा में बड़ी तादाद में भाकपा कार्यकर्ताओं ने तहसील मोड़ से लेकर कलक्ट्रेट तक विशाल जुलूस निकाला जो कलेक्ट्रेट परिसर में पहुँच आम सभा में तब्दील हो गया। सभा को भाकपा राज्य कार्यकारिणी के सदस्य गफ्फार अब्बास एडवोकेट, जिला सचिव  बाबू लाल, सह सचिव अब्दुल हमीद, अनवार फारुकी. आदि ने संबोधित किया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलायें शामिल थीं जिनमें रामकटोरी, प्रेम कुमारी, साबो, दुलारी एवं प्रेमवती शामिल थीं। जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया।
ललितपुर में भाकपा कार्यकर्ताओं ने कलक्ट्रेट प्रांगण में धरना/प्रदर्शन आयोजित किया। उपस्थित जन समूह जिसमें बड़ी संख्या में नौजवान शामिल थे, को भाकपा राज्य कार्यकारिणी के सदस्य शिरोमणि राजपूत, जमील अहमद एडवोकेट, मोटी सिंह, किशुन लाल, राजेन्द्र सिंह एवं लालता सिंह ने संबोधित किया। ज्ञापन उपजिलाधिकारी  को सौंपा गया।
हाथरस में भाकपा जिला काउन्सिल के तत्वावधान में उप जिलाधिकारी सदर के कार्यालय के समक्ष धरना दिया और आम सभा की, वहां ज्ञापन लेने को उप जिलाधिकारी के मौजूद न होने पर पार्टी कार्यकर्ता आक्रोशित हो गये और प्रशासनिक तानाशाही के विरुद्ध भीषण नारेबाजी की और ज्ञापन उप जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष चिपका दिये गये। सभा को राज्य काउन्सिल सदस्य बाबू सिंह थंबार, सहसचिव चरण सिंह बघेल, रामजी लाल तोमर, सत्य पाल रावल, द्रुग पाल सिंह, लालता प्रसाद, ओमप्रकाश, जान मोहम्मद आदि ने संबोधित किया।
जौनपुर में भाकपा एवं जनसंगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट के सामने धरना देकर आमसभा की। सभा को राज्य कार्य कारिणी के सदस्य जय प्रकाश सिंह, के.आर. गुप्ता, सुबाष गौतम, सुभाष पटेल, सत्य नारायन पटेल, जगन्नाथ शास्त्री आदि ने संबोधित किया और प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा।
बदायूं में भाकपा एवं जनसंगठनों के कई सौ कार्यकर्ताओं ने शहर के प्रमुख मार्गों पर जुलूस निकाला। कलेक्ट्रेट से शुरू हुआ यह जुलूस कलेक्ट्रेट पर लौट कर आम सभा में तब्दील हो गया। सभा को पार्टी के जिला सचिव रघुराज सिंह के अलावा मुन्ना लाल, प्रेम पाल सिंह, राम प्रकाश, पूर्व प्रधान विमला कुमारी एवं कान्ति देवी ने संबोधित किया। ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। प्रदर्शन में महिलाओं, बुद्धिजीवियों और नौजवानों की संख्या अधिक थी।
कानपूर महानगर में राम आसरे पार्क में एक धरने तथा सभा का आयोजन किया गया। सभा को ओम प्रकाश आनंद, राम प्रसाद कनौजिया, राजेन्द्र तिवारी, बी. के. अवस्थी, रघुवीर सिंह, प्रीतिपाल सिंह, हामिद हसन, श्रीमती संतोष सिंह, मुन्नी एवं शिवपति आदि ने संबोधित किया। नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा गया।
बुलंदशहर जनपद में भाकपा ने स्याना के मुख्य बाजारों में प्रदर्शन किया और उपजिलाधिकारी कार्यालय पर सभा की। सभा की अध्यक्षता बाबा सागर सिंह ने की तथा राज्य कार्यकारिणी सदस्य अजय सिंह, मुरारी सिंह, श्रीमती दिनेश लोधी, संजय गिरी, अशोक गिरी आदि ने संवोधित किया। तहसीलदार को ज्ञापन दिया गया।
जनपद जालौन के उरई मुख्यालय पर भाकपा द्वारा एक विशाल धरने का आयोजन किया गया। वहीं पर एक सभा भी आयोजित की गयी। सभा को राज्य कार्यकारिणी सदस्य कैलाश पाठक, जिला सचिव सुधीर अवस्थी, विजय पाल सिंह, प्रभु दयाल पाल, विनय पाठक, राजेन्द्र सिंह जादों, गीता चौधरी, रक्षा अवस्थी आदि ने संबोधित किया।
आजमगढ़ जनपद में भाकपा के दलालघाट स्थित जिला कार्यालय से एक विशाल जुलूस निकाला जो कलेक्ट्रेट पर पहुँच कर सभा में तब्दील हो गया। सभा को राज्य कार्यकारिणी के सदस्य एवं जिला सचिव हामिद अली, किसान सभा के राज्य अध्यक्ष इम्तियाज़ बेग, हर मंदिर पांडे, राम सूरत यादव, दुर्बली राम, रामाज्ञा यादव, अचरज राय, जय प्रकाश राय, त्रिलोकी नाथ, जितेंद हरि पांडे आदि ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता श्री कांत सिंह ने की। उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपे गये।
मैनपुरी में जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर आम सभा की गयी तथा जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। सभा को पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य व जिला सचिव रामधन, हाकिम सिंह यादव, ताले सिंह यादव,राधे श्याम मिश्रा, रोहिताश कुमार भारद्वाज, सुरेश यादव, ओम वती, निर्मला, रेशमा, चुन्नी देवी आदि ने संवोधित किया। सभा की अध्यक्षता वीरेन्द्र चौहान, कृष्ण कांत दीक्षित एवं मुन्नी देवी के अध्यक्ष मंडल ने की। संचालन राधे श्याम यादव ने किया।
सुल्तानपुर में भाकपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना दिया और आम सभा की। भाकपा जिला सचिव शारदा पाण्डेय की अध्यक्षता में संपन्न सभा को मो. नईम, रोशन लाल प्रधान, श्री पाल पासी, जिया लाल, रामदेव, लल्लू शाही, गंगाराम, मालती शर्मा, कौशल्या देवी आदि ने संबोधित किया। धरने में महिलाओं की बराबर की भागीदारी थी।
फतेहपुर में भाकपा ने जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर आम सभा की जिसमें कई सौ लोग शामिल थे। जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपे गये। सभा को भाकपा जिला सचिव राम सजीवन सिंह, राज्य काउन्सिल सदस्य फूल चंद पाल, रामचंदर, राम प्रकाश आदि ने संबोधित किया।
समाचार प्रेषित किये जाने तक अन्य जिलों से भी धरने-प्रदर्शन के आयोजन के समाचार प्राप्त हो रहे हैं।

Wednesday, October 15, 2014

राज्यपाल द्वारा आर.एस.एस. पदाधिकारियों को भोज देना संविधान विरोधी- भाकपा

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आर.एस.एस. के सरसंघ चालक श्री मोहन भागवत एवं उनके साथ अन्य वरिष्ठ प्रचारकों को राज्यपाल श्री राम नायक द्वारा विगत रात्रि दिये गये भोज और उनके साथ की गयी विशेष मन्त्रणा पर घनघोर आपत्ति व्यक्त की है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहा कि श्री राम नायक की जो भी प्रष्ठभूमि रही हो, पर अब वे एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं. भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष संविधान है और आर.एस.एस. एक अतिवादी सांप्रदायिक संगठन है. अतएव संघ के कार्यकारी मंडल के पदाधिकारियों को एक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा रात्रिभोज देना और उनसे मंत्रणा करना देश के हितों के विपरीत है. बयान में कहा गया है कि समाचार पत्रों के अनुसार संघ के प्रमुख पदाधिकारियों तथा राज्यपाल महोदय के बीच दो घंटों तक विभिन्न राजनैतिक मुद्दों पर चर्चा हुयी है. यही नहीं इस भोज में संघ के प्रमुख पदाधिकारियों के अतिरिक्त अन्य विशिष्ट जनों को भी बुलाया गया था. प्रदेश और देश की जनता को यह जानने का अधिकार है कि वे कौन से प्रमुख विषय हैं जिन पर राज्यपाल महोदय एवं श्री मोहन भागवत के बीच बातें हुयीं हैं तथा वो कौन कौन से विशिष्ट लोग हैं जो रात्रि भोज में उपस्थित थे. बयान में यह सवाल उठाया गया है कि राज्यपाल महोदय ने इन स्थितियों का संज्ञान क्यों नहीं लिया कि आर.एस.एस. ने विचारणीय मुद्दों में धर्मान्तरण, लव जेहाद, कथित घुसपैठ आदि आदि ऐसे ऐसे विन्दु रखे हैं जिनसे समाज में तनाव, विग्रह एवं सांप्रदायिक विद्वेष पैदा होता रहा है. यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में संघ के समीपस्थ नेताओं ने ऐसे-ऐसे बयानात दिये थे जिन पर इलेक्शन कमीशन तक को संज्ञान लेना पड़ा था. राज्यपाल महोदय से मिलने वाले संघ के एक पदाधिकारी पर तो अजमेर बोम्ब ब्लास्ट तथा हैदराबाद की मस्जिद में बम ब्लास्ट मामले में जांच चल रही है. डा.गिरीश ने कहा कि राज्यपाल महोदय ने सांप्रदायिक संगठन के पदाधिकारियों को रात्रिभोज देकर अपने संवैधानिक दायित्वों से इतर कार्य किया है जो अत्यन्त आपत्तिजनक है. डा. गिरीश, राज्य सचिव.

Friday, October 10, 2014

नेहरू और मोदी

भाजपाई प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी एक ओर बड़ी तेजी से अंतर्राष्ट्रीय पूंजी को रिझाने के लिए तमाम करतब लगातार कर रहे हैं तो दूसरी ओर वे कांग्रेस से गांधी-नेहरू-इंदिरा की विरासत को भी छीन लेने को व्यातुर हैं। गांधी जयंती के दिन उन्होंने अपना महत्वाकांक्षी अभियान ”स्वच्छ भारत“ बड़े प्रचार के साथ एक थाना परिसर में झाडू लगा कर शुरू किया जो इंदिरा जयंती (19 नवम्बर) तक चलेगा तो दूसरी ओर उन्होंने नेहरू जयंती (बाल दिवस 14 नवम्बर) बड़े पैमाने पर मनाने की घोषणा करके कांग्रेस को अजीबोगरीब स्थितियों में डाल दिया। उन्होंने संघ परिवार और भाजपा को भी वैचारिक संकट में डाल दिया है।
भगत सिंह, डा. बी. आर. आम्बेडकर, जवाहर लाल नेहरू, पूरन चन्द जोशी और अजय घोष आधुनिक भारत को नई राजनीतिक चेतना एवं दृष्टि से लैस करने वाले नेता रहे हैं। ये सभी वैचारिक जड़ता को तोड़ने का साहस, प्रचलित धारणाओं के खिलाफ बोलने और वक्त के आगे की सोचने वाले नेता रहे हैं। धार्मिक नेताओं में विवेकानन्द ने भी यही भूमिका अदा की थी। पूरन चन्द जोशी और अजय घोष के बारे में जानने वालों की संख्या लगातार सीमित होती गई जबकि डा. बी. आर. आम्बेडकर अभी भी दलित राजनीति का सबसे अधिक प्रचलित नाम है, बात दीगर है कि उनके विचारों और कार्यों को जानने वालों की संख्या भी सीमित हाती जा रही है। भाजपा आम्बेडकर को छू-छू कर उनसे हमेशा दूर होती रही। उसने एक बार विवेकानन्द और एक बार भगत सिंह को अपनाने की असफल कोशिशें जरूर कीं परन्तु उनके वैचारिक करन्ट को वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। उस दौर में जनता राजनीति में अधिक जागरूक थी और जनता ने भाजपा पर प्रश्नों की बौछार तेज कर दी थी कि भाजपा उनसे छिटक कर दूर खड़ी हो गयी। भाजपा गांधीवादी समाजवाद के नाम गांधी को भी अपनाने की असफल कोशिश कर चुकी है।
नेहरू अब तक भाजपा एवं संघ परिवार के लिए सबसे अधिक अछूत रहे हैं। ये लोग इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक की प्रशंसा कर चुके हैं परन्तु नेहरू हमेशा उनके निशाने पर रहे हैं। पहली बार भाजपा के किसी नेता ने नेहरू को स्वीकार करने की बात की है। ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि पिछले लोक सभा चुनाव का माहौल अपने पक्ष में बनाने के लिए संघ-भाजपा एवं मोदी सभी ने नेहरू के बरक्स सरदार पटेल को खड़ा करने की कोशिश इस तरह की थी मानो सरदार पटेल न ही कांग्रेसी थे और न ही नेहरू के सहयोगी। जनता को याद होना चाहिए कि यहां तक कहा गया था कि ”अगर नेहरू की जगह पटेल प्रधानमंत्री बनते.......“ और पटेल की लौह प्रतिमा गुजरात में स्थापित करने के लिए गांव-गांव लोहा इकट्ठा किया गया था। अभी कुछ दिनों पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक काल्पनिक स्थिति देश के सामने रखने की कोशिश की थी कि कश्मीर मामले को अगर पटेल ने संभाला होता तो इसके एक हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा न होता। कुछ दिनों से फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा एक अभियान चल रहा था कि गांधी और नेहरू अगर चाहते तो भगत सिंह को फांसी नहीं होती।
भाजपा एवं संघ के साथ समस्या यह रही है कि जब तक भारतीय राजनीति में नेहरू और अजय घोष (भाकपा के महासचिव एवं शहीद भगत सिंह के साथी) के जीवन काल में जनसंघ (भाजपा का पूर्व संस्करण) संसद में दूसरे दल के रूप में स्थापित नहीं हो पाई थी। जनसंघ अमरीका और विकसित यूरोपीय देशों के पक्ष में अपनी राजनीतिक-आर्थिक नीतियों को निरूपित करता रहा था जबकि नेहरू ने भारत के विकास के लिए और उसे स्वयं पर निर्भर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था का वैकल्पिक मॉडल पेश किया था और वे उसी रास्ते पर आगे बढ़े। नेहरू अमरीका और विकसित यूरोपीय देशों की आर्थिक दासता स्वीकार करने के बजाय उसे चुनौती पेश कर रहे थे और सोवियत संघ के सहयोग से जहां एक ओर भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे थे वहीं वैश्विक राजनीति में वे अमरीकी साम्राज्यवाद के सामने झुकने से इंकार करते हुए नासिर और टीटो के साथ मिलकर गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की आधार शिला रखने में व्यस्त थे। नेहरू का मानना था कि अगर प्रचलित धारणाओं के खिलाफ नए तथ्य सामने आने पर हमें अपनी सोच को बदल लेना चाहिए और उन्होंने भारतीय जनता में वैज्ञानिक मिजाज यानी साइंटिफिक टेम्पर विकसित करने पर जोर दिया था।  नेहरू का यही काम आस्था को मुद्दा बनाकर अपनी राजनीति करने वाली जनसंघ के साथ-साथ संघ के लिए सबसे ज्यादा कष्टकर और असहज परिस्थितियां पैदा करने वाला था। नेहरू का ही कथन था कि अफवाहें देश की सबसे बड़ी दुश्मन हैं और दक्षिणपंथी एवं कट्टरपंथी ताकते अफवाहों को अपना सबसे कारगर हथियार समझते हैं। हिटलर झूठ को कला के स्तर तक ले ही गया था और इसी रणनीति के सहारे भाजपा पिछले लोकसभा चुनावों में विजयी हुई है।
नेहरू और इंदिरा गांधी की विरासत पर राजनीति करने वाली कांग्रेस उनके आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत ज्यादा भटक चुकी है। नेहरू की आर्थिक एवं वैश्विक राजनीतिक समझ से वह बहुत ज्यादा दूर जा चुकी है। आज की उसकी नीतियां वही हैं जो भाजपा की हैं। कांग्रेस के एक पूर्व मंत्री शशि थरूर ने तो उस दौर की आर्थिक एवं राजनीतिक नीतियों को मूर्खतापूर्ण तक कह डाला था। कांग्रेस नेहरू पर अपना दावा एक तरह से छोड़ चुकी है।
आने वाले वक्त में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री मोदी नेहरू के साथ कितनी दूर तक चल पाते हैं और संघ परिवार की इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है? यह देखना और दिलचस्प होगा कि इस दौर में जनता नेहरू को लेकर भाजपा के सामने किस तरह के प्रश्न खड़ी करती है और क्या भाजपा और संघ को असहजता की उसी स्थिति तक धकेल पाती है अथवा नहीं जिस असहजता में वह विवेकानन्द और भगत सिंह को अंगीकार करने के दौर में भाजपा को खड़ी कर चुकी है।
- प्रदीप तिवारी

Thursday, October 9, 2014

महंगाई के विरुध्द भाकपा का देशव्यापी प्रदर्शन १६ अक्टूबर को.

लखनऊ- केन्द्र सरकार को पदारूढ़ हुये साढ़े चार माह बीत गये. अपने चुनाव अभियान में भी भाजपा ने सत्ता में आते ही महंगाई को समाप्त करने का वायदा किया था. लेकिन आज भी महंगाई लोगों के सामने बड़ी समस्या बनी हुयी है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी महंगाई को कारगर रूप से नीचे लाने को 16 अक्टूबर को देश भर में धरने-प्रदर्शन आयोजित करेगी. उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में बिजली के दामों में बड़ी वृध्दि कर महंगाई को बढ़ाने में आग में घी का काम किया है, अतएव भाकपा प्रदेश सरकार के इस कदम की वापसी की मांग भी करेगी. उत्तर प्रदेश में सूखा और बाढ़ की तबाही से किसान-कामगारों को राहत दिलाने की मांग भी केंद्र और राज्य सरकार से की जायेगी. उपर्युक्त जानकारी देते हुये भाकपा के राज्य सचिव एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डा.गिरीश ने बताया कि जिलों-जिलों में प्रदर्शनों के उपरान्त दो अलग अलग ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे जायेंगे. पहला ज्ञापन राष्ट्रपति तो दूसरा राज्यपाल को संबोधित होगा. राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में केन्द्र सरकार को महंगाई को नीचे लाने हेतु जरूरी निर्देश दिए जाने की मांग की जायेगी. इस हेतु जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और उनके वादा कारोबार पर रोक लगाने, हर परिवार को हर माह 35 किलो खाद्यान्न २ रु. प्रति किलो की दर से मुहैय्या कराने, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में आयी भारी गिरावट को देखते हुये पेट्रोल डीजल एवं गैस की कीमतों में उल्लेखनीय कमी की जाने तथा रेल किराया और मालभाड़े में कमी लाने जैसी मांगें की जायेंगी. राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन में बिजली की बढ़ी दरों को वापस लेने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को व्यापक और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने, पेट्रोलियम पदार्थों पर वैट कम करने तथा सूखा और बाढ़ से प्रभावित किसानों-कामगारों के हित में ठोस कदम उठाने हेतु राज्य सरकार को निर्देश दिये जाने की मांग की जायेगी. यहाँ जारी एक बयान में भाकपा राज्य सचिव ने बताया कि जिलों-जिलों में प्रदर्शनों की तैयारियां चल रही है. भाकपा कार्यकर्ता जन संपर्क में जुटे हैं तथा नुक्कड़ सभायें आदि आयोजित की जारही हैं. डा.गिरीश

Wednesday, October 1, 2014

बिजली दरों में बढ़ोतरी की भाकपा द्वारा कटु निन्दा

लखनऊ 1 अक्टूबर। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विद्युत नियामक आयोग द्वारा घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में औसत 12 प्रतिशत तथा कृषि के लिए औसत 12.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी के लिए आज दी गई अनुमति की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि एक साल पहले ही बिजली दरों में औसत 30 प्रतिशत बढ़ोतरी एक साल पहले ही की गई थी और इस बढ़ोतरी से सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं के साथ-साथ किसानों की कमर टूट जायेगी। ज्ञातव्य हो कि उद्योगों को आपूर्ति की जाने वाली बिजली की दरों में केवल 7.38 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है जबकि वाणिज्यिक कनेक्शनों पर केवल 6.28 प्रतिशत औसत बढ़ोतरी की गई है।
भाकपा के राज्य सचिव मंडल की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने उत्तर प्रदेश सरकार से मामले में हस्तक्षेप कर प्रस्तावित बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग की है। भाकपा ने कहा है कि सपा सरकार के वर्तमान कार्यकाल के दौरान बिजली की दरों में डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ोतरी की जा चुकी है। इस वृद्धि का असर लगातार बढ़ रही महंगाई पर भी पड़ेगा।
भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि सरकार शहरों को भी 12 घंटे विद्युत आपूर्ति नहीं कर पा रही है और न ही बिजली चोरी को रोकने का प्रयास कर रही है। उल्टे सामान्य उपभोक्ताओं पर लगातार असहनीय भार लादती चली जा रही है। अगर राज्य सरकार इस बढ़ोतरी को वापस नहीं लेती है तो भाकपा पूरे प्रदेश में जनता को इस बढ़ोतरी के खिलाफ लामबंद करेगी और इसके खिलाफ जनसंघर्ष आयोजित करेगी।



कार्यालय सचिव

Tuesday, September 30, 2014

भाकपा की सद्भाव के लिए मुहिम गाँधी जयंती से शुरू

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इस बात से बेहद चिंतित है कि देश और प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतें बेहद सक्रिय हैं. वे लव जेहाद, गौ रक्षा के नाम पर तथा मुस्लिम मदरसों को निशाना बनाने जैसे कई मुद्दे खड़े कर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने में जुटी हैं और तनाव पैदा कर दंगे- फसाद करा रही हैं. भाजपा और एनडीए के शासन के चार माह के कार्यकाल में छोटी- बढ़ी लगभग ८०० सांप्रदायिक वारदातें हो चुकी हैं, जिनमें मोदी का चुनाव क्षेत्र बदौदा भी शामिल है. ऊत्तर प्रदेश इन शक्तियों के खास निशाने पर है जहां कार्यरत प्रदेश सरकार कमजोर इच्छा शक्ति के चलते इन पर कारगर अंकुश नहीं लगा पा रही है. भाकपा की गत दिन यहां संपन्न राज्य काउन्सिल की बैठक में इस समस्या पर गहन चिन्तन हुआ और इस नतीजे पर पहुँचा गया कि केन्द्र में सत्तारूढ़ होने के बाद इन शक्तियों के हौसले बुलन्द हैं और संघ के अलग अलग आनुसांगिक संगठन अलग अलग तरह से विष वमन कर रहे हैं. इनकी मंशा लगातार तनाव बनाये रखने की है ताकि लोगों का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी, सुशासन और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार की विफलताओं से हठाया जासके. लेकिन एक हद तक जनता इन हथकंडों को समझ भी चुकी है और हाल में हुये उपचुनावों में उनको ठुकरा भी चुकी है. लेकिन सांप्रदायिक शक्तियां इतनी शातिर हैं कि नित नये हथकंडे खोज लेती हैं. अतएव भाकपा ने सांप्रदायिक सद्भाव के लिये निरंतर जमीनी स्तर पर काम करने का निश्चय किया है. ‘हम सदभाव के साथ साथ भूख, रोजगार और सुरक्षा के लिए भी अलख जगायेंगे’, भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है. डा. गिरीश ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत सद्भाव शांति एवं भाईचारे के मसीहा महात्मा गांधी के जन्म दिन से की जारही है. २ अक्टूबर को गाज़ियाबाद में “सांप्रदायिक सदभाव के वास्ते और महंगाई एवं उत्पीड़न के खिलाफ” एक क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया जायेगा. गाज़ियाबाद के रेलवे रोड स्थिति गुरुद्वारे में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी होंगे. मुख्य वक्ता आल इण्डिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की सचिव अमरजीत कौर होंगी जब कि विशिष्ट वक्ता के रूप में स्वयं उन्हें आमंत्रित किया गया है. सम्मेलन के संयोजक जितेन्द्र शर्मा ने सद्भाव और भाईचारे के लिये समर्पित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के महानुभावों से इस सम्मेलन में भाग लेने का अनुरोध किया है. डा. गिरीश.

Monday, September 29, 2014

भाकपा का राज्य सम्मेलन इलाहाबाद में

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का २२वां राज्य सम्मेलन आगामी २८ फरबरी से २ मार्च तक इलाहाबाद में संपन्न होगा. यह निर्णय गत सायं सम्पन्न भाकपा की राज्य काउन्सिल की बैठक में लिया गया. भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने बताया कि पार्टी की इलाहाबाद जिला कमेटी ने अपने यहाँ राज्य सम्मेलन आयोजित करने का अनुरोध किया था, जिसे राज्य काउन्सिल ने सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया. भाकपा के संविधान के अनुसार पार्टी हर तीन वर्षों के अन्तराल पर प्राथमिक शाखाओं से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सम्मेलन आयोजित करती है. राष्ट्रीय स्तर पर इसे महाधिवेशन कहा जाता है. २२वां महाधिवेशन २५ से २९ मार्च तक पुड्डुचेरी में आयोजित होना सुनिश्चित किया गया है. काउन्सिल बैठक में लिये गये निर्णयानुसार प्रदेश में सभी शाखाओं एवं मध्यवर्ती कमेटियों के सम्मेलन ३१ दिसंबर तक जबकि जिलों के सम्मेलन १५ फरबरी तक पूरे कर लिये जायेंगे. भाकपा के इन सम्मेलनों में नयी कमेटियों का चुनाव एवं ऊपर के सम्मेलनों के प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है. इसके अतिरिक्त गत तीन वर्षों के क्रिया कलापों, मौजूदा राजनीति, रणनीति एवं संगठन संबंधी रिपोर्टों पर चर्चा कर उन्हें पारित किया जाता है. इलाहाबाद में राज्य सम्मेलन आयोजित करने के लिये हरी झंडी मिलने के बाद वहां की जिला काउन्सिल इसकी तैयारियों में जुट गयी है. डा. गिरीश

Monday, September 22, 2014

शकील सिद्दीकी को अवध रत्न सम्मान

लखनऊ 16 सितम्बर। संगम सामाजिक संस्था की ओर से स्थानीय जयशंकर प्रसाद सभागार में आयोजित एक समारोह में उर्दू साहित्यकार मलिकजादा मंजूर अहमद को इम्तेयाज अहमद अशरफी अवध रत्न सम्मान, हिन्दी साहित्य लेखन, अनुवाद, सम्पादन एवं आलोचना के लिए शकील अहमद मलिक मोहम्मद जायसी अवध रत्न सम्मान व सामाजिक सेवा के लिए सिराज मेंहदी को सईद नईम अशरफ अवध रत्न सम्मान से सम्मानित किया। सम्मान के तौर पर सभी को एक प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह तथा शाल प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता विख्यात इस्लामिक शिक्षा केन्द्र नदवा के प्रधान मौलाना सईदुर्रहमान आजमी नदवी ने की। इस मौके पर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. खान मसूद अहमद भी मौजूद रहे।
समारोह का संचालन प्रो. अशरफी ने किया। सम्मानित किये जाने के पूर्व प्रो. मलिक जादा मंजूर अहमद तथा शकील सिद्दीकी के साहित्यिक योगदान की चर्चा कई विद्वानों ने करते हुए अवध की गंगा जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाने में उनके योगदान की प्रशंसा की। शकील सिद्दीकी के साहित्य और कार्यों पर चर्चा के दौरान शोषण के खिलाफ सड़कों पर उनके संघर्ष को भी याद किया गया।
कार्यक्रम में प्रो. रूपरेखा वर्मा, राकेश, जुगुल किशोर, नईम सिद्दीकी, नदीम अशरफ जायसी, डा. अनवर जलालपुरी, हिमायत जायसी, शमीम अशरफ व जुल्फिकार अली शामिल रहे।

Sunday, September 21, 2014

34 करोड़ का उपभोक्ता बाजार

तमाम देश भारत के साथ कारोबार बढ़ाना चाहते हैं। अमरीका भले आतंकवाद की समाप्ति के लिए करोड़ों डालर पाकिस्तान की सेना को देकर भारत में आतंकवादी घटनायें अंजाम दिलाता रहे परन्तु उसे भारत के इस उपभोक्ता बाजार में अपने सरमायेदारों का हित नजर आता है। इजरायल भी यही चाहता है। जापान भी यही चाहता है। तमाम विकसित यूरोपीय देश भी यही चाहते हैं और चीन भी यही चाहता है। इसीलिए ये सभी भारत के साथ कूटनीतिक रिश्ते बनाये रखना चाहते हैं। केन्द्र में नई सरकार भी इन सभी से अपने रिश्तों को मजबूत करना चाहती है और उसके परिणामों की उसे कतई चिन्ता नहीं है।
पिछले 40-50 सालों में भारत में मध्यम वर्ग का उभार हुआ है और पिछले 23-24 सालों में बाजारवाद ने इस वर्ग के दिलो-दिमाग पर कब्जा कर लिया है। यह वर्ग तमाम उपभोक्ता वस्तुओं - कार, फ्रिज, टीवी, फ्लैट, मोबाईल, कम्प्यूटर को खरीदने के लिए व्याकुल है, भले उसकी आमदनी से इन्हें न खरीदा जा सकता हो। इस वर्ग की पूरी खरीददारी ईएमआई आश्रित है। पिछले दो दशकों से भारत के बैंकिंग क्षेत्र को इस बात की चिन्ता नहीं है कि किसानों, छोटे कारोबारियों, दस्तकारों और छोटे एवं मध्यम उद्योगों को वह कर्जा मुहैया करवा रहा है कि नहीं परन्तु उसे इस बात की बहुत चिन्ता है कि बड़े व्यापारियों और सरमायेदारों को अनाप-शनाप पैसा मुहैया हो पा रहा है कि नहीं। तो फिर मात्र 31 करोड़ की आबादी वाले अमरीका, 13 करोड़ की आबादी वाले जापान, 8 करोड़ की आबादी वाले जर्मनी, 82 लाख की आबादी वाले इजरायल के साथ-साथ तमाम अन्य विकसित पश्चिमी देशों को इतना बड़ा उपभोक्ता बाजार और कहां मिलेगा?
इसीलिए एक बड़ी भूखी, निरक्षर, कुपोषण और रक्ताल्पता का शिकार आबादी वाले देश भारत से तमाम देश अपने सरमायेदारों के हितों को साधने के लिए व्यापारिक सम्बंध बनाने को तत्पर हैं। नए प्रधानमंत्री जापान हो आये हैं और चीन के राष्ट्रपति बरास्ते गुजरात भारत दर्शन को आ चुके हैं। प्रधानमंत्री की कई देशों की यात्रा की तैयारियां चल रहीं हैं तो कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों में भारत आने की होड़ मच गयी है।
हमारे पास उनको बेचने को क्या है? अमरीका और चीन जैसे देशों के पास भी लौह अयस्क का अपार भंडार है। परन्तु वे अपने खनिज श्रोतों का उपभोग करने के बजाय यहां से लौह अयस्क और कोयला आदि खरीदते हैं। क्यों? क्योंकि इनके भंडार सीमित हैं। जब पूरी दुनिया के खनिज भंडार समाप्त हो जायेंगे, तब वे इसका उपभोग करेंगे। दूसरी ओर हमारी सरकारें कच्चा माल बेचने के लिए व्याकुल हैं। लौह अयस्क 46 रूपये टन, फाईन 3160 रूपये टन और कोयला 500 से 700 रूपये टन बेचते हैं और उसके बाद परिष्कृत इस्पात को 34 हजार रूपये टन के हिसाब से खरीदते हैं। नई सरकार की नीतियां क्या हैं - सार्वजनिक क्षेत्र में चलने वाले खाद कारखानों का भट्ठा बैठा दो, सेल की कब्र खोद दो और विदेशी पूंजी को यही माल बनाने के लिए पलक पांवड़े बिछा दो। 
अमरीका के बौद्धिक कामों के लिए अपने बुद्धिजीवियों (बुद्धिजीवियों से यहां आशय अपनी बुद्धि बेचकर भेट भरने वालों से है) को भेजने वाले तथा विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में शामिल हमारे देश को अपने एक पुरातन शहर वाराणसी को स्मार्ट बनाने के लिए दूसरों का मुंह ताकते हुए शर्म क्यों नहीं आती। मोदी जी दावा कर रहे हैं कि उन्होंने विदेशी सरमाये के लिए हिन्दुस्तान में रेड टेप हटा कर रेड कारपेट बिछा दी है। उनके कहने का मतलब पर गौर करना जरूरी है। उन्होंने हिन्दुस्तान के नियम, कायदे, कानून, विस्थापन, पर्यावरण तथा अपने देश की बहुसंख्यक आबादी के हितों - सभी को विदेशी सरमाये पर कुर्बान कर देने की तैयारी कर ली है।
हमें इस बात पर गौर करना होगा कि आज की तारीख में जब कोई विदेशी सरमायेदार उद्योग लगाता है तो विस्थापन और बेरोजगारी का शिकार कितने होते हैं, ठेका मजदूरी के नाम पर कितने मजदूरों का लहू पीने का हम अवसर मुहैया करा रहे हैं और उस उद्योग में कितने लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। सोवियत संघ की मदद से सार्वजनिक क्षेत्र में 4 मिलियन टन का इस्पात कारखाना जब बोकारों में लगा था तो 52000 लोगों को रोजगार मिला था। लेकिन यही उद्योग अगर विदेशी पूंजी लगाती है तो 3000 लोगों को भी रोजगार मुहैया हो जाये तो बहुत होगा। और इसमें अधिसंख्यक रोजगार असंगठित क्षेत्र में मिलेगा या फिर ठेका मजदूरी के जरिये।
पूरी मजदूरी मांगने का खामियाजा मारूति उद्योग के मजदूरों को क्या मिला था, यह हमें याद रखना चाहिए। सरकार तो सरमायेदारों का लठैत बनने के लिए व्याकुल है।
‘ट्रिकल डाउन’ सिद्धान्त (जिसने यह समझाने का प्रयास किया था कि जब पूंजीपति पर्याप्त मुनाफा कमा लेंगे तो पैसा टपक-टपक कर मजदूरों की जेबों में आने लगेगा) हमें आज भी याद होना चाहिए। आज तक तो ऐसा हो नहीं सका। सरमायेदारों का सरमाया तो हजारों गुना बढ़ चुका है लेकिन उनके पास से पैसा मजदूरों की जेब में गिरना तो आज तक शुरू नहीं हो सका।
कमजोर वामपंथ के दौर में यह सब होना ही है। अपनी बर्बादी की राह पर देश चल चुका है। जनता को सरकार के हर कदम और उसके हर संदेश के निहितार्थ लगातार समझते रहना होगा।
- प्रदीप तिवारी

Tuesday, September 16, 2014

मतदाताओं ने सांप्रदायिकता को पूरी तरह नकारा - भाकपा

मतदाताओं ने सांप्रदायिकता को पूरी तरह नकारा : भाकपा लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने देश और उत्तर प्रदेश में हुये लोकसभा उपचुनावों के परिणामों पर संतोष व्यक्त किया है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहा कि हाल में हुए लोकसभा चुनावों में सांप्रदायिकता के ऊपर विकास का चोगा पहना कर भाजपा ने भारी बहुमत हासिल कर लिया था. लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा अपने असली रूप में सामने आगयी और सांप्रदायिकता के नंगे नाच में लिप्त होगयी. जनता ने भाजपा की सांप्रदायिक नीतियों को पूरी तरह नकार दिया है. भाकपा जनता के इस फैसले को बेहद सकारात्मक मानती है और उसे बधाई देती है. डा. गिरीश ने कहा कि भाकपा ने भी चार विधानसभा सीटों पर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा था लेकिन ध्रुवीकरण, धनाभाव एवं सांगठनिक कमजोरियों के चलते उसे अपेक्षित मत नहीं मिल सके. भाकपा महसूस करती है कि चुनावी सफलता के लिये उसे नये सिरे से प्रयास करने होंगे और चुनाव प्रणाली में सुधार खासकर चुनाव की समानुपातिक प्रणाली के पक्ष में अभियान चलाना होगा. आगामी दिनों में भाकपा इन मुद्दों पर गहन चर्चा करेगी. जिन मतदाताओं ने भाकपा के पक्ष में मतदान किया अथवा चुनाव अभियान के दौर में उसके प्रति सहानुभूति जताई, भाकपा उन्हें हार्दिक धन्यवाद देती है. डा.गिरीश

Thursday, September 11, 2014

पी.पी.एच.ने लखनऊ में पुस्तक बिक्री केन्द्र खोला.

लखनऊ- वैज्ञानिक समाजवाद, इतिहास, संस्कृति, विज्ञान एवं बालोपयोगी अनूठी पुस्तकों के बिक्री केन्द्र का शुभारम्भ आज यहां २२,कैसरबाग स्थित परिसर में होगया. प्युपिल्स पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली के सौजन्य से प्रारंभ पुस्तक केन्द्र का उद्घाटन प्रख्यात लेखक-समालोचक एवं प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र यादव ने किया. अपने उद्बोधन में श्री यादव ने कहा कि चेतना बुक डिपो के बंद होने के बाद से इस तरह की पुस्तकों के केन्द्र की कमी बेहद अखर रही थी. अब ज्ञान के पिपासु और सामाजिक चेतना के वाहकों को प्रगतिशील साहित्य की खरीद के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. उन्होंने पुस्तक केन्द्र खोलने के लिये पी.पी.एच. एवं स्थानीय संचालकों को बधाई दी. वरिष्ठ रंग कर्मी और भारतीय जन नाट्य संघ के प्रदेश महासचिव राकेश ने कहाकि २२, केसरबाग परिसर विविध साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र रहा है. अब सामाजिक आर्थिक बदलाव की चेतना जाग्रत करने वाला साहित्य भी यहाँ मिल सकेगा, यह पाठकों के लिए ख़ुशी की बात है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश सचिव डा.गिरीश ने कहा कि ज्ञान की ताकत हर ताकत से बढ़ी होती है, लेकिन सवाल यह है कि ज्ञान का आधार वैज्ञानिक है या पुरातनपंथी. वह सामाजिक परिवर्तन- व्यवस्था परिवर्तन के लिए स्तेमाल होरहा है अथवा लूट और दमन के चक्र को बनाये रखने के लिये. यहां उपलब्ध पुस्तकों से शोषण से मुक्त व्यवस्था निर्माण का मार्ग प्रशस्त होता है. इस अवसर पर भाकपा के राज्य सहसचिव अरविन्दराज स्वरूप, उत्तर प्रदेश ट्रेड यूनियन कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सदरुद्दीन राना, उत्तर प्रदेश महिला फेडरेशन की महासचिव आशा मिश्रा, उत्तर प्रदेश किसान सभा के महासचिव रामप्रताप त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के महासचिव फूलचंद यादव, भाकपा के जिला सचिव मो. खालिक आदि अनेक गणमान्य अतिथि मौजूद थे जिन्होंने अपनी शुभकामनायें व्यक्त कीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ भाकपा नेता अशोक मिश्रा ने की. पुस्तक केन्द्र के संचालक रामगोपाल शर्मा ने बताया कि केन्द्र प्रतिदिन प्रातः १० बजे से सायं ७ब्जे तक खुला रहेगा. डा. गिरीश

Tuesday, September 9, 2014

का. सुरेन्द्र राम के निधन से भाकपा को हुयी भारी क्षति.

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष एवं भारतीय खेत मजदूर यूनियन के राष्ट्रीय सचिव का.सुरेन्द्र राम का आज निधन होगया. वे ५७ वर्ष के थे गाजीपुर जनपद के ग्राम- लहुरापुर के एक गरीब दलित परिवार में जन्मे का.सुरेन्द्र राम छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थे. उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए.तथा एल.एल.बी. की डिग्रियां हासिल कीं. अपनी शिक्षा के दौरान वहीं वे आल इण्डिया स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल होगये और उसके अगुआ नेताओं में रहे. उसी दरम्यान वे भाकपा में सक्रिय हुये और उसकी गाजीपुर जनपद काउन्सिल के लगभग दस वर्षों तक सचिव रहे. वे गाजीपुर जिला पंचायत के सदस्य भी निर्वाचित हुये. पिछले २० वर्ष से वे खेतिहर मजदूरों को संगठित करने में जुटे थे. वे निरंतर मार्क्सवाद, लेनिनवाद एवं डा. अम्बेडकर के सिध्दान्तों का अध्ययन करते रहे और उनसे प्रेरणा ग्रहण कर दलितों शोषितों एवं वंचितों के हित में संघर्ष करते रहे. अभी हाल में उन्हें गम्भीर मस्तिष्क एवं ह्रदय आघात लगा और पहले मऊ, वाराणसी और अब लखनऊ के पी.जी.आई में उन्हें भरती कराया गया. लेकिन उनकी हालात में सुधार नहीं हुआ और चिकित्सको की सलाह पर उन्हें गत रात ही उनके पैतृक निवास ले जाया गया जहां आज सुबह ही उन्होंने अंतिम श्वांस ली. उनका अंतिम संस्कार आज गाजीपुर में गंगा के तट पर किया गया जहां बड़ी संख्या में राजनैतिक एवं सामाजिक हस्तियां मौजूद थीं. संकट की इस घड़ी में भाकपा एवं खेत मजदूर यूनियन का नेतृत्व हर स्तर पर उनके साथ खड़ा रहा. आज जैसे ही उनके निधन का समाचार भाकपा के राज्य कार्यालय पर मिला, वहां शोक का माहौल पैदा होगया. उनके सम्मान में पार्टी का झंडा झुका दिया गया. राज्य कार्यालय पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया. भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने का. सुरेन्द्र के निधन को शोषित-पीड़ितों के आन्दोलन एवं भाकपा तथा खेत मजदूर यूनियन की अपूरणीय क्षति बताते हुये उन्हें इंकलाबी श्रध्दांजली अर्पित की. उन्होंने शोक-संतप्त परिवार को पार्टी की गहन संवेदनायें प्रेषित कीं. अंत में मौन रख कर उनके कार्यकलापों को याद किया गया. शोकसभा की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश किसान सभा के सचिव का.रामप्रताप त्रिपाठी ने की. भाकपा राज्य सह सचिव अरविन्दराज स्वरूप, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के सचिव फूलचंद यादव, भाकपा जालौन के जिला सचिव सुधीर अवस्थी, रामगोपाल शर्मा शमशेर बहादुर सिंह एवं राममूर्ति मिश्रा आदि ने भी श्रध्दा सुमन अर्पित किये. डा.गिरीश, राज्य सचिव

Monday, September 8, 2014

गन्ना मूल्य बढ़ाने और बकायों के भुगतान को भाकपा ने आवाज उठाई.

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य रु.३५०.०० प्रति कुंतल निर्धारित किये जाने तथा चीनी मिलों पर गन्ने के बकाये का भुगतान तत्काल कराने की मांग की है. भाकपा ने निजी चीनी मिलों द्वारा चीनी मिलें न चलाने की धमकी को आपत्तिजनक करार देते हुए उन पर कड़ी कार्यवाही किये जाने की मांग की है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि कृषि की लागत बढ जाने और सूखे के चलते किसानों को गन्ने की कीमत कम से कम रु.३५० प्रति कुंतल मिलना ही चाहिये. राज्य सरकार को जल्द से जल्द इसकी घोषणा करनी चाहिये. साथ ही चीनी मिलों पर गन्ने के बकायों का तत्काल भुगतान कराने को ठोस कदम उठाये जाने चाहिये. यदि निजी चीनी मिलें मिल न चलाने की धमकियाँ देती हैं तो राज्य सरकार को इनका अधिग्रहण कर स्वयं चलाना चाहिये और केंद्र सरकार को इस मद में राज्य को आर्थिक सहायता मुहय्या करानी चाहिये. भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि उपर्युक्त मामले में शीघ्र समुचित कार्यवाही न की गयी तो भाकपा आंदोलनात्मक कदम भी उठा सकती है. डा. गिरीश

Sunday, September 7, 2014

भाजपा विभाजन की राजनीति पर ही जिन्दा है- भाकपा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उत्तर प्रदेश राज्य सचिव मंडल ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि शाह के बयान से स्पष्टतः साबित होगया है कि विकास का भाजपा का नारा ढकोसला मात्र है, और सत्ता हथियाने को वह सांप्रदायिकता को ही कारगर और सबसे अब्बल औजार समझती है. श्री शाह के बयान कि “यदि उत्तर प्रदेश में तनाव बना रहा तभी भाजपा की सरकार बनेगी” की कड़े से कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हुये भाकपा, उ. प्र. के सचिव डा.गिरीश ने कहा कि भाजपा एक साम्राज्यवादपरस्त और पूंजीवादपरस्त पार्टी है और इन्हीं तबकों के हितसाधन में जुटी रहती है. इन्ही वर्गों के हितों को पूरा करने को वह सत्ता हासिल करना चाहती है. सत्ता हासिल करने को भले ही वह विकास का राग अलापे उसका मुख्य औजार सांप्रदायिक विभाजन है. इसी उद्देश्य से उसने उत्तर प्रदेश में होरहे उपचुनावों में एक घनघोर सांप्रदायिक चेहरे- योगी आदित्यनाथ को आगे बढ़ाया. अब अमितशाह के बयान से उसके कुत्सित इरादे पूरी तरह सामने आगये हैं. डा. गिरीश ने इस बात पर गहरा आश्चर्य जताया कि इस तरह की बयानबाजियों अथवा कारगुजारियों का न तो निर्वाचन आयोग संज्ञान लेरहा है न राज्य सरकार. भाकपा की स्पष्ट राय है कि उत्तर प्रदेश सरकार को योगी और शाह के खिलाफ माकूल धाराओं में केस दर्ज कर उन्हें जेल के सींखचों के पीछे भेजना चाहिये. सर्वोच्च न्यायालय ने भी सांप्रदायिकता भडकाने के प्रयासों पर तीखी टिप्पणी करते हुये सांप्रदायिकता को संविधान की मूल आत्मा के विरुध्द बताते हुए इसे फ़ैलाने बढ़ाने वालों को कड़ी फटकार लगाई है. निर्वाचन आयोग को भी इसका संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्यवाही करनी चाहिये. डा.गिरीश

Tuesday, September 2, 2014

सूखा.

सूखा पीड़ित जिलों में राहत के त्वरित कदम उठाने और ललितपुर को भी सूखाग्रस्त घोषित किये जाने को भाकपा ने आवाज उठाई. लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य सरकार से मांग कि है कि वह सूखाग्रस्त इलाकों में राहत के कदम फ़ौरन उठायें. भाकपा ने ललितपुर जनपद को भी सूखाग्रस्त जनपद घोषित किये जाने कि मांग कि है. यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहाकि राज्य सरकार ने सूखे से प्रभावित जिलों को चिन्हित करने में पहले ही देरी कर दी है. ललितपुर जिला भी सूखे से पूरी तरह प्रभावित है मगर उसे सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया है. भाकपा मांग करती है कि राज्य सरकार इस मामले में फौरन ठोस कदम उठाये ताकि राज्य कि खेती किसानी को और अधिक बर्बाद होने से बचाया जासके. डा.गिरीश.

Saturday, August 30, 2014

उत्तर प्रदेश विधान सभा के उपचुनावों में प्रदेश के मतदाताओं से अपील

आपसी मेल-मिलाप बढ़ाने! महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी पर लगाम लगाने! महिलाओं, कमजोर वर्गों पर अत्याचार रोके जाने तथा अपने विधान सभा क्षेत्र एवं जनपद के समग्र विकास के लिये! हंसिया-बाली के चुनाव निशान के सामने वाला बटन दबायें! भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों को सफल बनायें! उत्तर प्रदेश के मतदाता भाइयो और बहिनो! अभी हाल ही में हुये लोकसभा के चुनावों में आप सभी ने बड़ी ही उम्मीद और आशा के साथ एक पार्टी को भारी बहुमत देकर केन्द्र की गद्दी पर पहुंचाया था. लेकिन इस सरकार को काम करते हुये अभी सौ दिन भी नहीं हुये हैं और इस सरकार से सभी को गहरी निराशा हाथ लगी है. हमारी सीमाओं के पार से तड़-तड़ गोलियां चल रही हैं और सीमाओं के रक्षक हमारे जवान लगातार शहीद होरहे हैं. सत्ता में आने के बाद इस सरकार ने पिछली केन्द्र सरकार की नीतियों को और भी जोर-शोर से लागू किया है और डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस, रेल किराया और मालभाड़े की दरों में भारी बढ़ोत्तरी की है. इससे हर चीज की कीमतें आसमान छूरही हैं और महंगाई की मार से जनता त्राहि-त्राहि कर रही है. भ्रष्टाचार के खिलाफ बड-चड़ कर बातें करने वालों की यह सरकार अपने थोड़े समय के कार्य काल में ही तमाम आरोपों में घिरती जारही है. केन्द्र सरकार के पहले बजट ने ही विकास के इसके दाबों की कलई खोल कर रख दी. बेरोजगार नौजवानों, छात्रों, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, दस्तकारों, दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों सभी को इसने निराश किया है. जनता ने भाजपा को इस आशा से वोट दिये थे कि उनके अच्छे दिन आयेंगे, लेकिन आगये बेहद बुरे दिन. यह पार्टी और इसकी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों और कार्पोरेट घरानों के हित में काम कर रही है और आम जनता को तवाह कर रही है. इससे केन्द्र सरकार के प्रति जनता में गुस्सा पैदा होरहा है. जिसका प्रमाण है हाल ही में उत्तराखण्ड, बिहार, कर्नाटक, पंजाब, मध्य प्रदेश के उपचुनाव जहां भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. अब तो भाजपा की अंतर्कलह भी खुलकर सामने आगयी है. इस सबसे जनता का ध्यान बंटाने और उसे आपस में लड़ाने को भाजपा द्वारा तरह तरह के हथकंडे अपनाये जारहे हैं. सांप्रदायिकता को खास औजार बनाया जारहा है. उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी आम जनता को हर मोर्चे पर निराश किया है. हर तरह के अपराध बड रहे हैं. महिलाओं और यहां तक कि अबोध बालिकाओं के साथ दुराचार और उसके बाद उनकी हत्या आम बात होगयी है. हत्या, लूट, राहजनी आदि हर तरह के अपराध बड रहे हैं. सांप्रदायिक दंगों को काबू करने में सरकार की हीला हवाली साफ दिखाई देरही है. एक तिहाई उत्तर प्रदेश को बाढ़ ने तो शेष को भयंकर सूखे ने तवाह कर दिया है. सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. पीड़ित किसानों ने आत्म हत्याएं करना शुरू कर दीं हैं. अभूतपूर्व बिजली संकट से हर कोई परेशान है. किसानों का चीनी मिलों पर करोड़ों रुपया बकाया है जिसे अदा नहीं कराया जारहा. डीजल आदि खेती के लिये जरूरी चीजों पर राज्य सरकार ने टैक्स बढ़ा दिया है. राशन प्रणाली में लूट मची है. बेरोजगारी से निपटने को कारगर कदम नहीं उठाये जारहे, शिक्षा को व्यापार बना डाला है. शिक्षा बेहद महंगी है अतएव आम बच्चे शिक्षा नहीं लेपारहे. बेकारी भत्ता और लैपटाप आदि भी देना बंद कर दिया गया है. इलाज भी आज बहुत ही महंगा होगया है. सडकों का बुरा हाल है. भ्रष्टाचार ने सभी को तवाह किया हुआ है और गुंडे अपराधी माफिया दलाल सभी खुशहाल हैं. केंद्र और राज्य सरकार को अपने इन कदमों को पीछे खींचने को मजबूर करना होगा. इसके लिये संसद और विधान सभा के भीतर और बाहर संघर्ष करना होगा. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आजादी की लड़ाई से लेकर आज तक किसानों, कामगारों और आम जनता के हित में लगातार आवाज उठाई. है. हमें गर्व है कि हम पर आजतक भ्रष्टाचार का कोई भी आरोप नहीं लगा. सांप्रदायिकता और जातिवाद जैसी बुराइयों से हम कोसों दूर हैं. महंगाई भ्रष्टाचार बेकारी और अशिक्षा को दूर करने को हम जुझारू आन्दोलन करते रहे हैं. जातिगत लैंगिक समानता और आपसी भाईचारे के लिये हम हमेशा प्रतिबद्ध रहे हैं. हमारी समझ है कि देश और समाज की आज की समस्यायों का निदान मौजूदा पूंजीवादी व्यवस्था में संभव नहीं है. आजादी को आये ६७ वर्ष बीत गये और हमारी समस्यायें जस की तस बनी हुयी हैं. इन समस्यायों का समाधान केवल समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी समाजवादी समाज का निर्माण करने को प्रतिबध्द है. लेकिन ये चुनाव मध्यावधि चुनाव है. केन्द्र अथवा राज्य सरकार बनाने के लिये नहीं. अतएव इन चुनावों में आप भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों को अवश्य ही मौका दे सकते हैं. यदि आपके क्षेत्र से भाकपा प्रत्याशी विजयी होगा तो आपकी समस्याओं के समाधान तथा क्षेत्र के विकास के लिये निश्चय ही वह औरों से अधिक जोरदारी से आवाज बुलंद करेगा. वह हर वक्त आपकी सेवा और सहयोग के लिये आपके बीच रहेगा. अपनी सीमित ताकत और सीमित साधनों के चलते प्रदेश में भाकपा ने केवल चार स्थानों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. वे हैं – नोएडा से प्रोफेसर सदासिव चामर्थी, सिराथू से शिवसिंह यादव, हमीरपुर से श्यामबाबू तिवारी तथा लखनऊ पूर्व से राजपाल यादव. अतएव आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि आप १३ सितंबर को होने जा रहे विधानसभा के उपचुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह हंसिया और बाल के सामने वाला बटन दबा कर भारी बहुमत से सफल बनायें तथा भाकपा प्रत्याशियों एवं भाकपा उत्तर प्रदेश इकाई की तन मन धन से मदद करें. निवेदक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, उत्तर प्रदेश राज्य काउन्सिल २२, कैसरबाग, लखनऊ

Wednesday, August 27, 2014

उत्तर प्रदेश विधान सभा उपचुनाव - भाकपा ने चार स्थानों पर प्रत्याशी उतारे.

लखनऊ- १३ सितंबर को होने जारहे उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपचुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने चार प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. नोएडा से प्रोफेसर सदासिव चामर्थी, सिराथू से शिवसिंह यादव, हमीरपुर से श्यामबाबू तिवारी उर्फ़ श्यामजी तथा लखनऊ पूर्व से राजपाल यादव भाकपा के प्रत्याशी होंगे. उपर्युक्त जानकारी यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने दी. डा.गिरीश ने सभी वामपंथी दलों, शक्तियों, कर्मचारियों, मजदूरों, किसानों, बुध्दिजीवियों, व्यापारियों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों तथा शांति और विकास चाहने वाले सभी नागरिकों से अपील की है कि वे भाकपा प्रत्याशियों को अपना समर्थन और मत प्रदान करें. डा.गिरीश

संगीत सोम की 'जेड' सुरक्षा वापस ली जाये - भाकपा

लखनऊ- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने केंद्र सरकार द्वारा मुज़फ्फरनगर की सांप्रदायिक हिंसा के लिये कुख्यात भाजपा के विधायक संगीत सोम को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा दिये जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है. भाकपा ने इस फैसले को तत्काल रद्द करने की मांग की है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा.गिरीश ने कहाकि सांप्रदायिक हिंसा के दोषी को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा देना सांप्रदायिक हिंसा की राजनीति पर मुहर लगाना है. केन्द्र सरकार के इस कदम से यह साबित होगया है कि भाजपा सत्ता में पहुंच कर भी सांप्रदायिकता की नाव पर ही सवार रहना चाहती है, विकास की उसकी गाथा दिखावा मात्र है. केन्द्र सरकार के इस कदम से हिंसक और उपद्रवी तत्वों का मनोबल बढ़ेगा और हिंसा की मार झेल रहे लोगों का मनोबल गिरेगा. डा.गिरीश ने कहाकि प्रधानमन्त्री एक तरफ लाल किले की प्राचीर से दिये अपने भाषण में सांप्रदायिकता को रोके जाने की बात करते हैं वहीं उनकी सरकार और पार्टी सांप्रदायिकता फैलाने और हिंसा भड़काने का कोई मौका नहीं छोड़ती. समय की मांग है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ दल सांप्रदायिक नीतियों और कारगुजारियों का परित्याग करे और जनता की खुशहाली और उसके विकास के एजेंडे पर काम करे. डा.गिरीश

Tuesday, August 12, 2014

शिक्षा का राष्ट्रीयकरण करो - एआईएसएफ

लखनऊ 12 अगस्त। ”शिक्षा के बाजारीकरण के फलस्वरूप शिक्षा नितान्त महंगी हो गई और उसके स्तर में भारी गिरावट आई है। शिक्षा व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है और वे परचून की दुकान बन गये हैं। शिक्षा आम विद्यार्थी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। गरीब छात्र अपने टैलेन्ट के अनुसार शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं और उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं। अतएव आज शिक्षा को गरीब और आम छात्रों के लिए सुलभ बनाने के लिए और उसको रोजगार परक बनाने के लिए शिक्षा का राष्ट्रीयकरण किया जाना जरूरी है।“ यह निष्कर्ष था आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) द्वारा अपने 78वें स्थापना दिवस पर ”शिक्षा का बाजारीकरण और आज का छात्र“ विषय पर आयोजित विचारगोष्ठी का। विचारगोष्ठी का आयोजन एआईएसएफ की लखनऊ इकाई ने किया था।
विचार गोष्ठी में विद्यार्थियों ने शिक्षा पर जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च करने, निजी शिक्षण संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण करने, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने बच्चों को सरकारी एवं अनुदानित स्कूलों में ही पढ़ाने का कानून बनाने जिससे इन विद्यालयों में शिक्षण का स्तर ऊंचा उठ सके, अनुसूचित जातियों-जनजातियों की तरह ही पिछड़ी जातियों एवं अल्पसंख्यक तबकों के विद्यार्थियों से भी दाखिलों के वक्त फीस न वसूल किये जाने, और अब तक ली जा चुकी फीस का रिफंड तत्काल करने तथा सिविल सर्विसेज परीक्षा में सीसैट समाप्त करने की मांगे भी उठाई गयीं।
विचार गोष्ठी में अपने विचार प्रकट करते हुए भाकपा राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि आज शिक्षा के निजीकरण के परिणामस्वरूप वह बेहद महंगी हो गई है और उसमें व्याप्त भारी भ्रष्टाचार के चलते उसकी गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है, जिसका सीधा खामियाजा गरीब और आम समाज से आये हुए विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। भूमंडलीकरण की नीतियों ने शिक्षा को सामाजिक लूट के औजार के रूप में विकसित किया है जिसमें संपन्न तबकों के लोग उच्च एवं महंगे शिक्षण संस्थानों में शिक्षा हासिल कर अपनी धन की हविश को पूरा करने का औजार बनाये हुए हैं। आज शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है ताकि वह गरीब और सामान्य तबकों को समाज में उनका हक दिलाने का औजार बन सके। एआईएसएफ को अपनी कार्यवाहियां इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए संगठित करनी चाहिए।
इस अवसर पर बैंक कर्मियों के नेता प्रदीप तिवारी ने कहा कि एआईएसएफ का जन्म स्वतंत्रता संग्राम के गर्भ से हुआ था लेकिन बाद में तमाम राजनीतिक दलों ने अपने-अपने दलों के छात्र संगठन गठित कर लिये और इस तरह निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पूरे छात्र आन्दोलन को विघटित कर दिया। भूमंडलीकरण के दौर में शिक्षा संस्थानों में छात्र राजनीति में अराजकता और राज नेताओं की दलाली इन्हीं राजनैतिक ताकतों के द्वारा पैदा की गई। इस कारण उत्तर प्रदेश में छात्र आन्दोलन से छात्रों का मोह भंग सा हो गया। छात्र आन्दोलन की अनुपस्थिति में शिक्षा का बाजारीकरण सभी सरकारों के लिए आसान हो गया और हालात बद से बदतर हो गये।
विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए प्रो. अहमद अब्बास ने छात्रों का आह्वान किया कि वे अपने साथ हो रही तमाम नाइंसाफियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करें और इसे व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष से जोड़े। विचार गोष्ठी में विचार व्यक्त करने वाले अन्य वक्ता थे - डा. ए.के.सेठ, डा. बी.जी. वर्मा और मधुराम मधुकर।
गोष्ठी का संचालन एआईएसएफ की लखनऊ इकाई के संयोजक अमरेश चौधरी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक ओंकार नाथ पाण्डेय ने किया। गोष्ठी में विषय पर हुई चर्चा में कु. उजरा अजीम, निकेतन सिंह, सुरेन्द्र यादव, संजय मोहन श्रीवास्तव, कुशेन्द्र सिंह, कु. सुधा पाल, दीपक शर्मा, कु. शालू मौर्या, दुर्गेश, कु. शिवानी मौर्या, मेराज अख्तर, शोभम प्रजापति, निर्मल गौतम, विकास चन्द्राकर और आदित्य मौर्या ने भाग लिया।
गोष्ठी के बाद एआईएसएफ कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा लैपटॉप, टैबलेट और कन्या विद्या धन दिये जाने के वायदों को याद दिलाते हुए पोस्ट कार्ड पर मांगें दर्ज कर मुख्यमंत्री को भेजने के अभियान का शुभारम्भ किया।

Monday, July 28, 2014

अलीगढ़ के दलितों की सामूहिक हत्या पर भाकपा ने रोष जताया: पीड़ितों से मिल ढाढस बंधाया . जांच रिपोर्ट जारी की.

लखनऊ 28, जुलाई – भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक प्रतिनिधि मंडल ने राज्य सचिव डा. गिरीश के नेत्रत्व में अलीगढ़ जनपद के लोधा थानान्तर्गत वीरमपुर गांव का दौरा किया जहां गत दिनों दलितों की जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश में जुटे दबंगों ने तीन दलितों की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी और एक अन्य को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के जिला सचिव सुहेव शेरवानी, सहसचिव रामबाबू गुप्ता, पूर्व सचिव एहतेशाम बेग, आर.के. महेश्वरी, रनवीर सिंह अरुण कुमार सोलंकी राजकिशोर एवं हरिश्चंद्र लोधी शामिल थे. दौरे के बाद यहाँ जारी एक रिपोर्ट में डा. गिरीश ने कहा कि गांव के जाटव जाति के परिवार को आबंटन में मिली जमीन पर कब्ज़ा करने की नीयत से दबंग सवर्ण परिवार उन्हें वर्षों से प्रताड़ित कर रहा था. इस बीच सरकारें बदलती रहीं मगर पुलिस-प्रशासन पीड़ित पक्ष को ही प्रताड़ित करता रहा. घटना वाले दिन जब ये दलित घर पर आकर दोपहर का खाना खारहे थे लगभग आठ-दस दबंग लोग गंडासे, फरसे तथा दूसरे हथियारों से लैस होकर उनके घर पर चढ़ आये और उनको घसीटते- पीटते खेतों पर लेगए. एक दलित महिला और दो पुरुषों की मौके पर ही मौत होगयी जबकि चौथे घायल का अलीगढ विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज में इलाज चल रहा है. मृतकों में से एक कैलाश की पत्नी ने बताया कि वह दौड़ कर पूरे गांव से मदद की गुहार लगाती रही मगर कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. गांव की एक बुजुर्ग महिला ने उसे मोबाइल फोन उपलब्ध कराया जिससे उसने 100 नम्बर डायल कर पुलिस को इत्तला दी लेकिन तब तक कातिल खूनी खेल खेल चुके थे. यहां तक कि शवों को जमीन में दबा देने के उद्देश्य से गड्ढे तक खोद चुके थे. घर की बुजुर्ग महिला ने बताया कि जमीन विवाद को सुलझाने को लेकर उसने तहसील से थाने तक बार बार गुहार लगाई मगर हर स्तर पर उसीके परिवार को यातना दी गयी और दबंगों को हर तरह से मदद पहुंचाई गयी. आज भी दबंगों की ओर से लगातार धमकियां मिल रही हैं. अभी तक दो आरोपियों के अलाबा कोई कातिल पकड़ा नहीं गया है. वे गांव के एक सिरे पर स्थिति झोंपड़ों में अपने को बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उनकी पीड़ा यह है कि कुछ दिनों बाद जब गांव से पुलिस पिकेट हठ जायेगी तो परिवार की सुरक्षा का क्या होगा? भाकपा ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में शासन प्रशासन दबंगों, अपराधियों और सांप्रदायिक तत्वों के हाथ की कठपुतली बन कर रह गया है और यह तत्व दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों एवं अन्य कमजोरों पर बेखौफ होकर हमलाबर होरहे हैं. असहाय और निरीह जनता इस जंगलराज की यातना झेलने को अभिशप्त है. भाकपा ने निर्णय लिया कि जिला पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही अलीगढ़ के जिलाधिकारी से मिल कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग करेगा. भाकपा की मांग है कि घटना के सभी दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाये, उनके ऊपर रासुका लगाई जाये, पीड़ित परिवार को नियमानुसार मुआबजा दिया जाये, उन्हें अलीगढ़ अथवा खुर्जा की कांशीराम कालोनी में आवास दिया जाये, घायल का पूरा इलाज कराया जाये, मृतक कैलाश के डेढ़ वर्षीय पुत्र की शिक्षा का जिम्मा राज्य सरकार ले तथा गांव के दलितों के आवासों का निर्माण कराया जाये और उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाये. भाकपा ने चेतावनी दी है कि यदि उपर्युक्त के संबंध में जिला प्रशासन ने समुचित कदम नहीं उठाये तो जनपद स्तर पर आन्दोलन तो किया ही जायेगा राज्य स्तर पर भी मामले को उठाया जायेगा. डा. गिरीश

Saturday, July 26, 2014

सहारनपुर की बारदातें शांति को पलीता लगाने की कोशिशें : भाकपा ने कड़ी कार्यवाही की मांग की

लखनऊ २६ जुलाई, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने आज सहारनपुर में चल रही हिंसक वारदातों पर गहरी चिंता व्यक्त की है. भाकपा ने इसे शांति को पलीता लगाने की सांप्रदायिक शक्तियों का दुश्चक्र करार दिया है. भाकपा ने इस बात पर गहरा अफ़सोस जताया है कि अभी भी प्रशासन हालातों पर काबू नहीं पा सका है और हिंसक और उपद्रवी तत्व वहां खुला खेल खेल रहे हैं. हालातों पर अविलम्ब काबू पाया जाना बेहद जरूरी है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि सहारनपुर में एक उपसमुदाय का दूसरे समुदाय से वहां एक धर्मस्थल के विस्तार को लेकर पिछले ६-७ साल से विवाद चल रहा था. शासन- प्रशासन मामले को सुलझाने में विफल रहा था. ताजा घटनाक्रम के अनुसार इस बीच उपसमुदाय ने निर्माण कार्य करा लिया था और लिंटर डालने की तैय्यारी चल रही थी. इसी बात को लेकर गत रात दोनों पक्ष आमने सामने आगये वहां हिंसक वारदातें शुरू होगयीं. हिंसा में अब तक दो लोगों की जानें जचुकी हैं. अब सांप्रदायिक तत्व मौके का लाभ उठाने में जुट गये हैं. भगवा ब्रिगेड गली कूचों में अल्पसंख्यकों की सम्पत्तियों को जला रही है, लूट रही है. गरीबों के ठेले खोमचे जला कर राख कर दिए गये. सभी जानते हैं कि आज कांठ को लेकर भाजपा ने पूरे प्रदेश को उपद्रवों की जड़ में लेने की योजना बनाई हुई थी. सहारनपुर की घटना आपरेशन-कांठ का विस्तार है. कल ही उत्तरांचल में हुये उपचुनावों में तीनों सीटें हार चुकी भाजपा खिसियाई बिल्ली की तरह खम्भा नोंच रही है और मोदी सरकार की असफलताओं पर पर्दा डालने को सांप्रदायिक दंगे भड़काने पर उतारू है. भाकपा राज्य सचिव ने समाजवादी पार्टी की राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह ध्रुवीकरण की राजनीति से लाभ उठाने के चक्र से बाहर आये और हिंसक और उपद्रवी तत्व जिस भी समुदाय के हों, उन्हें सख्ती से कुचल दे. भाकपा ने प्रदेश भर की अमन पसंद ताकतों से अपील की है कि वह शांति और भाईचारा बनाये रखने को आगे आयें और प्रदेश को हिंसा की आग में झोंकने के प्रयासों को परवान न चड़ने दें. कल अलीगढ़ पहुंचेगा भाकपा का जांच दल-- भाकपा राज्य कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार भाकपा का एक जाँच दल कल- २७ जुलाई को अलीगढ़ जनपद के वीरमपुर गांव जायेगा जहां गत दिनों दबंगों ने एक भूमि विवाद को लेकर तीन दलितों की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी. डा. गिरीश

Thursday, July 24, 2014

अलीगढ़ में हुयी दलितों की हत्या पर भाकपा ने जताया रोष. हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की.

लखनऊ २४ जुलाई. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने अलीगढ़ जनपद के लोधा थाना अंतर्गत वीरमपुर गांव में गांव के ही दबंगों द्वारा तीन दलितों की हत्या और एक अन्य को गंभीर रूप से घायल करने की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा की है. भाकपा ने सभी दोषियों को शीघ्र से शीघ्र गिरफ्तार किये जाने और दलित परिवारों को सुरक्षा और न्याय दिलाने की मांग की है. यहां जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार महिलाओं, दलितों एवं अन्य कमजोरों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल है. अलीगढ़ के इन दलितों की जमीन हडपने का षड्यंत्र वर्षों से चल रहा था, मगर पुलिस प्रशासन घटना की गंभीरता से आँख मूंदे रहा और यह जघन्य कांड हो गया. दिन दहाड़े चार पांच दलितों को घर से घसीट कर ले जाना और खेत पर ले जाकर उनकी पीट-पीट कर हत्या करना क्या इस बात का सबूत नहीं है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज कायम हो चुका है. आये दिन महिलाओं के साथ दरिंदगी की वारदातें भी थमने का नाम नहीं लेरही हैं. भाकपा ने मांग की है कि दलितों की हत्या के सभी आरोपियों को शीघ्र से शीघ्र जेल के सींखचों के पीछे पहुंचाया जाये, पीड़ित दलित परिवार को नियमानुसार मुआवजा दिया जाये तथा पीड़ित परिवार को समुचित सुरक्षा दी जाये. भाकपा ने अपनी अलीगढ़ जिला इकाई को निर्देश दिया है कि वह घटनास्थल पर पहुँच न्याय दिलाने को आवश्यक कदम उठाये. डा. गिरीश

Monday, July 21, 2014

मोहनलालगंज दरिंदगी प्रकरण पर भाकपा ने उठाये सवाल ; सी. बी. आई. जाँच की मांग की.

लखनऊ- २१ जुलाई, २०१४- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि मोहनलालगंज में महिला के साथ हुई दरिंदगी प्रकरण पर पुलिस का रवैय्या एकदम अविश्वसनीय है और यह इस संगीन मामले को हल्का कर रफा-दफा करने की साजिश है. इस स्थिति में भाकपा ने घटना की जाँच सी. बी. आई. से कराने की मांग की है. यहाँ जारी एक बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि तमाम हालात और मीडिया की छानवीन से यह स्पष्ट होजाता है कि घटना में कई लोग शामिल थे और भोथरे तथा भारी औजार से घटना को अंजाम दिया गया. लेकिन पुलिस ने खुलासे को जिस नाटकीयता से पेश किया है उससे साफ झलकता है पुलिस किसी ताकतवर शख्स को बचाने की कबायद में जुटी है और पूरी कहानी को एक व्यक्ति के ऊपर टिका दिया है. भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सत्ता के शीर्ष कर्णधार आये दिन बलात्कारियों की प्रतिरक्षा में और उनके मनोबल को बढाने वाले बयान देते रहते हैं. उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ लगातार होरही दुराचार की घटनाओं के पीछे एक कारण यह भी है. ऐसी सत्ता के मातहत काम कर रहे पुलिसजनों से न्याय की उम्मीद भी कम ही रह जाती है. मोहनलालगंज प्रकरण में भी पुलिस की कार्यवाही पूरी तरह संदेहास्पद है. ऐसी स्थिति में पीड़िता और उसके परिवार को न्याय दिलाने को जरूरी है कि इस घटना की जाँच सी. बी. आई. से कराई जाये. अतएव भाकपा राज्य सरकार से मांग करती है कि वह बिना विलम्ब किये मोहनलालगंज प्रकरण की सी. बी. आई. से जांच कराने की संस्तुति करे. लोकमत भी इसी के पक्ष में है. यदि सरकार लोकभावनाओं को ठुकराने की हिमाकत करेगी तो लोकमत भी उसे करारा जबाब देगा, भाकपा राज्य सचिव ने कहा है. डा. गिरीश

Wednesday, July 16, 2014

दुष्कर्मियों को जल्द जेल भेज दिया गया होता तो न होता सिकंदरा राऊ कांड- भाकपा

लखनऊ- १६ जुलाई- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल राज्य सचिव डा. गिरीश के नेत्रत्व में आज हाथरस जनपद के कस्बा सिकन्दराराऊ पहुंचा जहां गत दिनों एक विवाहिता को धोखे से ससुराल से लाकर सामूहिक दुराचार किया गया और इसके बाद पीड़िता ने आग लगा कर आत्महत्या कर ली अथवा उसकी हत्या कर दी गयी. पूरे मामले में पुलिस और प्रशासन द्वारा बरती लापरवाही एवं उपेक्षा की प्रतिक्रिया में आक्रोशित लोग सडकों पर उतर आये थे और वहां अनेक वाहन एवं ठेले- खोमचे फूंके गये. सांप्रदायिक और जातीय विभाजन का खेल खेलने वालों ने वहां जमकर अपना खेल खेला और कस्बा भयंकर दंगों की गिरफ्त में आने से बाल-बाल बच गया. पीडिता के परिवार, पड़ोसियों एवं स्थानीय नागरिकों से व्यापक चर्चा के बाद प्रेस को जारी रिपोर्ट में भाकपा नेताओं ने कहा कि पीड़ित मृतका के साथ हुई दरिंदगी के बाद स्थानीय प्रशासन सक्रिय होगया होता और दरिंदों के खिलाफ तत्काल कठोर कदम उठाये होते तो इसकी इतनी विकराल प्रतिक्रिया नहीं होती. अपराधियों को पकड़ने में हीला हवाली की गयी और म्रत्यु से पूर्व पीडिता के मजिस्ट्रेटी बयान तक नहीं लिए गये. यह जानते हुये भी कि पीडिता और दरिन्दे अलग अलग संप्रदाय के हैं और घटना दूसरा मोड़ भी ले सकती है, प्रशासन ने मृतका के अंतिम संस्कार से पहले ऐतियादी जरूरी कदम नहीं उठाये. सड़कों पर उतरी आक्रोशित भीड़ को समझा बुझा कर शांत करने के बजाय पुलिस प्रशासन ने लाठी गोली का सहारा लिया. मौके का लाभ उठाने को सांप्रदायिक और जातीय विभाजन की राजनीति करने वाले तत्व सक्रिय होगये और बड़े पैमाने पर आगजनी कर डाली. बड़े वाहनों के अतिरिक्त समुदाय विशेष के ठेले खोमचों को खास निशाना बनाया गया. यहां उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी के शासन में संप्रदाय विशेष के गुंडों और असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ जाता है और वे खुलकर गुंडई करते हैं. पुलिस प्रशासन भी उनके विरुध्द कार्यवाही से बचता है. इसकी बहुसंख्यक समुदाय में प्रतिक्रिया होती है सांप्रदायिक तत्व इसका लाभ उठाते हैं. आज उत्तर प्रदेश में यह प्रतिदिन होरहा है. राज्य सरकार को इस परिस्थिति को समाज के व्यापक हित में समझना चाहिये और प्रशासन को आवश्यक निर्देश देने चाहिये. सम्बंधित समाज के उन ठेकेदारों को भी इन तत्वों को पटरी पर लाने को काम करना चाहिये जो वोटों के समय समाज के ठेकेदार बन जाते हैं. भाकपा का आरोप है कि आगजनी की घटनाओं के बाद पुलिस ने पीड़िता के दलित बहुल मोहल्ले पर हमला बोल दिया. एक युवक गोली से तो दूसरा पुलिस के ट्रक की चपेट में आकर घायल होगया. घरों के दरवाजे तोड़ डाले गये और महिलाओं और बच्चों तक को पीट पीट कर घायल कर दिया गया. बदले की भावना से और बिना जांच किये ही दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. तमाम लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी पुलिस देरही है. लोग खौफ के साये में हैं और पलायन कर रहे हैं. भाकपा इस सबकी कठोर शब्दों में निंदा करती है. भाकपा मांग करती है कि पीड़िता से दुराचार करने वाले सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया जाये, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाये, आगजनी के बाद गिरफ्तार किये गये निर्दोष लोगों को जाँच कर छोड़ा जाये, पीडिता के परिवार को मुआबजा दिया जाये तथा घायलों को भी मुआबजा दिया जाये. भाकपा के इस प्रतिनिधिमंडल में डा. गिरीश के साथ राज्य काउन्सिल सदस्य बाबूसिंह थंबार, चरण सिंह बघेल, पपेन्द्र कुमार, सत्यपाल रावल, द्रुगपाल सिंह, विमल कुमार एवं मनोज कुमार राजौरिया आदि शामिल थे. डा. गिरीश

Monday, July 14, 2014

महंगाई एवं अपराधों के विरुध्द उत्तर प्रदेश भाकपा ने संघर्ष का बिगुल फूंका.

लखनऊ- १४ जुलाई- केंद्र सरकार के लगभग डेढ़ माह के शासनकाल में महंगाई ने सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं. राज्य सरकार के कई कदम महंगाई को बढ़ावा देने में मददगार साबित होरहे हैं. प्रदेश में अपराध और अपराधी बेलगाम होचुके हैं. आम जनता त्राहि-त्राहि करने लगी है. महंगाई की मार और अपराधों की बाढ़ से त्रस्त जनता की आवाज को केंद्र और राज्य सरकार तक पहुँचाने और उन्हें इस सबसे राहत दिलाने को आज भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने समूचे उत्तर प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन आयोजित किये. प्रदर्शनों के उपरांत राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को सौंपे गये. भाकपा राज्य सचिव ने दाबा किया कि इन प्रदर्शनों में पार्टी की अपेक्षा से अधिक लोग सडकों पर उतरे. इसका कारण है चुनाव अभियान के दौरान मोदी द्वारा दिया गया “अच्छे दिन लाने” का भरोसा समय से पूर्व ही टूट गया है और जनता अपने को ठगी हुई महसूस कर रही है. यही कारण है कि वह सडकों पर उतरने को बाध्य हुई है. दोपहर होते-होते भाकपा के राज्य मुख्यालय पर जिलों जिलों से जुझारू तरीके से किये गये धरने/प्रदर्शनों की रिपोर्ट आने लगी थी जो प्रेस नोट लिखे जाने तक जारी थी. राजधानी लखनऊ में भाकपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पार्टी के कैसरबाग मुख्यालय से कलक्ट्रेट तक जुलूस निकाला और वहां एक आमसभा की. प्रदर्शन का नेत्रत्व जिला सचिव मोहम्मद खालिक, सहसचिव ओ.पी.अवस्थी, परमानंद एवं महिला फेडरेशन की नेता आशा मिश्रा एवं कांती मिश्रा ने किया. सभा को संबोधित करते हुये भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी की सरकार पूरी तरह से पिछली केंद्र सरकार के नक़्शे कदम पर चल रही है. अभी इस सरकार को सत्ता संभाले लगभग डेढ़ माह ही हुआ है लेकिन इसने आम जनता के ऊपर इतना बोझ लाद दिया जितना कि डेढ़ साल में भी नहीं लादा जाना चाहिये. सरकार ने दो-दो बार डीजल व पैट्रोल के दाम बढ़ा दिये, रेल किराया और मालभाड़े में असहनीय बढ़ोत्तरी कर दी. सरकार की नीतियों के परिणामस्वरूप चीनी, प्याज, टमाटर तथा खाने-पीने की तमाम चीजों में उल्लेखनीय वृध्दि हुयी है. लगभग तमाम जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी जारी है. रेल बजट और आम बजट से गरीब और आम लोगों को तमाम तरह की राहत की उम्मीद थी लेकिन मोदी सरकार ने पूरी तरह निराश किया है. “अच्छे दिन आने वाले हैं” के नारे पर रीझ कर जनता ने मोदी को अपार बहुमत से सत्तासीन किया था लेकिन आज वही जनता महंगाई की मार से बेजार है. वह कहने लगी है-‘आखिर कब आयेंगे अच्छे दिन’ ? डा.गिरीश ने कहा कि प्रदेश की अखिलेश सरकार ने डीजल पैट्रोल सहित कई वस्तुओं पर टेक्स बढ़ा कर महंगाई बढ़ाने में योगदान किया है. आलू प्याज टमाटर आदि तमाम चीजों की जमाखोरी धड़ल्ले से जारी है और राज्य सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है. राज्य अभूतपूर्व बिजली संकट से रूबरू है. अपराधों खासकर महिलाओं पर दुराचरण की जघन्य वारदातें थमने का नाम नहीं ले रहीं. प्रदेश में सांप्रदायिक शक्तियां अपना फन उठा रहीं हैं मगर राज्य सरकार उससे निपट पाने में असमर्थ है. उत्तर प्रदेश की जनता को तो दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि भाकपा जनता को इस तरह लुटते-पिटते नहीं देख सकती. उस समय जब सारी पार्टियाँ हार का मातम मना रहीं हैं और भाजपा जीत का जश्न मनाने में मशगूल है, उत्तर प्रदेश की भाकपा जनता के दर्द निवारण के लिये सडकों पर उतर कर आवाज उठा रही है. यह संघर्ष निरंतर जारी रहेगा. कानपुर के राम आसरे पार्क में भाकपा के प्रांतव्यापी आह्वान पर जिला सचिव का. ओमप्रकाश के नेत्रत्व में धरना दिया गया. वहां सम्पन्न सभा की अध्यक्षता राम प्रसाद कनोजिया ने की. सभा को संबोधित करते हुये भाकपा के राज्य सहसचिव अरविन्द राज स्वरूप ने कहा कि मोदी सरकार ने रेल बजट और आम बजट के द्वारा पूरी की पूरी अर्थ व्यवस्था देशी व विदेशी कार्पोरेट्स के हवाले कर दी है. रक्षा और बीमा जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश से राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा होगया है. रेलभाड़ा वृध्दि एवं सब्सिडी कटौती से महंगाई और बढ़ेगी और जनता को और अधिक कठिनाइयों से दो चार होना होगा. हमें आने वाले दिनों में कठिन संघर्षों के लिए भी तैयार रहना होगा. बलिया में पार्टी के जिला सचिव एवं राज्य कार्यकारिणी के सदस्य का. दीनानाथ सिंह के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर एक विशाल धरना दिया गया और आमसभा की गयी. सभा की अध्यक्षता विद्याधर पांडे ने की. महिलाओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही. राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में महंगाई के ऊपर कारगर अंकुश लगाने की मांग की गयी. मेरठ में राज्य कार्यकारिणी के सदस्य शरीफ अहमद एवं जिला सचिव राजबाला के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया गया. पूर्व सचिव कुंदनलाल के नेत्रत्व में एक दस सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से मिला और उन्हें महंगाई और अपराधों पर रोक लगाने हेतु ज्ञापन सौंपा. झाँसी में राज्य कार्यकारिणी सदस्य शिरोमणि राजपूत एवं जिला सचिव भगवानदास पहलवान के नेत्रत्व में जिलाधिकारी के कार्यालय पर प्रदर्शन किया गया. प्रस्तुत ज्ञापन में महंगाई पर रोक लगाने और बुन्देलखण्ड को सूखा पीड़ित घोषित किये जाने की मांग भी की गयी. बदायूं में जिला सचिव रघुराज सिंह के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट के समक्ष धरना दिया गया. वहां सम्पन्न सभा को उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के राज्य सचिव फूलचंद यादव ने संबोधित किया. जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में महंगाई पर कारगर अंकुश लगाने और अपराधों को रोके जाने की मांग की गयी. गाज़ियाबाद में जिला सचिव जितेन्द्र शर्मा, बब्बन, शकील अहमद, शरदेन्दु शर्मा के नेत्रत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर व्यापक नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया गया. इसके बाद एक आमसभा की गयी जिसे अन्य के अतिरिक्त दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. सदाशिव ने भी संबोधित किया. ज्ञापन भी सौंपा गया. सोनभद्र में राबर्ट्सगंज जिला मुख्यालय पर बढ़ी संख्या में लोगों ने धरना/प्रदर्शन किया जिसका नेत्रत्व जिला सचिव रामरक्षा ने किया. सांसद प्रत्याशी अशोक कुमार कनोजिया की अध्यक्षता में सम्पन्न सभा को वसावन गुप्ता, आर. के. शर्मा, ऊदल, अमरनाथ सूर्य आदि ने संबोधित किया. महंगाई और अपराधों पर रोक लगाने संबंधी ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया. बुलंदशहर के स्याना में राज्य कार्यकारिणी सदस्य एवं जिला सचिव अजयसिंह के नेत्रत्व में गांधी मेमोरियल स्कूल से उपजिलाधिकारी कार्यालय तक लम्बा जुलूस निकाला गया जिसमें महिलायें भी बढ़ी तादाद में उपस्थित थीं. बाबा सागरसिंह के नेत्रत्व में एक सभा की गयी तथा एसडीएम को ज्ञापन सौंपा. औरैय्या में जिला सचिव अतरसिंह कुशवाहा के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया. वरिष्ठ नेता श्रीकृष्ण दोहरे की अध्यक्षता में सभा सम्पन्न हुयी तथा जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. ललितपुर में जिला सचिव बाबूलाल अहिरवार एवं किशनलाल के नेत्रत्व में कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन किया गया. प्रारंभ में उपजिलाधिकारी ने कार्यकर्ताओं को आन्दोलन न करने की धमकी दी लेकिन भाकपा नेताओं ने जबर्दस्त नारेबाजी के साथ प्रदर्शन शुरू कर दिया. बाद में उपजिलाधिकारी ने आकर ज्ञापन प्राप्त किया. हाथरस में राज्य काउन्सिल सदस्य बाबूसिंह थंबार, जिला सचिव होशियारसिंह एवं कार्यवाहक सचिव चरणसिंह बघेल की अगुआई में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर उन्हें ज्ञापन सौंपा गया. इलाहाबाद में वरिष्ठ नेता आर. के. जैन एवं राज्य काउन्सिल सदस्य नसीम अंसारी के नेत्रत्व में पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने जिला कचेहरी में धरना दिया और आमसभा की. बाद में एक ज्ञापन नगर मजिस्ट्रेट को सौंपा गया. पीलीभीत में जिला सचिव चिरौंजीलाल के नेत्रत्व में जिला कलेक्ट्रेट पर धरना दिया गया और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. जनपद कुशीनगर की कसया तहसील पर जिला सहसचिव का. मोहन गौर के नेत्रत्व में सैकड़ों किसान कामगारों ने प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी कसया को सौंपा गया. आजमगढ़ जिला कलेक्ट्रेट के बाहर सैकड़ों भाकपा कार्यकर्ताओं ने धरना दिया. रामसूरत यादव की अध्यक्षता एवं जिला सचिव हामिद अली के नेत्रत्व में सम्पन्न सभा को किसानसभा के प्रदेश अध्यक्ष इम्तियाज बेग, रामाज्ञा यादव, श्रीकांत सिंह, सांसद प्रत्याशी हरिप्रसाद सोनकर एवं जितेन्द्र हरि पांडे ने संबोधित किया. गोंडा जिला कलेक्ट्रेट परिसर में भी एक सफल धरने का आयोजन किया गया. वहां सम्पन्न सभा को सुरेश त्रिपाठी, सत्यनारायन तिवारी, दीनानाथ त्रिपाठी, सांसद प्रत्याशी ओमप्रकाश एवं जिला सचिव रघुनाथ गौतम ने संबोधित किया. जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. आगरा में सुभाष पार्क से विशाल जुलूस निकाला गया जो कलेक्ट्रेट पर पहुँच कर आमसभा में तब्दील होगया. सभा को रमेश मिश्रा, तेजसिंह वर्मा, हरविलास दीक्षित, ओमप्रकाश प्रधान एवं जिला सचिव ताराचंद ने संबोधित किया. मथुरा में रजिस्ट्री कार्यालय से प्रारंभ हुआ जुलूस जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच सभा में बदल गया जिसे गफ्फार अब्बास, बाबूलाल, पुरुषोत्तम शर्मा, अब्दुल रहमान आदि ने संबोधित किया. जनपद जालौन के उरई में मजदूर भवन से जिलाधिकारी कार्यालय तक एक प्रभावशाली जुलूस निकाला गया और आमसभा की गयी. सभा को वरिष्ठ नेता कैलाश पाठक, जिला सचिव सुधीर अवस्थी, डा. पाल, विजयपाल यादव एवं विनय पाठक ने संबोधित किया. ज्ञापन में अन्य मांगों के अतरिक्त बुन्देलखण्ड को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग भी की गयी. मैनपुरी में जिला कलेक्ट्रेट परिसर में विशाल धरना दिया गया और आमसभा की गयी जिसे जिला सचिव रामधन के अतिरिक्त हाकिमसिंह यादव,राधेश्याम मिश्र, राधेश्याम यादव एवं विरेन्द्रसिंह चौहान आदि ने संवोधित किया. अन्य सभी जिलों में भी पहले से ही प्रदर्शनों की तैय्यारी की सूचना है, और वहां से धरनों प्रदर्शनों के समाचार लगातार मिल रहे हैं. डा.गिरीश

Sunday, July 13, 2014

महंगाई, जमाखोरी एवं अपराधों के खिलाफ भाकपा का जिला केन्द्रों पर प्रदर्शन - १४ जुलाई को.

लखनऊ- १३, जुलाई २०१४. आसमान लांघ रही महंगाई, जमाखोरी और रिकार्डतोड़ अपराधों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दिनांक- १४ जुलाई को प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर धरने- प्रदर्शन संगठित करेगी. आन्दोलन के उपरांत जिलाधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन दिये जायेंगे. उपर्युक्त के संबंध में यहाँ जारी एक प्रेस बयान में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि अपने लगभग डेढ़ माह के कार्यकाल में केंद्र सरकार ने अपने कारनामों से महंगाई को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है. राज्य सरकार भी बढ़े पैमाने पर चल रही जमाखोरी को रोक नहीं रही और उसने कई तरह के टैक्स बढ़ा कर महंगाई को बढ़ाने में मदद की है. प्रदेश में अपराध और महिलाओं से दुराचरण की वारदातें थमने का नाम नहीं लेरही हैं. भाकपा चाहती है कि महंगाई और अपराधों से जनता को राहत मिले. इसी उद्देश्य से भाकपा ने आन्दोलन करने का निश्चय किया है. डा. गिरीश